NAYAK Bhartiya Nayak

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NAYAK समाचार हिंदी भाषा की भारत की अग्रणी संगठन प्रकाशन सामग्री में से एक है। हम मोबाइल और डिजिटल प्रकाशन में अग्रणी के रूप में विभिन्न श्रेणियों में सामग्री प्रकाशित करते है और भारत में सबसे भरोसेमंद समाचार स्रोत है। NAYAK (भारतीयनायक)! निष्पक्ष रूप से देश के हित में सच्चाई के साथ बुराइयों के खिलाफ है! बिना किसी जाति ,धर्म के आधार पर जनता के बीच है! जो दिल्ली समेत पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में ज्यादा सक्रिय है!

23/10/2025

बिहार के लोग दलाली भी नहीं करने देते!
सरकार के लिए ईमानदारी से काम करने वाली पत्रकार को बिहार के लोगों ने अच्छा नहीं किया!

21/10/2025

Modi Ji का देश के लिए बड़ा विज़न हुआ सोशल मीडिया पर वॉयरल! ंत्री_का #बारह_हजार_स्पेशल_ट्रेन #वॉयरल ुनाव #बिहार_छठ #बिहार_दिवाली

20/10/2025

12 हजार स्पेशल ट्रेनें! ना कोई देखा, ना कोई बैठा! लेकिन ये सब कुछ Modi Ji के वजह से संभव हो पाया है! #रेलमंत्री ुनाव #12हजार_स्पेशलtrain

19/10/2025

MODI JI KA AK AUR JHOOT| GST कम करने के बाद PM Modi| क्या 11 सालों से कांग्रेस ने मंगाई बढ़ा दी थी| ुनाव

18/10/2025

छोटे पत्रकारों को जान गवानी पड़ रही है| बड़े पत्रकार सरकार की Dalali में व्यस्त|

देश में गरीबों की थैली रेडी पटरी घर सब उजाला जा रहा है बुलडोजर एक्शन के द्वारा न्याय अन्याय का बिना ख्याल किया सब कुछ तबाह किया जा रहा है जो देश के नागरिक पहले से ही सड़कों पर हैं उन्हें और पता नहीं कहां ले जाना चाहती है सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करके देश को तहस-नहस किया जा रहा है क्या इससे गरीबी मिटेगी और देश विकसित हो पाएगा और इस पर अगर कोई पत्रकार सवाल उठता है वैसे तो कोई बड़ा पत्रकार इसके बोलने को इसके सवाल उठाने को सरकार से सवाल करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है क्योंकि सारे के सारे गोदिया मीडिया गोदी मीडिया हो चुके हैं और अगर छोटे-मोटे पत्रकार अगर सच्चाई से खबर दिखा भी रहे हैं उन्हें जवान भी उन्हें जान से भी हाथ धोना पड़ रहा है तो किसी को जेल में डालकर बंद कर दिया जा रहा है किसी पर सा लगा दिया जा रहा है यह देश किसी और जाना चाह रहा है और किधर ले जाया जा रहा है इसका जवाब किसी के पास इसी से रिलेटेड हमने यह वीडियो डाली है इसे देखिए और दूसरों तक जरूर शेयर कीजिए

