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08/03/2024
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17/10/2023

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04/10/2022

*डिजिटल फोटोग्राफर एसोसिएशन ने लगाये अष्टमी पूजा पर भंडारे*
*बी जे पी विधायक माननीय अतुल गर्ग जी ने भी माता के दर्शन कर के आशीर्वाद प्राप्त किया*

2 अक्टूबर 2022 को 173वी गांधी जयंती मनाने के बाद आज 3 अक्टूबर 2022 को अष्टमी पुजा पर
*डिजिटल फोटोग्राफर एसोसिएशन ने गाजियाबाद में रेलवे स्टेशन, माता वैष्णो देवी मंदिर व मैन जीटी रोड़, गाज़ियाबाद में भंडारे का आयोजन किया
भक्तों को स्टेंडिंग में और सीटिंग का इंतजाम कर के बैठा कर प्रसाद परोसा गया
इस मौके पर डिजिटल फोटोग्राफर एसोसिएशन के गौरव शर्मा, राम अवतार शर्मा, गौरव शर्मा,नरेंद्र पाल, भूपेंद्र सिंह, रिजवान सैफी, दीपक कुमार,अभिषेक गौतम, बृजेश कुमार,अमन वीरवाल बृजभूषण, हरि राजपूत, अंकित कुमार, कुलदीप कुमार, जयंत मिश्रा, रेनू मैडम समाज सेविका व अन्य साथी मौजूद रहे।

आज मजदूर दिवस है इसलिए सोंचा कुछ लिखूँअतः यह आर्टिकल मेरे शारीरिक/मानसिक/भावनात्मक/चेतनात्मक श्रमिक भाइयों/बहनों/माताओं/...
01/05/2022

आज मजदूर दिवस है इसलिए सोंचा कुछ लिखूँ
अतः यह आर्टिकल मेरे शारीरिक/मानसिक/भावनात्मक/चेतनात्मक श्रमिक भाइयों/बहनों/माताओं/बुजुर्गों को समर्पित है जो पिछले हज़ारों सालों से अपना पारिश्रमिक लुटवा रहे हैं धूर्त सरकारों व उनके डाकु उद्यमियों द्वारा ..

श्रम/परिश्रम का न्यायोचित मूल्य है परिश्रम करने वाले को उसका पारिश्रमिक 100% दिया जाये

सवाल -
क्या सचमुच मौजूदा सरकारी वित्तीय संस्थानों द्वारा बनाये गए नियम नीतियों व निर्णयों अर्थात कानूनों में न्यायोचित शब्द की अहमियत रखी गयी है?

यदि हाँ!
तो फिर RBI व वित्त मंत्रालय जैसे सरकारी प्रतिष्ठान/संस्थान ने मुद्रा पर रेपोरेट क्यों थोप रखा है?
और पूरी दुनिया जानती है कि किसी भी उद्यम हेतु श्रमिक का श्रम, पूंजीपति की पूँजी व सरकार द्वारा दी जाने वाली बिजली, पानी, सड़क, ट्रांसपोर्ट, संचार व अन्य सुविधा रूपी तीन संसाधनों की ही आवश्यकता होती है।

मतलब साफ़ है कि श्रमिक, पूंजीपति व सरकार ही प्रमुख पार्टनर होते हैं किसी भी छोटे या बड़े धंधे में ..

यदि आप सब उपरोक्त बात पर सहमत हैं तो फिर इस सवाल का जवाब दीजिये;

◆33% हिस्सा श्रम देने वाले श्रमिक को क्यों नही दिया जाता?
◆33% हिस्सा पूँजी देने वाले पूँजीपति को क्यों नही दिया जाता?
◆33% हिस्सा सुविधाएँ देने वाली सरकारों को क्यों नही दिया जाता?
(विचारणीय; न्यायोचित रूप से तीनों पार्टनरों को बराबर हिस्सेदारी दी जानी चाहिए लेकिन धूर्तों द्वारा बनाये गए अन्यायजनित कानूनों के चलते वर्षों से मजदूरों के साथ आर्थिक शोषण का खेल खुलेआम जारी है)

सभी जानते हैं मानवीय जीवन की दिनचर्या हेतु मुद्रा की उपयोगिता कितनी अहम है!

चूँकि मुद्रा हमें आपको हमारे परिश्रम द्वारा उपार्जित पारिश्रमिक के बदले प्रदान की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण वस्तु है।

इसलिए सरकारी डाकुओं (सरकार व सरकारी वित्तीय संस्थान) द्वारा खुलेआम लूटने का यह खेल आज़ादी के बाद से बनिस्बत जारी है, जिसे सरकारी भाषा में रेपोरेट के नाम से जाना जाता है।

यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि जिन सरकारों को हम-आप चुनकर सेवा करने हेतु संसद/विधायिका में भेजते हैं वे सब हमारे आपके पारिश्रमिक पर खुलेआम डांका डालने के विभिन्न प्रायोजनों का विस्तार करते रहते हैं।

यदि कोई बुद्धिजीवी हमारे आर्टिकल को पढ़ने के बाद हमारे इस प्रश्न का भी उत्तर दे सके तो बड़ा एहशान होगा उनका हमपर ..

प्रश्न;
आखिर क्यों सरकारी वित्तीय संस्थानों/प्रतिष्ठानों द्वारा मुद्रा पर रेपोरेट व बैंकों द्वारा ब्याज लिए जाने का कानून बनाया गया?

जबकि सबको पता है कि मुद्रा से अतिरिक्त मुद्रा बिना श्रमिक के श्रम दिए नही कमाया जा सकता ..!

मतलब साफ़ है कि इन सरकारी डाकुओं को साधारण श्रमिकों के श्रम से उपार्जित पारिश्रमिक पर खुलेआम डांका डालकर अपने निजी ख़ज़ाने भरने की मंशा थी।

उम्मीद है उपरोक्त न्यायसंगत तर्कों से आप सब समझ ही गए होंगे कि अपने भारतीय समाज से अभी भी जमीदार-मजदूर व मालिक-नौकर की परंपरा खत्म नही हुई बल्कि फॉर्मेट बदला गया है।
और इस लूट के खेल को सरकारी संरक्षण भी प्राप्त हो चुका है कानूनी बाध्यता के दायरे में लाने की वजह से ..

