01/07/2025
सामाजिक पतन तब अनुभव होता है जब कोई अध्यापिका, वैज्ञानिका, समाज सेविका, चिकित्सिका को छोड़कर हम एक महिला को श्रृद्धांजलि दिये जा रहे हैँ जो एक अच्छा खासा घर परिवार छोड़कर इस निकृष्ट दुनिया में आ गई
शैफाली जरीवाला - "कांटा लगा गर्ल" जो एक समय में 'कांटा लगा रिमिक्स' गाने से मशहूर हुईं! मनोरंजन की दुनिया की एक ऐसी शख़्सियत, जो अब हमारे बीच नहीं रहीं ! उम्र सिर्फ़ 42 साल, कारण - हार्ट अटैक नहीं, "कार्डियक अरेस्ट" !
शैफाली ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई, वो संपन्न परिवार से थीं और फिर अचानक ग्लैमर की दुनिया में धमाकेदार एंट्री ! कोई कहेगा, किस्मत थी कोई कहेगा, हुनर!
परंतु एक सवाल बार-बार मन में आता है कि क्या वाक़ई हमें "केवल मनोरंजन की दुनिया" में शोहरत पाने वालों को इतना महत्त्व देना चाहिए ? शैफाली ने जो किया, वह एक दौर का प्रतिनिधित्व करता था, लेकिन क्या वही दिशा हमारी आने वाली पीढ़ी को मिलनी चाहिए ?
दो दिन से लगातार देख रहे हैँ कि सोशल मीडिया श्रृद्धांजलियों से भरा पड़ा है! लगभग हर दूसरा पुरुष, हर मीडिया हाउस उसकी तारीफ कर रहा है ! पर क्या किसी अध्यापिका, वैज्ञानिक, महिला डॉक्टर या समाजसेवी को भी कभी हमारे समाज की ओर से इतनी श्रृद्धांजलि मिलती है ?
अगर शैफाली का नाम इतना चमक सकता है, तो एक मेहनती शिक्षिका का नाम क्यूँ नहीं ?
अगर केवल नृत्य ( क्या वाकई वो "कांटा लगा" सिर्फ़ नृत्य भर था ?) और ग्लैमर की वजह से इतनी अधिक चर्चा हो सकती है, तो फ़िर अन्य बौध्दिक महिलाओं के ज्ञान और सेवा की वजह से उनकी भी इतनी ही चर्चा क्यों नहीं करता समाज ?
यह पोस्ट किसी एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं है, बल्कि उस सोच के खिलाफ है ! जहाँ हम महिलाओं को उनके शरीर से पहचानते हैं, मस्तिष्क से नहीं! मनोरंजन को मनोरंजन तक सीमित रखिए और हमारे समाज की असली नायिकाओं को — जो समाज को नई दिशा और दशा देतीं हैं, उन्हें समाज में सम्मानित मंच दीजिए!
समाज तभी बदलेगा जब हम अपना दृष्टिकोण बदलेंगे ! शैफाली की आत्मा को शांति मिले और हमारे समाज में स्त्रियाँ सिर्फ़ 'कांटा लगा गर्ल' के नाम से नहीं, बल्कि 'ज्ञान की लौ' के नाम से मशहूर हों !
सामाजिक मूल्यों को सादर श्रद्धांजलि 🙏🏻