15/10/2025
सुनारिया के इर्द गिर्द घूम रही हरियाणा पुलिस के झोल झपाटों पर विशेष:
बीते दिनों हरियाणा पुलिस के एक उच्च अधिकारी ने जाति के आधार पर हो रहे कथित भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली। कथित अधिकारी हरियाणा पुलिस के सर्वोच्च पद से एक पद नीचे के स्तर पर था। इसके अतिरिक्त उसकी धर्म पत्नी एक वरिष्ठ आई ऐ इस अधिकारी है और ससुराल पक्ष पंजाब की राजनीति में सक्रिय है। इस मौत ने कईं अहम सवालों को जन्म दिया है।
1: यदि अधिकारी केवल जातिगत भेदभाव से परेशान था तो वह इसके लिए जान क्यों देना चाहता था? वह इस्तीफ़ा देकर इस मुद्दे पर दलित राजनीति भी तो साध सकता था। हर प्रकार की परिस्थितियों के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से प्रशिक्षित व एक अनुभवी वरिष्ठ आई पी एस अधिकारी क्या इतना भी परिपक्व नहीं था कि वह अपनी आत्महत्या से मिलने वाले न्याय और उस पर साधी जाने वाली राजनीति की परख नहीं कर सकता था?
2: किसी राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मौत हमेशा असाधारण होती है। बहरी तौर पर बेशक न पता चले लेकिन अंदरूनी तौर पर इसकी जांच अवश्य होती है कि सम्बंधित मौत के साथ कितने मामलों और साजिशों के रहस्य दफन किये गए हैं? मतलब जिस जांच की मांग मृतक का परिवार कर रहा है, वह अंदरूनी तौर पर ख़ुफ़िया एजेंसियां अपने आप ही शुरू कर चुकी होंगी। अतः इसकी सम्भावना बहुत अधिक है कि या तो मृतक किसी होने वाली या हो चुकी बड़ी घटना में एक मोहरा या बलि का बकरा था, जो सम्भवतः अपनी जाति की वजह से समय रहते स्वयं को बचाने का उपाय नहीं कर पाया, या फिर वह कुछ ऐसा जान गया था, जिसके बाद उसे जीवित छोड़ना बहुत से सफेदपोश लोगों के लिए समस्या पैदा कर सकता था।
3: आत्महत्या करने वाला व्यक्ति आत्महत्या तब करता है जब उसे लगता है कि जीवित रहकर उसका जीवन मौत से बदत्तर हो जायेगा। मरने वाले अधिकारी ने आत्महत्या उस समय की जब उसकी धर्मपत्नी मुख्यमंत्री के साथ विदेश दौरे पर थी। तो क्या वह अधिकारी इतनी भी समझ नहीं रखता था कि उसकी पत्नी की अनुपस्थिति में उसकी मौत का कारण बने पुलिस के आला अधिकारी आसानी से सभी सबूत मिटा सकते हैं?
अर्थात, यह संदेह अभी भी बरकरार है कि मृतक आई पी एस अधिकारी की मौत एक संभावित हत्या है, और किसी बहुत बड़ी गहरी साजिश की कड़ी है, जिसमें वह तमाम अधिकारी शामिल हैं, जिनका नाम अधिकारी द्वारा सुसाइड नोट में लिखा गया है।
इससे पहले उपरोक्त सवालों पर विराम लगता कि एक ऐ एस आई द्वारा वीडियो जारी करके आत्महत्या करने के मामले ने इस संदेह को, और एक वकील द्वारा हरियाणा के पुलिस महानिदेशक की अवैध सम्पत्ति के खुलासे ने मामले को और पेचीदा बना दिया है।
मृतक ऐ एस आई के दावे के अनुसार मृतक अधिकारी करोड़ों के भ्रष्टाचार में शामिल था व एक आपराधिक मानसिकता का व्यक्ति था। वीडियो बनाते वक्त ऐ एस आई की भटकती नज़र यह स्पष्ट करती है कि वह न आक्रोशित है और न ही उदास है बल्कि वह विचलित है और घबराया हुआ है। सबसे बड़ा सवाल यह उठने लगा है कि एक ऐ एस आई ऐसे अधिकारियों की ईमानदारी की वकालत करके आत्महत्या क्यों कर रहा है, जिनके दफ्तर में दाखिल होने तक की भी उसकी औकात नहीं है? जबकि यह समझना सरल है कि एक ऐ एस आई के कह देने मात्र से किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध नहीं हो जाते।
अभी तक की गतिविधि से ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि मृतक पुलिस अधिकारी की मौत का कारण जातिगत भेदभाव के कारण की गई आत्महत्या नहीं है। इसके बाद आरोपी अधिकारियों के पक्ष में एक ऐ एस आई की आत्महत्या का कारण भी किसी की ईमानदारी को साबित करना नहीं है। सम्भवतः मरने वाला पुलिस अधिकारी यह जानता था कि उसे किसी जाल में फसा लिया गया है और वह किसी भी तरीके से उससे बाहर नहीं निकल सकता। अतः अपनी मौत की वजह बदलकर वह उस जाल को बुनने वाले अधिकारियों के लिए मुसीबत खड़ी करने का इरादा रखता था। ख़ुफ़िया एजेंसियां इस गुत्थी को सुलझा न सकें इसलिए उसी जाल को बुनने में सम्भवतः इस्तेमाल में लाये गए ऐ एस आई को भी यह समझ आ गई थी कि अब उसे मार दिया जायेगा और इसलिए वह भी अपनी मौत की वजह बदलकर तमाम एजेंसियों का ध्यान सम्बंधित साजिश से हटाने का इरादा रखता था।
क्योंकि यह सारा घटनाक्रम पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सुनारिया अथवा सुनारिया जेल के इर्द गिर्द घूम रहा है, इसलिए इस संभावित बड़ी साजिश का सम्बन्ध डेरा सच्चा सौदा से भी मिल सकता है। क्योंकि सुनारिया के संदर्भ में फैली अफवाहों पर यकीन करें तो पूर्व जेल अधीक्षक व चरखी दादरी के मौजूदा विधायक सुनील सतपाल सांगवान ने सुनारिया जेल से ही अपने चुनावी पैसे का इंतज़ाम किया है, जो अनुमानित 650 करोड़ है। हरियाणा जेल विभाग में सुनारिया जेल में तैनाती को लेकर अधकारियों में चलने वाली दौड़ भी किसी से छिपी नहीं है। और अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि हरियाणा का मुख्यमंत्री केवल मनोहर लाल खट्टर की कठपुतली है, तो इस घटनाक्रम के अगले पड़ाव में सुनील सतपाल सांगवान व मनोहर लाल खट्टर का नाम भी आने वाले समय में उछल सकता है। देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा सरकार इस मामले को दबाने में कितनी जल्दी कामयाब होती है।
हमारे नियमित पाठक यह जानते हैं कि कैसे Faith versus Verdict यह दावा करता रहा है कि सुनारिया जेल अधीक्षक सुनील सतपाल सांगवान जैसे भ्रष्ट अधिकारी देश विरोधी साजिशें रचने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं और कैसे उन साजिशों को अंजाम देकर, कितने निर्दोषों की हत्याएं की गई हैं। यह साजिशें आज भी बड़े स्तर पर सक्रिय हैं और शायद वर्तमान घटनाक्रम इसी से सम्बंधित है।