श्रमिकों के श्रम से कमाए पारिश्रमिक पर खुलेआम लूट को रोकने का एकमात्र स्थाई समाधान;

■ RBI जैसे वित्तीय संस्थान/प्रतिष्ठान को तुरन्त रेपोरेट 0 करने की घोषणा करना चाहिए व 100% डिजिटल कर्रेंसी (रिकार्डेड मुद्रा फॉर्मेट) को लागू करना चाहिए।

■ वित्त मंत्रालय तत्काल प्रभाव से ट्रांगुलर इकॉनमी (त्रिकोणीय अर्थव्यवस्था) के न्यायोचित सिद्धांत पर आधारित श्रमिक, पूंजीपति व सरकार की 33% के अनुपात में हिस्सेदारी की घोषणा करना चाहिए।

उपरोक्त न्यायशील व्यवहारिकता के बिना आज मजदूर दिवस मनाना व दूसरों को शुभकामनाएं भेजना/देना बेमानी है।

इस धूर्त सरकारी ढोंग से बचें ..!
।।धन्यवाद।।

क्या है PLIhttps://kutumbapp.page.link/z2kjnxcAiw4md3qV7 प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना क्या है? इससे किसको और...
25/04/2022

क्या है PLI
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प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना क्या है? इससे किसको और क्या फायदा होगा
अप्रैल 25, 2022 15:15
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प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना क्या है? इससे किसको और क्या फ़ायदा मिलेगा
# वर्तमान में किन किन सेक्टर्स में लागू है पीएलआई योजना?
# पीएलआई योजना के तहत क्या-क्या लाभ होगा?
# पीएलआई योजना आत्मनिर्भर बनने की ओर बड़ा कदम

वाकई कोई भी देश तभी आगे बढ़ता है, जब वह विनिर्माण यानी मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाए। साथ ही उसके आयात-निर्यात में संतुलन स्थापित हो। इसलिए केंद्र की मोदी सरकार का जोर स्वदेशी पर है। अभी तक विदेश से आयात हो रही वस्तुओं को स्वदेश में ही निर्मित किए जाने पर जोर दिया गया है
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# अर्थव्यवस्था के दस प्रमुख क्षेत्रों में लागू है पीएलआई योजना
# उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की आवश्यकता क्यों है?
# देश के एमएसएमई सेक्टर पर होगा इसका सबसे बड़ा असर
# पीएलआई योजना के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों एवं छोटे शहरों पर फोकस

भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बेहतर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2019-20 के कोरोना काल में अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में उत्‍पादन आधारित प्रोत्‍साहन राशि (प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव-पीएलआई) योजना शुरू की है, वह अब परवान चढ़ती जा रही है। जिस तरह से इस अभूतपूर्व योजना की लोकप्रियता बढ़ी है, उससे सब लोग पीएलआई योजना और इससे सम्बन्धित सेक्टर्स के बारे में जानना समझना चाह रहे हैं,
इसकी क्या क्या विशेषताएं हैं?
वाकई कोई भी देश तभी आगे बढ़ता है, जब वह विनिर्माण यानी मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाए। साथ ही उसके आयात-निर्यात में संतुलन स्थापित हो। इसलिए केंद्र की मोदी सरकार का जोर स्वदेशी पर है। अभी तक विदेश से आयात हो रही वस्तुओं को स्वदेश में ही निर्मित किए जाने पर जोर दिया जा रहा है। उदाहरणार्थ, मोबाइल फोन एवं उसके कंपोनेंट्स को ही ले लीजिए।

सभी जानते हैं कि चीन एवं साउथ कोरिया मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग के बड़े हब हैं। अधिकांश मोबाइल फोन एवं कंपोनेंट्स वहां से ही हमारे देश में आयात होते हैं, लेकिन अब सरकार का जोर इनके स्वदेशी निर्माण पर है, क्योंकि अब उसका लक्ष्य आत्मनिर्भर बनने का है। इसके अलावा, अन्य क्षेत्रों में भी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने एवं आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए केंद्र सरकार पीएलआई योजना लेकर हाजिर हुई है।

समझा जाता है कि कोरोना काल के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था का जिस गति से विस्तार हो रहा है, उससे जिज्ञासु लोग इस महत्वाकांक्षी योजना का अध्ययन कर रहे हैं, ताकि समय रहते ही इसका लाभ हासिल कर सकें।

आपको बता दें कि मोबाइल फोन एवं इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने मार्च, 2020 में पीएलआई स्कीम को लांच किया था। लेकिन अन्य क्षेत्रों के लिए इस स्कीम को केंद्रीय कैबिनेट ने 15 दिसंबर, 2021 को मंजूर किया है।

# वित्त वर्ष 2019-20 के अंतिम मार्च महीने में शुरू हुई है पीएलआई योजना

बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बेहतर बनाने के लिए कतिपय प्रमुख क्षेत्रों में प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना शुरू करने के लिए अपनी मंजूरी दी। हालांकि, इससे पहले भी सरकार ने चिकित्सा उपकरणों, मोबाइल फोन और निर्दिष्ट सक्रिय दवा सामग्री के लिए पीएलआई योजना की घोषणा की गई थी।
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यह योजना संबंधित मंत्रालयों व विभागों द्वारा लागू की जाएगी, जो इसके लिए निर्धारित समग्र वित्तीय सीमाओं के दायरे में होगी। वहीं, पीएलआई के अंतिम प्रस्तावों का मूल्यांकन विभिन्न क्षेत्रों में गठित व्यय वित्त समिति (ईएफसी) द्वारा किया जाएगा, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। कहने का तात्पर्य यह कि किसी भी नए क्षेत्र को पीएलआई के तहत शामिल करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमण्डल की नए सिरे से मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।

# समझिये, पीएलआई योजना क्या है?
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देश में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात बिलों में कटौती करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2020 के मार्च महीना में एक ऐसी योजना को शुरू किया जिसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों से बढ़ती बिक्री पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है। इसके तहत भारत में दुकान स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करने के अलावा, इस योजना का उद्देश्य स्थानीय देशी कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों को स्थापित करने या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

