अंबेडकर शरणंम गच्छामि

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अंबेडकर शरणंम गच्छामि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अनुसार पाखंडवाद,अंधविश्वास,जातिवाद के विरुद्ध बोलने का अधिकार .....

सम्राट अशोक जयंती की मंगलकामनाएं!ध्यान, करुणा और धर्म के प्रतीक सम्राट अशोक भारतवर्ष के वह महान शासक थे जिन्होंने युद्ध ...
05/04/2025

सम्राट अशोक जयंती की मंगलकामनाएं!
ध्यान, करुणा और धर्म के प्रतीक सम्राट अशोक भारतवर्ष के वह महान शासक थे जिन्होंने युद्ध की विभीषिका को त्यागकर अहिंसा और बुद्ध के मार्ग को अपनाया।

कलिंग युद्ध की पीड़ा ने एक विजेता को मानवता का रक्षक बना दिया।
उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्चा परिवर्तन भीतर से आता है — और जब कोई शासक आत्मचिंतन करता है, तो एक नया युग जन्म लेता है।

आज, हमें भी उनके आदर्शों से सीख लेकर समाज में शांति, समानता और न्याय की स्थापना का संकल्प लेना चाहिए।

जय सम्राट अशोक!
जय धम्म!

 #बाबर_और_महाराणा_सांगा -   संग्राम सिंह राणा सांगा उस समय शक्तिशाली शासक थे। उत्तरी भारत में विख्यात नेता बने हुए जिसका...
27/03/2025

#बाबर_और_महाराणा_सांगा -


संग्राम सिंह राणा सांगा उस समय शक्तिशाली शासक थे। उत्तरी भारत में विख्यात नेता बने हुए जिसका जिक्र बाबर खुद करता है।

बाबर बिना किसी के बुलाये 1510 से 1523 के बीच चार बार भारत पर आक्रमण कर चुका था जो हर बार लोदी से पंजाब में हार जाता था ।

बाबर भटक रहा था इसलिए बुलाने की जरूरत नहीं थी।

इतिहासकार के अनुसार बाबरनामा में राणा सांगा के निमंत्रण का उल्लेख किया गया है, लेकिन यह पानीपत के युद्ध के बाद का जिक्र है।

राणा सांगा शक्तिशाली सेना के साथ विस्तार कर रहे थे सुल्तान इब्राहिम लोदी के अधीन राज्यो पर हमले किये और बार बार हार के बाद सांगा ने अपने विजय अभियान को वर्तमान राजस्थान के अधिकांश हिस्से तक फैला दिया दिल्ली पर भी अधिकार करना चाहते थे। भारत के राजपूत उसे सल्तनत के खिलाफ अपने नेता के रूप में देखते थे।

पानीपत युद्ध 1526 के समय से पहले बाबर के भारत आने के बाद दिल्ली को लेकर संधि हुई होगी। उस समय तक बाबर जड़ जमा चुका था बाद में सरदारों के कहने पर सांगा मन बदल लिया होगा।

1527 की शुरुआत में, सांगा के आगरा की ओर बढ़ने की खबरें मिलनी शुरू हो गईं।

बाबर ने धौलपुर , ग्वालियर और बयाना पर कब्ज़ा करने के लिए सैन्य टुकड़ियाँ भेजीं जो सांगा के अधीन थे।
महाराणा ने तुरंत जवाब दिया और बाबर द्वारा बयाना भेजी गई सेना बयाना की लड़ाई में हार गई ।

यही कारण दोनों में विरोध हुआ था। खानवा का युद्ध मार्च 1527 में हुआ बारूद का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के कारण बाबर विजय हुआ।

सांगा को पृथ्वीराज कछवाहा और मारवाड़ के मालदेव राठौर बेहोशी की हालत में युद्ध के मैदान से दूर ले गए थे।
राणा बाबर के खिलाफ एक और युद्ध छेड़ने की तैयारी कर रहे थे, तो उन्हें उनके ही सरदारों ने जहर दे दिया बाबर के साथ और संघर्ष नहीं चाहते थे।

