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डॉ. प्रतीक जोशी पिछले छह सालों से लंदन में रह रहे थे। उनका एक अरसे से ख्वाब था कि वो अपनी बीवी और तीन छोटे बच्चों के लिए...
14/06/2025

डॉ. प्रतीक जोशी पिछले छह सालों से लंदन में रह रहे थे। उनका एक अरसे से ख्वाब था कि वो अपनी बीवी और तीन छोटे बच्चों के लिए विदेश में एक बेहतर जिंदगी बसाएं।बीवी और बच्चे अब तक हिंदुस्तान में थे, लेकिन अब वो वक्त आ गया था जब वो सब एक साथ होने वाले थे।

सालों की मेहनत, दस्तावेज़ों की भागदौड़ और इंतज़ार के बाद, आख़िरकार उनका सपना हक़ीक़त बनने वाला था।सिर्फ दो दिन पहले, उनकी बीवी डॉ. कोमल व्यास, जो ख़ुद भी एक मेडिकल प्रोफेशनल थीं, उन्होंने भारत में अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया।सामान पैक हो चुका था, रिश्तेदारों से विदा ली जा चुकी थी, और एक नई ज़िंदगी उनके इंतज़ार में थी।

फिरएक सुबह पूरे परिवार ने — उम्मीदों, जज़्बातों और ख़ुशियों से भरे हुए — एयर इंडिया की फ्लाइट 171 में लंदन के लिए सफ़र शुरू किया,रवाना होने से पहले एक प्यारी सी सेल्फ़ी ली,रिश्तेदारों को भेजी — एक तरफ़ा सफ़र, एक नई शुरुआत की ओर।

लेकिन... वो कभी लंदन नहीं पहुँचे वो प्लेन क्रैश हो गया।
कोई भी ज़िंदा नहीं बचा। कुछ ही लम्हों में — एक ज़िंदगी भर का सपना राख बन गया।एक बेरहम सच्चाई: ज़िंदगी हद से ज़्यादा नाज़ुक है।जो कुछ हम बनाते हैं, जिसकी हम तमन्ना करते हैं, जिसे हम मोहब्बत करते हैं — सब कुछ एक बेहद नाजुक धागे से टिका हुआ है।

इसलिए जब तक वक़्त है — जियो, मोहब्बत करो, शुक्र अदा करो, और ये मत सोचो कि कल से ख़ुश रहना शुरू करोगे।
क्योंकि कभी-कभी 'कल' आता ही नहीं।

via: The Skin Doctor

14/06/2025

14/06/2025
13/06/2025

सीट 11A वाला विश्वाश कुमार रमेश, क्रैश होने के बाद भी बच गया !
कैसे ?, सुनिए उन्हीं की ज़बान से।
#वायरलवीडियोシ

12/06/2025

अहमदाबाद से लंदन गैटविक जाने वाली फ्लाइट AI171 आज उड़ान भरने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
प्लेन क्रेश जाकर हॉस्टल से टकरा गई विमान यात्री और काफी छात्र की मौत की संभावना जताई जा रही है

हादसे से जुड़ी जानकारी और मदद के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 011-24610843 और 9650391859 हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं।

12/06/2025

| गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रहा एअर इंडिया का विमान टेकऑफ के तुरंत बाद क्रैश हो गया. हादसे के तुरंत बाद मौके पर पहुंचे राहत और बचाव दल ने रेस्क्यू का कार्य शुरू कर दिया है. क्रैश हुए विमान में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी सवार थे

12/06/2025

ख़बर आ रही है की अहमदाबाद में एयर इंडिया का प्लेन क्रैश हुआ है जिसमें 242 लोग इसमें सवार थे।

प्लेन अहमदाबाद से लंदन जा रहा था, टेक ऑफ करते ही क्रैश हो गया। दुआ करें सभी यात्री सुरक्षित हों।

"फुर्सत के पाँच मिनट""बेटा बहुत बड़ा आदमी बन गया है!"मोहल्ले की औरतें जब भी शांता देवी को देखतीं, यही कहतीं।शांता देवी ब...
09/06/2025

"फुर्सत के पाँच मिनट"
"बेटा बहुत बड़ा आदमी बन गया है!"
मोहल्ले की औरतें जब भी शांता देवी को देखतीं, यही कहतीं।
शांता देवी बस मुस्कुरा देती थीं, वही पुरानी, फीकी सी मुस्कान।

राघव, उनका इकलौता बेटा, अब किसी बड़े मल्टीनेशनल कंपनी में डायरेक्टर था। महीने के लाखों कमाता था। लक्ज़री फ्लैट, चमचमाती गाड़ी, विदेशों के दौरे, और ऊँचे लोगों की सोहबत — सब कुछ था उसके पास।

लेकिन माँ?

