
10/07/2025
“जिनसे पहला शब्द सीखा, वो ही मेरे सच्चे गुरु — माता-पिता को शत् शत् नमन।
गुरु पूर्णिमा पर वंदन है उनको, जिनकी उंगली पकड़कर चलना सीखा।
माता-पिता हैं वह दीपक, जो जीवन भर उजाला करते हैं।
पहली शिक्षा, पहला संस्कार — माता-पिता हैं जीवन का आधार। गुरु सिर्फ वो नहीं जो पढ़ाए, गुरु वो हैं जो जीवन जीना सिखाए — जैसे माता और पिता।
गुरु पूर्णिमा पर नमन उस चरण को, जहां से ज्ञान की यात्रा शुरू होती है — माँ-बाप।
माँ की ममता और पिता की छाया, जीवन की सबसे बड़ी विद्या। माँ-पिता ही वो मंदिर हैं, जहां गुरु की सबसे पहली पूजा होती है। गुरु पूर्णिमा पर उनका अभिनंदन, जिनसे जीवन का पहला पाठ मिला। हर पाठशाला से पहले, एक आँगन होता है — वहाँ माँ-बाप गुरु होते हैं।”