20/09/2025
"स्वस्थ नारी सशक्त परिवार" अभियान के अंतर्गत एम्स गोरखपुर में स्वास्थ्य एवं जांच शिविर का आयोजन
स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार के अभियान के तहत 20/09/2025 को एम्स गोरखपुर ओपीडी और शहरी स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र (यूएचटीसी), झरना टोला, सामुदायिक और पारिवारिक चिकित्सा विभाग, एम्स, गोरखपुर में एक स्वास्थ्य सह जांच शिविर का आयोजन किया गया। "स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार" अभियान भारत सरकार का एक प्रमुख राष्ट्रव्यापी अभियान है जिसका उद्देश्य महिलाओं, किशोरियों और बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण को बेहतर बनाना है। 17 अक्टूबर, 2025 से शुरू होकर 2 अक्टूबर, 2025 तक चलने वाले इस अभियान का आयोजन एम्स गोरखपुर द्वारा कार्यकारी निदेशक, मेजर जनरल (डॉ) विभा दत्ता के नेतृत्व में किया जा रहा है। शिविर का उद्घाटन मुख्य अतिथि गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश झा ने किया, जिन्होंने हमारे देश में महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार लाने में इस अभियान की भूमिका पर जोर दिया। शिविर में डॉ आनंद मोहन दीक्षित, विभागाध्यक्ष, सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा और अभियान के नोडल अधिकारी, डॉ शिखा सेठ, विभागाध्यक्ष, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, डॉ प्रदीप खरया और डॉ रमा शंकर रथ, एसोसिएट प्रोफेसर, सामुदायिक और पारिवारिक चिकित्सा, एम्स, गोरखपुर ने भाग लिया। कार्यक्रम का समन्वयन डॉ मोहम्मद अबू बशर, सहायक प्रोफेसर और डॉ सूर्यांश, जूनियर रेजिडेंट, कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन, एम्स गोरखपुर ने किया। शिविर में 18-65 वर्ष की आयु वर्ग की कुल 115 महिलाओं की एनीमिया, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच की गई। उनके रक्त के नमूने लेकर हेपेटाइटिस बी और सी की भी जांच की गई। उपस्थित सभी महिलाओं को एक गुलाबी कार्ड प्रदान किया गया, जिसमें उनकी ऊंचाई, वजन, बॉडी मास इंडेक्स, रक्तचाप और रक्त शर्करा के स्तर की जानकारी थी। इन स्थितियों के लिए जांच में सकारात्मक पाए जाने वालों को इलाज के लिए भेजा गया। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों वाली महिलाओं का पैप स्मीयर टेस्ट किया गया और उनके परिणाम टेलीफोन पर बताए जाएंगे। शिविर को दंत चिकित्सा विभाग से डॉ एना और सामुदायिक और पारिवारिक चिकित्सा विभाग से डॉ आशुतोष का भरपूर सहयोग मिला। अभियान की थीम पर आधारित, 2022 बैच के एमबीबीएस छात्रों ने एक नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें महिलाओं में क्षय रोग जैसी बीमारियों के लिए समय पर परामर्श के महत्व को दर्शाया गया, क्योंकि वे बीमारियों के लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देती हैं जिससे जटिलताएँ पैदा हो जाती हैं।