15/10/2025

Taliban हो या बड़ा से बड़ा अपराधी, बलात्कारी नेता, हाथ मिलाते ही सारे पाप साफ़ |

मोदी सरकार की दोहरी नीति: घर में मुसलमानों से नफरत, बाहर तालिबान से यारी!
नमस्ते दोस्तों! आज हम बात करेंगे उस सच्चाई की, जो भारत की राजनीति और विदेश नीति की पोल खोल देती है। सालों से हम देख रहे हैं कि कैसे कुछ लोग, कुछ नेता, मुसलमानों को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। तालिबान को आतंकवादी कहकर, इस्लाम के खिलाफ जहर उगल-उगलकर, हर टोपी-दाढ़ी वाले को आतंकवादी की नजर से देखा गया। भारत में हिंदुओं को मुसलमानों से डराकर दंगे करवाए गए, वोट बैंक बनाए गए। मुसलमानों की लिंचिंग हुई, नफरत की आग में देश को डुबो दिया गया। लेकिन अब, जब दुनिया के देश भारत से मुंह मोड़ रहे हैं, पड़ोसी देश दोस्ती से इंकार कर रहे हैं, और मोदी जी को बॉयकॉट का सामना करना पड़ रहा है, तो वही तालिबान, वही अफगानिस्तान, जिसके नाम पर मुसलमानों को गालियां दी गईं, आज जबरदस्ती दोस्त बनाया जा रहा है। हिंदुत्व का ढोल पीटने के बाद दुनिया ने मोदी जी को किनारे कर दिया, और अब वही मुस्लिम देश – सऊदी अरब, यूएई, और हां, तालिबान भी – इनके लिए मसीहा बन गए हैं! शर्म नहीं आती? दिन-रात मुसलमानों को कोसने वाले आज उन्हीं के भरोसे अपनी दुनिया नीति चला रहे हैं। आइए, इस दोहरे चरित्र को बेपर्दा करते हैं!
घर में नफरत, बाहर दोस्ती का नाटक
पहले बात घर की। बीजेपी और उसके नेताओं ने मुसलमानों के खिलाफ नफरत की सियासत को हथियार बनाया। 2022 में पैगंबर साहब पर अपमानजनक टिप्पणियों के बाद मुस्लिम देशों ने भारत को लताड़ा। लेकिन क्या बदला? कुछ नहीं! लिंचिंग, दंगे, और घृणा भरे भाषणों का सिलसिला जारी रहा। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने 2023 में कहा कि मोदी सरकार मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा नहीं कर रही। बीजेपी ने इसे 'पाखंड' बताया, लेकिन सच तो दुनिया देख रही है। संसद में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं, लेकिन विदेशी मेहमानों के सामने मुस्लिम नेताओं को दिखावे के लिए बुलाया जाता है। ये कैसी सियासत है? घर में मुसलमानों को वोट के लिए बदनाम करो, और बाहर मुस्लिम देशों से दोस्ती का ढोंग रचो!
विदेश नीति का पाखंड
