विवेक शर्मा - भक्ति मार्ग

विवेक शर्मा - भक्ति मार्ग भक्ति से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है 🙏🙏

जय मां जय मां जय जय मां भक्तिमार्ग से भगवद्भक्ति प्राप्त करना बहुत आसान है ।
जय मां जय मां जय जय मां

आप निर्वस्त्र आये थे आप निर्वस्त्र ही जायेंगे, आप कमज़ोर आये थे आप कमज़ोर ही जायेंगे, आप बिना धन-संपदा के आये थे आप बिना...
13/09/2025

आप निर्वस्त्र आये थे आप निर्वस्त्र ही जायेंगे, आप कमज़ोर आये थे आप कमज़ोर ही जायेंगे, आप बिना धन-संपदा के आये थे आप बिना धन-संपदा के ही जायेंगे, आपने पहला स्नान भी आपने स्वंय नहीं किया। आपका अंतिम स्नान भी आप स्वंय नहीं कर पायेंगे, यही सच्चाई है। फिर किस बात का इतना अभिमान, किस बात की इतनी नफरत, किस बात की इतनी दुर्भावना, किस बात की इतनी खुदगर्जी, इस धरती पर हमारे लिए बहुत ही सीमित समय है, और हम इन मूल्यहीन बातों में बर्बाद कर रहे हैं। बस भगवती का नाम लें और शांति और आनंद का जीवन जिएं।

जय मां जय मां कहिए और बड़े मजे में रहिए

ां

माई सबका भला करे सबका कल्याण करे ।

विवेक शर्मा - भक्ति मार्ग

भगवती की अद्भुत शक्ति स्वयं आकाश, जल, तेज, वायु और पृथ्वी रूपिणी है। वे ही सृष्टि के प्रत्येक कण में व्यापिनी होकर मनुष्...
10/09/2025

भगवती की अद्भुत शक्ति स्वयं आकाश, जल, तेज, वायु और पृथ्वी रूपिणी है। वे ही सृष्टि के प्रत्येक कण में व्यापिनी होकर मनुष्य के कृत्य का लेखा-जोखा रखती हैं और अधर्माचरण करने वालों को दण्ड देने के लिए उद्दीप्त रहती हैं।

जैसे-जैसे पाप और अधर्म का संचय बढ़ता है, वैसे-वैसे प्रकृति का संतुलन विक्षिप्त होकर भयानक आपदाओं का आविर्भाव करता है। यही दिव्य व्यवस्था है—जिस समय पाप का भार असहनीय हो जाता है, उसी क्षण प्रलयतुल्य आपदा उत्पन्न होती है और समस्त पापात्माओं का अंत सुनिश्चित कर देती है।

तत्कालीन काल में वही जीवित रह सकेगा जो गौ, गंगा और ग्रंथों का रक्षक होगा, जो गोविन्द के वचनों का श्रवण और पालन करेगा, जो आडम्बर, दम्भ और छल-कपट से दूर रहेगा। धर्म ही उसका आधार होगा और सत्य ही उसका पथप्रदर्शक।

अब दैवीय शक्तियों के प्रकट होने का समय निकट है। यह देवोदय का काल है और असुरों के विनाश का भीषण समय समीप है। जो धर्मपरायण, गौसंरक्षक, गंगाभक्त और शास्त्रश्रद्धालु होंगे वही दैवीय कृपा से रक्षित रहेंगे; किंतु जो अधर्म में लिप्त होंगे उनका अंत निश्चित है।

शरण्ये दुर्गे त्रिभुवनजननि त्वन्मायया विश्वमेतत् ।
प्रसीदाम्भोजाक्षि भवतु मम नित्यं त्वत्पादसेवा प्रसीदा ॥
अन्ये यान्त्यस्मात् पथि दुरितमये संहारकाले निरुद्धाः ।
शरणं या दुर्गां न व्रजति नरः स नश्यति क्षिप्रमेव ॥

(हे त्रिभुवनजननी भगवती दुर्गे! आप ही समस्त जगत् की आधारशक्ति हैं। आपके चरणों की सेवा ही हमारा परम आश्रय है।जो लोग आपकी शरण में नहीं आते और अधर्माचरण करते हैं, वे संहारकाल में शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं। केवल वही जीवित रहते हैं जो महादुर्गा के चरणों की शरण ग्रहण करते हैं।)

|| दुर्गा दुर्गा दुर्गा ||

10/09/2025

महामाई जगदम्बे सबका कल्याण करें

प्रेम से बोलो जय मां जय मां

08/09/2025

त्रिदेवों की मां , भगवती की जय जयकार हो

मां सबका मंगल करें सबका भला करें

जय मां जय मां जय जय मां ❤️

विवेक शर्मा - भक्ति मार्ग

04/09/2025

जय मां
प्रेम से बोलो
जय मां
भगवती सबका कल्याण करेगी

26/08/2025

राजराजेश्वरी भगवती जगत जननी जगदंबा की जय हो जय हो जय हो

25/08/2025

इंस्ट्राग्राम पर अर्धनग्न होकर मुजरा करने के इस
दौर में साहित्य पढ़ने वाली स्त्रियां गुम सी हो गई..❤️🥀🥺

25/08/2025

जय मां जय मां जय जय मां

भगवती जगतजननी जगदम्बा सबका मंगल करे सबका भला करे ।

23/08/2025

मैं मानव रूपी पशु हूं , जगदम्बा का दास हूं
भगवती आप सभी देवताओं का कल्याण करें दानवों का रक्त पीएं ।
#विवेक
जय मां जय मां

21/08/2025

इस संसार की समस्त स्त्री भगवती का अंश हैं अतः वह सभी मेरी मां हैं।

जय मां जय मां जय जय मां
#विवेक

19/08/2025
19/08/2025

बोलिए राज राजेश्वरी महामाया जगतजननी भगवती महामाई जगदम्बा की जय हो जय हो जय हो ।

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