24/06/2024
एक लड़की ने एक पेड़ को पकड़ कर रखा था और बिल्कुल उससे चिपकी हुई थी।
बार-बार बोल रही थी की........
पेड़ मुझे छोड़ दे...
पेड़ मुझे छोड़ दे...और चिल्ला भी रही थी।
बहुत परेशान भी थी।
एक आदमी वहाँ से गुजरा और उसे बोला की तुमने पेड़ को पकड़ रखा है न की पेड़ ने तुम्हें।
बिल्कुल इसी तरीके से कई बार हम अपने दुःख को खुद पकड़ कर बैठे होते हैं और हर बार उसी का रोना रोते हैं।
हम सोचते हैं कि शायद दुःख हमें छोड़ दे।
जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है, हमें खुद उस दुःख, उस डाउट को छोड़ना होगा l
धन्यवाद