Travel With Neeraj

Travel With Neeraj जगत चेतना हूँ, अनादि अनंता...

A Traveller, Visual Storyteller and continuously Seeker of The Truth.

सुबह से ही  #अखरोट का पेड़ ढूंढ रहे हैं पर अखरोट तोड़ने के लिए नहीं क्योंकि उसका तो मौसम ही नहीं है, बस आज अखरोट की  #दातु...
27/07/2025

सुबह से ही #अखरोट का पेड़ ढूंढ रहे हैं पर अखरोट तोड़ने के लिए नहीं क्योंकि उसका तो मौसम ही नहीं है, बस आज अखरोट की #दातुन जो करनी है।

पर ऐसा भी नहीं है कि यहाँ अखरोट के पेड़ों की कमी है, ढेरों #पेड़ हैं पर सब इतने ऊंचे की टहनी तक पहुंचने के लिए या तो सीढ़ी लो या फिर पेड़ पर चढ़ो, सीढ़ी तो यहाँ तक कहाँ मिलेगी और इस सर्दी में पेड़ पर चढ़ने के अपना कोई इरादा नहीं है। तो बेहतर लगा कि #अत्रि ऋषि की गुफा की और चलते हैं वहीं रास्ते में कोई पेड़ मिल जाएगी तो दातुन भी हो जाएगी।

मंदिर से #गुफा के रास्ता यही को डेढ़ से दो किलोमीटर होगा पर आसान सा रास्ता है और साथ ही पूरा रास्ता घने जंगल से होकर जाता है तो थकान का कोई मतलब ही नहीं बनता। छोटी से #पगडंडी आगे जाकर दो पगडंडियों में बदल जाती है, दायीं ओर नीचे अत्रि #ऋषि की गुफा की तरफ चली जाती है और बायीं और रुद्रनाथ जी के मंदिर की ओर, जो यहाँ से 20 किमी बेहद ज्यादा चढ़ाई वाला रास्ता है, पर हमें वहां नहीं जाना , कम से कम आज तो बिल्कुल नहीं तो दाहिनी ओर मुड़ जाते हैं।

थोड़ा आगे जाकर ही पगडंडी नीचे #घाटी में उतरने लगती है, एकबार को तो लगा कि शायद कहीं गलत रास्ते पर तो नहीं पर थोड़ा आगे ही कुछ घण्टियाँ दिखाई देने लगती हैं जिनसे आभास लग जाता है कि सही रास्ते पर हैं, दूर कहीं पानी ले गिरने की आवाज आ रही है, अंदाजा लग जाता कि वह बड़ा झरना पास ही है।

दूर एक #दिगम्बर साधु दिखायी देते हैं, और शायद उन्होंने भी हमें देख लिया तो वह एक छोटी सी कोठरी जो कुछ पत्थरों को जोड़कर बनाई गई है उसमें चले जाते हैं...हमारा मन था कि कुछ देर उनके पास बैठ कर कुछ #भगवत चर्चा होगी पर हमें देखते ही वह अंदर चले गए और इशारों से बता दिया कि गुफा और आगे है।
बाबा जी ने यहीं पत्थर पर लिखा हुआ है कि वह #मौनव्रती हैं जो बात नहीं कर सकते तो वहां रुकने का कोई औचित्य तो नहीं बनता, हालांकि थोड़ी देर रुका जा सकता था...पर उन्हें डिस्टर्ब करना सही नहीं लगा।

#साधुबाबा की कुटिया झरने के बिल्कुल नजदीक है, वहीँ चारों और पानी बह रहा है, पर ऊपर देखने पर इतना बड़ा स्रोत नहीं नजर आ रहा जैसा कि नीचे मण्डल से दिखाई देता है...ये वह झरना तो नहीं हो सकता...आगे पगडंडी के नाम पर केवल ऊपर से बह कर आये छोटे बड़े #पत्थर हैं, जिनसे कूद फांद कर हमें दूसरी और जाना है। कुछ पत्थर इतने विशाल हैं कि क्रेन से भी ना उठें, आश्चर्य होता है कि यही पत्थर बरसाती पानी के साथ ऊपर से नीचे आ गए होंगे।

