
01/02/2025
कुंभ स्नान क्यों किया जाता है?
कुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है। इसका आयोजन हर 12 साल में चार प्रमुख स्थानों पर होता है—हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। कुंभ स्नान का मुख्य उद्देश्य आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति है।
कुंभ स्नान का महत्व
1. पौराणिक कथा से जुड़ाव – मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला, तो देवताओं और असुरों में इसे पाने के लिए संघर्ष हुआ। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिरीं, जिससे ये तीर्थ स्थल पवित्र माने जाते हैं।
2. पापों से मुक्ति – ऐसा विश्वास है कि कुंभ में गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने से जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है।
3. आध्यात्मिक जागरूकता – यह मेला संत-महात्माओं और श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का मंच होता है। यहां प्रवचन, यज्ञ, भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
4. वैज्ञानिक महत्व – शोध बताते हैं कि कुंभ के दौरान गंगा और अन्य नदियों का पानी विशेष रूप से शुद्ध और औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जिससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
कुंभ में स्नान करने की तिथियां और महत्व
कुंभ मेले में विभिन्न तिथियों को ‘शाही स्नान’ के रूप में जाना जाता है, जब विशेष योग और ग्रह-नक्षत्रों के संयोग में स्नान का अधिक महत्व होता है।