अब बात विदेश नीति की। 2025 में भारत के पड़ोसी देशों से रिश्ते खराब हो रहे हैं। बांग्लादेश में उथल-पुथल से भारत का साड़ी व्यापार ठप्प। पाकिस्तान के साथ एशिया कप मैच पर बॉयकॉट की मांग। तुर्की और अजरबैजान पर भारत में बॉयकॉट की बात, क्योंकि वे पाकिस्तान के साथ हैं। चीन के साथ आर्थिक तनाव। ऐसे में मोदी सरकार की नजर कहां गई? मुस्लिम देशों पर! 10 अक्टूबर 2025 को विदेश मंत्री जयशंकर ने तालिबान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी से मुलाकात की। भारत काबुल में दूतावास फिर से खोल रहा है – चार साल बाद! तालिबान के मंत्री ने दारुल उलूम देवबंद का दौरा किया, और 'मजबूत रिश्तों' की बात की। वही तालिबान, जिसे कल तक आतंकवादी कहा जाता था, आज 'विकास साझेदारी' और 'आतंकवाद विरोधी सहयोग' का दोस्त बन गया है। एक्स पर लोग इसे खुला पाखंड बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "मोदी-तालिबान की दोस्ती हितों की शादी है, हाइपोक्रिसी की मिसाल है।"
अरब देशों की दोस्ती, लेकिन घर में घृणा क्यों?
और सिर्फ तालिबान ही नहीं, अरब देशों के साथ भी रिश्ते चमक रहे हैं। 2025 में भारत-सऊदी अरब के आर्थिक संबंध नई ऊंचाई पर हैं। मोदी जी की रियाद यात्रा ने इसे और मजबूत किया। भारत-अरब दुनिया के रिश्ते ट्रस्ट और व्यापार पर टिके हैं। गाजा शांति वार्ता में भारत की भूमिका बढ़ रही है। लेकिन सवाल यह है – अगर मुस्लिम देशों से दोस्ती इतनी जरूरी है, तो अपने देश के मुसलमानों से नफरत क्यों? इरान, मलेशिया, तुर्की जैसे देशों ने भारत की नीतियों की आलोचना की, लेकिन सऊदी, यूएई जैसे देश साथ दे रहे हैं। तो फिर घर में ये नफरत का खेल क्यों?
सत्ता का खेल या देश का नुकसान?
मोदी सरकार की तालिबान से दोस्ती पर सवाल उठ रहे हैं। 'द वायर' में लिखा गया कि यह 'इंगेजमेंट' भले ही हो, लेकिन इसमें छह बड़ी समस्याएं हैं। पाकिस्तान ने भी भारत-अफगानिस्तान के संयुक्त बयान पर ऐतराज जताया। एक्स पर एक यूजर ने सटीक कहा, "मोदी सरकार ने भारतीय मुसलमानों को तालिबान समर्थक बताकर बदनाम किया, लेकिन आज खुद तालिबान से यारी कर रही है।" यह दोहरा चरित्र देश को कहां ले जाएगा? नफरत की सियासत से देश कमजोर होता है। अगर मुसलमान दुश्मन नहीं, तो घर में घृणा क्यों? और अगर विदेश में मुस्लिम देश जरूरी हैं, तो ये पाखंड क्यों?
एक सवाल, बेशर्मों के लिए
दोस्तों, आखिरी सवाल उन बेशर्मों के लिए, जो दिन-रात मुसलमानों को गालियां देते हैं, उन्हें आतंकवादी बताते हैं। आज जब दुनिया ने आपको किनारे कर दिया, तो वही मुस्लिम देश, वही तालिबान, वही अरब आपके काम आ रहे हैं। शर्म नहीं आती? अपनी सत्ता और नीति चलाने के लिए उसी मुस्लिम दुनिया का सहारा ले रहे हो, जिसे तुमने बदनाम किया। भारत सबका है – हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सबका। नफरत छोड़ो, एकजुट हो जाओ। क्योंकि नफरत की आग में सिर्फ देश जलता है। जागो, भारत! समय है, सच्चाई को अपनाने का। धन्यवाद!

