Top Seen

Top Seen Aut cillum accusamus duis aliqua Voluptatem

02/11/2023
कात्यायनी देवी नवरात्रि के छठे दिन की देवी हैं। उन्हें महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है "महिषा...
20/10/2023

कात्यायनी देवी नवरात्रि के छठे दिन की देवी हैं। उन्हें महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है "महिषासुर का वध करने वाली देवी"। कात्यायनी देवी को ज्ञान, शक्ति और साहस की देवी माना जाता है।

कात्यायनी देवी को चार भुजाओं के साथ चित्रित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक में एक अलग आयुध है। उनकी दाहिनी ओर की ऊपरी भुजा में एक तलवार है, दाहिनी ओर की निचली भुजा में एक कमल है, बाईं ओर की ऊपरी भुजा में एक अभय मुद्रा है, और बाईं ओर की निचली भुजा में वरदान मुद्रा है।

कात्यायनी देवी को अक्सर एक सिंह पर सवार दिखाया जाता है। सिंह को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है, जो कात्यायनी देवी के चरित्र को दर्शाता है।

कात्यायनी देवी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। इस दिन भक्त विधि-विधान से कात्यायनी देवी की पूजा-अर्चना करते हैं। कात्यायनी देवी की पूजा से भक्तों को ज्ञान, शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है।
Today's the best Photo 🌿🥰
•🔵Beautiful
























स्कंदमाता देवी नवदुर्गा के पाँचवें रूप हैं। इनकी चार भुजाएँ हैं और इनकी गोद में भगवान कार्तिकेय विराजमान हैं। इनका वाहन ...
19/10/2023

स्कंदमाता देवी नवदुर्गा के पाँचवें रूप हैं। इनकी चार भुजाएँ हैं और इनकी गोद में भगवान कार्तिकेय विराजमान हैं। इनका वाहन सिंह है। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।

स्कंदमाता की कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति की। भगवान शिव के वरदान से देवी पार्वती को कार्तिकेय नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। कार्तिकेय ने बचपन में ही कई असुरों का वध किया और देवताओं की रक्षा की। देवी पार्वती ने कार्तिकेय को अपने पास ही रखने के लिए उन्हें गोद में उठा लिया। तब से देवी पार्वती को स्कंदमाता कहा जाने लगा।

स्कंदमाता देवी को ज्ञान, विद्या और बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। इनकी पूजा से भक्तों को ज्ञान, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

स्कंदमाता देवी की पूजा नवरात्रि के पाँचवें दिन की जाती है। इस दिन भक्त विधि-विधान से स्कंदमाता देवी की पूजा-अर्चना करते हैं। स्कंदमाता देवी की पूजा से भक्तों को सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

स्कंदमाता देवी के मंत्र:

ॐ देवी स्कंदमातायै नमः
स्कंदमाता देवी के श्लोक:

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

अर्थ:

हे देवी! आप सिंहासन पर विराजमान हैं और आपकी दोनों भुजाएँ कमल पर टिकी हैं। आप हमेशा शुभ प्रदान करने वाली और यशस्वी हैं। हे स्कंदमाता, आपको नमस्कार है।

स्कंदमाता देवी के ध्यान मंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अर्थ:

हे देवी! आप सभी प्राणियों में स्कंदमाता के रूप में विद्यमान हैं। आपको बार-बार नमस्कार है।
























कुष्मांडा देवी माँकुष्मांडा देवी माँ नवरात्रि की चौथी देवी हैं। इनका रूप अत्यंत सौम्य और दिव्य है। इनके चार हाथ हैं, जिन...
18/10/2023

कुष्मांडा देवी माँ

कुष्मांडा देवी माँ नवरात्रि की चौथी देवी हैं। इनका रूप अत्यंत सौम्य और दिव्य है। इनके चार हाथ हैं, जिनमें कमल, त्रिशूल, गदा और धनुष-बाण हैं। इनका वाहन सिंह है। इनका वर्ण पीला है, जो ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है।

