23/03/2025
**झारखंड सरकार पर सिपाही भर्ती में गड़बड़ी का आरोप: 4919 पदों पर नियुक्ति शुरू, विपक्ष ने लगाया भेदभाव का इल्ज़ाम**
रांची, 22 मार्च 2025: झारखंड में सिपाही भर्ती प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार एक बार फिर विवादों में घिर गई है। सरकार ने हाल ही में 4919 सिपाही पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है, लेकिन विपक्षी दलों और अभ्यर्थियों ने इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भेदभाव और अनियमितता का आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने जानबूझकर नियमों को ताक पर रखकर अपने करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है, जिससे झारखंड के युवाओं के साथ अन्याय हुआ है।
**विपक्ष का हमला: "भर्ती में भेदभाव, युवाओं के साथ धोखा"**
झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता राज सिन्हा ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा, "झारखंड सरकार ने सिपाही भर्ती में पूरी तरह से भेदभाव किया है। 2023 में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही इसमें अनियमितताएं सामने आ रही थीं। अब जब नियुक्ति की बारी आई, तो सरकार ने अपने करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को तोड़-मरोड़ दिया। यह झारखंड के युवाओं के साथ धोखा है।" सिन्हा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर विपक्षी नेताओं के क्षेत्रों में कम नियुक्तियां दी हैं, ताकि उनके प्रभाव को कम किया जा सके।
**अभ्यर्थियों का गुस्सा: "हमारी मेहनत बेकार गई"**
भर्ती प्रक्रिया से असंतुष्ट कई अभ्यर्थियों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रांची के एक अभ्यर्थी, सुदीप यादव, ने कहा, "हमने दिन-रात मेहनत करके शारीरिक और लिखित परीक्षा पास की, लेकिन अंतिम चयन में हमें दरकिनार कर दिया गया। जिन्हें नियुक्ति दी गई है, उनमें से कई लोग सत्ताधारी पार्टी से जुड़े हुए हैं। यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार है।" अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार ने पारदर्शिता की कमी दिखाई है और चयन प्रक्रिया में पक्षपात किया गया है। कई अभ्यर्थियों ने रांची में प्रदर्शन की योजना बनाई है, जिसमें वे भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने और निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे।
**आंकड़ों में गड़बड़ी का दावा**
विपक्ष ने भर्ती के आंकड़ों पर भी सवाल उठाए हैं। बीजेपी नेता राज सिन्हा ने दावा किया कि 4919 पदों में से करीब 543 पदों पर नियुक्ति में गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा, "कई ऐसे अभ्यर्थी चुने गए हैं, जिन्होंने शारीरिक परीक्षा में न्यूनतम अंक भी हासिल नहीं किए थे। वहीं, मेधावी अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया। यह साफ तौर पर सत्ताधारी पार्टी का दबाव है।" विपक्ष ने इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही है और मांग की है कि भर्ती प्रक्रिया की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए।
**आदिवासी और स्थानीय युवाओं की अनदेखी**
भर्ती प्रक्रिया में सबसे ज्यादा नाराजगी आदिवासी और स्थानीय युवाओं ने जताई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के एक पूर्व समर्थक और अब विपक्षी कार्यकर्ता, इरफान अंसारी, ने कहा, "झारखंड के आदिवासी और स्थानीय युवाओं को इस भर्ती में पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। सरकार ने बाहर के लोगों को प्राथमिकता दी है, जो झारखंड की भावना के खिलाफ है। यह सरकार झारखंड के मूल निवासियों के हक को छीन रही है।" इरफान ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कम नियुक्तियां दी हैं, ताकि इन क्षेत्रों में असंतोष फैले।
**सरकार की चुप्पी, विपक्ष का हमला तेज**
इस पूरे मामले पर झारखंड सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, जिससे विपक्ष को और हमला करने का मौका मिला है। बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की बात कही है। विपक्षी नेता राज सिन्हा ने कहा, "अगर सरकार इस मामले पर जवाब नहीं देती, तो हम सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेंगे। झारखंड के युवाओं का हक छिनने नहीं देंगे।"
आगे क्या?**
सिपाही भर्ती में कथित अनियमितताओं का यह मामला अब झारखंड की सियासत में एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। अभ्यर्थियों और विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच यह देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। अगर यह विवाद और गहराता है, तो यह झारखंड सरकार के लिए एक बड़ा सियासी संकट बन सकता है।
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