15/10/2025

Taliban हो या बड़ा से बड़ा Apradhi, Balatkari| BJP Washing Machine सब धो देता है|

मोदी सरकार की दोहरी नीति: घर में मुसलमानों से नफरत, बाहर तालिबान से यारी!
नमस्ते दोस्तों! आज हम बात करेंगे उस सच्चाई की, जो भारत की राजनीति और विदेश नीति की पोल खोल देती है। सालों से हम देख रहे हैं कि कैसे कुछ लोग, कुछ नेता, मुसलमानों को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। तालिबान को आतंकवादी कहकर, इस्लाम के खिलाफ जहर उगल-उगलकर, हर टोपी-दाढ़ी वाले को आतंकवादी की नजर से देखा गया। भारत में हिंदुओं को मुसलमानों से डराकर दंगे करवाए गए, वोट बैंक बनाए गए। मुसलमानों की लिंचिंग हुई, नफरत की आग में देश को डुबो दिया गया। लेकिन अब, जब दुनिया के देश भारत से मुंह मोड़ रहे हैं, पड़ोसी देश दोस्ती से इंकार कर रहे हैं, और मोदी जी को बॉयकॉट का सामना करना पड़ रहा है, तो वही तालिबान, वही अफगानिस्तान, जिसके नाम पर मुसलमानों को गालियां दी गईं, आज जबरदस्ती दोस्त बनाया जा रहा है। हिंदुत्व का ढोल पीटने के बाद दुनिया ने मोदी जी को किनारे कर दिया, और अब वही मुस्लिम देश – सऊदी अरब, यूएई, और हां, तालिबान भी – इनके लिए मसीहा बन गए हैं! शर्म नहीं आती? दिन-रात मुसलमानों को कोसने वाले आज उन्हीं के भरोसे अपनी दुनिया नीति चला रहे हैं। आइए, इस दोहरे चरित्र को बेपर्दा करते हैं!
घर में नफरत, बाहर दोस्ती का नाटक
पहले बात घर की। बीजेपी और उसके नेताओं ने मुसलमानों के खिलाफ नफरत की सियासत को हथियार बनाया। 2022 में पैगंबर साहब पर अपमानजनक टिप्पणियों के बाद मुस्लिम देशों ने भारत को लताड़ा। लेकिन क्या बदला? कुछ नहीं! लिंचिंग, दंगे, और घृणा भरे भाषणों का सिलसिला जारी रहा। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने 2023 में कहा कि मोदी सरकार मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा नहीं कर रही। बीजेपी ने इसे 'पाखंड' बताया, लेकिन सच तो दुनिया देख रही है। संसद में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं, लेकिन विदेशी मेहमानों के सामने मुस्लिम नेताओं को दिखावे के लिए बुलाया जाता है। ये कैसी सियासत है? घर में मुसलमानों को वोट के लिए बदनाम करो, और बाहर मुस्लिम देशों से दोस्ती का ढोंग रचो!
विदेश नीति का पाखंड
अब बात विदेश नीति की। 2025 में भारत के पड़ोसी देशों से रिश्ते खराब हो रहे हैं। बांग्लादेश में उथल-पुथल से भारत का साड़ी व्यापार ठप्प। पाकिस्तान के साथ एशिया कप मैच पर बॉयकॉट की मांग। तुर्की और अजरबैजान पर भारत में बॉयकॉट की बात, क्योंकि वे पाकिस्तान के साथ हैं। चीन के साथ आर्थिक तनाव। ऐसे में मोदी सरकार की नजर कहां गई? मुस्लिम देशों पर! 10 अक्टूबर 2025 को विदेश मंत्री जयशंकर ने तालिबान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी से मुलाकात की। भारत काबुल में दूतावास फिर से खोल रहा है – चार साल बाद! तालिबान के मंत्री ने दारुल उलूम देवबंद का दौरा किया, और 'मजबूत रिश्तों' की बात की। वही तालिबान, जिसे कल तक आतंकवादी कहा जाता था, आज 'विकास साझेदारी' और 'आतंकवाद विरोधी सहयोग' का दोस्त बन गया है। एक्स पर लोग इसे खुला पाखंड बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "मोदी-तालिबान की दोस्ती हितों की शादी है, हाइपोक्रिसी की मिसाल है।"
अरब देशों की दोस्ती, लेकिन घर में घृणा क्यों?
और सिर्फ तालिबान ही नहीं, अरब देशों के साथ भी रिश्ते चमक रहे हैं। 2025 में भारत-सऊदी अरब के आर्थिक संबंध नई ऊंचाई पर हैं। मोदी जी की रियाद यात्रा ने इसे और मजबूत किया। भारत-अरब दुनिया के रिश्ते ट्रस्ट और व्यापार पर टिके हैं। गाजा शांति वार्ता में भारत की भूमिका बढ़ रही है। लेकिन सवाल यह है – अगर मुस्लिम देशों से दोस्ती इतनी जरूरी है, तो अपने देश के मुसलमानों से नफरत क्यों? इरान, मलेशिया, तुर्की जैसे देशों ने भारत की नीतियों की आलोचना की, लेकिन सऊदी, यूएई जैसे देश साथ दे रहे हैं। तो फिर घर में ये नफरत का खेल क्यों?
सत्ता का खेल या देश का नुकसान?
मोदी सरकार की तालिबान से दोस्ती पर सवाल उठ रहे हैं। 'द वायर' में लिखा गया कि यह 'इंगेजमेंट' भले ही हो, लेकिन इसमें छह बड़ी समस्याएं हैं। पाकिस्तान ने भी भारत-अफगानिस्तान के संयुक्त बयान पर ऐतराज जताया। एक्स पर एक यूजर ने सटीक कहा, "मोदी सरकार ने भारतीय मुसलमानों को तालिबान समर्थक बताकर बदनाम किया, लेकिन आज खुद तालिबान से यारी कर रही है।" यह दोहरा चरित्र देश को कहां ले जाएगा? नफरत की सियासत से देश कमजोर होता है। अगर मुसलमान दुश्मन नहीं, तो घर में घृणा क्यों? और अगर विदेश में मुस्लिम देश जरूरी हैं, तो ये पाखंड क्यों?
एक सवाल, बेशर्मों के लिए
दोस्तों, आखिरी सवाल उन बेशर्मों के लिए, जो दिन-रात मुसलमानों को गालियां देते हैं, उन्हें आतंकवादी बताते हैं। आज जब दुनिया ने आपको किनारे कर दिया, तो वही मुस्लिम देश, वही तालिबान, वही अरब आपके काम आ रहे हैं। शर्म नहीं आती? अपनी सत्ता और नीति चलाने के लिए उसी मुस्लिम दुनिया का सहारा ले रहे हो, जिसे तुमने बदनाम किया। भारत सबका है – हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सबका। नफरत छोड़ो, एकजुट हो जाओ। क्योंकि नफरत की आग में सिर्फ देश जलता है। जागो, भारत! समय है, सच्चाई को अपनाने का। धन्यवाद!