कुष्मांडा देवी माँ को आदिशक्ति कहा जाता है। इनके द्वारा ही ब्रह्मांड की रचना हुई थी। इनकी मंद, हल्की हँसी से ही ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था। इसलिए इन्हें "कूष्मांडा" कहा जाता है। "कूष्मांड" का अर्थ है "कुम्हड़ा"। कुम्हड़े के बीज से ही पौधा निकलता है, और उसी तरह से कुष्मांडा देवी माँ की मंद, हल्की हँसी से ही ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था।

कुष्मांडा देवी माँ की पूजा से समस्त रोग-शोक दूर होते हैं। ये देवी हमें ज्ञान, धन और समृद्धि प्रदान करती हैं। इनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

कुष्मांडा देवी माँ की पूजा विधि

कुष्मांडा देवी माँ की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर, देवी के सामने एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर देवी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर, देवी को फूल, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य आदि अर्पित करें। देवी के मंत्रों का जाप करें।

कुष्मांडा देवी माँ के मंत्र

ॐ कूष्माण्डायै नमः
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
ॐ ह्रीं कूष्माण्डायै नमः
कुष्मांडा देवी माँ का भोग

कुष्मांडा देवी माँ को मालपुए का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा, आप उन्हें अन्य मिठाइयाँ भी अर्पित कर सकते हैं।

कुष्मांडा देवी माँ की आरती

**जय कुष्माण्डा माता, जय कुष्माण्डा माता।
सृष्टि जननी तू, तू ही अम्बे माता।
कमल के आसन पर विराजो, चार भुजाओं से सबको निहारो।
त्रिशूल, गदा, धनुष-बाण से, दुष्टों का संहार करो।

जय कुष्माण्डा माता, जय कुष्माण्डा माता।
**

कुष्मांडा देवी माँ की महिमा

कुष्मांडा देवी माँ की महिमा अपरंपार है। ये देवी हमें ज्ञान, धन और समृद्धि प्रदान करती हैं। इनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

कुष्मांडा देवी माँ की पूजा से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

रोग-शोक दूर होते हैं।
ज्ञान, धन और समृद्धि प्राप्त होती है।
जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
यदि आप इन लाभों को प्राप्त करना चाहते हैं, तो कुष्मांडा देवी माँ की पूजा अवश्य करें।

चन्द्रघंटा माता नवरात्रि के तीसरे दिन की देवी हैं। इनका नाम चन्द्रघंटा इसलिए है क्योंकि इनके मस्तक पर अर्धचंद्र है। इनकी...
17/10/2023

चन्द्रघंटा माता नवरात्रि के तीसरे दिन की देवी हैं। इनका नाम चन्द्रघंटा इसलिए है क्योंकि इनके मस्तक पर अर्धचंद्र है। इनकी चार भुजाएँ हैं, जिनमें से एक में घंटी, एक में तलवार, एक में कमल और एक में वरमुद्रा है। ये वृषभ पर सवार हैं।

चन्द्रघंटा माता को वीरता और साहस की देवी माना जाता है। इनकी पूजा से भक्तों में इन गुणों का विकास होता है। ये अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय से मुक्ति दिलाती हैं।

चन्द्रघंटा माता की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और विधि-विधान से माता की पूजा करते हैं। पूजा में चन्द्रघंटा माता की मूर्ति या तस्वीर के सामने घंटी, तलवार, कमल और वरमुद्रा रखी जाती है। भक्त माता को फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं।

चन्द्रघंटा माता की पूजा से भक्तों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

1. भय से मुक्ति
2. वीरता और साहस का विकास
3. सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति
4. मान-सम्मान और सफलता

चन्द्रघंटा माता की आरती इस प्रकार है:

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम, पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती, चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली, मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो, चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली, हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये, श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं, सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता, पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा, करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी, 'भक्त' की रक्षा करो भवानी

चन्द्रघंटा माता की पूजा सभी भक्तों के लिए लाभकारी है। जो भक्त इनकी पूजा करते हैं, वे इनकी कृपा से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त हो जाते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं।

