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दो बच्चे रात को एक दुकान से संतरों की टोकरी चुराकर लाएऔर सोचा कि इनका बंटवारा कर लेते हैं । एक ने कहा कि चलो कब्रिस्तान ...
16/08/2024

दो बच्चे रात को एक दुकान से संतरों की टोकरी चुराकर लाए

और सोचा कि इनका बंटवारा कर लेते हैं ।

एक ने कहा कि चलो कब्रिस्तान में चलकर बंटवारा कर लेते हैं ।

तब वो दोनों कब्रिस्तान के दरवाजे को फांदकर अंदर जाते हैं ,

उसी समय दो संतरे टोकरी में से गिर जाते हैं ।

वो उन्हे अनदेखा कर आगे

बढकर एक कब्र के पास बैठकर संतरों का बंटवारा करते हैं ।

एक तेरा एक मेरा,

एक तेरा एक मेरा ।

एक तेरा एक. मेरा

उसी समय एक शराबी वँहा से गुजरता है ।

जैसे ही वो "एक तेरा एक मेरा " की आवाज सुनता है

उसका नशा उतर जाता है और भागता हुआ पादरी के पास जाता है
और कहता है कि कब्रिस्तान में भगवान और शैतान आपस में मुर्दों को बांट रहे हैं ।

मैंने उन्हें एक तेरा एक मेरा कहते सुना है ।

इतना सुनकर पादरी उस शराबी के साथ जाता है

और जैसे ही दोनों कब्रिस्तान के गेट तक पहुँचते है
वैसे ही उल्टे पाँव वापस भाग जाते है

क्योंकि

अंदर से आवाज आती है इनका तो बंटवारा हो गया

लेकिन

जो दो कब्रिस्तान के दरवाजे के पास है उनका क्या करें....😜

सलाह.....😊जयंत बाबू शिक्षक से सेवानिवृत्त  हुए हैं।वह और उनकी पत्नी पटना के एक  फ्लैट में रहते हैं।उन्होंने दशहरा में अप...
16/08/2024

सलाह.....😊

जयंत बाबू शिक्षक से सेवानिवृत्त हुए हैं।
वह और उनकी पत्नी पटना के एक फ्लैट में रहते हैं।

उन्होंने दशहरा में अपने गाँव जाने की योजना बनाई।

गाँव जाने से पहले जयंत बाबू ने सोचा कि अगर उनकी गैरमौजूदगी में कोई चोर घुस गया तो वो घर की सारी अलमारी और पेटी तोड़ कर क्षतिग्रस्त कर देंगे क्योंकि कोई नकद नहीं मिलेगा।

इसलिए उन्होने घर को बर्बाद होने से बचाने के लिए 1000 रुपये टेबल पर रख दिए।

एक संवाद के साथ एक पत्र छोड़ा जिसमें लिखा था:

हे अजनबी, मेरे घर में प्रवेश करने के लिए आपने कड़ी मेहनत की इसके लिए मेरी हार्दिक बधाई।

लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है की हम शुरू से मध्यम वर्गीय परिवार से हैं और हमारा परिवार बिना पेंशन के पैसे से चलता है। इसलिए हमारे पास कोई नकदी नहीं है।

मुझे सच में बहुत शर्म आ रही है कि आपकी मेहनत और आपका कीमती समय बर्बाद हो रहा है।

इसलिए मैंने आपकी पैरों की धूल के सम्मान में यह थोड़े से पैसे मेज पर छोड़ दिए हैं।

कृपया इसे स्वीकार करें।

और मैं आपको आपके बिजनेस को बढ़ाने के कुछ तरीके बता रहा हूं।

आप कोशिश कर सकते हैं।

सफलता मिलेगी।

मेरे फ्लैट के सामने आठवीं मंजिल पर एक बहुत प्रभावशाली भ्रष्ट मंत्री रहता है।

नामी प्रॉपर्टी बईमान डीलर सातवें माले में रहता है।

सहकारी बैंक के अध्यक्ष जो छठे तल पर रहते हैं।

पांचवी मंजिल पर प्रमुख उद्योगपति।

चौथी मंजिल पर नामी महाराज जी हैं।

व तीसरी मंजिल पर एक भ्रष्ट राजनीतिक नेता हैं।

उनका घर गहनों और नकदी से भरा है।

मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं की आपकी व्यावसायिक सफलता उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगी और उनमें से कोई भी पुलिस को रिपोर्ट नहीं करेगा।