माँ अब भी उसी पुराने मोहल्ले के कोने वाले छोटे से घर में अकेली रहती थीं। एक कमरा, एक रसोई, और कुछ अधूरी यादें।

राघव ने कई बार कहा,
"माँ, अब छोड़ो ये जगह। मेरे साथ चलो ना। एयर कंडीशनर, नौकर, गाड़ी — सब है। तुम्हें कुछ नहीं करना पड़ेगा।"

माँ मुस्कुरा देतीं,
"बेटा, इन दीवारों में तेरा बचपन गूंजता है। यहाँ तेरी पहली साइकिल गिराई थी, यहाँ पहली बार बुखार में रातभर जागी थी। ये घर तुझसे अलग नहीं है... मैं इसे छोड़ नहीं सकती।"

राघव समझा नहीं। शायद समझना चाहता भी नहीं था।

हर महीने पैसे भेज देता था, एक नौकरानी भी रख दी थी, और एक मोबाइल दे दिया था — जिससे माँ कॉल करती तो ज़्यादा बार 'स्विच ऑफ' मिलता, या फिर एक ही जवाब —
"माँ, अभी मीटिंग में हूँ। बाद में बात करता हूँ।"

माँ फोन रखते हुए बस इतना ही कहतीं,
"ठीक है बेटा, फुर्सत मिले तो बात कर लेना।"

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कुछ महीने बाद...

एक सुबह पड़ोस में रहने वाली सुमन आंटी ने देखा कि शांता देवी के घर से आवाज़ नहीं आ रही। दरवाज़ा खटखटाया, कोई जवाब नहीं।

कुंडी खोल कर देखा — माँ ज़मीन पर गिरी हुई थीं।

जल्दी से हॉस्पिटल लेकर गए। पता चला ब्रेन स्ट्रोक हुआ है। हालत नाज़ुक थी। डॉक्टर ने कहा,
"सिर्फ कुछ घंटे हैं... जल्दी परिवार को बुला लीजिए।"

सुमन आंटी ने काँपते हाथों से राघव को फोन लगाया —
"बेटा, माँ की हालत बहुत खराब है। जल्दी आ जा।"

राघव एक पल को चुप रहा। फिर हड़बड़ाते हुए फ्लाइट पकड़ी और सीधा हॉस्पिटल पहुँचा।

आईसीयू में माँ बेहोश पड़ी थीं। नाक में नली, मशीनों की बीप, और एक ठंडी सफ़ेदी फैली थी पूरे माहौल में।

राघव माँ के पास जाकर बैठा, उनका काँपता हाथ पकड़ा —
"माँ… माँ… देखो मैं आ गया। माफ कर दो मुझे... बहुत बिज़ी हो गया था... लेकिन तुम्हें कभी भुला नहीं पाया..."

माँ की आँखें धीरे-धीरे खुलीं। बहुत थकी हुई थीं, पर बेटे को देखा... होंठ थरथराए।

बहुत धीमे-से बोलीं:
"बस... पाँच मिनट चाहिए थे... पूरे जीवन में..."

और अगले ही पल... मशीन की बीप सीधी हो गई।

राघव वहीं बैठा रह गया। माँ का हाथ थामे हुए, लेकिन अब वो हाथ ठंडे थे... हमेशा के लिए।

😭😭अंतिम दीद

अगले दिन राघव ने माँ के पुराने कमरे में कदम रखा। हर कोना उसकी यादों से भरा था।

पुरानी अलमारी में एक डायरी मिली। पहले पन्ने पर लिखा था:

"राघव बड़ा अफसर बन गया। अब उससे बात करने के लिए 'फुर्सत' चाहिए। मैं इंतज़ार कर लूंगी... मैं तो माँ हूँ।"

राघव फूट-फूट कर रो पड़ा।

उसे पहली बार एहसास हुआ कि जो "फुर्सत" वो माँ को नहीं दे सका, उसी फुर्सत ने उसे जिंदगी भर का पछतावा दे दिया।

मर्मस्पर्शी संदेश:

> “माँ सिर्फ रोटी नहीं सेंकती, वो बेटों की ज़िंदगी भी संवारती है।
लेकिन जब बेटा इतना बड़ा हो जाए कि माँ को वक्त ही न दे —
तो फिर किसी भी ऊँचाई का कोई मतलब नहीं रह जाता।”

मुझे पूरी उम्मीद है आपको ये कहानी बहुत अच्छी लगी होगी
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