20/02/2024
प्रेस विज्ञप्ति,
दयाल महतो के मुंबई में मौत झारखंडी एकता संघ एवं गांव वालों के सहयोग से शव गांव भेजा गया
हजारीबाग: रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य जाने वाले झारखंड प्रदेश के प्रवासी मजदूरों की मौत होने का सिलसिला नहीं थम रहा हैं। दिनांक 19/02/2024 को हजारीबाग जिले के बरकट्ठा थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत कपका निवासी स्व• रेवा महतो के 45 वर्षीय पुत्र दयाल महतो की मुंबई में अचानक मौत हो गया। जानकारी के अनुसार दयाल महतो रविवार को खाना खाकर रात में सो गया था। सोमवार को काफी देर तक नहीं उठने पर उनके साथ कमरे में रहने वाले साथियों ने उठाने का प्रयास किया तो देखा कि दयाल महतो की मौत हो चुकी है। मौत की सूचना मिलते ही गांव में मातम छा गया एवं परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। जानकारी के अनुसार दयाल महतो कुछ ही दिन पहले रोजगार की तलाश में मुंबई गए थे। मुंबई में दयाल महतो दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था और अपने परिवार का भरण पोषण करता था। दयाल महतो घर का अकेला कमाओ व्यक्ति थे। मृतक अपने पीछे पत्नी, दो पुत्र और दो पुत्री को पीछे छोड़ गए। वहीं इस घटना की सूचना मृतक के परिजनों ने 18 वर्षों से प्रवासी मजदूरों के हितार्थ में कार्य करने वाली संस्था झारखंडी एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष असलम अंसारी और संघ के राष्ट्रीय संगठन सचिव विनोद प्रसाद को दिए। और शव को गांव ले जाने में मदद की अपील किए। संघ के पदाधिकारीयों ने मृतक के परिवार वालों को ढांढस बंधाया और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। संघ के पदाधिकारीयों एवं गांव के मनोज मंडल, मुकेश कुमार, बासुदेव मंडल, सुरेश मंडल, किशुन महतो, त्रिवेणी प्रसाद, मुकेश मंडल, किशोर मंडल, विनोद मंडल और राकेश मंडल आदि ने पार्थिव शरीर को गांव भेजने में आर्थिक सहयोग के साथ काफी मदद किए। मौत को लेकर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष असलम अंसारी, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष फिरोज आलम, उपाध्यक्ष सलीम अंसारी, सदरुल शेख़, विनोद प्रसाद, ताज हसन अंसारी, संतोष कुमार, असगर खान, तौफीक अंसारी, प्रकाश यादव, राजेंद्र शर्मा, रवि कुमार, मुस्तकीम अंसारी और मुन्ना प्रसाद ने दुःख प्रकट करते हुए कहा, कि झारखंड के प्रवासी मजदूरों का मौत के मुंह में समा जाने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई प्रवासी मजदूरों की मौतें देश एवं विदेशों में हो चुकी है। प्रवासी मजदूरों के साथ किसी तरह का हादसा एवं किसी तरह का समस्या आ जाती है तो झारखंड प्रदेश के विधायक, सांसद व मंत्री प्रवासी मजदूरों को किसी तरह का कोई मदद नहीं करते हैं। मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है। और सरकार प्रवासी मजदूरों के हित में कुछ पहल नहीं कर पा रही है। झारखंड प्रदेश खनिज संपदा से मालामाल होने के बावजूद आज झारखंड प्रदेश के मजदूरों का पलायन लगातार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। संस्था झारखंडी एकता संघ अब तक लगभग 263 प्रवासी मजदूरों का शव गांव झारखंड भेज चुकी है। संघ 18 वर्षो से सरकार से प्रवासी कल्याण आयोग के गठन की मांग कर रही है। जिससे प्रदेश के बाहर रोजगार के लिए गए प्रवासी मजदूरों का सुरक्षा एवं सहायता मिल सके। इस पर भी पूर्व सरकारों की तरह वर्तमान सरकार भी कुछ नहीं सोच रही है जो हम झारखंडियों के लिए दुर्भाग्य की विषय है।