02/09/2025
बहुत सुंदर प्रश्न 🙏🌸
सनातन धर्म में पूजा-पद्धति केवल बाहरी क्रिया-कर्म नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करके भगवान से जुड़ने की साधना है। शास्त्रों में पूजा का तरीका विस्तार से वर्णित है। मैं आपको विस्तृत विधि क्रमवार बताता हूँ:
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१. पूजा से पहले की तैयारी
1. शुद्धि (स्नान व आचमन)
प्रातःकाल स्नान करें।
शुद्ध वस्त्र (अधिकतर सफेद, पीले या गेरुए) पहनें।
रेशमी या सूती वस्त्र उत्तम माने जाते हैं।
पूजा से पहले आचमन करके शुद्धता प्राप्त करें।
2. स्थान की शुद्धि
पूजा स्थान (मंदिर/घर का देवस्थान) को गंगाजल या स्वच्छ जल से छिड़ककर पवित्र करें।
देवता की मूर्ति/चित्र को साफ करें।
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२. पूजा का स्थान और आसन
पूजा सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके करनी चाहिए।
आसन कुशा, ऊन, या स्वच्छ कपड़े का होना चाहिए।
ज़मीन पर सीधे बैठना उचित नहीं माना गया।
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३. पूजा की सामग्री
जल से भरा कलश (गंगाजल या शुद्ध जल)
दीपक (घी का दीपक सर्वश्रेष्ठ)
धूप/अगरबत्ती
फूल-माला
चंदन, रोली, अक्षत (अक्षत = बिना टूटा चावल)
नैवेद्य (मिठाई, फल, दूध, शुद्ध आहार)
घंटी
शंख (विशेषकर विष्णु पूजा में)
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४. पूजा की विधि (क्रमवार)
1. आसन शुद्धि और प्राणायाम – मन को स्थिर करने हेतु।
2. संकल्प – दाहिने हाथ में जल, पुष्प, अक्षत लेकर मन में संकल्प करें: “मैं अमुक नाम-गोत्र का, आज भगवान की पूजा कर रहा हूँ।”
3. आवाहन – भगवान का ध्यान करके उन्हें पूजास्थल पर आमंत्रित करें।
“आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि” (आमंत्रित करता हूँ, स्थापित करता हूँ, पूजता हूँ)।
4. पाद्य-अर्घ्य-आचमन – भगवान को जल, अर्घ्य, मधुपर्क आदि अर्पित करें।
5. स्नान और वस्त्र अर्पण – मूर्ति को स्नान कराएँ (यदि सम्भव हो) अथवा केवल गंगाजल छिड़कें। फिर वस्त्र, चंदन, आभूषण अर्पित करें।
6. पुष्प अर्पण – प्रत्येक मंत्र के साथ पुष्प अर्पित करें।
7. धूप-दीप अर्पण –
धूप देते समय मंत्र: “धूपं गृहाण देवेश”
दीपक अर्पित करते समय: “दीपं दर्शयामि”
8. नैवेद्य – फल, दूध, मिठाई अर्पित करें और जल अर्पण करें।
9. आरती – दीपक से आरती करें, घंटी बजाएँ, शंख बजाएँ।
10. प्रदक्षिणा और नमस्कार – भगवान की ३ बार परिक्रमा करें।
11. प्रार्थना और क्षमा-याचना – “पूजा में यदि कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा करें।”
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५. पूजा के समय मनोवृत्ति
पूजा केवल दिखावे के लिए न करें।
शुद्ध आचरण, प्रेम और भक्ति से भगवान को अर्पण करें।
मन, वचन और कर्म – तीनों से भगवान को याद करना ही सच्ची पूजा है।
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६. पूजा के बाद
नैवेद्य को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
भगवान का आशीर्वाद लेकर कार्य करें।
रोज़ाना नियमपूर्वक (कम से कम दीपक और जल अर्पण करके) पूजा करना श्रेष्ठ है।
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🌸 संक्षेप में –
सनातन धर्म की पूजा तीन चीज़ों पर आधारित है –
1. शुद्धि (शरीर, वस्त्र, स्थान)
2. समर्पण (फूल, दीपक, नैवेद्य)
3. भक्ति (सच्चे मन से भगवान का ध्यान)
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