13/10/2025

Assam Border से सटे Arunachal Pradesh की Tea World Famous कैसे हुई|

अरुणाचल प्रदेश की हरियाली में छिपा है चाय का स्वादिष्ट राज: नामचिक टी गार्डन (अकीया टी)

नमस्कार दोस्तों! कल्पना कीजिए एक ऐसी जगह जहां सूर्य की पहली किरणें भारत को छूती हैं... जहां हिमालय की गोद में बसे हरे-भरे बागान, ठंडी हवाओं के साथ चाय की पत्तियों को सहलाते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत के पूर्वोत्तर रत्न, अरुणाचल प्रदेश की! और आज हम ले चलेंगे आपको नामचिक टी गार्डन की सैर पर – जिसे प्यार से अकीया टी के नाम से भी जाना जाता है। यह जगह न सिर्फ चाय का उत्पादन करती है, बल्कि एक ऐसी कहानी बुनती है जो आपके स्वाद को मोह लेगी और दिल को छू जाएगी। तो चलिए, इस चाय के सफर में डुबकी लगाते हैं!

अरुणाचल प्रदेश – 'उगते सूर्य की भूमि' – भारत का सबसे पूर्वी राज्य, जहां नमचिक टी एस्टेट चांगलांग जिले के नंपोंग इलाके में बसा है। लॉन्गटॉम गांव के पास स्थित यह बागान असम की सीमा से सटा हुआ है, जहां पटकाई पहाड़ियां चाय के पौधों को अपनी गोद में लोरी सुनाती हैं। 1999 में स्थापित यह एस्टेट नमचिक टी एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के तहत चलता है, और इसका ब्रांड नाम 'अकीया' है। यहां की चाय सिर्फ पत्तियां नहीं, बल्कि प्रकृति का एक कविता है – ऊंचाई 800 से 1200 मीटर पर बसे इन बागानों में चाय के पौधे साल भर हरी रहती हैं, क्योंकि यहां की मिट्टी अम्लीय और समृद्ध है, जो चाय को अनोखा स्वाद देती है।

अब सवाल यह है – नामचिक की चाय इतनी खास क्यों है? जवाब है – ऑर्थोडॉक्स प्रोसेस! दोस्तों, आजकल मार्केट में CTC चाय की बाढ़ है, जो जल्दी बनती है लेकिन स्वाद में कम। लेकिन अकीया टी ऑर्थोडॉक्स तरीके से बनाई जाती है – यानी पारंपरिक, हाथ से चुनी हुई पत्तियां, जो चाय को गहरा, माल्टी फ्लेवर और फ्रूटी नोट्स देती हैं। आइए, इस मैन्युफैक्चरिंग के राज खोलते हैं, स्टेप बाय स्टेप, जैसे कोई जादू हो रहा हो!

पहला स्टेप: **प्लकिंग**। सुबह-सुबह, जब ओस की बूंदें अभी पत्तियों पर चमक रही हों, महिलाएं और पुरुष मजदूर 'टू लीफ एंड अ बड' चुनते हैं – यानी दो पत्तियां और एक कोमल कली। यहां 30 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फैले बागानों से रोजाना ताजा पत्तियां इकट्ठी होती हैं। मजेदार फैक्ट: ये मजदूर ज्यादातर स्थानीय तांगसा और सिंफो जनजातियों से हैं, जो सदियों से जंगलों में चाय उगाते आए हैं। उनकी चुनी हुई पत्तियां ही अकीया को 'गोल्डन टिप्ड' बनाती हैं!

दूसरा: **विथरिंग**। चुनी हुई पत्तियों को फैलाकर हवा में सुखाया जाता है, ताकि नमी कम हो और स्वाद उभरे। यह 12-18 घंटे लगता है, और यहां की ठंडी हवा पत्तियों को धीरे-धीरे 'सोने' देती है। क्यों खास? क्योंकि अरुणाचल की ऊंचाई और नमी का संतुलन चाय को हल्का, ब्राइट और मीठा बनाता है – जैसे असम चाय का भाई, लेकिन ज्यादा फाइन!

तीसरा: **रोलिंग**। पत्तियों को मशीनों से रोल किया जाता है, जो तेल निकालता है और ऑक्सीडेशन शुरू करता है। अकीया में मॉडर्न ऑर्थोडॉक्स रोलर्स इस्तेमाल होते हैं, जो पत्तियों को तोड़ते नहीं, बल्कि सौम्यता से मोड़ते हैं। नतीजा? चाय में स्टोन फ्रूट्स जैसे प्लम और नेक्टरिन के नोट्स आ जाते हैं!