इस जगह को पार करके फिर आगे सीढियां बनी हैं, और थोड़ा सा आगे चल कर एक बैठने के लिए शेड बना हुआ है, इसके आगे अब कोई रास्ता नहीं है, ऊपर पहाड़ और नीचे #खाई, समझ नहीं आता कि अब कहाँ जाएं, सीधे पहाड़ के साथ बमुश्किल एक इंसान के चलने भर की जगह है, वही #पहाड़ को पकड़ कर थोड़ा आगे बढ़ते हैं तो एक विशाल झरना सामने प्रकट होते है। दोनों ही आश्चर्यमिश्रित खुशी से बोलते हैं कि हाँ यही तो है, यही है वह #झरना जो नीचे ट्रेक शुरू करते समय दिखाई देता है।

झरना तो मिल गया, पर अब वहां तक जाएं कैसे क्योंकि वहीं पर गुफा भी है जो अत्रि ऋषि की #तपोस्थली थी ।

आगे कोई रास्ता नहीं है, तभी पहाड़ पर नजर पड़ती है, देखा तो एक जंजीर पड़ी है, मतलब इस #जंजीर के सहारे ऊपर जाना होगा। ये कोई आसान खेल नहीं है, पांव फिसला कि नीचे खाई में जहाँ से बचाने कोई नहीं आएगा।

एक मन करता है कि वापिस चलें क्योंकि ज्यादातर लोग यहीं से #दर्शन करके लौट जाते हैं, पर फिर एक मन ने कहा कि जब इतना दूर आये हैं तो एक बार प्रयास करना तो बनता है।

वपिस उसी शेड में आकर जूते उतारकर वापिस आकर ऊपर चढ़ना शुरू करते हैं।
एक एक कदम संभल कर और #सटीकता से रखना ही एकमात्र उपाय है, वरना थोड़ी सी लापरवाही और सीधा सैकड़ों फ़ीट नीचे खाई में।

थोड़ी सी जद्दोजहद के बाद आखिरकार ऊपर पहुंच ही गए। पर ये क्या, यहाँ आगे फिर एक मुसीबत सामने खड़ी थी। गुफा और झरने तक पहुंचने के लिए पहाड़ को काट कर एक झिरी सी बनी हुई थी जिसमें से रेंगकर ही उसपार जाया जा सकता था । उस पार जहां वह झरना हमें पुकार रहा था और वह गुफा जहां हजारों लाखों साल पहले अत्रि ऋषि #तप किया करते होंगे।

हालांकि यह झिरी कोई 25 से 30 फ़ीट ही लंबी होगी पर जगह केवल इतनी की लेट कर धीरे धीरे ही शरीर को धक्का देकर उधर पहुंचा दिया जाए, और इसका #ढलान भी खाई की और था, मतलब आप फिसले तो फिर बचने के चांस 0% ही हैं।

अब यहाँ #हिम्मत जवाब दे रही थी, अगर खुली जगह होती तो लेटकर 50 फ़ीट भी चला जाऊं पर यहाँ तो देखकर ही दम सा घुट रहा था अंदर रेंग कर जाने की सोचने भर से रोंगटे खड़े हो रहे थे।

मैंने साथी को पूछा कि क्या करें, #उम्मीद थी साथी हाथ खड़े करदे तो इज्जत के साथ वापिस हो जाएंगे, मगर ये हो न सका और अब ये आलम है, #साथी ने कहा अब वापिस वहां होकर ही आएंगे... आगे आगे मुझे जाने दो, फिर तुम आना और ये तो घुस गए। थोड़ी देर तक हाथपैर चला कर उधर पहुंच तो गए पर इस दौरान #जान हलक में अटकी थी।

अब मेरी बारी थी, मैंने जैसे ही अंदर घुसने की कोशिश की वैसे ही #दम सा घुटता महसूस हुआ, लगा कि यह चट्टान मुझे यहीं दबा लेगी। मैं तुरन्त वापिस निकल कर बैठ गया, साथी को बोला कि मुझसे ये नहीं हो पायेगा। आप जाओ, मैं यहीं रुकता हूँ....

