सैनी समाज

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20/07/2025

वायरल विडियो सोनम मीना द्वारा बताया जा रहा है कि
प्रेग्नेंट बहु को सोतेली सासु ने निकाला घर से, ससुर दे रहा साथ, सोनम ने आरोप लगाया कि दहेज की मांग कर रहे है , पति बाहर रहता है ससुर रामचरण मीणा गांव_रिंगसपुरा ग्राम पंचायत गुढाचन्द्रजी (तहसील नादौती) जिला करोली की बहु है
जयपुर के खो नागोरियान थाने का मामला
CMO Rajasthan Rajasthan Police PMO India

दुखद 😔
20/07/2025

दुखद 😔

बीसलपुर बांध अपडेट
20/07/2025

बीसलपुर बांध अपडेट

20/07/2025
बोल जय बाबा की हर हर महादेव 🙏🏻 🌹 🙏🏻 🌹 कोई घमंडि होगा जो इग्नोर करेगा
20/07/2025

बोल जय बाबा की हर हर महादेव 🙏🏻 🌹 🙏🏻 🌹 कोई घमंडि होगा जो इग्नोर करेगा

  आसान कहां है साहब😢😢ये वही  #फौजी है जो आपके लिए अपने परिवार को छोड़ कर  रात दिन  #बॉर्डर पर पड़े हैलेकिन फिर भी कुछ लो...
20/07/2025

आसान कहां है साहब😢😢
ये वही #फौजी है जो आपके लिए अपने परिवार को छोड़ कर रात दिन #बॉर्डर पर पड़े है
लेकिन फिर भी कुछ लोग इन को #ट्रेन_मै_सीट तक नही देते😢😢😢
देख लो कैसे कैसे और किन किन #हालातों से गुजरते है हमारे और आपके लिए❤️✊👌

20/07/2025

�प्रताप चौक, बारां | Naresh Meena

बिहार के कुसुमपुर में जन्मे महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने शून्य की खोज की थी। उन्होंने धरती के गोल होने और ग्रहों की गति की ग...
20/07/2025

बिहार के कुसुमपुर में जन्मे महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने शून्य की खोज की थी। उन्होंने धरती के गोल होने और ग्रहों की गति की गणना हजार साल पहले ही कर दी थी। वो दौर जब दुनिया सो रही थी, भारत गिनती गढ़ रहा था।

20/07/2025

Big shout out to my newest top fans! 💎 मेरे नए टॉप फ़ैन का बहुत-बहुत आभार! 💎 Lakhan Lal Saini, किशन सिह प, As Abhishek Subi, Ravi Kuma, Rakesh Varma

महाराष्ट्र के अमरावती में 25 साल पहले एक बच्ची को कूड़ेदान में फेंक दिया गया था। कूड़ेदान से बचाई गई दृष्टिबाधित माला पा...
20/07/2025

महाराष्ट्र के अमरावती में 25 साल पहले एक बच्ची को कूड़ेदान में फेंक दिया गया था। कूड़ेदान से बचाई गई दृष्टिबाधित माला पापलकर को इसके बाद दूसरी जिंदगी मिली। भले ही वह देख न सकती हों, लेकिन कभी हारना नहीं सीखा।

25 साल बाद अब माला पापलकर ने MPSC (महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग) परीक्षा पास कर ली है। वह नागपुर कलेक्ट्रेट में राजस्व सहायक के रूप में अपना करियर शुरू करने जा रही हैं।

करीब 25 साल पहले माला को जलगांव रेलवे स्टेशन के कूड़ेदान में छोड़ दिया गया था। जहां से उन्हें रिमांड होम में रखा गया। यहीं से अमरावती के पद्मश्री पुरस्कार विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता शंकर बाबा पापलकर की देखभाल में भेजा गया।

जब माला आश्रम में आई थीं, तब उनकी उम्र 10 साल थी। इस दौरान माला की आंखों की रोशनी केवल 5 फीसदी ही थी। साथ ही वह शारीरिक रूप से कमजोर थीं।

आज माला अपनी सफलता का श्रेय शंकर बाबा पापलकर को देती हैं। वह कहती हैं, "जब मैं बाबा के पास आई, तब बहुत छोटी थी। उन्होंने मुझे पढ़ाया और इस काबिल बनाया। मेरे अलावा, उन्होंने और भी बहुत से बच्चों की ज़िंदगी बनाई है। मुझे नहीं पता कि मेरे माता-पिता कहाँ हैं, लेकिन बाबा ने मुझे अपना नाम देकर माता-पिता का सहारा दिया है। मुझे नहीं लगता था कि मैं इस परीक्षा को पास कर पाऊंगी, लेकिन बाबा अक्सर कहते थे कि तुम कर सकती हो।"

माला ने स्वामी विवेकानंद ब्लाइंड स्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने विदर्भ महाविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। इस दौरान उनका फीस का खर्च प्रकाश टोप्ले पाटिल नाम के एक शख्स ने उठाया। माला को 10वीं क्लास में 60% और कॉलेज में 65% नंबर मिले थे। उन्होंने 2019 से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करनी शुरू की। महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई की, और रोज़ 6-7 घंटे मेहनत करती रहीं।

18 अप्रैल को जब उनके पास होने का ईमेल आया, तब साबित हो गया कि अगर कुछ ठान लिया जाए, तो चमकने के लिए इंसान को आंखों की रोशनी की भी ज़रूरत नहीं! कूड़ेदान से सरकारी नौकरी हासिल करने तक का सफ़र तय कर माला बेटियों के लिए मिसाल बन गई हैं।

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जोधपुर की स्थापना 1459
20/07/2025

जोधपुर की स्थापना 1459

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