सिकंदर लोदी के भाई आलम खान लोदी बाबर दरबार में गया दिल्ली जीत उसे देने के लिए कहा बाबर ने इनकार कर दिया और इस तरह आलम अपनी सेना लेकर दिल्ली को घेरने के लिए अकेले ही चला गया, जहाँ उसकी सेना इब्राहिम लोदी से हार गई। ऐसे ही दौलत खान और सभी बाबर को धोख़ा देते है वो सिर्फ बाबर के माध्यम से दिल्ली पर अधिकार करना चाहते थे।

सभी को लगता था तेमूर् और दूसरे लुटेरे शासको की तरह बाबर लूट कर चला जायेगा सत्ता पर हम अधिकार कर लेंगे इसलिए बाबर लगातार युद्ध से विरोधी शक्ति को नष्ट कर देता है।

बाबर भारत में युद्ध ही करता रहा हिमायू भी युद्धों के बीच संभल नही पाया था !

संत रैदास और संत कबीर ने अपने दोहों में तथागत बुद्ध को अपना गुरु घोषित किया था । परंतु तथाकथित लोग इन बातों को छुपाते है...
12/02/2025

संत रैदास और संत कबीर ने अपने दोहों में तथागत बुद्ध को अपना गुरु घोषित किया था । परंतु तथाकथित लोग इन बातों को छुपाते है । ताकि हमारी प्रेरणा सही सामने न आये । यह तथाकथित लोग इसलिए झूठा बताते है कि यह साधु, संत भक्ति कर रहे थे । अगर यह भक्ति का आंदोलन था तो उनकी हत्याएं क्यों की गयी ?
यह भी अपने आप में एक प्रश्न है ।

हमारा यह मानना है कि हमारे संतो का आंदोलन भक्ति का आंदोलन नहीं था बल्कि मानव मुक्ति का आंदोलन था !!!

कौन थे वे चौरासी सिद्ध और नौ नाथ ?सिद्ध, बौद्ध धम्म की वज्रयान शाखा की नींव डालने वाले और उस दौर में भयंकर क्रांति करने ...
09/02/2025