पर क्या वाकई मैं रुकना चाहता था?

या क्या मैं वाकई रुक पाऊंगा?

और

सबसे #महत्वपूर्ण बात कि क्या वाकई मुझे रुकने दिया जाएगा ?

जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ 😊😊😊

श्री श्री 2025 बाबा नीरजदास जी महाराज
अप्रैल 2025 मण्डल #उत्तराखंड
Part14

 #समर्पणहिमालय क्षेत्र में विचरण करने से पहले थोड़ा भौतिक और आध्यात्मिक रूप से जागरूक होना नितांत आवश्यक है वरना परिणाम द...
28/06/2025

#समर्पण

हिमालय क्षेत्र में विचरण करने से पहले थोड़ा भौतिक और आध्यात्मिक रूप से जागरूक होना नितांत आवश्यक है वरना परिणाम दुःखद हो सकते हैं।

खासकर इस मानसून के समय जब जगह जगह लैंडस्लाइड होती रहती हैं।
प्रशासन की गाइडलाइंस का हर हाल में पालन करें...लोकल लोगों से बातचीत करके स्थिति का पता लगाएं।
रात में सफर न करें...और ड्राइविंग के समय किसी भी प्रकार का नशा जानलेवा बन सकता है।

ये बात तो भौतिक थी, अब आध्यात्मिक...
हिमालय क्षेत्र में जगह जगह अलग अलग ऊर्जाओं के क्षेत्र हैं और उन क्षेत्रों के अलग अलग देव समूह भी हैं।
हर गांव के अलग अलग देवी देवताओं के स्थान है।

आप लोग इसे केवल चारधाम गिनते हो जबकि इस पूरे क्षेत्र में अनगिनत धाम हैं...कुछ जो भौतिक आंखों से दिखते हैं और कुछ केवल अध्यात्म की आंखों से।
तो ये जो आप छुट्टी मनाने, या पिकनिक मनाने चले आते हो उससे इस क्षेत्र के लोगों को तो खुशी मिलती होगी क्योंकि उनको रोजगार मिल रहा है....... पर जो आध्यात्मिक शक्तियां हैं उन्हें आपके रुतबे, पैसे से और पोजीशन से कोई फर्क नहीं पड़ता।

आपकी एक गलती कब उनकी आंखों में चुभ जाए और कब आप कोई परेशानी अपने घर तक ले आएं आपको पता भी नहीं चलेगा।

तो अगली बार हिमालय जाओ तो श्रद्धा के साथ जाना न कि पिकनिक मनाने। और सबसे महत्वपूर्ण बात कि ये माँ की भी पिता का क्षेत्र है, मतलब नाना का घर..... तो नाना के घर छोटी मोटी गलती तो क्षमा की जा सकती है, ..........पर ये दारू और अय्याशी जो आप करने जा रहे हो ना.......उसमें नाना को गुस्सा आ जाता है और तब नानी याद दिला देते हैं तब आप लोग भगवान को हो दोष देते हो कि भगवान केदारनाथ ये क्या कर दिया....है बद्रीविशाल ये क्या कर दिया?

तो मेरे भाई, हिमालय जाओ तो अपने आप को इन शक्तियों को समर्पित कर दो और इनसे आध्यात्मिक ऊर्जा ग्रहण करने का प्रयास करो।

फोटो में एक बालक अपने नाना से गले मिलने का प्रयत्न करता हुआ ☺️☺️☺️☺️।

कार्तिक स्वामी
उत्तराखंड
अप्रैल 2025

Morning Vibes
12/10/2024

Morning Vibes


Sometimes You need to lost yourself within the nature.....☺️☺️☺️In our Mustard Farms
05/01/2024

Sometimes You need to lost yourself within the nature.....☺️☺️☺️

In our Mustard Farms

यू ब्लडी इडियट........आई विल किल यू बास्टर्ड! इतनी चीख पुकार मची हुई थी कि मराठी प्रभुजी के स्वादिष्ट बड़ा पाव को बीच में...
22/11/2023

यू ब्लडी इडियट........आई विल किल यू बास्टर्ड!