बताया गया है कि यह योजना महज पांच वर्ष की अवधि के लिए स्वीकृत की गई है जो कि नकद प्रोत्साहन देगी और सभी सनराइज और महत्वपूर्ण क्षेत्रों को इसमें शामिल किया जाना प्रस्तावित है। यह सेक्टर्स ऑटोमोबाइल, नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, उन्नत रसायन विज्ञान और सौर पीवी विनिर्माण आदि हैं। साथ ही यह योजना भारत में इकाइयों को स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करेगी।

हालांकि, इसका उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों को स्थापित करने या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना है। भारत सरकार ने उत्‍पादन के प्रमुख क्षेत्रों में उत्‍पादन आधारित प्रोत्‍साहन राशि यानि प्रॉडक्‍शन लिंक्‍ड इंसेंटिव दे रही है, जो लगभग दो लाख करोड़ रुपये निर्धारित है। यह उत्‍पादन, निर्यात और रोजगार भी बढ़ाएगा। यह निर्णय आत्‍म-निर्भर भारत को साकार करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

# अर्थव्यवस्था के दस प्रमुख क्षेत्रों में लागू है पीएलआई योजना

पीएलआई योजना में भारतीय अर्थव्यवस्था के दस प्रमुख क्षेत्र, यथा- खाद्य प्रसंस्करण, दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक्स, वस्त्र, विशेष इस्पात, ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स, सौर फोटो-वोल्टाइक मॉड्यूल, एयर कंडीशनर और एलईडी जैसे वाइट गुड्स शामिल किये गए हैं। इस योजना के तहत भारतीय निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए जाने की तैयारी है। साथ ही यह महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश को भी आकर्षित करेगी तथा उनकी क्षमता सुनिश्चित करेगी।
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यह योजना बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करेगी, निर्यात बढ़ाएगी और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का अभिन्न अंग बनाएगी। इसलिए पीएलआई योजना की प्राथमिकता,।क्षेत्र, कार्यान्वयन मंत्रालय व विभाग के साथ-साथ वित्तीय परिव्यय (रुपये करोड़ में) को भी स्पष्ट कर दिया गया है।

पहला, एडवांस केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी, नीति आयोग एवं भारी उद्योग विभाग के लिए 18,100 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं। वहीं, इलेक्ट्रॉनिक व प्रौद्योगिकी उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए 5000 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं।

वहीं, ऑटोमोबाइल एवं ऑटो घटक, भारी उद्योग विभाग के लिए 57042 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं।

वहीं, फार्मास्यूटिकल्स ड्रग्स, फार्मास्यूटिकल्स विभाग के लिए 15000 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं।

वहीं, दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पाद, दूरसंचार विभाग के लिए 12195 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं।

वहीं, वस्त्र उत्पाद : एमएमएफ विभाग और टेक्निकल टेक्सटाइल, वस्त्र मंत्रालय के लिए 10683 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं। वहीं, खाद्य उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के लिए 10900 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं। वहीं, उच्च दक्षता सौर पीवी मॉड्यूल, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के लिए 4500 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं।

वहीं, व्हाइट गुड्स (एसी और एलईडी), उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के लिए 6238 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं। वहीं, विशिष्ट स्टील, इस्पात मंत्रालय के लिए 6322 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं। इस प्रकार कुल 145980 करोड़ रुपये इस मद के लिए आवंटित किये गए हैं।

केंद्र सरकार पीएलआई योजना के अंतर्गत किस सेक्टर में कितना प्रोत्साहन देगी, इसमें कुछ बदलाव और इजाफा दोनों किया है। इसलिए इसका अद्यतन ब्योरा इस प्रकार से है:- आटोमोबाइल एवं आटो कंपोनेंट- 57,000 करोड़, मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग एवं इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट- 40,951 करोड़, चिकित्सा उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग एवं फार्मास्युटिकल्स-3,420 करोड़, फार्मा एवं ड्रग सेक्टर-15,000 करोड़, टेक्सटाइल सेक्टर-10,683 करोड़, टेलीकॉम नेटवर्क एवं इंफ्रास्ट्रक्चर-12,000 करोड़, फूड प्रोडक्ट्स सेक्टर-10,900 करोड़, सोलर फोटो वॉल्टिक सेक्टर-4,500 करोड़, एडवांस केमिकल सेल बैटरी-18,100 करोड़, इलेक्ट्रानिक टेक्नोलाजी प्रोडक्शन- 5,000 करोड़, स्पेशल स्टील-6,322 करोड़ और व्हाइट गुड्स (एसी एवं एलईडी)-6,238 करोड़।

# उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की आवश्यकता क्यों है?

आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, पीएलआई का विचार महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार इन पूंजी गहन क्षेत्रों में निवेश करना जारी नहीं रख सकती है, क्योंकि उन्हें रिटर्न देने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है। इसके बजाय, वह क्या कर सकती है कि भारत में क्षमता स्थापित करने के लिए पर्याप्त पूंजी के साथ वैश्विक कंपनियों को आमंत्रित किया जाए।

वहीं, इकोनॉमिक एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस तरह की विनिर्माण की आवश्यकता है, उसके लिए हमें बोर्ड की पहल की आवश्यकता होती है। इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स खुद बड़े क्षेत्र हैं। इसलिए, इस बिंदु पर, अगर सरकार श्रम गहन क्षेत्रों जैसे कपड़ों और चमड़े पर ध्यान केंद्रित कर सकती है, तो यह वास्तव में मददगार होगा। वहीं, पीएलआई योजना के तत्वावधान में कई और फार्मास्युटिकल उत्पाद लाए गए हैं, जिनमें जटिल जेनेरिक, एंटी-कैंसर और डायबिटिक दवाएं, इन-विट्रो डायग्नोस्टिक डिवाइस और विशेष खाली कैप्सूल शामिल हैं.

