15/10/2025
🇮🇳 “2014 – जब विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया की धरती पर अपने बल्ले से इतिहास लिखा।” 🏏🔥
साल था 2014।
ऑस्ट्रेलिया की धरती — जहाँ विदेशी बल्लेबाज़ अक्सर टूट जाते हैं, जहाँ हर बाउंसर में डर छुपा होता है, जहाँ स्लेजिंग के तीर हर ओवर में छोड़े जाते हैं।
पर उस बार, वहाँ कुछ अलग हुआ था…
वहाँ विराट कोहली नाम का एक लड़का उतरा था — जो सिर्फ रन बनाने नहीं, बल्कि दुनिया को जवाब देने आया था 💪
---
🌅 एडिलेड – वो शुरुआत, जिसने सब बदल दिया
पहला टेस्ट, एडिलेड की गर्म दोपहर।
टीम इंडिया के कप्तान एम.एस. धोनी बाहर थे, और कोहली पहली बार कप्तानी कर रहे थे।
दबाव था, जिम्मेदारी थी, और सामने थी ऑस्ट्रेलिया की खतरनाक गेंदबाज़ी लाइनअप — मिशेल जॉनसन, स्टार्क, हेज़लवुड।
पहली पारी में कोहली ने 115 रन, और दूसरी में 141 रन ठोके।
जब बाकी बल्लेबाज़ लड़खड़ा रहे थे, विराट की आँखों में सिर्फ एक ही बात थी — “अब रुकना नहीं है।”
हर चौका, हर छक्का, हर दहाड़… जैसे एक वादा था खुद से।
भारत वो मैच भले हार गया, पर उस दिन ऑस्ट्रेलिया ने “किंग कोहली” का नाम पहली बार महसूस किया। 👑
---
🏟️ मेलबर्न – जब विराट ने खुद को ‘अजेय’ साबित किया
तीसरा टेस्ट।
मेलबर्न की भीड़ खचाखच भरी हुई थी।
हर बार जब ऑस्ट्रेलियाई फील्डर स्लेज करता, विराट मुस्कुराता… और अगले ही बॉल पर चौका मार देता।
उस मैच में उसने 169 रन बनाए — और हर रन ऐसा जैसे किसी ने कहा हो,
> “अब वक्त है जवाब का, बात बल्ले से होगी।”
---
🌇 सिडनी – आख़िरी जंग, आख़िरी शतक
सीरीज़ का आख़िरी मैच — सिडनी।
थकावट थी, मगर हौसला पहले से ऊँचा।
विराट ने एक बार फिर जड़ा शतक — 147 रन।
चार टेस्ट, चार शतक, कुल 692 रन, औसत 86.50!
ऑस्ट्रेलिया के बाउंसी विकेट्स पर खड़े होकर उसने दुनिया को दिखा दिया —
> “मैं सिर्फ बल्लेबाज़ नहीं हूँ, मैं एक जंग लड़ने वाला योद्धा हूँ।” ⚔️🔥
---
उस सीरीज़ ने भारतीय क्रिकेट की दिशा ही बदल दी।
वो विराट अब सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं रहा — वो एक जुनून बन गया।
उसकी दहाड़ में भारत की आवाज़ थी, उसकी आंखों में चुनौती थी, और उसके बल्ले में आत्मविश्वास की चमक।
2014 की वो सर्दियाँ आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिल में आग की तरह जलती हैं…
क्योंकि उस साल, एक खिलाड़ी नहीं — एक युग पैदा हुआ था।
“विराट कोहली का युग।” 🔥🇮🇳
---
#विराटकोहली