
29/04/2025
चौदा में चालीस जैसा इतिहास बनाने के बाद सादगी के साथ बिहार के लाल ने स्टेडियम में सैलूट किया। अब ये समझना है कि ये सलाम किसको था..उस पिता को जिसने अपने अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए सारी दौलत शोहरत वैभव पर लगा दी। ये सैल्यूट उन लोगों के लिए था जो प्रशंसा कर रहे थे या फिर सलाम उन महान आत्माओं के लिए था जिन्होंने हुनर को पहचाना। एक बात है कि इस सैलूट ने उनके दिलों में आग लगाई होगी जो आलोचना कर रहे थे..मेरा भी वैभव के पिता माता व कोच को सेल्यूट जिन्होंने हीरे को हीरो बनाया वरना कई हुनर राजनीति भेदभाव के जाल में ज़ीरो बनकर डले रहते हैं।