# वर्तमान में किन किन सेक्टर्स में लागू है पीएलआई योजना?

वर्ष 2020 के मार्च के आसपास, केंद्र सरकार ने मोबाइल विनिर्माण के साथ-साथ दवा सामग्री और चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना शुरू की थी। जबकि मोबाइल और संबद्ध उपकरणों के लिए योजना अप्रैल को अधिसूचित की गई थी। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माण के लिए पीएलआई योजना के एक हिस्से के रूप में, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के लिए 4-6 प्रतिशत की प्रोत्साहन योजना बनाई गई है जो मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स जैसे ट्रांजिस्टर, डायोड, थाइरिस्टर, रेसिसटर कैपेसिटर और नैनो-इलेक्ट्रॉनिक जैसे सूक्ष्म विद्युत प्रणाली का निर्माण करते हैं.

# पीएलआई योजना के तहत क्या-क्या लाभ होगा?

पीएलआई योजना के प्रथम दृष्ट्या अनेक लाभ दृष्टिगोचर हो रहे हैं। इनमें से कुछ लाभ इस प्रकार गिनाए जा सकते हैं, जैसे- रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। आयात बिलों में कटौती होगी। उद्यमियों के लिए नया अवसर पैदा होगा। ग्रामीण क्षेत्रों एवं छोटे शहरों का विकास होगा। स्वदेशी उत्पादों के दाम भी आयातित के मुकाबले कम होंगे। गांवों, शहरों से रोजगार के लिए होने वाला पलायन रुकेगा।
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दरअसल, 10 प्रमुख क्षेत्रों में पीएलआई योजना भारतीय निर्माताओं को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाएगी, जो मुख्य योग्यता और अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करेगी; दक्षता सुनिश्चित करेगी, अर्थव्यवस्था में सुधार लाएगी, निर्यात को बढ़ाएगी और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न हिस्सा बनाएगी।

वहीं, औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन और निर्यात में वृद्धि से भारतीय उद्योग को विदेशी प्रतिस्पर्धा और विचारों को जानने का काफी अवसर मिलेगा, जिससे आगे कुछ नया करने की अपनी क्षमताओं में सुधार करने में मदद मिलेगी।

वहीं, विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और एक अनुकूल विनिर्माण इकोसिस्टम के निर्माण से न केवल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण हो सकेगा बल्कि देश में एमएसएमई क्षेत्र के साथ बैकवर्ड लिंकेज भी स्थापित होंगे।

वहीं, दूरसंचार उपकरण एक सुरक्षित दूरसंचार अवसंरचना के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण और रणनीतिक तत्व है और भारत दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों का एक प्रमुख मूल उपकरण निर्माता बनने की आकांक्षा रखता है।
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# इस प्रकार है क्षेत्रवार उत्पाद श्रेणी

क्षेत्रवार उत्पाद श्रेणी इस प्रकार है: एडवांस केमिस्ट्री सेल, एसीसी बैटरी, विनिर्माण, इलेक्ट्रॉनिक व प्रौद्योगकी उत्पाद, सेमीकन्डक्टर फैब, डिस्प्ले फैव, लैपटॉप व नोटबुक, सर्वर, आईओटी उपकरण, निर्दिष्ट कंप्यूटर हार्डवेयर, ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक के क्षेत्र में पीएलआई स्कीम को बढ़ावा दिया गया है।

वहीं, फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में श्रेणी 1 के तहत बायोफार्मास्यूटिकल्स, जटिल जेनेरिक दवाएं, पेटेंट दवाएं या पेटेंट समाप्ति होने वाली दवाएं, सेल आधारित या जीन थेरेपी उत्पाद, ऑर्फन दवाएं, विशेष खाली कैप्सूल व कॉम्प्लेक्स एक्सिपिएंट के क्षेत्र में पीएलआई स्कीम को बढ़ावा दिया गया है।

वहीं, फार्मास्युटिकल्स के क्षेत्र में श्रेणी 2 के तहत सक्रिय फार्मा सामग्री यानि एपीआई, मुख्य शुरुआती सामग्री यानी केएसएम और ड्रग इंटरमीडियरी यानि डीआई के क्षेत्र में पीएलआई स्कीम को बढ़ावा दिया गया है।

वहीं, फार्मास्युटिकल्स के क्षेत्र में श्रेणी 3 के तहत रीपर्पस्ड ड्रग्स, ऑटोड्रग्स इम्यून, एंटीड्रग्स कैंसर, एंटी डायबिटिकड्रग्स, एंटी इंफेक्टिव ड्रग्स, कार्डियोवस्कुलर ड्रग्स, साइकोट्रोपिक ड्रग्स और एंटी रेट्रोवायरल ड्रग्स, इन-विट्रो डायग्रोस्टिक उपकरण यानी आईवीडी, फाइटोफार्मास्यूटिकल्स, अन्य दवाएं जिनका निर्माण भारत में नहीं किया जाता है और अनुमोदित अन्य दवाएं के क्षेत्र में पीएलआई स्कीम को बढ़ावा दिया गया है।

वहीं, दूरसंचार उत्पाद के क्षेत्र में कोर ट्रांसमिशन उपकरण, 4जी/5 जी, नेक्स्ट जेनरेशन रेडियो एक्सेस नेटवर्क और वायरलेस उपकरण, एक्सेस एंड कस्टमर प्रेमिसेज उपकरण (सीपीई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी एक्सेस डिवाइस और अन्य वायरलेस उपकरण व एंटरप्राइज़ उपकरण: स्विच व राउट के क्षेत्र में पीएलआई स्कीम को बढ़ावा दिया गया है।
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वहीं, वस्त्र उत्पाद के क्षेत्र में मानव निर्मित फाइबर श्रेणी और तकनीकी वस्त्र के क्षेत्र में पीएलआई स्कीम को बढ़ावा दिया गया है। वहीं, खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में रेडी टू ईट यानी आरटीई, रेडी टू कुक यानी आरटीसी, समुद्री उत्पाद, फल एवं सब्जियां, शहद, देसी घी, मोत्ज़ारेला चीज, ऑर्गेनिक अंडे और पोल्ट्री मांस के क्षेत्र में पीएलआई स्कीम को बढ़ावा दिया गया है।