इतनी चीख पुकार मची हुई थी कि मराठी प्रभुजी के स्वादिष्ट बड़ा पाव को बीच में ही छोड़कर सडक के दूसरी और होती हाथापाई पर ध्यान देना ही पड़ा।
हे मेरे कान्हा जी , तसल्ली से खाना भी नहीं खाने देते लोग।

वृंदावन की कुंज गलियों की सुबह से ही पैदल परिक्रमा चल रही थी, शाम होने को आई तो इस्कॉन की तरफ खिचड़ी के लालच में पांव अपने आप ही लेकर चले आये। पर इससे पहले की मन्दिर के अंदर जाता एक प्यारी सी खुशबू आई जिसे ढूंढते हुए मंदिर के दूसरे गेट के पास तक चला आया। देखता हूँ दो प्रभु जी एक साफ सुथरा सा बड़ा पाव का ठेला लगाए हुए हैं, बातचीत से पता चला कि दोनों ही महाराष्ट्र से हैं और शाम को बड़ा पाव बेचते हैं और बाकी सारा समय कृष्ण भक्ति । मैंने पूछा कि मंदिर से जुड़ जाओ तो इस सब को करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बोले कि प्रभु जी मंदिर से जुड़े तो वहां भी तो यही सब करना है और वो भी पूरे दिन तो उससे अच्छा है कि अपने आप क्यों न किया जाए।

बात में दम था। बात करते करते ही गरमा गरम एक बड़ा पाव तो मैं निपटा ही चुका था और दूसरे का भी नम्बर लग चुका था कि तभी ये चीख पुकार मची।

देखा सड़क के दूसरी और एक देशी और एक विदेशी प्रभुजी आपस में भिड़ गए थे, दूर से कुछ समझ नहीं आ रहा था तो बड़ा पाव वालों ने ही बोला कि आप पेट पूजा करो ये तो रोज का काम है, लेकिन कहीं कोई लड़ाई हो रही हो उस समय खाना तो छोड़ो हम भारतीयों के पानी भी गले से नीचे नहीं उतरता । लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम बड़े केयरिंग लोग हैं, बल्कि इसलिए कि जब तक पूरी बात पता न चले तब तक पेट में गुड़गुड़ होती रहती है 😂।

खैर, जल्दी दूसरा बड़ा पाव निपटा कर सड़क के दूसरी और पहुंचा तो देखा बड़ी तपिश हो रखी है।

विदेशी प्रभुजी जिनकी हाइट 6 फ़ीट से कम न होगी ने दुबले पतले से देशी प्रभुजी को गिरेबाँ से जकड़ रखा है और खींच कर ऊपर की और उठाया हुआ है, देशी प्रभुजी पंजो के बल खड़े बस आंखों में आंखे डाले मुस्कुरा रहे हैं। इस मुस्कान को देख कर कान्हा जी याद आ गए, और याद आ गया वह गीत "तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे बलिहार सांवरे"। वाह ऐसी एकाग्रता और निर्लिप्तता अगर हो तब तो बस साधो-साधो।

अब हमें विदेशी प्रभुजी पर गुस्सा आने लगा , मन करा की उठा कर पटक दें और थोड़ी सभ्यता सिखा दें, पर उससे पहले देशी प्रभुजी को उसके चंगुल से छुड़ाना जरूरी था। आस पास के लोग तमाशा देख रहे थे, देख तो वैसे हम भी रहे थे पर अभी अंदर का जिम्मेदार नागरिक जाग चुका था तो बीच बचाव के लिए आगे आना पड़ा, दूसरे लोगों को बुला कर अपने प्रभुजी को बमुश्किल से छुड़ाया ।

छूटते ही देशी प्रभुजी थोड़ी दूर खड़े हो कर गरम होना शुरू गए, और अब इधर विदेशी प्रभुजी के होठों पर बड़ी ही मोहक मुस्कान तैर उठी, अहाहा समझो कान्हा जी खुद ही साक्षात आ गए हों।

तभी देशी प्रभुजी ने बोलना शुरू किया do whatever you want to do, I am standing right here right now in front of you. I have not done anything wrong.

