Back to Village

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ठंडी के वो सुनहरे दिन, जब सूरज की किरणें घास पर गिरी ओस की बूंदों को चमकाती थीं। बगल के बाग की झाड़ियों में बकरियाँ मस्त ...
07/01/2025

ठंडी के वो सुनहरे दिन, जब सूरज की किरणें घास पर गिरी ओस की बूंदों को चमकाती थीं। बगल के बाग की झाड़ियों में बकरियाँ मस्त होकर चर रही होतीं, और हम बच्चे अपने खलिहान या बाग को खेल का मैदान बना लेते। क्रिकेट का जुनून ऐसा था कि बॉल कोई और लेकर आता, बैट किसी और के पास होता, और कभी-कभी तो चंदा करके बॉल और बैट खरीदा जाता।

विकेट? वो तो कभी था ही नहीं। किसी टूटे डंडे या ईंट के टुकड़ों से "जुगाड़" विकेट बनाया जाता। मैच शुरू होते ही ठंडी हवा के बावजूद गर्मजोशी का माहौल बन जाता। लेकिन ठंडी में विकेटकीपिंग करना? यह काम हर कोई टालने की कोशिश करता, क्योंकि गीली गेंद की चोट हाथों पर सीधे दिल पर लगती थी।

मैच के दौरान ही बगल के आम के पेड़ से लकड़ियाँ तोड़ी जातीं। वो लकड़ियाँ जलाकर आग बनाई जाती, और वहीं बैठकर ठंडी से राहत लेते हुए हम खेल का आनंद लेते। मैच की प्राइज मनी? बस 11 या 22 रुपये होती, और कभी-कभी बड़ी रकम यानी पूरे 111 रुपये तक पहुंच जाती। जीती हुई रकम का सबसे बड़ा इस्तेमाल बिस्कुट लाकर पूरी टीम के साथ बांटने में होता, या फिर एक नई बॉल या बैट खरीदने में।

सिर्फ पैसे ही नहीं, वो बचपन का क्रिकेट हमारे दिलों को जोड़ता था। जीत की खुशी और हार की खीझ, दोनों को हम मिलकर जीते थे। पूरे-पूरे दिन सिर्फ खेल में ही गुजर जाते थे। लेकिन अब? वो साथी, वो मैदान, वो दिन... सब शहर की दौड़-भाग में कहीं खो गए हैं।

शहरों में बसने वाले हम बच्चे अब कभी-कभी गली में चलते हुए बैट या बॉल को हाथ में लेकर फेंकने की कोशिश करते हैं, मानो पुरानी यादें पकड़ने की कोशिश हो। काश, कोई लौटा सके वो दिन। वो मस्ती, वो ठंडी में जलती आग की गर्माहट, और सबसे बढ़कर वो दोस्ती।

"वो बचपन का क्रिकेट... अब बस यादों की पिच पर खेला जाता है।"

गाँव की ठण्डी रातें किसी जादू से कम नहीं होती थीं। चाँदनी से नहाए आंगन में दादाजी लकड़ियों का अलाव जलाते थे। चूल्हे में ...
06/01/2025

गाँव की ठण्डी रातें किसी जादू से कम नहीं होती थीं। चाँदनी से नहाए आंगन में दादाजी लकड़ियों का अलाव जलाते थे। चूल्हे में जलती लकड़ियों की महक और उनकी धीमी-धीमी तपिश, जैसे पूरे आंगन को एक साथ सर्दी से बचाने का वादा कर रही हो। अलाव के चारों ओर गाँव के बड़े-बूढ़े लोग बैठकर बातें करते, और हम बच्चे अपनी शरारतों में खोए रहते थे।

मैं और मेरे भाई-बहन अक्सर सोचते थे, "ये बड़े लोग हर बार आग के पास क्यों बैठे रहते हैं? ठण्ड तो हमें नहीं लगती!" हमारे लिए वो वक्त खेलने का होता था। कभी कंचे, तो कभी लुकाछिपी, और कभी मिट्टी के घरौंदे बनाना – बस, खेल ही खेल। दादाजी बार-बार आवाज़ लगाते, "आओ यहाँ आग के पास बैठो। ठण्ड लग जाएगी।" लेकिन उनकी बात को अनसुना कर हम अपनी ही धुन में मगन रहते।