वहीं, सौर पीवी विनिर्माण के क्षेत्र में सौर पीवी में, व्हाइट गुड्स के क्षेत्र में एयर कंडीशनर व एलईडी, स्टील उत्पाद के क्षेत्र में कोटेड स्टील, हाई स्ट्रेंथ स्टील, स्टील रेल और एलॉए स्टील बार एवं रॉड के क्षेत्र में पीएलआई स्कीम को बढ़ावा दिया गया है।

# पीएलआई योजना आत्मनिर्भर बनने की ओर बड़ा कदम

हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरे करने में यह योजना कारगर साबित होगी। पीएलआई योजना आत्मनिर्भर भारत बनने की ओर बड़ा कदम है। हमारी दवाएं, वैक्सीन, व्हीकल, मोबाइल फोन आदि हमारे देश में ही बनेंगे। इससे आयात के रूप में बाहर जाने वाली विदेशी मुद्रा की बचत होगी। इसके अलावा, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को देश में न्योता जाएगा। जाहिर सी बात है कि इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही स्किल्ड वर्क फोर्स को भी उसकी स्किल के मुताबिक कार्य मिलेगा।

# पीएलआई योजना के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों एवं छोटे शहरों पर फोकस

पीएलआई योजना के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों एवं छोटे शहरों पर फोकस रहेगा। यहां विभिन्न उ़द्योगों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की जाएंगी, ताकि यहां रोजगार का दायरा बढ़े। गांवों एवं छोटे शहरों के रहने वालों को रोजगार की तलाश में अपने क्षेत्र से पलायन न करना पड़े। रोजगार के अतिरिक्त ग्रामीण इलाकों एवं छोटे शहरों को यातायात, आईटी एवं अन्य संसाधनों की दृष्टि से विकसित करने में भी पीएलआई की महती भूमिका रहेगी। स्वदेशी होने की वजह से इन वस्तुओं के दाम भी सामान्य लोगों की पहुंच में रहेंगे।

# देश के एमएसएमई सेक्टर पर होगा इसका सबसे बड़ा असर

पीएलआई योजना से देश को उत्पादन एवं निर्यात में तो लाभ होगा ही, इससे देश के एमएसएमई सेक्टर को तगड़ा बूस्ट मिलेगा। दरअसल, प्रत्येक सेक्टर में जो सब्सिडियरी यानी सहायक यूनिट्स बनेंगी, उनको वैल्यू चेन में नए सप्लायर बेस की आवयकता होगी। ये सहायक यूनिट्स अधिकांशतः एमएसएमई सेक्टर में ही बनेंगी। लिहाजा, अधिकांश रोजगार ही इसी सेक्टर में सृजित होगा। इसके अतिरिक्त देश को भी वैश्विक स्तर पर निर्यात प्रतिस्पर्धा में खड़ा करने का लक्ष्य केंद्र सरकार निर्धारित करके चल रही है। इसके लिए यहां निर्मित सामान एवं उपकरणों का गुणवत्तापूर्ण होना आवश्यक होगा।

# इंसेंटिव के लिए क्लेम की गणना में क्या शामिल नहीं होगा

एक्सपर्ट बताते हैं कि यह योजना उत्पादन पर 5 प्रतिशत इंसेटिव से लिंक्ड है। इस इंसेंटिव को हासिल करने के लिए जब क्लेम की गणना की जाएगी तो इसमें ट्रेडिंग और आउटसोर्स जॉब वर्क के जरिए हुए टर्नओवर को शामिल नहीं किया जाएगा। वहीं, इसके तहत केवल उन्हीं वस्तुओं के निर्माण के लिए कंपनी को पीएलआई योजना का फायदा मिलेगा, जिन्हें इस स्कीम के अंतर्गत शामिल किया गया है। इसके साथ ही केवल देश में रजिस्टर्ड कंपनियों को ही पीएलआई स्कीम का फायदा मिलेगा।

# पीएलआई योजना के अंतर्गत किसी ग्रुप की एक ही कंपनी को शामिल किया जाएगा

जानकार बताते हैं कि पीएलआई योजना के अंतर्गत आने वाली कंपनियों को अपने कारखानों में प्रोसेसिंग व ऑपरेशन एक्टिविटीज करनी होगी। यदि किसी ग्रुप की कोई कंपनी पीएलआई योजना के तहत शामिल है एवं उसके किसी सामान को योजना के तहत शामिल किया गया है। साथ ही, वही सामान ग्रुप की कोई और कंपनी भी बना रही है तो ऐसी स्थिति में ग्रुप की अन्य कंपनी द्वारा बनाए गए सामान को इस योजना के तहत शामिल नहीं माना जाएगा। यानी किसी ग्रुप की केवल एक ही कंपनी पीएलआई स्कीम के तहत लाभ ले सकेगी। कंपनी ग्रुप योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन के समय एक से अधिक कंपनियों के लिए आवेदन कर सकते हैं, किंतु बात जब चयन की आएगी तो उन्हें एक कंपनी को चुनना होगा।
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स्पष्ट है कि पीएलआई योजना से वैश्विक भागीदारों से बड़े निवेश आकर्षित होंगे और घरेलू कंपनियों को उभरते अवसरों का फायदा उठाने और निर्यात बाजार में बड़े व्यापारी बनने में और मदद मिलने की उम्मीद है। यह सच है कि बीते 2 वर्षों में पीएलआई स्कीम को बढ़िया रिस्पांस मिला है। यही वजह है कि इस महत्वपूर्ण सेक्टर के लिए आवंटन बढ़ाया गया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी माना है कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए शुरू की गई पीएलआई स्कीम को काफी अच्छा रिस्पांस मिला है। अगले पांच साल में इसके जरिए 60 लाख नए रोजगार के सृजन की संभावनाएं हैं और 30 लाख करोड़ रुपये का एडिशनल प्रोडक्शन होगा।

