18/10/2023
कुष्मांडा देवी माँ
कुष्मांडा देवी माँ नवरात्रि की चौथी देवी हैं। इनका रूप अत्यंत सौम्य और दिव्य है। इनके चार हाथ हैं, जिनमें कमल, त्रिशूल, गदा और धनुष-बाण हैं। इनका वाहन सिंह है। इनका वर्ण पीला है, जो ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है।
कुष्मांडा देवी माँ को आदिशक्ति कहा जाता है। इनके द्वारा ही ब्रह्मांड की रचना हुई थी। इनकी मंद, हल्की हँसी से ही ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था। इसलिए इन्हें "कूष्मांडा" कहा जाता है। "कूष्मांड" का अर्थ है "कुम्हड़ा"। कुम्हड़े के बीज से ही पौधा निकलता है, और उसी तरह से कुष्मांडा देवी माँ की मंद, हल्की हँसी से ही ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था।
कुष्मांडा देवी माँ की पूजा से समस्त रोग-शोक दूर होते हैं। ये देवी हमें ज्ञान, धन और समृद्धि प्रदान करती हैं। इनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
कुष्मांडा देवी माँ की पूजा विधि
कुष्मांडा देवी माँ की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर, देवी के सामने एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर देवी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर, देवी को फूल, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य आदि अर्पित करें। देवी के मंत्रों का जाप करें।
कुष्मांडा देवी माँ के मंत्र
ॐ कूष्माण्डायै नमः
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
ॐ ह्रीं कूष्माण्डायै नमः
कुष्मांडा देवी माँ का भोग
कुष्मांडा देवी माँ को मालपुए का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा, आप उन्हें अन्य मिठाइयाँ भी अर्पित कर सकते हैं।
कुष्मांडा देवी माँ की आरती
**जय कुष्माण्डा माता, जय कुष्माण्डा माता।
सृष्टि जननी तू, तू ही अम्बे माता।
कमल के आसन पर विराजो, चार भुजाओं से सबको निहारो।
त्रिशूल, गदा, धनुष-बाण से, दुष्टों का संहार करो।
जय कुष्माण्डा माता, जय कुष्माण्डा माता।
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कुष्मांडा देवी माँ की महिमा
कुष्मांडा देवी माँ की महिमा अपरंपार है। ये देवी हमें ज्ञान, धन और समृद्धि प्रदान करती हैं। इनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
कुष्मांडा देवी माँ की पूजा से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
रोग-शोक दूर होते हैं।
ज्ञान, धन और समृद्धि प्राप्त होती है।
जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
यदि आप इन लाभों को प्राप्त करना चाहते हैं, तो कुष्मांडा देवी माँ की पूजा अवश्य करें।