कौन थे वे चौरासी सिद्ध और नौ नाथ ?
सिद्ध, बौद्ध धम्म की वज्रयान शाखा की नींव डालने वाले और उस दौर में भयंकर क्रांति करने वाले थे. चौरासी सिद्ध आठवीं से ग्यारहवीं सदी में बौद्ध धर्म के प्रतिनिधि थे, जब भारत में मूल बौद्ध धम्म का काफ़ी विलोप हो चुका था.
आज तिब्बत और नेपाल में जो बौद्ध धर्म है वह असल में इन्ही का प्रचार किया हुआ धर्म है. इनमें अस्सी पुरुष और चार महिलाएँ थी.
वज्रयान विचार के प्रचार के लिए सिद्धों द्वारा जन भाषा में जो साहित्य लिखा वह हिन्दी के सिद्ध साहित्य में आता है। वे हिंदी के आदि कवि हैं. कई सिद्ध पालि और संस्कृत के धुरंधर पंडित और ग्रंथकार थे.
लुईपा, सरहपा और कनिपा के लिखे हुए दोहा ग्रंथ तिब्बत में बहुत प्रसिद्ध है. वज्रयान के गीतों में कनिपा, नाडपा और शवरिपा बहुत प्रसिद्ध है. नेपाल में आज भी इन गीतों का बहुत प्रचार है.
भारत की योग साधना में कई प्रसिद्ध आसनों और मुद्राओं के जनक और प्रचार करने वाले भी यही सिद्ध थे. सभी का संबंध पीठ नालंदा और विक्रमशिला जैसे शिक्षा केंद्रों से था.
सभी चौरासी सिद्ध वज्रयानी बौद्ध थे और वाममार्गी थे यानी तंत्र साधना के साधक थे. हज़ारों मंत्र तंत्र के जनक और प्रचारक थे. सिद्धों से ही नाथ संप्रदाय निकला जिसके नौ नाथ प्रसिद्ध हैं.
आज हमारे समाज में डरावने रूप में जो विभत्स देवी देवता नज़र आते हैं ये सभी इन्हीं चौरासी सिद्धों की उपज थी. यानी तंत्र मंत्र के साथ देवी देवताओं के भी सृजक और पूजक थे. अलग अलग उद्देश्यों के लिए अलग अलग तंत्र मंत्र और देवी देवता इन्होंने ही ईजाद किये थे. इस प्रकार इतिहास, साहित्य, तंत्र साधना, मंत्र शास्त्र, दर्शन आदि कई धाराओं के ये विचारक थे.
सिद्ध साहित्य का आरम्भ सिद्ध सरहपा से होता है जिन्हें प्रथम सिद्ध माना जाता है। इन सिद्धों में सरहपा, शबरपा, लुइपा, डोम्भिपा, कनिपा तथा कुक्कुरिपा हिन्दी के प्रमुख सिद्ध कवि हैं. तिब्बती परंपरा में सिद्धों के नाम के साथ ‘पा’ लगाया जाता है जिसका अर्थ होता है गुरु, आचार्य.
भारत में हमारे समाज में अब भी दूसरे शब्दों और नामों के साथ कई संप्रदायों में सिद्धों की मान्यताएं मौजूद है.
आजकल के कई संप्रदाय यह जानकर हैरान होंगे कि उनके शब्द, उनकी रहस्य क्रियाएं, भावनाए जाकर इन्हीं सिद्धों में मिलती है. भावना और शब्द साखी में कबीर से लेकर राधास्वामी तक के सभी संत चौरासी सिद्धों के ही वंशज कहे जा सकते हैं.
कबीर का प्रभाव नानक तथा दूसरे संतों पर पड़ा फिर उनका अपनी अगली पीढ़ी पर प्रभाव पड़ा और स्वरूप बदलता गया. आज कई मत,पंथ, संप्रदाय, समुदायों के आराध्य इन्हीं चौरासी सिद्धों में से हैं भले ही नाम,शब्द और रूप हल्के बदल गए हो.
संदर्भ : महापंडित राहुल सांकृत्यायन साहित्य

बाबा साहब डॉ.भीमराव अंबेडकर जी को महापुरुष बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली तथा त्याग, तपस्या और बलिदान की मूर्ति 'माता ...
07/02/2025

बाबा साहब डॉ.भीमराव अंबेडकर जी को महापुरुष बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली तथा त्याग, तपस्या और बलिदान की मूर्ति 'माता रमाबाई अम्बेडकर' जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन।

जब एक ओर देश संविधान लागू होने की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, वहीं दूसरी ओर तथाकथित धार्मिक राज्य के नाम पर मनु के विधान ...
26/01/2025

जब एक ओर देश संविधान लागू होने की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, वहीं दूसरी ओर तथाकथित धार्मिक राज्य के नाम पर मनु के विधान को लागू करने की साजिश रची जा रही है।

क्या ग़ज़ब नौटंकी चल रही है,जी द्वारा संविधान पर सिर पटक - पटक कर संविधानवादी होने का दावा किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ़ प्रयागराज के महाकुंभ में हिंदू राष्ट्र के लिए संविधान का प्रारूप को सामने लाया जा रहा है।

भारत का संविधान स्वतंत्रता, समानता और न्याय की गारंटी देता है। इसे मनुस्मृति और चाणक्य नीति जैसे पुराने और भेदभावपूर्ण नियमों से बदलने की कोशिश करने की बात करना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह आधुनिक भारत की संकल्पना के खिलाफ है।

मनुस्मृति, जो जातिगत एवँ लैंगिक भेदभाव और सामाजिक असमानता का प्रतीक है, को आधार बनाना भारत के संविधान द्वारा प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। यह कमजोर वर्गों, महिलाओं और समाज के हर उस व्यक्ति के अधिकारों पर हमला है, जिसे संविधान ने समानता का अधिकार दिया है।

