16/03/2025
यमुना प्राधिकरण द्वारा जेपी ग्रुप का लैंड एलॉटमेंट कैंसिल सही किया गया : इलाहाबाद High कोर्ट ।
सड़क से लेकर मकान तक रुके प्रोजेक्ट होंगे पूरे ।
नोएडा: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) द्वारा जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) को विशेष विकास क्षेत्र (SDZ) की 1,000 हेक्टेयर भूमि के आवंटन को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा है।
10 मार्च को दिए गए फैसले में, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने YEIDA को निर्देश दिया कि वह इस भूमि पर अधूरे पड़े सभी आवासीय परियोजनाओं को अपने कब्जे में लेकर उन्हें पूरा कराए। ये परियोजनाएं JAL और घर खरीदारों के बीच तय शर्तों के अनुसार पूरी कराई जाएंगी। JAL ने इस क्षेत्र में 12 आवासीय परियोजनाएं शुरू की थीं, जिनमें लगभग 4,600 निवेशक हैं। इसके अलावा, JAL ने इस भूमि को अन्य डेवलपर्स को उप-लीज पर दिया था, जिन्होंने 13 और परियोजनाएं शुरू की थीं। 12 फरवरी 2020 को YEIDA ने बकाया राशि का हवाला देते हुए JAL का आवंटन रद्द कर दिया था।
JAL की अधूरी परियोजनाएं
SDZ के अंतर्गत JAL की परियोजनाओं में जयपी ग्रीन्स बोगनविलियाज, जयपी ग्रीन्स कंट्री होम्स I & II, जयपी ग्रीन्स ग्रीनक्रेस्ट होम्स, जयपी ग्रीन्स क्राउन, जयपी ग्रीन्स कोव, जयपी ग्रीन्स बुद्ध सर्किट स्टूडियो, जयपी ग्रीन्स कसिया I, II, III, जयपी ग्रीन्स स्पोर्ट्सविले और जयपी ग्रीन्स विला एक्सपांजा शामिल हैं। इनमें से कोई भी परियोजना पूरी नहीं हुई है।
हाई कोर्ट के आदेश और आगे की प्रक्रिया
हालांकि हाई कोर्ट ने घर खरीदारों के लिए दिशानिर्देश दिए हैं, लेकिन JAL दिवालिया प्रक्रिया में होने के कारण उन्हें आगे की स्पष्टता के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करना होगा। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में JAL के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही भी चल रही है।
कोर्ट ने सख्त समय सीमा तय करते हुए YEIDA को निर्देश दिया कि जिन परियोजनाओं का 75% निर्माण पूरा हो चुका है, उन्हें एक साल के भीतर, 50% पूरे हो चुके प्रोजेक्ट्स को 18 महीनों में, और 25% पूरे हुए प्रोजेक्ट्स को 30 महीनों में पूरा किया जाए। सभी विकास कार्य अधिकतम 36 महीनों में पूरे करने होंगे।
कोर्ट ने YEIDA को यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि परियोजनाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक धन उपलब्ध हो, चाहे वह घर खरीदारों से जुटाया गया हो या नहीं। साथ ही, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि IBC (दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता) के तहत घर खरीदारों के दावों की सुरक्षा बनी रहेगी और NCLT में JAL के खिलाफ चल रही कार्यवाही में उनके अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।
परियोजनाओं की निगरानी के लिए समिति का गठन
हाई कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर एक निगरानी समिति बनाने का भी निर्देश दिया, जिसमें **(1) प्रमुख सचिव (आवास एवं औद्योगिक विकास), (2) UP-RERA के चेयरमैन, (3) YEIDA के CEO