08/03/2025
#पुराने मित्र से मुलाकात
नमस्कार! महाकुंभ 2025 (13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025) उत्तरप्रदेश के प्रयागराज मे गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर मनाया गया। जी हा यहा पर तीनों नदिया मिलती है और पुराण मे इन तीनों नदियों को बहने भी कहा जाता है। नदियों के संगम को ही “प्रयाग” कहा जाता है। इन तीनों नदियों के सगम के बाद जो नदी आगे बड़ती है उसे गंगा ही कहते है। हो सकता है की आपके मन मे यह विचार उठे की गंगा ही क्यों तो मै आपको बता दू - जो नदी दूसरी/छोटि/अन्य नदी की अपेक्षा बड़ी/विशाल/गहरी होती है आगे भी उसी बड़ी नदी का नाम ही चलता है । यदि दोनों नदी लगभग समान बड़ी/विशाल/गहरी हो तो वहा से उन दोनों नदियों के संगम से एक नई नदी का नाम की उत्पत्ति होगी जैसे अलकनंदा और भागीरथी के संगम को “देवप्रयाग” कहते है और वहा से जो नदी आगे चलती है उसे गंगा नदी ही कहते है ।
इस महाकुंभ की यात्रा मे देश – विदेश से अमीर – गरीब, बड़े – छोटे, अपने परिजनों के साथ, मित्रों के साथ पहुच कर इस संगम स्थल पर सभी श्रद्धालुओ ने डुबकी लगाई। कुछ लोगों के लिए यह महाकुंभ अति प्रिय रहा जैसे “मोनालिसा” और कुछ लोगों के लिए दुखद: जिन लोगों ने अपने प्राण गवाए।
इस दौरान मेरे परिवार मे भी मेरे बड़े ताऊ जी (उम्र 79 वर्ष) का भी अकस्मात देहांत दिनांक 19 फरवरी 2025 को हुआ। मेरे ताऊ जी को भारत के राष्ट्रपति “ए० पी० जे० अब्दुल कलाम” द्वारा विशिष्ट सेवा मेडल (15-08-2002) प्राप्त है ।
पुराने मित्र से मुलाकात भी तो बतानी है अभी आपको, मेरा मित्र एक दिन दोपहर मे सलाद खा रहा था। मुझे भी ऑफर किया तो मैंने देखा वाह! (खीरा, गाजर, चुकंदर, चेरी टमाटर, मूली) यह तो कुछ डिफ्रन्ट स्टाइल से कटे है। भाई आज कल भाभी तेरी सेहत का खयाल रख रही है, क्या बात ! क्या बात ! कुछ समय बाद हम फिर मिले और हमारा जैसे ही मौसम बना तो मैंने यही सलाद वाली बात फिर छेड़ी । मेरा दोस्त भी थोड़ा बहक गया, उसने मेरे कंधे मे हाथ रख कर मेरे कान मे धीरे से कहा – भाई वो सलाद की एक कहानी है। मेरी बीवी यानि तेरी भाभी पता नहीं कहा से एक डिजाइनेर चाकू ले आई जो (जिक – जैक) स्टाइल मे काटता है । रोज सुबह – सुबह मुझे बोलती है की सुनो! मेरे लिए थोड़ा सलाद काट दो ना । उसके लिए ही काटता हु उसके लिए पैक करता हु तो थोड़ा अपने डब्बे मे भी डाल के ले आता हु । अंत मे जब हम लोग घर के लिए निकले तो उसने मुझे पूछा के भाई अब कभी सलाद की बात तो नहीं करेगा ना ।
कैलाश बिष्ट
अल्मोड़ा – उत्तराखंड