05/08/2023
अगस्त 1947 में भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान बना। कश्मीर पर पाकिस्तान की शुरू से ही नजर थी। 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान की मदद से कबाइलियों ने कश्मीर पर हमला कर दिया। वहां के राजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर का भारत में विलय कर दिया और भारतीय सेना ने कबाइलियों को खदेड़ दिया। उस वक्त कश्मीर पर कब्जे की पाकिस्तानी हसरत अधूरी रह गई।
1960 के दशक में पाकिस्तान की ये आस फिर जगी। इसकी दो बड़ी वजहें थीं। पहली- 1962 में भारत-चीन युद्ध की वजह से सेनाएं पस्त हो चुकी थीं। दूसरी- 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन की वजह से भारतीय राजनीति में एक वैक्यूम बन गया था।
इसका फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान ने प्लान किया ऑपरेशन जिब्राल्टर। ये 5 अगस्त 1965 यानी आज से 58 साल पहले लॉन्च हुआ।
स्पेन के पास जिब्राल्टर नाम का एक छोटा द्वीप है। 8वीं सदी में अरब देशों की सेना यूरोप जीतने के लिए पश्चिम की ओर चली तो उनका पहला पड़ाव यही जिब्राल्टर द्वीप ही था। यहीं से आगे बढ़ते हुए अरबी सेना ने पूरे स्पेन पर जीत दर्ज की थी। पाकिस्तान को लगता था कि एक बार उसने भारत के जिब्राल्टर यानी कश्मीर पर कब्जा कर लिया तो पूरे स्पेन यानी भारत पर दबदबा बना लेगा।
भास्कर एक्सप्लेनरकश्मीर कब्जाने चले पाकिस्तान से छिन जाता लाहौर:आज ही लॉन्च हुआ था ऑपरेशन जिब्राल्टर, जिसने छेड़ी 1965 की जंग
7 घंटे पहले

अगस्त 1947 में भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान बना। कश्मीर पर पाकिस्तान की शुरू से ही नजर थी। 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान की मदद से कबाइलियों ने कश्मीर पर हमला कर दिया। वहां के राजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर का भारत में विलय कर दिया और भारतीय सेना ने कबाइलियों को खदेड़ दिया। उस वक्त कश्मीर पर कब्जे की पाकिस्तानी हसरत अधूरी रह गई।
1960 के दशक में पाकिस्तान की ये आस फिर जगी। इसकी दो बड़ी वजहें थीं। पहली- 1962 में भारत-चीन युद्ध की वजह से सेनाएं पस्त हो चुकी थीं। दूसरी- 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन की वजह से भारतीय राजनीति में एक वैक्यूम बन गया था।
इसका फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान ने प्लान किया ऑपरेशन जिब्राल्टर। ये 5 अगस्त 1965 यानी आज से 58 साल पहले लॉन्च हुआ। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे ऑपरेशन जिब्राल्टर की पूरी कहानी। कश्मीर कब्जाने चले पाकिस्तान से लाहौर छिनने की नौबत कैसे आ गई…
ऑपरेशन जिब्राल्टर- नाम से ही मंसूबे साफ
स्पेन के पास जिब्राल्टर नाम का एक छोटा द्वीप है। 8वीं सदी में अरब देशों की सेना यूरोप जीतने के लिए पश्चिम की ओर चली तो उनका पहला पड़ाव यही जिब्राल्टर द्वीप ही था। यहीं से आगे बढ़ते हुए अरबी सेना ने पूरे स्पेन पर जीत दर्ज की थी। पाकिस्तान को लगता था कि एक बार उसने भारत के जिब्राल्टर यानी कश्मीर पर कब्जा कर लिया तो पूरे स्पेन यानी भारत पर दबदबा बना लेगा।