एक दिन ऐसा हुआ कि हम सब भाई-बहन अलाव के पास से भागकर आम के पेड़ के पास छुप गए। ठण्ड से लाल नाक और ठिठुरते हाथ, लेकिन मन में वही ज़िद – "आग के पास नहीं बैठेंगे!" अचानक दादाजी गुस्से में हमारी तरफ आए। उन्होंने हम सबको खींचकर अलाव के पास बिठा दिया। गुस्से में बोले, "तुम्हें अभी ठण्ड नहीं लगती, पर जब बीमार पड़ोगे, तब समझ में आएगा।"

उस दिन उनकी बातों में न सिर्फ गुस्सा, बल्कि चिंता भी झलक रही थी। हम चुपचाप बैठ गए। धीरे-धीरे जब आग की गर्मी शरीर में पहुंची, तो महसूस हुआ कि ठण्ड सच में कितनी ज्यादा थी। दादाजी ने उसी वक्त एक कहानी सुनाई।

उन्होंने कहा, "जब मैं तुम्हारी उम्र का था, तो सर्दियों में हम जंगल में लकड़ियाँ काटने जाते थे। सुबह-सुबह ठण्ड इतनी होती थी कि हाथ-पैर सुन्न हो जाते थे। लेकिन आग की गर्मी ने हमें हमेशा बचाया। अगर आग न हो, तो ठण्ड हमें बीमार बना सकती है। इसीलिए अलाव जलाकर बैठना ज़रूरी है।" उनकी कहानी सुनते-सुनते कब हमारी आँखें लग गईं, पता ही नहीं चला।

आज जब सर्दी आती है, और हम अपने बच्चों को वही ज़िद करते देखते हैं, तो दादाजी की वो डांट और उनकी चिंता समझ में आती है। अलाव के पास बैठना अब ठण्ड से लड़ने का नहीं, बल्कि उन सुनहरी यादों को फिर से जीने का मौका लगता है।

आपके गाँव की ठण्डी रातों में भी तो कुछ ऐसी ही कहानियाँ होंगी? चलिए, याद कीजिए और अपनी यादों की अलाव को फिर से जलाइए! 😊

गाँव 😍😍
03/01/2025

गाँव 😍😍

कौन भूल सकता है बचपन के वो दिन जब हम खेतों में दौड़ते-फिरते मटर तोड़ते थे? हरे-भरे खेत, ताज़ी हवा, और दोस्तों के साथ की ...
03/01/2025

कौन भूल सकता है बचपन के वो दिन जब हम खेतों में दौड़ते-फिरते मटर तोड़ते थे? हरे-भरे खेत, ताज़ी हवा, और दोस्तों के साथ की मस्ती, इन सबकी यादें आज भी दिल में बसी हैं।

हमारे गांव के बाहर ही एक बड़ा सा मटर का खेत था। जैसे ही स्कूल की छुट्टियां होतीं, हम बच्चे उस खेत की ओर दौड़ पड़ते। खेत में घुसते ही हमारे चेहरे खिल उठते थे। हरी-भरी पत्तियों के बीच लटकते हुए मटर के फूल और पके हुए मटर हमारी ओर हाथ हिलाते जैसे कह रहे हों, "आओ, हमें तोड़ लो!"

हम छोटे-छोटे टोकरे लेकर खेत में घूमते थे। मटर की फली को पकड़कर धीरे से तोड़ते और टोकरी में डालते। कभी-कभी फली तोड़ते समय कांटे चुभ जाते थे, लेकिन दर्द भूलकर हम मटर तोड़ने में मग्न रहते थे।

खेत में मटर तोड़ना सिर्फ एक काम नहीं था, बल्कि एक खेल था। हम आपस में दौड़ लगाते, छुप्पम छुप्पाई खेलते और मटर तोड़ने की होड़ लगाते। जो सबसे ज्यादा मटर तोड़ता, उसे सबसे बड़ा इनाम मिलता था। इनाम? जी हां, इनाम कुछ और नहीं, बल्कि ताजे-ताजे मटर को वहीं बैठकर खाने का मौका।

