01/04/2025
प्रयागराज में घरों को बुलडोज़ करने पर सुप्रीम कोर्ट की आलोचना
भारत में न्यायपालिका और प्रशासन के बीच टकराव का एक नया अध्याय खुला है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रयागराज में घरों को बुलडोज़ करने की प्रक्रिया पर कड़ी आलोचना की है। इस घटना ने न केवल कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, बल्कि नागरिक अधिकारों और प्रशासनिक जवाबदेही पर भी बहस छेड़ दी है।
प्रयागराज में कुछ घरों को केवल 24 घंटे के नोटिस पर बुलडोज़ कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे "अदालत की अंतरात्मा को झकझोरने वाला" करार दिया। अदालत ने कहा कि यह प्रक्रिया न केवल कानूनी रूप से गलत थी, बल्कि इसे "उच्च-स्तरीय प्रशासनिक दमन" भी माना जा सकता है |
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि घरों को गिराने से पहले उचित समय और प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। नोटिस देने के बाद अपील करने का समय भी नहीं दिया गया। अदालत ने कहा कि यदि इस तरह की प्रक्रिया को सहन किया गया, तो यह भविष्य में भी जारी रहेगी |
इस घटना ने जनता और राजनीतिक दलों के बीच गहरी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। कुछ ने इसे "बुलडोज़र न्याय" करार दिया, जबकि अन्य ने इसे प्रशासनिक दमन का प्रतीक माना। इस घटना ने नागरिक अधिकारों और प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाए हैं |
यह घटना केवल प्रयागराज तक सीमित नहीं है। यह भारत में प्रशासनिक प्रक्रियाओं और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन पर एक बड़ा सवाल उठाती है। सुप्रीम कोर्ट की आलोचना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासन को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए और नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं करना चाहिए |
निष्कर्ष
यह घटना भारत में न्यायपालिका और प्रशासन के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर करती है। यह समय है कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए। क्या यह घटना भारत में प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत करेगी? यह सवाल अब जनता के सामने है।
References:
Times of India
Hindustan Times
Business Standard