
06/06/2025
#कोलकाता की तंग गलियों में, एक पुराना घर था जहाँ शांति नाम की एक बंगाली लड़की अपनी दादी के साथ रहती थी। शांति एक सीधी-सादी लड़की थी, जिसे किताबें पढ़ना और बारिश में भीगना बहुत पसंद था।
एक दिन कॉलेज जाते वक्त उसकी मुलाकात *आरव* से हुई – एक शांत और समझदार लड़का, जो दिल्ली से कोलकाता पढ़ाई के लिए आया था। दोनों की मुलाकातें धीरे-धीरे बातचीत में बदलीं और बातचीत दोस्ती में।
शांति आरव से अलग थी – वह पारंपरिक थी, साड़ी पहनती थी, और हिंदी-बंगाली मिक्स में बोलती थी। आरव को उसकी यही सादगी भा गई।
एक दिन तेज़ बारिश हो रही थी। शांति usual की तरह बिना छाते के बाहर आई और पास के पुस्तकालय की ओर भागी। वहां पहले से आरव बैठा था, उसे देख कर मुस्कुराया और बोला,
"तुम्हें बारिश से डर नहीं लगता?"
शांति ने हँसते हुए कहा, "बारिश डराने नहीं, करीब लाने आती है।"
उसी दिन आरव ने उसे छाते के नीचे साथ चलने को कहा। और वो पहला दिन था जब दोनों ने बारिश के साथ एक नई शुरुआत की।
समय के साथ उनका रिश्ता गहराया, पर शांति की दादी चाहती थीं कि उसकी शादी एक बंगाली लड़के से हो। आरव ने हार नहीं मानी – उसने बंगाली सीखा, रसोई में शांति की दादी के साथ बैठकर लुचि-आलू दम बनाना सीखा।
आखिरकार, शांति की दादी को उसकी सच्ची मोहब्बत नजर आई, और उन्होंने दोनों का रिश्ता मंज़ूर कर लिया।