मानव अधिकार प्रोटेक्शन
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राकेश पाण्डेय
राष्ट्रीय प्रवक्ता द्?
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पूरे भारत में आम जनता पर उत्पीड़न के मामले में यूपी पुलिस का चरित्र सबसे बर्बर है। इस देश मैं मानव अधिकार से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिश्ठा से जुड़े हुए हैं। यह अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किये गये हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है । मानवाधिकार उत्पीड़न में यूपी पुलिस देश में नंबर वन हैं इस लिए पीड़ित के साथ पुलिस उत्पीड़न,मारपीट आदि किसी कीमत पर स्वीकार नही करेगा। 2013- 46,006 पाठको आपको बता दू आरटीआई की जानकारी के अनुसार, वर्ष 2010 से जनवरी 2015 तक देश भर में 4,90,206 मामले मानव अधिकार उत्पीड़न के दर्ज किए गए हैं। इनमें से 2,44,936 मामले केवल यूपी से दर्ज किए गए हैं। इसमें पिछले पांच वर्षों के दौरान मानव अधिकार उत्पीड़न के साथ सत्ता के साथ मिला कर उत्त्पीडन करने के मामले में यूपी की पुलिस नंबर वन पर रही है। अन्य सभी राज्यों की पुलिस इससे पीछे है। इस आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पूरे देश में मानव अधिकार उत्पीड़न के जितने मामले दर्ज किए जाते हैं, उसमें से 50 फीसदी से ज्यादा मामले यूपी के होते हैं। यूपी में पांच साल में दर्ज मानवाधिकार उत्पीड़न के मामले वर्ष दर्ज मामले सामने हैं। .2010- 49,751.2011- 53,913,2012- 45,090,2014- 50,176 इसके अलावा ऐसे अधिकार जो अन्तर्राश्ट्रीय समझौते के फलस्वरूप संयुक्त राश्ट्र की महासभा द्वारा स्वीकार किये गये है औ देश के न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है, को मानव अधिकार माना जाता है । इन अधिकारों में प्रदूशण मुक्त वातावरण में जीने का अधिकार, अभिरक्षा में यातनापूर्ण और अपमानजनक व्यवहार न होने संबंधी अधिकार, और महिलाओं के साथ प्रतिश्ठापूर्ण व्यवहार का अधिकार शामिल है। इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी शिकायत की जांच करते समय आयोग को सिविल प्रक्रिया संहिता-1908 के अन्तर्गत सिविल न्यायालय के समस्त अधिकार प्राप्त हैं। विषेश रूप से संबंधित पक्ष को तथा गवाहों को सम्मन जारी करके बुलाने तथा उन्हें आयोग के सामने उपस्थित होने के लिए बाध्य करने एवं षपथ देकर परीक्षण करने का अधिकार, किसी दस्तावेज का पता लगाने और उसको प्रस्तुत करने का आदेश देने का अधिकार, शपथ पर गवाही लेने का अधिकार और किसी न्यायालय अथवा कार्यालय से कोई सरकारी अभिलेख अथवा उसकी प्रतिलिपि की मांग करने का अधिकार। गवाहियों तथा दस्तावेजों की जाॅंच हेतु कमीशन जारी करने का अधिकार। आयोग में पुलिस अनुसंधान दल भी है। जिसके द्वारा प्रकरणों की जाॅंच की जाती है।आयोग का कार्य पर एक प्रमुख जानकारी :- मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम-1993 के अन्तर्गत एंटी करप्शन काेर ऑफ इंडिया. आयोग के द्वारा निम्नलिखित कार्य किये किये जा रहे हैं – 1- आयोग अपनी ओर से स्वयं अथवा पीड़ि़त द्वारा अथवा उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रार्थना पत्र देकर शिकायत करने पर कि, किसी शासकीय सेवक द्वारा मानव अधिकारों का हनन किया गया है अथवा ऐसा करने के लिये उकसाया गया है अथवा उसने ऐसा हनन रोकने की उपेक्षा किया है, तो ऐसी शिकायतों की जाॅंच करना। 2- किसी न्यायालय में विचारधीन मानव अधिकारों के हनन के मामले में संबंधित न्यायालय के अनुमोदन से ऐसे मामले की कार्यवाही में भाग लेगा। 3- राज्य सरकार को सूचित करके, किसी जेल अथवा राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन किसी ऐसे संस्थान का जहाॅं लोगों को चिकित्सा सुधार अथवा सुरक्षा हेतु निरुद रखा अथवा ठहराया जाता है वहां के निवासियों की आवासीय भाषाओं का अध्ययन करने के लिये निरीक्षण करना और उनके बारें में अपने सुझाव देना आदि शामिल हैं । 4- संविधान तथा अन्य किसी कानून द्वारा मानव अधिकारों के संरक्षण के लिये प्रदत्त रक्षा उपायों की समीक्षा करना और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के संबंध में सुझाव देना। 5- आतंक, भय, दहशत, दहशतंगेज़ी, संत्रास, ख़ौफ़ एवं ऐसे सारी क्रिया-कलापों की समीक्षा करना, जो मानव अधिकारों का उपभोग करने में बाधा डालते हैं तथा उनके निवारण के लिए उपाय सुझाना। 6- मानव अधिकारों से संबंधित अनुसंधान कार्य को अपने हाथ में लेना एवं उसे बढ़ावा देना। 7- समाज के विभिन्न वर्गों में मानव अधिकार संबंधी शिक्षण, शिक्षा, पढ़ाना, सिखाना, तालीम, पढ़ाई-लिखाई का प्रसार करना तथा प्रकाषनों, संचार माध्यमों एवं संगोष्ठियों और अन्य उपलब्ध साधनों द्वारा मानव अधिकार संबंधी रक्षा उपायों के प्रति जागरूकता लाना। 8- मानव अधिकारों की रक्षा करने या करवाने के क्षेत्र में क्रियाशील, उद्यमी, मुस्तैद, व्यस्त, चपल, तेज़ , जीवित, जागत्क, क्रियाशील, अस्तित्वमय, सचेत, परिपूर्ण , गैर सरकारी संगठनों तथा संस्थाओं के प्रयासों को प्रोत्साहन देना हमारे कार्यो मैं शामिल हैं। 9- मानव अधिकारों की समत्ति संयोजित के लिये आवश्यक, अनिवार्य, अत्यावश्यक, तात्विक, अनिवार्य सेवा समझे गये अन्य कार्य करना हमारे कार्यो मैं शामिल हैं। 10 .मानवाधिकार उत्पीड़न में यूपी पुलिस देश में नंबर वन हैं इस लिए पीड़ित के साथ पुलिस उत्पीड़न,मारपीट आदि किसी कीमत पर स्वीकार नही करेगा। सुभकामनाओं सहित, आपका राकेश पाण्डेय
राष्ट्रीय प्रवक्ता एंटी करप्शन काेर ऑफ इंडिया
भारत