खेत में बैठकर हम मटर को तोड़ते, छीलते और फिर मुंह में डाल देते। मटर का मीठा स्वाद हमारे मुंह में घुल जाता था। कभी-कभी हम मटर को भूनकर भी खाते थे। आंच पर सिकते हुए मटर की खुशबू दूर-दूर तक फैल जाती थी।

खेतों में मटर तोड़ने के साथ-साथ हम कई और काम भी करते थे। जैसे, गायों को चराना, पतंग उड़ाना, नदी में नहाना। ये सब बचपन की सबसे प्यारी यादें हैं।

आज जब मैं बड़ा हो गया हूं, तो मुझे उन दिनों की बहुत याद आती है। शहर की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में मुझे उन खेतों की ताज़ी हवा और मटर के मीठे स्वाद की बहुत याद आती है।

क्या आप भी कभी खेतों में मटर तोड़ने गए हैं? अगर हां, तो अपनी यादें मेरे साथ साझा करें।

गाँव की सर्दियों की सुबहें अक्सर एक अद्भुत अनुभव होती हैं, जो शहरों की भागदौड़ में खो जाती हैं। यहाँ कुछ खुबसूरत बातें औ...
02/01/2025

गाँव की सर्दियों की सुबहें अक्सर एक अद्भुत अनुभव होती हैं, जो शहरों की भागदौड़ में खो जाती हैं। यहाँ कुछ खुबसूरत बातें और यादें हैं जो हमें गाँव की सर्दियों की सुबहों से जुड़ी होती हैं:

सुबह की ताजगी

सूरज की पहली किरणें: गाँव में सर्दियों की सुबह सूरज की पहली किरणें जब धरती पर पड़ती हैं, तो एक सुनहरी चमक फैल जाती है। यह दृश्य न केवल आँखों को भाता है, बल्कि मन को भी शांति प्रदान करता है।

ठंडी हवा का अहसास: सुबह की ठंडी हवा चेहरे पर एक ताजगी लाती है, जो शहरों में कभी-कभी ही मिलती है। यह हवा गाँव के खेतों से आती है, जिसमें मिट्टी की खुशबू होती है।

गाँव के रिवाज़

गुड़ और तिल के लड्डू: सर्दियों में गाँवों में गुड़ और तिल के लड्डू बनाना एक पारंपरिक रिवाज़ है। इनकी खुशबू पूरे गाँव में फैल जाती है, और लोग इन्हें एक साथ बैठकर खाते हैं

सुबह की चाय: गाँव के लोग सुबह उठकर चाय बनाते हैं, जिसमें अदरक और मसाले डालकर उसे गर्मागर्म पीते हैं। यह न केवल शरीर को गर्म करता है, बल्कि परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत का भी अवसर प्रदान करता है।

यादगार पल

चिड़ियों का चहचहाना: सर्दियों की सुबह चिड़ियों का चहचहाना सुनना एक सुखद अनुभव होता है। यह आवाज़ें हमें प्रकृति के करीब ले जाती हैं।

खेतों में काम करना: गाँव के लोग सुबह-सुबह खेतों में काम करने निकलते हैं। यह दृश्य बहुत ही प्रेरणादायक होता है, जहाँ लोग मेहनत करते हुए दिखाई देते हैं।

सर्दी का आनंद

आग के चारों ओर बैठना: सर्दी में आग जलाकर उसके चारों ओर बैठना एक खास अनुभव होता है। लोग इसके चारों ओर बैठकर बातें करते हैं और गर्मागर्म खाने का आनंद लेते हैं।

सर्दी में खेलना: बच्चे सर्दियों में बाहर खेलते हैं, जैसे कि क्रिकेट या कबड्डी। यह खेलना उन्हें न केवल शारीरिक रूप से सक्रिय करता है, बल्कि उन्हें एकजुट भी करता है।