दशहरा के बाद जब जयंत बाबू और उनकी पत्नी वापस अपनी फ्लैट में लौटे तो उन्हें टेबल पर एक बैग रखा मिला।

बैग में 10 लाख रुपए नकद और एक पत्र रखा देखकर वह हैरान रह गये।

पत्र पर लिखा था:
गुरुजी आपके निर्देश और शिक्षा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सर।👏

मुझे इस बात का अफ़सोस है की मैं पहले क्यों आपके करीब नहीं आ पाया।

आपके निर्देशानुसार मैंने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया।

मैंने इस छोटी सी राशि को धन्यवाद के रूप में छोड़ दिया है।

भविष्य में भी मैं आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन की कामना करता हूँ...

भवदीय - चोर...🤪🤪

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एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पुछा : जीवन का मूल्य क्या है?बुद्ध ने उसे एक Stone दिया और कहा : जा और इस stone कामूल्य पता कर...
16/08/2024

एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पुछा : जीवन का मूल्य क्या है?

बुद्ध ने उसे एक Stone दिया और कहा : जा और इस stone का
मूल्य पता करके आ , लेकिन ध्यान रखना stone को बेचना नही है I

वह आदमी stone को बाजार मे एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?

संतरे वाला चमकीले stone को देखकर बोला, "12 संतरे लेजा और इसे मुझे दे जा"

आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले stone को देखा और कहा
"एक बोरी आलू ले जा और इस stone को मेरे पास छोड़ जा"

आगे एक सोना बेचने वाले के
पास गया उसे stone दिखाया सुनार उस चमकीले stone को देखकर बोला, "50 लाख मे बेच दे" l

उसने मना कर दिया तो सुनार बोला "2 करोड़ मे दे दे या बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे..

उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरू ने इसे बेचने से मना किया है l

आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे stone दिखाया l

जौहरी ने जब उस बेसकीमती रुबी को देखा , तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उस बेसकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका l

फिर जौहरी बोला , "कहा से लाया है ये बेसकीमती रुबी? सारी कायनात , सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नही लगाई जा सकती ये तो बेसकीमती है l"

वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध के पास आया l

अपनी आप बिती बताई और बोला "अब बताओ भगवान , मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?

बुद्ध बोले :

संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत "12 संतरे" की बताई l

सब्जी वाले के पास गया उसने इसकी कीमत "1 बोरी आलू" बताई l

आगे सुनार ने "2 करोड़" बताई lऔर जौहरी ने इसे "बेसकीमती" बताया l

अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है l

तू बेशक हीरा है..!!लेकिन, सामने वाला तेरी कीमत,
अपनी औकात - अपनी जानकारी - अपनी हैसियत से लगाएगा।no

घबराओ मत दुनिया में.. तुझे पहचानने वाले भी मिल जायेगे।

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रिश्तों मे नफा नुकशान नही देखा जाता।विनोद हाईवे पर गाड़ी चला रहा था। सड़क के किनारे उसे एक 12-13 साल की लड़की तरबूज बेचत...
16/08/2024

रिश्तों मे नफा नुकशान नही देखा जाता।

विनोद हाईवे पर गाड़ी चला रहा था। सड़क के किनारे उसे एक 12-13 साल की लड़की तरबूज बेचती दिखाई दी। विनोद ने गाड़ी रोक कर पूछा "तरबूज की क्या रेट है बेटा? " लड़की बोली " 50 रुपये का एक तरबूज है साहब।"

पीछे की सीट पर बैठी विनोद की पत्नी बोली " इतना महंगा तरबूज नही लेना जी। चलो यहाँ से। "विनोद बोला "महंगा कहाँ है इसके पास जितने तरबूज है कोई भी पांच किलो के कम का नही होगा। 50 रुपये का एक दे रही है तो 10 रुपये किलो पड़ेगा हमें। बाजार से तो तू बीस रुपये किलो भी ले आती है। "

विनोद की पत्नी ने कहा तुम रुको मुझे मोल भाव करने दो।” फिर वह लड़की से बोली "30 रुपये का एक देना है तो दो वरना रहने दो। " लड़की बोली " 40 रुपये का एक तरबूज तो मै खरीद कर लाती हूँ आंटी। आप 45 रुपये का एक ले लो। इससे सस्ता मै नही दे पाऊँगी।"