ब्रह्मचारिणी नवरात्रि की दूसरी देवी हैं। वे देवी दुर्गा का दूसरा रूप हैं। देवी पार्वती का अविवाहित रूप ही ब्रह्मचारिणी ह...
16/10/2023

ब्रह्मचारिणी नवरात्रि की दूसरी देवी हैं। वे देवी दुर्गा का दूसरा रूप हैं। देवी पार्वती का अविवाहित रूप ही ब्रह्मचारिणी हैं। वे त्रिनेत्री, द्विभुजा हैं और उनके वस्त्र सफेद हैं। एक हाथ में उनका कमंडल है, जिससे वे ब्रह्मज्ञान वितरित करती हैं। दूसरे हाथ में उनके जपमाला है।
ब्रह्मचारिणी त्याग, तपस्या की प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों में संयम, आत्मविश्वास, तेज, शक्ति और सात्विक बुद्धि का विकास होता है। अविवेक, असंतोष आदि का अंत होता है। जीवन में उत्साह, धैर्य और साहस का विकास होता है। व्यक्ति अपने कर्मों के प्रति सतर्क रहता है।
ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्त निम्नलिखित वरदान प्राप्त कर सकते हैं:
ज्ञान और बुद्धि
संयम और आत्मविश्वास
शक्ति और साहस
सुखी दांपत्य जीवन
सभी प्रकार की बाधा-विघ्नों का निवारण
ब्रह्मचारिणी पूजा के मंत्र:
ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः
ब्रह्मचारिणी पूजा के नियम:

ब्रह्मचारिणी पूजा करने से पहले भक्तों को शुद्ध मन से स्नान करके पूजा स्थल को साफ करना चाहिए।
पूजा स्थल पर देवी ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए।
देवी को सफेद फूल, बेलपत्र, चंदन, तुलसी, धूप, दीप आदि अर्पित करना चाहिए।
देवी के मंत्र का जाप करना चाहिए।
देवी के प्रसाद का भोग करना चाहिए।
ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्त ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

ब्रह्मचारिणी का अर्थ

ब्रह्मचारिणी का अर्थ है ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली। ब्रह्मचर्य का अर्थ है इंद्रियों पर नियंत्रण रखना। ब्रह्मचारिणी देवी इंद्रियों पर नियंत्रण रखने का प्रतीक हैं। वे भक्तों को भी इंद्रियों पर नियंत्रण रखने और सच्चा ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा देती हैं।

ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व बहुत अधिक है। इस पूजा से भक्तों में संयम, आत्मविश्वास, तेज, शक्ति और सात्विक बुद्धि का विकास होता है। वे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और मोक्ष भी प्राप्त कर सकते हैं।
Today's Best Photo
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️





















शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। हिमालयराज के घर पुत्री रू...
16/10/2023

शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। हिमालयराज के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्रि-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।
शैलपुत्री देवी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और अलौकिक है। इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला है। इनकी चार भुजाएँ हैं। इनके दाहिने ऊपरी हाथ में त्रिशूल, दाहिने निचले हाथ में कमल, बाँए ऊपरी हाथ में डमरू और बाँए निचले हाथ में वरमुद्रा है। ये सिंह पर सवार हैं।
शैलपुत्री देवी को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए:

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

शैलपुत्री देवी की पूजा करने से निम्न लाभ प्राप्त होते हैं:
मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
कन्याओं को उत्तम वर मिलता है।
जीवन के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
आरोग्य की प्राप्ति होती है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
शैलपुत्री देवी की पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और देवी की पूजा-अर्चना करते हैं। देवी को फल, फूल, मिठाई, अक्षत, रोली, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य आदि अर्पित किए जाते हैं। देवी की आरती की जाती है और उनसे मनोवांछित फल की प्राप्ति की प्रार्थना की जाती है।

शैलपुत्री देवी सभी भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि रखती हैं और उन्हें सभी तरह की सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।

14/10/2023

Live Match today

Address

Mahendra Enclave
Ghaziabad
201002

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Top Seen posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share