और बस इतना सुनना था कि विदेशी प्रभुजी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। I will tear you apart , just stay where you are. जिन लोगों ने पकड़ रखा था उन्हें सन्नी देओल की तरह फेंकते हुए दोबारा अपने वाले प्रभुजी को दबोच लिया, लोगों ने बड़ी ही मुश्किल से दोबारा अपने प्रभुजी को छुड़ाया।

हम जो मामला पता करने पहुंचे थे वो तो नहीं पता चल पा रहा था पर उठा पटक बड़ी तबियत से हो गयी।

इस बार विदेशी प्रभुजी से पूछा कि भाई क्या बात हुई, तो बोला , आस्क this बास्टर्ड if he is married or not. And if he is married then why he is following my sister. I will kill him today.

अब थोड़ा मामला समझ आने लगा था, उधर अपने प्रभुजी बोले कि ऐसा कुछ नहीं है मैं तो बस बातें कर रहा था।

हमने सोचा कि ये विदेशी लोग भी अपने से कोई अलग नहीं हैं, जहां बात अपनी बहन बेटियों की हो वहां ये लोग भी मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं।

बड़ी मुश्किल से बात करके विदेशी प्रभुजी को शांत कराया और और दोनों के बीच मांडोली कराई। देशी प्रभुजी से हामी भरवाई गई कि आगे से कोई पीछा नहीं करेंगे तब जाकर मामला शांत हुआ।

हालांकि मामला शांत होने का कुछ लोगों को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा, उन्हें लग रहा था कि कैसे भी कर के विदेशी प्रभुजी अपने देशी प्रभुजी को पेल दें और फिर हम हीरो बन कर विदेशी प्रभु जी को पुलिस से बचा कर नम्बर बनाएं 😀😀।

पर एक बात समझ नहीं आयी कि जिन कृष्ण की ये लोग आराधना करते हैं उनकी ऑफिसियल 3 पत्नियां थीं और एक्सटेंसन में 5000 अलग से थीं। फिर भी इतनी असहिष्णुता? 🤔🤔🤔😄

वैसे इस्कॉन की तारीफ करनी होगी कि दोनों प्रभुजी ही इतने कूल थे कि एक क्षण में एकदम on fire होते और दूसरे ही क्षण एकदम मुस्कुराने लगते जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। 😊😊😊

श्री श्री 2023 से 2024 की ओर अग्रसर
बाबा नीरजदास जी महाराज
गाजियाबाद वाले
जनवरी 2023

Today,s Best photo❤❤❤❤❤❤
07/11/2023

Today,s Best photo
❤❤❤❤❤❤












 #तर्क_vs_विश्वासत्रियुगीनारायण मंदिर की एक और विशेषता जो मैंने देखी वह थी इस मंदिर की भौगोलिक स्थिति। प्रथमदृष्टया देख ...
05/11/2023

#तर्क_vs_विश्वास

त्रियुगीनारायण मंदिर की एक और विशेषता जो मैंने देखी वह थी इस मंदिर की भौगोलिक स्थिति।

प्रथमदृष्टया देख कर तो यह सामान्य सा कत्यूरी शैली में बना मंदिर लगता है पर अगर ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि मंदिर का धरातल और मंदिरों से बिल्कुल अलग है। जहां और मंदिर किसी ऊंचे चबूतरे पर बनाये जाते हैं वहीं यह मंदिर एक गड्ढे से में है।