गाँव की सर्दियों की सुबहें वास्तव में एक अलग ही दुनिया होती हैं, जहाँ हर चीज़ सरल और खूबसूरत होती है। ये यादें हमें शहरों में रहते हुए भी कभी-कभी याद आती हैं।

Happy New Year 2025
01/01/2025

Happy New Year 2025

गाँव की सुंदरता:गाँव, एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रकृति की गोद में बसी हुई शांति और सादगी का अनुभव होता है। यहाँ की हरियाली, ...
31/12/2024

गाँव की सुंदरता:

गाँव, एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रकृति की गोद में बसी हुई शांति और सादगी का अनुभव होता है। यहाँ की हरियाली, खुला आसमान और शुद्ध हवा मन को सुकून देती है। गाँव की जीवनशैली में एक खास तरह की सरलता होती है, जो शहरों की भागदौड़ से बहुत अलग है।

गाँव का जीवन:

गाँव में लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं। यहाँ के लोग आपस में भाईचारे और सहानुभूति से भरे होते हैं। त्योहारों पर गाँव की रौनक देखने लायक होती है, जब सभी मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। बच्चों का खेलना, बुजुर्गों की कहानियाँ सुनाना, और महिलाओं का एकत्र होकर काम करना, ये सब गाँव के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य:

गाँवों में अक्सर खेत-खलिहान होते हैं, जहाँ फसलें लहलहाती हैं। यह दृश्य न केवल आँखों को भाता है, बल्कि मन को भी प्रसन्न करता है। सुबह-सवेरे उठकर सूरज की पहली किरणों के साथ खेतों में जाना और ताजगी भरी हवा का आनंद लेना एक अद्भुत अनुभव होता है।

संस्कृति और परंपरा:

गाँवों में अपनी खास संस्कृति और परंपराएँ होती हैं। यहाँ के लोक गीत, नृत्य और कला स्थानीय जीवन को समृद्ध बनाते हैं। हर त्योहार पर विशेष आयोजन होते हैं, जो गाँव के लोगों को एकजुट करते हैं और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं।

गाँव की दादी माँ, हर बच्चे के लिए एक खजाना हुआ करती थीं। उनकी गोद ही एक जादुई दुनिया थी, जहाँ कहानियाँ हवा में तैरती थीं...
29/12/2024

गाँव की दादी माँ, हर बच्चे के लिए एक खजाना हुआ करती थीं। उनकी गोद ही एक जादुई दुनिया थी, जहाँ कहानियाँ हवा में तैरती थीं। आओ, मिलकर उन पुरानी यादों को ताज़ा करते हैं।

* कहानियों का जादू: दादी माँ की कहानियाँ सिर्फ कहानियाँ नहीं होती थीं, वो तो जीवन की पाठशाला होती थीं। इनमें नैतिक मूल्य, इतिहास, संस्कृति और प्रकृति का अद्भुत संगम होता था।

* शाम की महफ़िल: अँधेरे में बैठकर दादी माँ की आवाज़ सुनना, एक अलग ही आनंद होता था। उनकी आवाज़ में ऐसा जादू होता था कि हर शब्द दिल में उतर जाता था।

* कल्पना की उड़ान: दादी माँ की कहानियों ने हमारी कल्पना शक्ति को पंख दिए। हम राजकुमारों, राजकुमारियों, राक्षसों और देवताओं की दुनिया में खो जाते थे।

* ज्ञान का भंडार: दादी माँ हमारे लिए एक चलता-फिरता ज्ञान का भंडार हुआ करती थीं। उन्होंने हमें जीवन के कई मूल्य सिखाए, जैसे कि सच बोलना, बड़ों का आदर करना, मेहनत करना और दूसरों की मदद करना।

कुछ यादगार पल

* रात की कहानियाँ: गर्मियों की रातों में, छत पर बिछी चटाई पर लेटकर दादी माँ की कहानियाँ सुनना, एक अविस्मरणीय अनुभव था।

* कहानियों के किरदार: हम दादी माँ की कहानियों के किरदारों से इतने जुड़ जाते थे कि हमें लगता था कि वो हमारे दोस्त हैं।