ऑपरेशन जिब्राल्टर की प्लानिंग और मकसद
1950 के दशक में कश्मीर पर कब्जे के लिए पाकिस्तान आर्मी के दिमाग में एक आइडिया आया। बेसिक प्लान था- घुसपैठ करके हमला। ऑपरेशन जिब्राल्टर अयूब खां के दिमाग की उपज थी और उसने ही जनरल मलिक को आदेश दिया था कि इस बारे में सेनाध्यक्ष जनरल मूसा को भी ज़्यादा जानकारी नहीं दी जाए।
इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तानी मिलिट्री एक तरफ 40 हजार लोगों को ट्रेनिंग दे रही थी और दूसरी तरफ इन लोगों को घुसपैठ कराने के लिए खुफिया जानकारी जुटा रही थी। इसी दौरान दिसंबर 1963 में श्रीनगर की हजरत बल दरगाह से कुछ पवित्र अवशेष गायब होने से अशांति फैल गई। मौके का फायदा उठाकर पाकिस्तान कुछ लोगों को घुसपैठ कराने में कामयाब रहा।
ऑपरेशन जिब्राल्टर में शामिल लोगों को दो काम दिए गए। पहला- कश्मीरी मुसलमानों को भारत के खिलाफ भड़काना और दूसरा- भारतीय सेना की महत्वपूर्ण पोस्ट और चोटियों पर कब्जा करना।
ऑपरेशन जिब्राल्टर के लड़ाकों को 6 समूहों में बांटा गया था और उन्हें मुस्लिम योद्धाओं के 'कोड नेम' दिए गए थे... तारिक, कासिम, खालिद, सलाउद्दीन, गजनवी और बाबर। सभी समूहों को पाकिस्तान के एलीट स्पेशल सर्विसेज ग्रुप का एक-एक ऑफिसर दिया गया था।
कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पाकिस्तान से घुसपैठ करने वाले सैनिकों की संख्या करीब 5 हजार थी, वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये 30 से 40 हजार हो सकती है। असली संख्या का पता आज तक नहीं चल सका।
5 अगस्त, 1965 को जिब्राल्टर फोर्स ने घुसपैठ की। उसी रात जम्मू के गलूटी इलाके में एक भारतीय गश्ती दल पर 70 जिब्राल्टर सैनिकों ने हमला किया। गुलमर्ग के पास पीरपंजाल पर भी भिड़ंत हुई। खालिद फोर्स ने 4 कुमाऊं रेजिमेंट के बेस पर हमला किया, तो सलाउद्दीन फोर्स श्रीनगर में दाखिल हो गई।
5 अगस्त 1965 को गुलमर्ग के पास मोहम्मद दीन अपनी भेड़ें चरा रहे थे। अचानक से उनके पास हरी सलवार-कमीज पहने दो अजनबी आए और 400 रुपए देकर पूछा कि क्या इस इलाके में भारतीय सेना की कोई चौकी है? उसी समय जम्मू के मेंढर इलाके में स्थानीय वजीर मोहम्मद से यही सवाल पूछा। दोनों ने ही इसकी जानकारी फौरन भारतीय सेना को दे दी।
भारतीय सेना के पश्चिमी कमान के प्रमुख जनरल हरबख्श सिंह ने माना कि कागज पर ऑपरेशन जिब्राल्टर जबर्दस्त योजना थी, लेकिन इसे लागू करने में कई गलतियां हो गईं।
ऑपरेशन में भेजे गए कई सैनिक सर्दी में मर गए। कुछ सैनिकों के पास लड़ाई का कोई मोटिवेशन नहीं बचा। घुसपैठ करके आए कमांडर्स को कश्मीरी तक बोलना नहीं आता था।
उन्हें कश्मीर में चलने वाले वजन के पैमानों की जानकारी भी नहीं थी। वो दुकान पर कुछ खरीदने की कोशिश करते तो फौरन पहचान लिए जाते। लोकल कश्मीरी भी उनके खिलाफ थे, क्योंकि इस ऑपरेशन का बुरा असर उनकी जिंदगी पर भी पड़ रहा था।
8 अगस्त को आकाशवाणी ने जिब्राल्टर फोर्स के पकड़े गए 4 अफसरों को इंटरव्यू प्रसारित किए। उन्होंने पूरा प्लान बता दिया।
एक ऐसा ऑपरेशन, जिसे पाकिस्तान के टॉप अधिकारियों से भी छुपाकर रखा गया,