
24/07/2025
चुनाव की शतरंज पर आखिरी चाल चलने की घड़ी जैसे-जैसे करीब आती जा रही है,सब अपने-अपने प्यादे-मोहरे को ठीक-ठीक जगह बिठाने में लगे हैं। यह मौसम ही है राजनीतिक समीकरणों के बनने-बिगड़ने का -और जब सवाल सवर्ण समाज का हो तो बनाव -बिगाड़ का नाटक अकसर शीर्षासन करता दिखायी देता है।
Pic july 2015