* कहानियों का असर: दादी माँ की कहानियों ने हमें बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा दी।

आज के समय में, टेक्नोलॉजी ने हमारी जिंदगी को बदल दिया है। लेकिन दादी माँ की कहानियों का जादू अब भी बरकरार है। हमारी नई पीढ़ी को भी दादी माँ की तरह कहानियाँ सुनानी चाहिए, ताकि वो भी अपनी संस्कृति और मूल्यों से जुड़े रहें।

आपकी यादें

आपकी दादी माँ की कहानियों से जुड़ी कोई याद है? हमें कमेंट करके बताइए।

अन्य जानकारी

* कहानियों के प्रकार: दादी माँ विभिन्न प्रकार की कहानियाँ सुनाती थीं, जैसे कि लोककथाएँ, पौराणिक कथाएँ, जानवरों की कहानियाँ और नैतिक कहानियाँ।

* कहानियों का महत्व: दादी माँ की कहानियाँ बच्चों के सर्वांगीण विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

* आधुनिक तरीके: आजकल हम ऑडियोबुक्स, वीडियो और ऐप्स के माध्यम से भी बच्चों को कहानियाँ सुना सकते हैं।

क्या आप जानना चाहेंगे कि दादी माँ की कहानियों के बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है? या फिर आप कोई विशेष कहानी के बारे में जानना चाहते हैं?

मुझे उम्मीद है कि ये जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।

गाँव से प्यार हो तो फॉलो कर लेना.......
28/12/2024

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गाँव की जीवनशैली में गेहूँ के खेतों का एक विशेष स्थान है। ये खेत न केवल गाँव की अर्थव्यवस्था का आधार हैं, बल्कि प्राकृति...
26/12/2024

गाँव की जीवनशैली में गेहूँ के खेतों का एक विशेष स्थान है। ये खेत न केवल गाँव की अर्थव्यवस्था का आधार हैं, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का भी एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

हरे-भरे खेतों की खूबसूरती:

सुनहरी लहरें: जब हवा चलती है, तो गेहूँ के पौधे एक साथ लहराते हैं, जैसे सुनहरी लहरें समुद्र में। यह दृश्य मन को मोह लेता है और एक अद्भुत शांति का अनुभव कराता है।

फसल की खुशबू: खेतों में खड़े होने पर, आपको ताजगी और मिट्टी की खुशबू का अनुभव होता है। यह खुशबू आपको प्रकृति के करीब लाती है और जीवन की सरलता का एहसास कराती है।

पशु-पक्षियों का बसेरा: गेहूँ के खेतों में कई प्रकार के पक्षी और छोटे जानवर निवास करते हैं। सुबह-सुबह चिड़ियों की चहचहाहट सुनना एक सुखद अनुभव होता है।

कच्ची सड़क का जादू:

गाँव की ओर जाती कच्ची सड़क, जो इन हरे-भरे खेतों के बीच से गुजरती है, एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है।

सड़क का सफर: इस कच्ची सड़क पर चलते हुए, आप चारों ओर फैले हरे-भरे खेतों का आनंद ले सकते हैं। यह सड़क आपको गाँव के जीवन से जोड़ती है और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होती है।

सामाजिक जुड़ाव: इस रास्ते पर चलते हुए अक्सर आप गाँव के लोगों से मिलते हैं, जो अपने काम में व्यस्त होते हैं। यह सामाजिक जुड़ाव और संवाद का एक अच्छा माध्यम बनता है।

सूर्योदय और सूर्यास्त: इस सड़क पर चलते हुए सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य देखने का अनुभव अद्वितीय होता है। सूरज की किरणें जब खेतों पर पड़ती हैं, तो यह दृश्य मनमोहक बन जाता है।

गाँव से प्यार हो तो शेयर कर देना......
21/12/2024

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कौन कौन इसमें बचपन में पढाई किया है......???
20/12/2024

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गाँव की एक प्यारी सुबह, यहाँ की हवा में ही दवा है
20/11/2024

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Rice Field ❤️❤️
18/10/2024

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