20/03/2025
100 में 98 बिहार के, फिर भी पहचान की तलाश?"
अगर 100 में 98 विद्वान बिहार के हैं, तो सवाल ये उठता है कि उनका श्रेय कोई और क्यों ले जाता है? बिहार, जिसने नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालय दिए, जहां से चाणक्य, आर्यभट्ट, वशिष्ठ नारायण सिंह और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे महान व्यक्तित्व निकले, वो आज भी उपेक्षित क्यों?
बिहार के लोग हर क्षेत्र में आगे हैं—शिक्षा, प्रशासन, राजनीति, विज्ञान और साहित्य में। फिर भी बिहार को वो सम्मान क्यों नहीं मिलता, जो उसका हक है?
समय आ गया है कि बिहार अपने गौरवशाली अतीत को दोबारा स्थापित करे और अपनी विद्वत्ता की पहचान खुद बनाए।
"जिस मिट्टी में ज्ञान की फसल लहलहाए, उसे कोई कैसे कम आंक सकता है?"