21/09/2025
Farmers और छोटे Business Man का गला घोंट| Pakistan से Cricket खेला गया| सिर्फ शहीदों को धोखा नहीं|
नमस्कार दोस्तों। आज हम बात करेंगे एक ऐसे सवाल की, जो हर भारतीय के मन में घूम रहा है।
एक तरफ हमारे किसान और छोटे व्यापारी, जो देशभक्ति के नाम पर पाकिस्तान से व्यापार बंद करने को मजबूर हो गए। और दूसरी तरफ? हमारे माननीय नेता, जो उसी पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैचों की बातें करते हैं। पुलवामा हमले के जख्म अभी ताजा हैं, सैनिकों का खून सूखा भी नहीं, लेकिन नीति? वो तो वैसी ही बनी हुई है।
सबसे पहले, व्यापार का मामला। 2019 में पुलवामा अटैक के बाद, सरकार ने चिल्ला-चिल्ला कर कहा – "बॉयकॉट पाकिस्तान!" हुर्रे! लेकिन ये बॉयकॉट किसने झेला? हमारे सीमावर्ती किसानों ने, जो अपनी फसलें – प्याज, टमाटर, सब्जियां – पाकिस्तान एक्सपोर्ट करते थे। छोटे व्यापारियों ने, जिनका रोजगार उसी ट्रेड पर टिका था। आज भी, वो बेचैन हैं। ब्याज के कर्ज चुकाने को तरस रहे हैं। देशभक्ति का नाम लेकर उनकी जिंदगी क्यों दांव पर?
अब सुनिए दूसरी तरफ की कहानी। वही पुलवामा, वही पाकिस्तान – जिसने हमारे 40 जवान शहीद कर दिए। लेकिन क्या हुआ? क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत-पाक मैच हो गया। चीयर्स, स्टेडियम फुल, और टीवी पर लाइव! (हाथ फैलाकर व्यंग्य से) अरे भाई, हमला तो आतंकवाद है, लेकिन क्रिकेट? वो तो 'सॉफ्ट डिप्लोमसी' है ना? अगर व्यापार बंद करना देशभक्ति है, तो क्रिकेट खेलना क्या है? दोस्ती? या फिर, बस वोट बैंक की राजनीति?
दोस्तों, ये नीति कैसी है? एक तरफ 'सर्जिकल स्ट्राइक' की गर्जना, दूसरी तरफ चुप्पी। पाकिस्तान से व्यापारिक 'द्रोह' को तो सजा मिल गई – हमारे किसानों को। लेकिन असली द्रोह? वो तो बॉर्डर पर जारी है। और ऊपर से, हिंदुत्व के नाम पर ये सब?
किसान कब तक तंग जाएंगे? छोटे व्यापारी कब तक बर्बाद होंगे? ये तानाशाही जैसी लगती है – जहां राजा के मन में जो आए, वही हो। जनता की आवाज? वो तो दबा दी जाती है।
पुलवामा के बाद भी मैच, लेकिन व्यापार बंद। इसका मतलब साफ है – नीति नहीं, नाटक है। असली देशभक्ति तो सीमावर्ती इलाकों के लोगों को मजबूत बनाना है, न कि उन्हें कुचलना।
दोस्तों, ये सवाल सिर्फ मेरा नहीं, आपका भी है। क्या हम ऐसे ही चलते रहेंगे? कमेंट बॉक्स में बताएं – ये नीति बदलनी चाहिए या नहीं? लाइक, शेयर करें, और जागरूक रहें। क्योंकि असली देशभक्ति, आवाज उठाने से शुरू होती है। धन्यवाद। जय हिंद!