29/09/2023
समय के साथ.....विकास के हाथ
सामने दिखावट की सच्चाई नहीं,साहब! परदे के पीछे का झूठ लिखता हूं। मैं तो एक छोटा सा हूं बच्चा, पर कैसे देते हैं समाज को गच्चा । अपने दौर में जो देखा ओ बात लिखता हूं.....
अभी–अभी हमने होश संभाला था। थोड़ी सी महंगाई,थोड़ा सा विकास था । थोड़ी सी परेशानी, थोड़ा सा चेहरे पर सकून था। थोड़ी सी बेरोजगारी, थोड़ा सा रोजगार था। सच में ओ 2012 वाला साल था। मैं झूठ कहता हूं साहब पर ऐसा ही समाज था...
हम जब एक अच्छी शर्ट लेते हैं तो कुछ समय के बाद वही अपनी शर्ट पुरानी लगने लगती है ठीक नही लगती, ऊब जाते हैं। पर हम भूल जाते हैं उस शर्ट को अपनाकर कुछ अच्छे, कुछ बुरे काम किए हैं । साल 2014 का आया एक नई प्रकार की अच्छे दिन, स्वर्णिम युग,अमृतकाल, स्वच्छ भारत–सुंदर भारत, आधुनिक भारत स्मार्ट भारत और मेक इन इंडिया वाली शर्ट बाजार में आयी। 56 इंच का सीने की गारंटी के साथ भरोसा दिलाई एक बार पहनकर तो देखिए आपके जीवन का वर्तमान बदल दूंगी । शर्ट बहुत सस्ती थी। चाय बेचने वाले , साफ–सफाई करने वाले, गरीब मजदूर किसान वाले, अगर जाति और धर्म की बात करूं तो सवर्ण बनिया धोबी नाई चमार चौहान वाले तथा हिन्दू धर्म सनातनी वाले सभी खरीद सकते थे। शायद तारीफ कुछ कम कर रहें उस शर्ट की.... सच में साहब एक नई उम्मीद की पहचान थी
बहुमन से खरीदा लोगों ने 26 मई 2014 के दिन । फिर क्या क्या चमत्कार हुवा उसके बाद की चर्चा मैं बाद में करुंगा मैं चला रोटी बनाने। क्या करु साहब पेट का सवाल है भूखे पेट नींद नहीं आएगी । पर थोड़ा सा विकास सुना देता हूं। नही तो आपको मेरा झूठ सुनकर मजा नही आयेगा।
हमारे देश के सर्वोच्च नागरिक के सामने शर्ट का अवतरण हुआ । तत्पश्चात शुरु हुआ समय के साथ विकास के हाथ......
नई नई शर्ट पाकर सभी लोग बहुत खुश थे सबके सपने पूरे होने लगे.... अच्छे दिन आने लगे थे। पंद्रह लाख सबको मिले, कलाधन वापस मिला नोटबंदी के भेष में, वादा किया विदेश से निकाला अपने देश से। क्योंकि देश के बाहर जो कालाधन था ईमानदारों था आप नहीं समझेंगे। छोड़िए मुद्दे पर आते हैं...
धरती पे भी स्वर्ग बना । विश्वास नहीं है न आपको मेरे झूठ पर, चलिए दिखाते हैं आपको आदर्श गांव,शहर,नगर गोंद के रूप में। स्मार्ट शहर और गांव बने, अब ना कहीं गंदगी दिखती है। सबके घर इतने अच्छे शौचालय बने,अब कहां कोई खेत में बाहर जाता है। प्रदूषण भी कम हुआ अब कहां कोई औरत चूल्हा फूकती हैं। घर घर सिलेंडर मिला, फ्री में गैस जो बटती हैं। गंगा भी निर्मल हुई, स्वच्छ जल जो मिलता है। घर घर नल जल मिला, अब बीमार ना कोई पड़ता है। झूठ कहता हूं साहब! ना कोई बीमारी,ना कोई महामारी आई। दिन सबके अच्छे हुए बात किसानों की करूं तो उनको भी मुफ्त खाद बिजली और पेंशन पाते हैं। सच में साहब जितना लगाते हैं उससे दस गुना कमाते हैं । अब कोई किसान ना भूखे मरता और धरना करता। बात नौजवानों की करूं तो! अब कोई बेरोजगार नहीं। हम जानते हैं हमारे झूठ पर आपको विश्वास नहीं। पर क्या करु साहब सरकारी आंकड़े यही बताते हैं। आईटीआई पालटेक्निक तो छोड़िए,कौशल विकास से देश सब कौशल हुआ, किसी योजना में ना कोई घोटाला होता है। 2जी तो पुराना हुआ अपना देश 10 जी स्पीड से चलता है। अगर शासन की बात करूं तो सुशासन भी देखा हमने अब ना कोई दंगा होता, ना कोई सड़क पर मारा जाता। अगर वृद्धजनों की बात करूं तो प्राइवेट छोड़िए सरकारी भी नए पेंशन के तहत पांच सौ रुपए पाते हैं। बहुत हो गया अंतिम बात विकास की रंग,जाति, आरक्षण,धर्म, मंदिर– मस्जिद की बात न होती सकुशल संपन्न है। शहर नगर,चौराहे, बस, ट्रेन और कार्यालय, सचिवालय का रंग तो देखिए । साहब! कहां भगवा लगता हैं। अगर नहीं दिखता विकास है तो चश्मा लगाकर देखिए... आपको हमारी सस्ती शर्ट जो विदेश पहनकर जाता हूं वो भी दिखेगी । शर्ट का चमत्कार हैं ये सबको समझ में नहीं आयेगा।
अभी बहुत कुछ छूट गया है
धन्यवाद
मै किसी पार्टी विशेष का सदस्य नहीं हूं कृपया गलत न अर्थ निकालें यदि कोई गलती हो तो छमा करने की कृपा करें