वहीं, वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में भी सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई ऐलान किए हैं, जिसमें प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव (पीएलआई) से संबंधित ऐलान भी शामिल हैं। बताया गया है कि वर्ष 2030 तक 280 गीगावॉट की इंस्टॉल्ड सोलर कैपिसिटी हासिल करने को लेकर घरेलू मैन्युफैक्चरर्स को बढ़ावा देने के लिए 19,500 करोड़ रुपये का एडिशनल एलोकेशन किया गया है। इससे अधिक एफिशिएंसी वाले मॉड्युल के प्रोडक्शन में मदद मिलेगी। वहीं, पीएलआई स्कीम के तहत 5जी के लिए मजबूत इकोसिस्टम तैयार करने को लेकर 'डिज़ाइन- लेड मैन्युफैक्चरिंग' के लिए एक स्कीम शुरू की जाएगी।

मोदी सरकार ने सेमीकंडक्टर (चिप), एडवांस बैटरी और डिस्प्ले के भारत में विनिर्माण के लिए 76,000 करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम घोषित की है। इससे पहले वह ऑटो सेक्टर के लिए 25,938 करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम लॉन्च कर चुकी है। वहीं, सरकार ने तकनीकी एवं मानव निर्मित फाइबर के आयात को कम करने के लिए अपने देश में ही फाइबर निर्माण को टेक्सटाइल सेक्टर में पीएलआई स्कीम लेकर आई है।
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साभार - कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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एक सोच-भारत में पत्रकारों को सबसे ज्यादा खतरा नेताओं से है। पिछले 25 साल में सबसे ज्यादा उन पत्रकारों की हत्या हुई है जो...
23/04/2022

एक सोच-भारत में पत्रकारों को सबसे ज्यादा खतरा नेताओं से है।
पिछले 25 साल में सबसे ज्यादा उन पत्रकारों की हत्या हुई है जो राजनीतिक बीट कवर करते थे।
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले 25 सालों में जिन पत्रकारों की हत्या हुई है, उनमें 47 फीसदी राजनीति और 21 फीसदी बिजनेस कवर करते थे।
ये आंकड़े साबित करते हैं कि देश में पत्रकारों के खिलाफ नेताओं और उद्योगपतियों का एक गठजोड़ काम कर रहा है।
दैनिक समाचारपत्र 'हिंदुस्तान' के सिवान ज़िले के ब्यूरो प्रमुख राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या की गई। हमलावरों ने माथे पर बंदूक रखकर गोली मारी। राजदेव सजीव और निर्भीक पत्रकार थे और वे उस क्षेत्र के बाहुबली गुर्गों के खिलाफ लिखते थे। आप हमें एक शब्द में परिभाषित करते हुए 'प्रेस्टीट्यूट' कह देते हैं और यह जानना भी नहीं चाहते कि हमने सुबह का नाश्ता भी किया है या नहीं।
यहां भी सही और गलत दोनों तरह के लोग हैं जैसे हर क्षेत्र में होते हैं पर आप बड़ी ही आसानी से हमें प्रमाणपत्र बांट देते हैं।
घटना की खबर मिलते ही पुलिस पहुंचती है और पुलिस से पहले या बाद में पत्रकार पहुंचते हैं। उन्हें माइक या नोटपैड और रिकॉर्डर के साथ देखकर आप ख्याली पुलाव पकाने लगते हैं।
कभी पूछिएगा किसी पत्रकार से (उन गिने-चुने नामों को यहां न शामिल करें) कि आखिरी बार कब छुट्टी ली थी।
कभी जानने की कोशिश कीजिएगा कि उसकी सैलरी में आखिरी बार कब वृद्धि हुई थी। कभी समझने की कोशिश कीजिएगा कि वो अपने 8 घंटे की शिफ्ट के बाद क्या करता है?
तो आपको पता चलेगा कि हर 8 घंटे के बाद और 4 घंटे की शिफ्ट होती है। उतनी ही तनख्वाह में अपना पूरा दिन झोंक देते हैं वो, उनकी कोई पर्सनल लाइफ नहीं होती। साप्ताहिक छुट्टी होती है पर उसका मिलना ज़रूरी नहीं। परिवार अलग-थलग महसूस करता है।

कमरे का किराया भरने के बाद बच्चे की फीस देने में पसीने छूट जाते हैं।
कोई पुलिसवाला मारा जाता है तो शहीद कहलाता है। सामान्य नागरिक मरते हैं तो मुआवज़े पर राजनीति होती है पर जब तमाम परेशानियों के बावजूद भी अगर ये अपनी कलम की स्याही को किसी का मोहताज नहीं बनने देते तो मुफ्त में मारे जाते हैं। वो कभी शहीद नहीं होते, उनके परिजनों से कोई नेता मिलने नहीं जाता।

उस कम्पनी के आका भी नहीं जाते जहां काम करते-करते वह मर गया। यहां मैं पुलिस को कमतर नहीं कह रही पर पत्रकार कैसे जीता है कभी उससे बैठकर सुनें। हर साल गाजर-मूली की तरह पत्रकारों की मार-काट चल रही है। आपको कितने नाम याद हैं?
इसके बाद भी उनसे उम्मीद की जाती है कि वे सहिष्णु बने रहें। उतनी ही तनख्वाह में आदर्शवादी बने रहें और उनमें आदर्शवाद भी इतना ही हो जिससे उनके ऑर्गेनाइज़ेशन को कोई नुकसान न हो। आप ने प्रेस्टीट्यूट कह दिया..
आप में से कितने लोग किसी निर्भीक पत्रकार को शाबाशी देने जाते हैं?
आप में से कितने लोग पत्रकारों की ईमानदारी को समझते हैं और उनकी तकलीफ़ों पर भी वैसे ही सवाल उठाते हैं जैसे एक आम इंसान के लिए करते हों?
आपको पत्रकार किसी तीसरी दुनिया से आए लोग लगते हैं क्योंकि आपकी तमाम परेशानियों पर अपनी आवाज़ बुलंद रखने के बावजूद हम अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ते।
दूसरों के हक की बात करना
और अपने हक पर चुप हो जाना।
जाने कब नौकरी छिन जाए
इस चिंता में डूबे रहना।
मालिक को खुश रखकर
ऐसे ठेकेदारी पर काम करना।
मुझे डर लगने लगा है मां।
क्योंकि मीडिया लोकतंत्र की उपज है
पर स्वयं लोकतांत्रिक नहीं।
क्योंकि मीडिया की रोटी
बड़े घरों में पकती है
चूल्हे की आंच पर
उनका ही नियंत्रण होता है
ज़रा भी खिसके तो
हाथ भी जलता है और रोटी भी।