चौथा: **फर्मेंटेशन**। यहां जादू होता है! पत्तियों को नियंत्रित तापमान पर ऑक्सीडाइज किया जाता है, जो उन्हें भूरा रंग और माल्टी आरोमा देता है। अकीया के एक्सपर्ट्स कहते हैं, "यह स्टेप चाय का दिल है – गलत समय पर रोका तो स्वाद फीका!" फिर, **ड्राइंग** में गर्म हवा से नमी पूरी तरह निकाल दी जाती है। आखिर में **ग्रेडिंग** – FTGFOP ग्रेड, यानी फिनेस्ट टिप्पी गोल्डन फ्लावरी ऑरेंज पेको! यह ग्रेड दुनिया की सबसे प्रीमियम चायों में शुमार है।

क्वालिटी का राज क्या है? अकीया टी को 'एक्सेप्शनल क्वालिटी' कहा जाता है क्योंकि यह ऑर्गेनिक तरीके से उगाई जाती है – कोई केमिकल नहीं, सिर्फ प्रकृति का आशीर्वाद। असम के पास होने से इसका फ्लेवर माल्टी और स्वीट है, लेकिन अरुणाचल की ऊंचाई इसे लाइट एंड ब्राइट बनाती है। एक कप में मीडियम बॉडी, कॉम्प्लेक्स माल्ट, और स्टोन फ्रूट्स के ओवरटोन्स – पीने पर लगता है जैसे कोई पुरानी दोस्ती ताजा हो गई हो! और हां, यह चाय इंटरनेशनल मार्केट में धूम मचा रही है – कनाडा से यूरोप तक!

अब कुछ रोचक फैक्ट्स जो आपके दिमाग को हिला देंगे! पहला: अरुणाचल में चाय की शुरुआत 19वीं सदी में ब्रिटिश काल से हुई, लेकिन नामचिक जैसे एस्टेट ने 21वीं सदी में इसे रिवाइव किया। फैक्ट नंबर टू: यहां की चाय पत्तियां इतनी फाइन हैं कि एक किलो सूखी चाय के लिए 4-5 किलो ताजी पत्तियां चाहिए – क्वालिटी का प्रमाण! तीसरा: स्थानीय जनजातियां चाय को 'सन' कहती हैं, और वे इसे औषधि की तरह इस्तेमाल करती हैं – पाचन से लेकर तनाव तक! चौथा: 2024 में IFCRA टीम ने नामचिक का दौरा किया, और कहा – "यह अरुणाचल की चाय क्रांति का प्रतीक है!" और आखिरी: एक कप अकीया टी पीने से आपको लगेगा कि आप हिमालय की चोटी पर हैं – क्योंकि यह बागान भारत-चीन बॉर्डर के करीब है, लेकिन शांति का प्रतीक!

दोस्तों, नामचिक टी गार्डन या अकीया टी सिर्फ चाय नहीं, बल्कि अरुणाचल की आत्मा है – जहां हर पत्ता एक कहानी कहता है। अगली बार चाय पीएं, तो याद रखें: यह स्वाद हिमालय की सांस है! अगर आपने कभी अकीया ट्राई नहीं की, तो जरूर करें। वीडियो पसंद आई तो लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें। मिलते हैं अगली यात्रा में।

13/10/2025

Assam Border से सटे Arunachal Pradesh की Tea World Famous कैसे हुई|

12/10/2025

दिया लेकर खोजेंगे न, तब भी नहीं मिलेगा ऐसा देश भक्त PM, whatsapp University वालों की देन है जो हमें ऐसा इंसान मिला!

11/10/2025

मजदूरों के बच्चे अगर पढ़ लिख गए तो सरकार से सवाल करेंगे, मजदूरी कौन करेगा?

10/10/2025

वर्षों पुरानी पद्धति से तैयार हुई चाय, कैसे हुई पूरी दुनिया की पहली चुस्की?

नमस्कार दोस्तों!
क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी सुबह की पहली चुस्की चाय कैसे इतनी जादुई हो जाती है? आज हम बात करेंगे ऑर्थोडॉक्स टी की – वो पारंपरिक चाय जो न सिर्फ स्वाद में गहरी और बहुस्तरीय है, बल्कि सेहत के लिए भी एक खजाना है। इस वीडियो में हम इसके इतिहास से शुरू करेंगे, चाय के बागानों से गुजरेंगे, विनिर्माण प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे, घर तक पहुंचने की पूरी यात्रा बताएंगे, और अंत में इसके फायदों पर चर्चा करेंगे। तो, अपनी चाय का कप थाम लीजिए, और चलिए इस स्वादिष्ट सफर पर!