विनोद की पत्नी बोली" झूठ मत बोलो बेटा। सही रेट लगाओ देखो ये तुम्हारा छोटा भाई है न? इसी के लिए थोड़ा सस्ता कर दो।" उसने खिड़की से झाँक रहे अपने चार वर्षीय बेटे की तरफ इशारा करते हुए कहा।

सुंदर से बच्चे को देख कर लड़की एक तरबूज हाथों मे उठाते हुए गाड़ी के करीब आ गई। फिर लड़के के गालों पर हाथ फेर कर बोली " सचमुच मेरा भाई तो बहुत सुंदर है आँटी।" विनोद की पत्नी बच्चे से बोली "दीदी को नमस्ते बोलो बेटा। " बच्चा प्यार से बोला "नमस्ते दीदी। लड़की ने गाड़ी की खिड़की खोल कर बच्चे को बाहर निकाल लिया फिर बोली " "तुम्हारा नाम क्या भैया? "

लड़का बोला " मेरा नाम गोलू है दीदी। " बेटे को बाहर निकालने के कारण विनोद की पत्नी कुछ असहज हो गई। तुरंत बोली "अरे बेटा इसे वापस अंदर भेजो। इसे डस्ट से एलर्जी है।"लड़की उसकी आवाज पर ध्यान न देते हुए लड़के से बोली "तु तो सचमुच गोल मटोल है रे भाई। तरबूज खाएगा? "लड़के ने हाँ मे गर्दन हिलाई तो लड़की ने तरबूज उसके हाथों मे थमा दिया।

पाँच किलो का तरबूज गोलू नही संभाल पाया। तरबूज फिसल कर उसके हाथ से नीचे गिर गया और फूट कर तीन चार टुकड़ों मे बंट गया। तरबूज के गिर कर फुट जाने से लड़का रोने लगा।

लड़की उसे पुचकारते हुए बोली अरे भाई रो मत। मै दूसरा लाती हूँ। फिर वह दौड़कर गई और एक और बड़ा सा तरबूज उठा लाई।

जब तक वह तरबूज उठा कर लाई इतनी देर मे विनोद की पत्नी ने बच्चे को अंदर गाड़ी मे खींच कर खिड़की बन्द कर ली। लड़की खुले हुए शीशे से तरबूज अंदर देते हुए बोली "ले भाई ये बहुत मिठा निकलेगा।” विनोद चुपचाप बैठा लड़की की हरकतें देख रहा था।

विनोद की पत्नी बोली "जो तरबूज फूटा है मै उसके पैसे नही दूँगी। वह तुम्हारी गलती से फूटा है। "लड़की मुस्कराते हुए बोली "उसको छोड़ो आंटी। आप इस तरबूज के पैसे भी मत देना। ये मैने अपने भाई के लिए दिया है। "

इतना सुनते ही विनोद और उसकी पत्नी दोनों एक साथ चौंक पड़े। विनोद बोला " नही बिटिया तुम अपने दोनों तरबूज के पैसे लो।" फिर सौ का नोट उस लड़की की तरफ बढ़ा दिया। लड़की हाथ के इशारे से मना करते हुए वहाँ से हट गई। औ अपने बाकी बचे तरबुजों के पास जाकर खड़ी हो गई।

विनोद भी गाड़ी से निकल कर वहाँ आ गया था। आते ही बोला "पैसे ले लो बेटा वरना तुम्हारा बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा।" लड़की बोली "माँ कहती है जब बात रिश्तों की हो तो नफा नुकसान नही देखा जाता। आपने गोलू को मेरा भाई बताया मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरा भी एक छोटा सा भाई था मगर.."

विनोद बोला "क्या हुआ तुम्हारे भाई को? "

वह बोली "जब वह दो साल का था तब उसे रात मे बुखार हुआ था। सुबह माँ हॉस्पिटल मे ले जा पाती उससे पहले ही उसने दम तौड़ दिया था। मुझे मेरे भाई की बहुत याद आती है। उससे एक साल पहले पापा भी ऐसे ही हमे छोड़ कर गुजर गए थे।

विनोद की पत्नी बोली "ले बिटिया अपने पैसे ले ले। " लड़की बोली "पैसे नही लुंगी आंटी।"

विनोद की पत्नी गाड़ी मे गई फिर अपने बैग से एक पाजेब की जोड़ी निकाली। जो उसने अपनी आठ वर्षीय बेटी के लिए आज ही तीन हजार मे खरीदी थी। लड़की को देते हुए बोली। तुमने गोलू को भाई माना तो मै तुम्हारी माँ जैसी हुई ना। अब तू ये लेने से मना नही कर सकती।

