19/04/2025
कुशीनगर में एक बार फिर गुरु-शिष्य की गरिमा तार-तार: शिक्षा की पवित्रता पर सवाल
शिक्षा एक ऐसा पवित्र रिश्ता है, जो गुरु और शिष्य के बीच विश्वास, आदर्श और मर्यादा की नींव पर टिका होता है। परंतु विडंबना देखिए, आज उसी पवित्र रिश्ते को बार-बार कलंकित किया जा रहा है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले से सामने आया है, जहां एक बार फिर गुरु और शिष्य की गरिमा को शर्मसार करने वाली घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है।
जिस शिक्षक को समाज ने ‘गुरु’ का दर्जा दिया है, उससे नैतिकता, अनुशासन और आदर्शों की उम्मीद की जाती है। लेकिन जब वही गुरु अपनी मर्यादा भूल जाए, और शिष्य का शोषण करने लगे, तब सवाल उठता है – क्या अब शिक्षा मंदिर भी सुरक्षित नहीं बचे? ऐसे मामलों में न केवल पीड़ित छात्र या छात्रा की आत्मा घायल होती है, बल्कि पूरे समाज का भरोसा डगमगाने लगता है।
कुशीनगर की घटना कोई पहली नहीं है, लेकिन हर बार की तरह यह भी एक चिंता की घंटी है। क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर हो गई है कि ऐसे शिक्षकों की पहचान पहले नहीं की जा सकती? क्या स्कूल और कॉलेज केवल डिग्री बांटने का केंद्र बनकर रह गए हैं, जहां नैतिक मूल्यों का कोई स्थान नहीं?
जरूरत इस बात की है कि ऐसे मामलों को केवल समाचार बनाकर छोड़ न दिया जाए, बल्कि इनकी गहराई से जांच हो, दोषियों को सख्त सजा मिले और शिक्षा संस्थानों में सख्त निगरानी तंत्र विकसित किया जाए।
गुरु और शिष्य का रिश्ता भारतीय संस्कृति की आत्मा है। अगर यही रिश्ता बार-बार कलंकित होता रहा, तो हमारी अगली पीढ़ी का भविष्य अंधकार में चला जाएगा। आज समय की मांग है कि हम इस पवित्र रिश्ते की गरिमा को बचाने के लिए एकजुट हों — ताकि 'गुरु' फिर से 'वंदनीय' बन सके, न कि 'संशयास्पद'।
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🖋️🖋️ विकास श्रीवास्तव 🖋️🖋️