ऑर्थोडॉक्स टी की कहानी चीन से शुरू होती है, जहां 17वीं शताब्दी के मध्य में ब्लैक टी की खोज हुई। उस समय, केवल ग्रीन और ऊलॉन्ग टी ही लोकप्रिय थीं। किंवदंती है कि फुजियन प्रांत में एक चाय कारखाने के पास एक सेना का कैंप लग गया, जिससे ताजा पत्तियों को धूप में ज्यादा देर तक रखना पड़ा। इससे पत्तियां ज्यादा ऑक्सीडाइज हो गईं, और ब्लैक टी का जन्म हुआ – गहरा रंग, मजबूत सुगंध और अनोखा स्वाद!

भारत में, ब्रिटिश काल के दौरान 19वीं शताब्दी में चाय की खेती शुरू हुई। दार्जिलिंग, असम और नीलगिरी जैसे क्षेत्रों में ऑर्थोडॉक्स विधि से बनी चाय ने दुनिया भर में नाम कमाया। 'ऑर्थोडॉक्स' नाम इसलिए पड़ा क्योंकि ये पारंपरिक, हाथ से बनी प्रक्रिया है – जहां पत्तियां क्रश करने की बजाय सावधानी से रोल की जाती हैं। आज भी, भारत, श्रीलंका, वियतनाम और इंडोनेशिया में ये विधि सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती है। ये न सिर्फ स्वाद बचाती है, बल्कि पत्तियों की प्राकृतिक गुणवत्ता को भी बनाए रखती है।

# # # # चाय के बागानों से शुरुआत: प्रकृति का उपहार
अब कल्पना कीजिए हरे-भरे पहाड़ों पर फैले चाय के बागान – ठंडी हवा, कोहरे की चादर, और कदम-कदम पर हरी पत्तियां लहराती हुईं। ऑर्थोडॉक्स टी की यात्रा यहीं से शुरू होती है, कैमेलिया साइनेंसिस नामक पौधे से। ये पौधा ऊंचे पहाड़ों पर, 1,000 से 2,000 मीटर की ऊंचाई पर उगता है, जहां मिट्टी अम्लीय, वर्षा भरपूर और तापमान 15-25 डिग्री सेल्सियस रहता है।

पहला कदम है 'प्लकिंग' – हाथ से चुनना। कुशल मजदूर – ज्यादातर महिलाएं – टिप्स (कली) और दो पत्तियों का सेट चुनती हैं। इसे 'टू लीव्स एंड ए बड' कहते हैं। एक दिन में एक मजदूर 10-15 किलो पत्तियां चुन सकती है। ये ताजा पत्तियां नाजुक होती हैं, इसलिए बांस की टोकरियों में इकट्ठा की जाती हैं। दार्जिलिंग जैसे बागानों में फर्स्ट फ्लश (वसंत) और सेकंड फ्लश (गर्मी) की पत्तियां सबसे प्रीमियम मानी जाती हैं। यहां से पत्तियां फैक्ट्री की ओर रवाना होती हैं – बस 4-6 घंटे में, ताकि ताजगी बनी रहे।

# # # # विनिर्माण की जादुई प्रक्रिया: कला और विज्ञान का मेल
फैक्ट्री पहुंचते ही शुरू होती है वो प्रक्रिया जो ऑर्थोडॉक्स टी को खास बनाती है। ये पांच मुख्य चरणों में बंटी है: विथरिंग, रोलिंग, ऑक्सीडेशन, ड्राइंग और सॉर्टिंग। ये सब हाथ से या मशीनों से सावधानी से किया जाता है, ताकि पत्तियों का प्राकृतिक स्वाद बरकरार रहे।

**पहला चरण: विथरिंग (सूखना)**
ताजा पत्तियों को फैलाकर हवा के झोंके से 12-18 घंटे सूखाया जाता है। नमी 60-70% से घटाकर 40-50% कर दी जाती है। इससे पत्तियां नरम हो जाती हैं, और एंजाइम्स सक्रिय हो जाते हैं। ये चरण स्वाद की नींव रखता है – ज्यादा विथरिंग से फ्लोरल नोट्स आते हैं।