23/04/2022

*व्यापार क्रेडिट कार्ड क्या है? यह किसको दिया जाना है। इससे क्या-क्या लाभ होंगे?*
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कहने का तात्पर्य यह है कि एक व्यवसाय क्रेडिट कार्ड, एक व्यक्तिगत क्रेडिट कार्ड के ही समान है, सिवाय इस बात के कि यह व्यावसायिक खर्चों के लिए ही अनुमन्य है। इसलिए आप अपने व्यापार या व्यवसाय क्रेडिट कार्ड से विभिन्न लाभ उठा सकते हैं, बशर्ते कि आप सर्वप्रथम कंपनी क्रेडिट बनाएं।

केंद्र सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के तर्ज पर ही व्यापार क्रेडिट कार्ड देने की दिशा में आगे बढ़ रही है, क्योंकि वित्त मामलों पर संसद की स्थाई समिति ने सूक्ष्म लघु और मझोले उद्यमों यानी कि छोटे उद्यमियों के वास्ते किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर ही एक "व्यापार क्रेडिट कार्ड" देने की सिफारिश की है। यदि केंद्र सरकार इस सिफारिश को मान लेती है तो वैश्य वर्ग के कमजोर लोगों को इसका फायदा होगा। नोट बंदी, जीएसटी और कोरोना बंदिशों की मार झेलकर लगभग बर्बाद हो चुके इस वर्ग के लिए प्रस्तावित व्यापार क्रेडिट कार्ड किसी वरदान की तरह होगा।
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बताया जाता है कि वित्त मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने भुगतान स्कोर पर नजर रखने के लिए एक तंत्र स्थापित करने और छोटे व्यवसायों के लिए नियमित कर्ज तक पहुंच आसान बनाने के लिए सिडबी जैसी वित्तीय संस्थाओं में भी अहम सुधार की पेशकश की है, जो एक अहम बात है। गौरतलब है कि पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा है कि इस तरह के एक मंच से एमएसएमई को व्यापार क्रेडिट कार्ड जैसे उत्पादों के साथ एक किफायती कर्ज सुविधा प्रदान करना संभव होगा।
यही नहीं, यदि यह परिकल्पना सफल होती है तो यह व्यापार क्रेडिट कार्ड छोटे व्यवसायों को न केवल कार्यशील पूंजी देगा, बल्कि उनके राजस्व के लिए व्यापार वित्त पोषण भी सुनिश्चित करेगा। यह व्यापार क्रेडिट कार्ड सस्ती दरों पर पूंजी ऋण प्रदान करेगा।
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यही वजह है कि वित्त मामलों की संसद की स्थायी समिति ने क्रेडिट स्कोर की तर्ज पर ही भुगतान स्कोर प्रदान करने के लिए तंत्र बनाने के लिए भी वकालत की है, ताकि इससे जुड़े किसी भी तरह के गड़बड़झाला को समय रहते ही काबू में किया जा सके।

इस समिति ने अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए कहा है कि 6.34 करोड़ एमएसएमई में से 40 फ़ीसदी से कम ने औपचारिक वित्तीय प्रणाली से कर्ज लिया है। यही नहीं, इस क्षेत्र में काम कर रहे उद्यमों के बारे में विश्वसनीय डाटा की कमी के कारण भी बैंक एमएसएमई क्षेत्र को कर्ज देने में अनिच्छुक थे। यही वजह है कि इसके लिए एक एकीकृत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता थी।
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यही कारण कि इस संसदीय समिति ने सुझाव देते हुए कहा कि जब आप उद्यम पोर्टल के साथ साइन अप करते हैं, तो आपको स्वचालित रूप से एक क्रेडिट कार्ड मिले, जो कि व्यापार क्रेडिट कार्ड हो। वहीं, उसने यह भी साफ कर दिया है कि प्रत्येक बैंकिंग संस्थान यह तय कर सकता है कि वह कितना बड़ा कर्ज देना चाहते हैं। इसके निमित्त वह आपका भुगतान इतिहास यानी भुगतान स्कोर स्थापित कर सकते हैं। समिति के मुताबिक, यह न केवल एमएसएमई को एक औपचारिक वित्तपोषण प्रणाली में लाएगा बल्कि उनकी तत्काल वित्तपोषण जरूरतों को भी पूरा करेगा। इससे छोटे कारोबारियों को अपने व्यवसाय को बचाने और बढ़ाने में मदद मिलेगी।

कहना होगा कि ऐसे व्यवसाय या व्यापार क्रेडिट कार्ड होने के अविश्वसनीय लाभ मिल सकते हैं। चाहे आप एक एकल स्वामित्व, स्व-नियोजित पेशेवर, व्यापारी या फिर स्वतंत्र रूप से काम करने वाले एक फ्रीलांसर हों; बिजनेस क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से आप कई तरह से फायदा उठा सकते हैं। वैसे तो कई बैंकों द्वारा अब भी यह सुविधा दी जा रही है, लेकिन उसके मानक कड़े हैं जिससे उसका फायदा आम व्यवसायी नहीं उठा सकते हैं। जबकि सरकार समर्थित व्यापार क्रेडिट कार्ड का लाभ सबको समान रूप से मिल सकता है, किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर।
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कहने का तात्पर्य यह कि एक व्यवसाय क्रेडिट कार्ड, एक व्यक्तिगत क्रेडिट कार्ड के ही समान है, सिवाय इस बात के कि यह व्यावसायिक खर्चों के लिए ही अनुमन्य है। इसलिए आप अपने व्यापार या व्यवसाय क्रेडिट कार्ड से विभिन्न लाभ उठा सकते हैं, बशर्ते कि आप सर्वप्रथम कंपनी क्रेडिट बनाएं। निःसन्देह एक व्यापार या व्यवसाय क्रेडिट कार्ड आपके व्यवसाय को एक अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाने में मदद करता है, यदि एक अच्छा अवसर देता है। आपको पता होना चाहिए कि एक अच्छा क्रेडिट स्कोर ही भविष्य के विकास के लिए फायदेमंद और महत्वपूर्ण है और ऋण जैसे अन्य वित्तपोषण विकल्पों के लिए अर्हता प्राप्त करने में मदद करते हैं।