मंदिरों के चारों और लगभग 12 से 15 फ़ीट की एक बहुत पुरानी दीवार है जिसे ध्यान से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि यह किसी या तो बहुत पुराने भवन की बाहरी दीवार रही होगी या फिर किसी कुंड की सीमा।

यहां का इतिहास है कि भगवान विष्णु ने शिव पार्वती का विवाह इसी जगह कराया था तो हो सकता है उस समय के विष्णु का यही निवास स्थान रहा हो, जिसके अवशेषों के ऊपर कालांतर में इस मंदिर का निर्माण कर दिया गया हो।

मंदिर परिसर में ही 3 छोटे छोटे कुंड हैं जिन्हें ब्रह्मा विष्णु व महेश कुंड के नाम से जाना जाता है, जैसा कि अक्सर होता है कि किसी भी मन्दिर के पास की जगहों के नाम भी स्थानीय लोगों द्वारा दे दिए जाते हैं और उसकी कोई न कोई कहानी भी गढ़ दी जाती है।

महान घुमक्कड़ राहुल सांकृत्यायन ने अपनी किन्नर देश की यात्रा के समय एक बार कहा था कि जैसे गढ़वाल में स्थानीय पंडो ने जगह जगह मंदिर बना कर उनकी कहानियों को प्रचलित कर दिया है और उसका लाभ उठा रहे हैं वैसा किन्नर देश ( वर्तमान हिमाचल प्रदेश) के लोग नहीं कर सके।
हालांकि राहुल जी का झुकाव वामपंथ की तरफ रहा है और धर्म के विषय में उनकी यह टिप्पणी कोई अचंभित करने वाली नहीं है पर यह पूर्णतया गलत ही होगा ऐसा सोचना भी गलत ही है। 😊

खैर
अगली बार त्रियुगीनारायण जाएं तो इसपर ध्यान जरूर दें और अंदाजा लगाएं की यह जगह पहले कोई भवन रही होगी या कोई कुंड।

त्रियुगीनारायण
25/10/2023

 #जो_घर_फूंके_आपना_चलो_हमारे_साथकेदारनाथ धाम जाने वाले यात्री पता नहीं कौन सी हड़बड़ी में होते हैं कि बस केवल केदारनाथ जी ...
03/11/2023

#जो_घर_फूंके_आपना_चलो_हमारे_साथ

केदारनाथ धाम जाने वाले यात्री पता नहीं कौन सी हड़बड़ी में होते हैं कि बस केवल केदारनाथ जी तक ही जाकर लौट आते हैं और ये सब भी इतनी स्पीड से होता है कि जैसे कोई टाइम चेन से बंधे हों।

लोगबाग दूसरों को किस्से सुनाते हैं कि देखो हम लोग दिल्ली से दिल्ली 3 दिन में केदारनाथ कंप्लीट कर आये। अरे भाई जब इतनी ही भागदौड़ में जाना है तो दूर से ही हाथ जोड़ लो।

धक्के खाते हुए जाओ और ठोकर खाते हुए वापिस आओ ऐसी भी क्या मजबूरी है?

केदारनाथ रुट पर दर्जनों ऐसे तीर्थस्थल हैं जिनके बारे में किसी को पता नहीं होता, उन्हें बस केदारनाथ जाकर अपनी बकेट लिस्ट कंपलीट करनी होती है।

मैं जब भी कहीं के लिए निकलता हूँ तो मेन डेस्टिनेशन से हटकर आसपास की जगहों के बारे में पता कर के चलता हूँ।
अब इन फोटोज को ध्यान से देखो, ये फोटोज त्रियुगीनारायण की हैं , जब हम वहां पहुंचे तो नाममात्र की भीड़ मिली। जबकि केदारनाथ मार्ग यात्रियों से अटा पड़ा था, लेकिन यहां कोई नहीं आता, बस केदारनाथ भाग कर गए और भाग कर वापिस। 😁