**दूसरा चरण: रोलिंग (घुमाना)**
अब आता है दिलचस्प हिस्सा! पत्तियों को हाथ या सिलिंड्रिकल रोलर्स पर घुमाया जाता है। ये सेल वॉल्स को तोड़ता है, जिससे जूस बाहर आता है। 45-60 मिनट तक ये चलता है, पत्तियों को ट्विस्टेड शेप देता है। रोलिंग से पत्तियां छोटे-बड़े आकारों में बदल जाती हैं – जैसे ऑरेंज पेको (बड़ी पत्तियां) या पेको सुफ (छोटी)। ये चरण स्वाद को लेयर्ड बनाता है।

**तीसरा चरण: ऑक्सीडेशन (फर्मेंटेशन)**
रोल्ड पत्तियों को नम और गर्म कमरे में 45 मिनट से 3 घंटे रखा जाता है। हवा के संपर्क में एंजाइम्स रिएक्ट करते हैं, पत्तियां भूरी-काली हो जाती हैं। ये ब्लैक टी को उसका गहरा रंग और माल्टी फ्लेवर देता है। ऑक्सीडेशन की मात्रा से तय होता है – ज्यादा से मजबूत स्वाद, कम से हल्का।

**चौथा चरण: ड्राइंग (सुखाना)**
ऑक्सीडाइज्ड पत्तियों को 100-120 डिग्री सेल्सियस पर सूखाया जाता है, ताकि नमी 3-5% रह जाए। ये बैक्टीरिया को रोकता है और स्वाद लॉक करता है।

**पांचवां चरण: सॉर्टिंग (छंटाई)**
अंत में, मशीनों से पत्तियों को साइज के आधार पर छांटा जाता है। बड़े टुकड़े प्रीमियम, छोटे ब्रोकन कहलाते हैं। क्वालिटी चेक के बाद पैकिंग होती है। पूरी प्रक्रिया 24-48 घंटे लेती है – धैर्य और कौशल की मिसाल!

# # # # घर तक की यात्रा: बाजार से आपकी किचन तक
विनिर्माण के बाद, टी को एयरटाइट पैकेट्स में पैक किया जाता है। ये भारत के कोलकाता, मुंबई जैसे नीलामी केंद्रों पर बिकते हैं, या सीधे एक्सपोर्ट होते हैं। जहाज या हवाई जहाज से दुनिया भर में पहुंचता है – यूरोप, अमेरिका तक। घर पहुंचने पर, आप इसे ढीली पत्तियों के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

परफेक्ट कप बनाने का तरीका: एक कप उबलते पानी में 1 चम्मच (2-3 ग्राम) टी डालें, 3-5 मिनट स्टिप करें। दूध या शहद मिलाकर पिएं। ध्यान दें – ज्यादा स्टिपिंग से कड़वापन आ सकता है। ऑर्थोडॉक्स टी को स्टोर करने के लिए कूल, ड्राई जगह पर रखें, ताकि सुगंध बनी रहे।

# # # # ऑर्थोडॉक्स टी के फायदे: सेहत का स्वादिष्ट साथी
अब सबसे मजेदार हिस्सा – फायदे! ऑर्थोडॉक्स टी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है, जैसे पॉलीफेनॉल्स, कैटेचिन्स और थियाफ्लेविन्स। ये फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं।

- **हृदय स्वास्थ्य:** कोलेस्ट्रॉल कम करता है, ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है, स्ट्रोक का खतरा घटाता है।
- **वजन घटाना:** कैफीन और कैटेचिन्स मेटाबॉलिज्म बढ़ाते हैं, फैट बर्निंग में मदद करते हैं। ब्लड शुगर बैलेंस रखकर क्रेविंग्स रोकता है।
- **तनाव कम:** एल-थियानिन से रिलैक्सेशन मिलता है, नींद बेहतर होती है।
- **कैंसर रोकथाम:** एंटीऑक्सीडेंट्स कैंसर सेल्स को रोकते हैं।
- **पाचन और इम्यूनिटी:** एंजाइम्स पाचन सुधारते हैं, इम्यून सिस्टम मजबूत करते हैं।

एक कप रोज – सिर्फ 2 कैलोरी! CTC टी से बेहतर, क्योंकि ये प्राकृतिक और कम प्रोसेस्ड है।

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