दूसरी अहम बात यह है कि आप अपने व्यवसाय का नकदी प्रवाह बढ़ाएँ। क्योंकि यह आपके व्यापार या व्यवसाय की प्रकृति या उसके आकार के बावजूद, नकदी प्रवाह को अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राथमिकता देता है। देखा जाए तो एक व्यवसाय क्रेडिट कार्ड के साथ, आप आसानी से अपने व्यवसाय के लिए ऋण की एक पंक्ति खोल सकते हैं और अपने काम-धंधे में नकदी प्रवाह बढ़ा सकते हैं। वहीं, आप आपूर्ति, सामग्री, उपकरण आदि भी आसानी से खरीद सकते हैं और आराम से भुगतान अवधि का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा, आपके व्यवसाय की आय जितनी अधिक होगी, आपकी क्रेडिट सीमा भी उतनी ही अधिक होगी, जो कि आपको अपने नकदी प्रवाह में सुधार करने के लिए अधिक जगह देती है।
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तीसरी अहम बात यह है कि ऐसा व्यापार क्रेडिट कार्ड आपके व्यवसाय और व्यक्तिगत खर्चों को अलग रखने में मदद करता है। वैसे तो अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों खर्चों के लिए एक क्रेडिट कार्ड स्वाइप करना आसान है और सुविधाजनक भी। लेकिन, बहीखाता पद्धति की दृष्टि से आपको दोनों खर्चों को अलग-अलग रखना चाहिए। यह कर के मौसम के दौरान विशेष रूप से सहायक होता है। क्योंकि न केवल इसकी अलग से गणना की जाती है, बल्कि यह आपके एकाउंटेंट को कई लेन-देन को छानने और उन्हें छांटने से भी नहीं रोकता है। एक बात और, किसी भी चीज़ से अधिक, यह ट्रैकिंग खर्चों को आसान बनाता है। ऐसा क्रेडिट कार्ड आज के व्यावसायिक लेन-देन के लिए एकमात्र समाधान हैं, इसलिए सरकार भी इसे लागू करना चाहती है, ताकि उसे यश और जनसमर्थन दोनों मिले।
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-*-*-*-*-*-*-*-चौथी बात यह है कि व्यापार क्रेडिट कार्ड के माध्यम से आप लॉयल्टी पॉइंट, रिवॉर्ड, कैशबैक और अन्य फ़ायदों का भी आनंद लें। क्योंकि एक व्यक्तिगत क्रेडिट कार्ड की तुलना में, एक व्यावसायिक क्रेडिट कार्ड कई प्रकार के भत्तों, पुरस्कारों, कैशबैक, लॉयल्टी पॉइंट्स आदि के साथ आता है। जैसे, एचडीएफसी बैंक बिजनेस क्रेडिट कार्ड आपको निम्नलिखित फायदे देता है:
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पहला, आपके द्वारा खर्च किए जाने वाले प्रत्येक 150 रुपये के लिए रिवॉर्ड पॉइंट्स।

दूसरा, सरकार और कर भुगतान, उपयोगिता और दूरसंचार बिल पर 5 प्रतिशत कैशबैक प्रदान करते हैं।

तीसरा, यदि आप एक चालू खाता धारक हैं, तो आपको सरकार और कर भुगतान, उपयोगिता और दूरसंचार बिल आदि जैसे आवश्यक खर्चों पर दोगुना कैशबैक मिलता है।

चतुर्थ, यदि आप एचडीएफसी बैंक मर्चेंट ग्राहक हैं, तो आप रुपये तक का मासिक कैशबैक प्राप्त कर सकते हैं।

पांचवां, अपने व्यवसाय क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके 1000 अन्य भत्तों में कॉम्प्लिमेंट्री लाउंज एक्सेस, फ्यूल सरचार्ज छूट, डाइनिंग बेनिफिट्स, होटल और एयरलाइन बुकिंग पर रिवॉर्ड पॉइंट, वेलकम और माइलस्टोन ऑफर के रूप में बोनस पॉइंट शामिल हैं।

छठा, ऑफ़र और रिवॉर्ड रिडेम्पशन के लिए एक्सक्लूसिव स्मार्टबाय पोर्टल उच्च मूल्य और थोक खरीदारी पर आसान ईएमआई विकल्प उपलब्ध है।

सातवीं और महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके उपयोग से आप अपने खर्चों पर भी नजर रखें। क्योंकि एक बिजनेस क्रेडिट कार्ड आपको ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करके किसी भी व्यक्ति द्वारा की जाने वाली खरीद और व्यय का ट्रैक रखने देता है। इसी तरह, नकद को सौंपने के बजाय, जिसका आसानी से कोई हिसाब नहीं हो सकता है, एक व्यवसाय क्रेडिट कार्ड आपको कितना खर्च किया गया है और किस पर नज़र रखने में मदद करता है।

इस प्रकार आसान पात्रता, न्यूनतम दस्तावेज़ीकरण और ढेर सारे लाभों और सुविधाओं के साथ, आपके व्यवसाय क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए प्रतीक्षा करने का कोई कारण नहीं है। आप निजी क्षेत्र में एचडीएफसी बैंक के बिजनेस क्रेडिट कार्ड की विस्तृत श्रृंखला भी देख सकते हैं, जिसके लिए विभिन्न नियम और शर्तें लागू है। एचडीएफसी बैंक लिमिटेड अपने विवेकाधिकार पर क्रेडिट कार्ड की मंजूरी देता आया है। इस व्यवसाय क्रेडिट कार्ड की स्वीकृति बैंकों की आवश्यकता के अनुसार दस्तावेज़ीकरण और सत्यापन के अधीन है, जिसका फायदा कभी भी आप उठा सकते हैं। वहीं, यदि आप सरकार के व्यापार क्रेडिट कार्ड के आने का इंतजार कर रहे हैं तो इसके लिए आपको कुछ समय तक रूकना होगा, जबतक कि वह वित्तीय बाजार में आ नहीं जाए।
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