15/07/2025
कर्मिक रिश्ता एक आध्यात्मिक और रहस्यमय धारणा है, जो यह बताती है कि हमारे कुछ रिश्ते पूर्वजन्मों के कर्मों से जुड़े होते हैं। ऐसे रिश्तों का उद्देश्य सिर्फ प्यार या साथ नहीं होता, बल्कि आत्मिक विकास, सीख और कर्मों का संतुलन होता है....
कर्मिक रिश्ता वह संबंध होता है जो आपके किसी पिछले जन्म में किए गए कर्मों के कारण इस जन्म में बना होता है। यह रिश्ता बहुत गहरा, तीव्र और कभी-कभी चुनौतीपूर्ण होता है ...
कुछ रिश्ते हमारे जीवन में इस तरह से आते हैं, जैसे कोई पुरानी याद फिर से जी उठी हो। किसी अजनबी को देखकर लगता है कि वह अनजाना नहीं है। उसकी आँखों में एक जाना-पहचाना सा सन्नाटा होता है, उसकी बातों में अतीत की कोई अनकही कहानी। ऐसे ही होते हैं कर्मिक रिश्ते – आत्मा के अधूरे सफ़र की अधूरी कड़ियाँ।
यह रिश्ता कोई संयोग नहीं, बल्कि हमारे पिछले जन्मों के कर्मों का परिणाम होता है। हो सकता है, किसी जन्म में आपने किसी का दिल दुखाया हो, कोई वादा अधूरा छोड़ा हो, या फिर किसी के प्रति कुछ कर्तव्य अधूरे रह गए हों। आत्मा इन्हीं अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए फिर उसी आत्मा से इस जन्म में मिलती है—नए रिश्ते के रूप में, नए रूप में।
कभी यह रिश्ता प्रेम बनकर आता है, कभी संघर्ष बनकर। यह रिश्ता जितना आकर्षक होता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। शुरुआत में एक गहरा जुड़ाव महसूस होता है, जैसे दो आत्माएँ वर्षों से एक-दूसरे को खोज रही थीं। पर जैसे-जैसे समय बीतता है, यह रिश्ता हमें हमारी परछाइयों से मिलवाता है—हमारी असुरक्षाएँ, हमारे डर, और हमारी अधूरी समझ।
इस रिश्ते का उद्देश्य हमें सिखाना होता है, बदलना होता है। यह हमें दर्द भी देता है और चेतना भी। कई बार हम इस रिश्ते को निभाने में थक जाते हैं, पर फिर भी छोड़ नहीं पाते। क्योंकि आत्मा जानती है कि जब तक karm का संतुलन नहीं होता, तब तक यह बंधन छूटेगा नहीं।
लेकिन कर्मिक रिश्ते का अंत हमेशा दुःख नहीं होता। जब हम उस सीख को समझ लेते हैं, जब हम माफ़ करना और माफ़ी माँगना सीख जाते हैं, तब यह बंधन स्वतः शांति से समाप्त हो जाता है। आत्मा मुक्त हो जाती है—नए जीवन, नए सफ़र के लिए।
कर्मिक रिश्ता कोई सज़ा नहीं, बल्कि आत्मा की पाठशाला है। यह हमें खुद से मिलवाने आता है। यह रिश्ता भले ही टूट जाए, पर जो सीख वह दे जाता है, वह हमारे जीवन की सबसे कीमती पूँजी बन जाती है ....