ऋषिकेश से ही अगर देखा जाए तो देवप्रयाग में रघुनाथ मंदिर और संगम, श्रीनगर में धारी देवी, अगस्तमुनि में महिर्षि अगस्त तपोस्थली, उसके बाद उखीमठ , गुप्त काशी में विश्वनाथ और कालीमठ, उसके बाद त्रियुगीनारायण और गौरीकुंड। इतने सारे तीर्थ हैं जिन्हें अगर कवर किया जाए तो मुश्किल से एक या 2 दिन एक्स्ट्रा लगेंगे और खूबसूरती इतनी दिखेगी जो केदारनाथ ट्रेक पर शायद ही देखने को मिले।

यकीन न हो तो ये फोटोज देख लो जो त्रियुगीनारायण मन्दिर के दर्शन के बाद गौरी गुफा की ट्रेकिंग के दौरान लिए गए थे।

त्रियुगीनारायण
25/10/2023


त्रियुगीनारायण के बारे में कहते हैं कि यह रुद्रप्रयाग जनपद का दूसरा सबसे बड़ा गांव है और साथ में ही इस तरफ आखिरी भी। यहाँ...
01/11/2023

त्रियुगीनारायण के बारे में कहते हैं कि यह रुद्रप्रयाग जनपद का दूसरा सबसे बड़ा गांव है और साथ में ही इस तरफ आखिरी भी। यहाँ के ग्रामीण ज्यादातर मंदिर से जुड़े हुए हैं और साथ ही पशुपालन और खेती भी करते हैं।

त्रियुगीनारायण मंदिर में श्री नारायण भगवान का विग्रह है और उन्हीं की पूजा भी होती है। मन्दिर के अंदर ही एक यज्ञकुंड भी है जिसमें माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था। इसकी अग्नि सतत रूप से सदैव प्रज्वलित रहती है। कहते हैं जो यहां विवाह करता है उस जोड़े का प्रेम शिव पार्वती जैसा बना रहता है।
मंदिर समिति से इस विषय पर बातचीत हुई और उनसे पूरी प्रक्रिया समझी जिससे भविष्य में इच्छुक युगलों की सहायता की जा सके। खैर उस पर विस्तृत पोस्ट बाद में लिखी जाएगी।

हम लोग मंदिर के दर्शन के बाद उस गुफा के दर्शन के लिए पहाड़ी पर चढ़े जिसपर कभी माता पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
यह फ़ोटो भी उसी रास्ते से कहीं लिया गया।

त्रियुगीनारायण
25/10/2023

🕉️🛕🙏🚩❤️



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त्रियुगीनारायण के बारे में कहते हैं कि यह रुद्रप्रयाग जनपद का दूसरा सबसे बड़ा गांव है और साथ में ही इस तरफ आखिरी भी। यहाँ...
01/11/2023

त्रियुगीनारायण के बारे में कहते हैं कि यह रुद्रप्रयाग जनपद का दूसरा सबसे बड़ा गांव है और साथ में ही इस तरफ आखिरी भी। यहाँ के ग्रामीण ज्यादातर मंदिर से जुड़े हुए हैं और साथ ही पशुपालन और खेती भी करते हैं।

त्रियुगीनारायण मंदिर में श्री नारायण भगवान का विग्रह है और उन्हीं की पूजा भी होती है। मन्दिर के अंदर ही एक यज्ञकुंड भी है जिसमें माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था। इसकी अग्नि सतत रूप से सदैव प्रज्वलित रहती है। कहते हैं जो यहां विवाह करता है उस जोड़े का प्रेम शिव पार्वती जैसा बना रहता है।
मंदिर समिति से इस विषय पर बातचीत हुई और उनसे पूरी प्रक्रिया समझी जिससे भविष्य में इच्छुक युगलों की सहायता की जा सके। खैर उस पर विस्तृत पोस्ट बाद में लिखी जाएगी।

हम लोग मंदिर के दर्शन के बाद उस गुफा के दर्शन के लिए पहाड़ी पर चढ़े जिसपर कभी माता पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
यह फ़ोटो भी उसी रास्ते से कहीं लिया गया।

त्रियुगीनारायण
25/10/2023

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