15/05/2025
पृष्ठभूमि:
भारत-पाकिस्तान तनाव और ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। भारत ने इसके जवाब में "ऑपरेशन सिंदूर" शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए गए। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। 7 मई 2025 तक यह तनाव सैन्य टकराव में बदल गया, जिसमें दोनों देशों की सेनाओं ने सीमा पर गोलीबारी और जवाबी कार्रवाइयां कीं।
10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान ने तत्काल और पूर्ण युद्धविराम की घोषणा की, जिसकी शुरुआत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर की।
इसके बाद पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने इसकी पुष्टि की, और भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि यह फैसला दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच सीधी बातचीत के बाद लिया गया।
ट्रंप का दावा: व्यापार बंद करने की धमकी
12 मई 2025 को व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उनके प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा:
"मेरे प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच तत्काल युद्धविराम कराने में मदद की।
हमने व्यापार का सहारा लिया। मैंने कहा, 'हम आपके साथ बहुत सारा व्यापार करते हैं। लड़ाई बंद करें। अगर आप रुकेंगे तो हम व्यापार करेंगे, अगर नहीं रुकेंगे, तो हम व्यापार नहीं करेंगे।'""लोगों ने कभी व्यापार का इस तरह इस्तेमाल नहीं किया जैसा मैंने किया। अचानक उन्होंने कहा, 'हम इसे रोकने जा रहे हैं,' और उन्होंने ऐसा किया।""हमने एक संभावित परमाणु युद्ध को रोका, जिसमें लाखों लोग मारे जा सकते थे।
"ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व ने स्थिति की गंभीरता को समझा और बुद्धिमानी व धैर्य दिखाया। उन्होंने अपने उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भी इस मध्यस्थता के लिए श्रेय दिया।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई पोस्ट में भी ट्रंप के इस बयान को उजागर किया गया। उदाहरण के लिए, कुछ यूजर्स ने लिखा कि ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान को "धमकाया" कि अगर जंग नहीं रुकी तो व्यापार बंद कर दिया जाएगा। इन पोस्ट्स में कुछ ने इसे ट्रंप की बड़बोलापन करार दिया, जबकि अन्य ने इसे उनकी कूटनीतिक जीत बताया।
भारत का जवाब:
ट्रंप के दावे का खंडन
भारत सरकार ने ट्रंप के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया। सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम के लिए हुई बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र नहीं हुआ। भारत ने निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया:
सीधी बातचीत:
युद्धविराम का फैसला भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच सीधी बातचीत के बाद लिया गया। पाकिस्तान के DGMO ने भारतीय DGMO से संपर्क किया और युद्धविराम की अपील की।
कोई व्यापार चर्चा नहीं:
ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिकी नेताओं के साथ हुई बातचीत में व्यापार का कोई उल्लेख नहीं था।
उदाहरण के लिए:
9 मई को अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने पीएम मोदी से बात की।8 और 10 मई को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बात की।
10 मई को रुबियो ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से संपर्क किया। इन सभी चर्चाओं में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा।
भारत की स्थिति:
भारत ने ट्रंप की मध्यस्थता की बात को खारिज करते हुए कहा कि यह द्विपक्षीय मामला था, और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी।
12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी ट्रंप की भूमिका को नजरअंदाज करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने भारत से युद्धविराम की गुहार लगाई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने अपनी शर्तों पर युद्धविराम स्वीकार किया, और यह ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का परिणाम था। मोदी ने यह भी कहा कि "टेरर और ट्रेड एक साथ नहीं चल सकते, खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते," जिससे सिंधु जल संधि पर भारत की सख्त नीति का संकेत मिलता है।
पाकिस्तान का रुख
पाकिस्तान ने अमेरिका की मध्यस्थता का स्वागत किया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्रंप को धन्यवाद दिया और इसे अपनी कूटनीतिक जीत बताया। पाकिस्तान में कुछ जगहों पर जश्न का माहौल भी देखा गया। हालांकि, युद्धविराम के कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान ने ड्रोन हमले की कोशिश की, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया।
विश्लेषण:
ट्रंप की धमकी का सचट्रंप के दावे और भारत के खंडन से कई सवाल उठते हैं:
ट्रंप की धमकी की सत्यता:
भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि व्यापार की कोई धमकी नहीं दी गई। भारत-अमेरिका के बीच मजबूत आर्थिक संबंध हैं, और भारत अमेरिका का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है। ऐसे में, ट्रंप का व्यापार बंद करने की धमकी देना अव्यावहारिक लगता है।
ट्रंप का यह बयान उनकी बड़बोली शैली के अनुरूप हो सकता है, जैसा कि पहले भी कई मौकों पर देखा गया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप ने इस दावे को अपनी कूटनीतिक छवि को मजबूत करने के लिए किया।
अमेरिका की भूमिका:
हालांकि भारत ने मध्यस्थता से इनकार किया, लेकिन अमेरिका ने दोनों देशों के नेताओं से संपर्क किया था। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने जयशंकर और शहबाज शरीफ से बात की, और उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी पीएम मोदी से चर्चा की। यह दर्शाता है कि अमेरिका पर्दे के पीछे सक्रिय था, भले ही भारत ने इसे औपचारिक मध्यस्थता के रूप में स्वीकार नहीं किया।
ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भी मध्यस्थता की पेशकश की, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। भारत ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल आतंकवाद और PoK पर होगी।
परमाणु युद्ध का खतरा:
ट्रंप ने अपने बयान में परमाणु युद्ध के खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। दोनों देश परमाणु हथियारों से लैस हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु युद्ध की गंभीरता को समझते हैं और इसे टालने के लिए सतर्क रहते हैं।
सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया:
X पर कुछ यूजर्स ने ट्रंप के बयान को उनकी आत्ममुग्धता का सबूत बताया, जबकि अन्य ने इसे भारत की कूटनीतिक कमजोरी के रूप में देखा। कुछ ने पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए।
कांग्रेस पार्टी ने भी ट्रंप के बयानों पर सवाल उठाए और पूछा कि क्या भारत ने शिमला समझौते का उल्लंघन किया, जो तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करता है। उन्होंने संसद सत्र बुलाने की मांग की।
निष्कर्ष
उपलब्ध जानकारी के आधार पर, यह स्पष्ट है कि डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम में अपनी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। भारत ने ट्रंप की व्यापार बंद करने की धमकी के दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया और कहा कि युद्धविराम द्विपक्षीय बातचीत का परिणाम था। ट्रंप की मध्यस्थता की बात में कुछ सच्चाई हो सकती है, क्योंकि अमेरिका ने दोनों देशों के नेताओं से संपर्क किया था, लेकिन भारत ने इसे अपनी शर्तों पर स्वीकार किया।
यह घटनाक्रम भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति और कूटनीतिक दृढ़ता को दर्शाता है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी कि आतंकवाद और व्यापार साथ नहीं चल सकते, और भारत भविष्य में भी कठोर जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। ट्रंप का बयान उनकी वैश्विक छवि को मजबूत करने की कोशिश हो सकता है, लेकिन भारत ने अपनी संप्रभुता और स्वतंत्र नीति को प्राथमिकता दी।