सभी देशवासियों और प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!आइए, उन अमर शहीदों को कृतज्ञता से स्मरण करें, जिन्...
26/01/2025

सभी देशवासियों और प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

आइए, उन अमर शहीदों को कृतज्ञता से स्मरण करें, जिन्होंने आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया।
उनके संकल्पों और सपनों का भारत बनाने के लिए हम सभी मिलकर प्रयास करें।

मैं स्वतंत्रता सेनानियों, संविधान निर्माताओं और देश की अखंडता व एकता के लिए बलिदान देने वाले वीर जवानों को नमन करता हूं।

जय हिंद! 🇮🇳

यह कैसा लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी....ऐसी विधायक को तुरंत माफ़ी माँगनी चाहिए और भाजपा के द्वारा साधना सिंह(विधायक) ...
22/01/2025

यह कैसा लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी....
ऐसी विधायक को तुरंत माफ़ी माँगनी चाहिए और भाजपा के द्वारा साधना सिंह(विधायक) को पार्टी से निष्कासित करना करना चाहिए

पूर्व मुख्यमंत्री, बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो आयरन लेडी माननीया सुश्री बहन कु. मायावती जी को उनके 69वें जन्मदिन पर हा...
15/01/2025

पूर्व मुख्यमंत्री, बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो आयरन लेडी माननीया सुश्री बहन कु. मायावती जी को उनके 69वें जन्मदिन पर हार्दिक बधाई।

दलित, पिछड़े और शोषित वर्ग की आवाज़ बनने वाली माननीया बहनजी ने सामाजिक न्याय और समानता के लिए अपना अद्वितीय योगदान दिया है।

बाबा साहब अंबेडकर जी के सपनों को साकार करने के उनके प्रयास, हर संघर्षशील व्यक्ति के लिए प्रेरणा हैं। उनके नेतृत्व में बसपा ने हाशिए पर खड़े समाज को सशक्त बनाया। हम प्रार्थना करते हैं कि उनका जीवन दीर्घायु हो और वे समाज के हित में ऐसे ही कार्य करती रहें।

वो दलित की बेटी थी, चीखती रही,पर समाज के कानों तक आहट न गई।62 जख्मों का हिसाब कौन देगा?आखिर कब तक ये जुल्म सहेगा?जागो, द...
14/01/2025

वो दलित की बेटी थी, चीखती रही,
पर समाज के कानों तक आहट न गई।
62 जख्मों का हिसाब कौन देगा?
आखिर कब तक ये जुल्म सहेगा?

जागो, दलित समाज, अब चुप्पी तोड़ो,
अपनी अस्मिता के लिए मशाल पकड़ो।
तुम्हारी ताकत तुम्हारा हक है,
अब और न कोई तिरस्कार सहो।

मत देखो किसी और की ओर,
खुद बनो अपने न्याय के सिरमौर।
संघर्ष से ही बदलाव आएगा,
दलित समाज का सूरज चमक जाएगा।

याद रखो, तुम्हारी चुप्पी उनकी ताकत है,
तुम्हारी हुंकार से ही नया समाज बनता है।
अब हर दरिंदे को झुकाना होगा,
हर बेटी को उसका सम्मान दिलाना होगा।

ये राजस्थान के बाड़मेर में अनुसूचित-जाति के युवक उल्टा नहीं लटक रहा, ये राजस्थान में क़ानून व्यवस्था उल्टी लटक रही है।बस...
14/01/2025

ये राजस्थान के बाड़मेर में अनुसूचित-जाति के युवक उल्टा नहीं लटक रहा, ये राजस्थान में क़ानून व्यवस्था उल्टी लटक रही है।

बस उल्टे लटके युवक की गर्दन क** दी जाए, तो "रामराज के शंभुक कांड की भी पुनरोक्ति हो जाएगी"।

12/01/2025

जो खाए हराम का वो भगवान का सपूत
जो खाए मेहनत का वो कहलाए अछूत ।
यह संस्कृति है हमारे देश की...

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