लड़की ने हाथ नही बढ़ाया तो उसने जबरदस्ती लड़की की गोद मे पाजेब रखते हुए कहा "रख ले। जब भी पहनेगी तुझे हम सब की याद आयेगी। "इतना कहकर वह वापस गाड़ी मे जाकर बैठ गई।

फिर विनोद ने गाड़ी स्टार्ट की और लड़की को बाय बोलते हुए वे चले पड़े। विनोद गाड़ी चलाते हुए सोच रहा था कि भावुकता भी क्या चीज है। कुछ देर पहले उसकी पत्नी दस बीस रुपये बचाने के लिए हथकण्डे अपना रही थी।कुछ देर मे ही इतनी बदल गई जो तीन हजार की पाजेब दे आई।

फिर अचानक विनोद को लड़की की एक बात याद आई "रिश्तों मे नफा नुकसान नही देखा जाता।"

विनोद का प्रॉपर्टी के विवाद को लेकर अपने ही बड़े भाई से कोर्ट मे मुकदमा चल रहा था।।उसने तुरंत अपने बड़े भाई को फोन मिलाया। फोन उठाते ही बोला " भैया मै विनोद बोल रहा हूँ। "

भाई बोला "फोन क्यों किया? " विनोद बोला "भैया आप वो मैन मार्केट वाली दुकान ले लो। मेरे लिए मंडी वाली छोड़ दो। और वो बड़े वाला प्लॉट भी आप ले लो। मै छोटे वाला ले लूंगा। मै कल ही मुकदमा वापस ले रहा हूँ। " सामने से काफी देर तक आवाज नही आई।

फिर उसके बड़े भाई ने कहा "इससे तो तुम्हे बहुत नुकसान हो जाएगा छोटे? "विनोद बोला " भैया आज मुझे समझ मे आ गया है रिश्तों मे नफ़ा-नुकसान नही देखा जाता। एक दूसरे की खुशी देखी जाती है। उधर से फिर खानोशी छा गई। फिर विनोद को बड़े भाई की रोने की आवाज सुनाई दी।

विनोद बोला "रो रहे हो क्या भैया?" बड़ा भाई बोला " इतने प्यार से पहले बात करता तो सब कुछ मै तुझे दे देता रे। अब घर आ जा। दोनों प्रेम से बैठ कर बंटवारा करेंगे। इतनी बड़ी कड़वाहट कुछ मीठे बोल बोलते ही न जाने कहाँ चली गई थी। कल जो एक एक इंच जमीन के लिए लड़ रहे थे वे आज भाई को सब कुछ देने के लिए तैयार हो गए थे।

कहानी का मोरल:-
त्याग की भावना रखिये। अगर हमेशा देने को तत्पर रहोगे तो लेने वाले का भी हृदय परिवर्तन हो जाएगा।
याद रखे रिश्तों मे नफा-नुकसान नही देखा जाता।
अपनो को करीब रखने के लिए अपना हक भी छोड़ना पड़ता है

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🚩🚩🙏🙏

संगीता ने एक दिन अपने पति, अजय से आग्रह किया कि वह उसकी छह कमियाँ बताए, जिन्हें सुधारने से वह एक बेहतर पत्नी बन सके।अजय ...
16/08/2024

संगीता ने एक दिन अपने पति, अजय से आग्रह किया कि वह उसकी छह कमियाँ बताए, जिन्हें सुधारने से वह एक बेहतर पत्नी बन सके।

अजय यह सुनकर हैरान रह गया और असमंजस की स्थिति में पड़ गया। उसने सोचा कि वह बड़ी आसानी से संगीता को छह ऐसी बातों की सूची दे सकता है, जिनमें सुधार की जरूरत थी, और ईश्वर जानता है कि संगीता ऐसी ६० बातों की सूची थमा सकती थी, जिसमें उसे सुधार की जरूरत थी।

परंतु अजय ने ऐसा नहीं किया और कहा, "मुझे इस बारे में सोचने का समय दो, मैं तुम्हें सुबह इसका जवाब दूँगा।"

अगली सुबह अजय जल्दी ऑफिस गया और फूल वाले को फोन करके उसने संगीता के लिए छह गुलाबों का तोहफा भिजवाने के लिए कहा, जिसके साथ यह चिट्ठी लगी हो:

"मुझे तुम्हारी छह कमियाँ नहीं मालूम, जिनमें सुधार की जरूरत है। तुम जैसी भी हो, मुझे बहुत अच्छी लगती हो।"

उस शाम जब अजय ऑफिस से लौटा तो देखा कि संगीता दरवाज़े पर खड़ी उसका इंतज़ार कर रही थी। उसकी आंखों में आँसू भरे हुए थे। यह कहने की जरूरत नहीं कि उनके जीवन की मिठास कुछ और बढ़ गई थी।

अजय इस बात पर बहुत खुश था कि संगीता के आग्रह के बावजूद उसने उसकी छह कमियों की सूची नहीं दी थी।

इसलिए यथासंभव जीवन में सराहना करने में कंजूसी न करें और आलोचना से बचकर रहने में ही समझदारी है।

सारांश:
ज़िन्दगी का ये हुनर भी आज़माना चाहिए,
जंग अगर अपनों से हो तो हार जाना चाहिए।

पसीना उम्र भर का उसकी गोद में सूख जाएगा...
हमसफ़र क्या चीज है ये बुढ़ापे में समझ आएगा।

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राजेश और राधिका की शादी को छह महीने हो गए थे। राजेश इकहरे बदन का साधारण सा युवक था, जो देखने में बहुत मामूली लगता था। वह...
16/08/2024

राजेश और राधिका की शादी को छह महीने हो गए थे। राजेश इकहरे बदन का साधारण सा युवक था, जो देखने में बहुत मामूली लगता था। वहीं, राधिका बेहद खूबसूरत थी। भगवान ने उसे अद्वितीय सौंदर्य दिया था। उसके गदराए गोरे बदन से गुलाबों की महक आती थी। उसकी आंखों से सैकड़ों मधुशालाएँ बहती थीं। जो भी उसे एक बार देखता, वह उसी का होकर रह जाता। उसका फिगर ऐसा था कि उसे देखकर मॉडल भी ईर्ष्या करने लगतीं। कुल मिलाकर, राधिका असाधारण सुंदरता की मलिका थी। मगर उसका मुकद्दर ऐसा था कि उसे राजेश जैसा साधारण सा पति मिला। न शक्ल-सूरत में आकर्षक, न चुस्त-दुरुस्त बदन। न वह कोई धनी व्यक्ति था और न अधिक पढ़ा-लिखा। बस, एक स्कूल में बाबू था राजेश। यह नौकरी भी उसके पिता की मृत्यु के कारण उसे मिली थी। इसमें उसका कोई योगदान नहीं था।

राधिका ने राजेश को कैसे पसंद कर लिया, इसके पीछे भी एक कहानी है। राधिका अपने गांव में ही पढ़ रही थी। वह 16-17 साल की हो गई थी। एक कमसिन कली धीरे-धीरे फूल बन रही थी। उसके हुस्न की महक पूरे गांव में फैलने लगी थी। उसका परिवार बहुत साधारण सा था। ईश्वर की लीला भी अपरंपार है। वह किसी को धन-दौलत देता है तो किसी को सौंदर्य से मालामाल कर देता है। कुछ ही लोगों को वह दोनों चीजों से नवाजता है। राधिका कीचड़ में कमल की तरह खिल रही थी। उसके रूप-यौवन का जादू उसके गांव से बाहर जाकर भी शोर मचाने लगा था। गुदड़ी में लाल वाली कहावत राधिका पर फिट बैठ रही थी। ऐसा लगता था कि सारा सौंदर्य उसी पर बरसा दिया था भगवान ने। उसे देखकर रास्ते में आते-जाते लोग आहें भरने पर मजबूर हो जाते थे। उस पर तरह-तरह की फब्तियां कसते थे।

राधिका ऐसे कमेंट सुनने की आदी हो गई थी। वह जब-जब ऐसे कमेंट सुनती, शरमा जाती थी। उसका दिल धड़क-धड़क जाता था और होंठों पर बरबस मुस्कान आ जाती थी। उसकी आंखों में एक अनोखी मदहोशी सी छा जाती थी। इन सबसे उसकी चाल भी और मतवाली हो गई थी। दिल फेंक लोग हाथों में अपना दिल लेकर उसके आगे-पीछे घूमने लगे थे। अपने आगे-पीछे शोहदों की कतार देखकर उसे अपने सौंदर्य पर अभिमान होने लगा था। उसका दिल भी उन लड़कों की ओर खिंचने लगा था।

उसे भरे-पूरे बदन वाले चिकने गबरू जवान लड़के पसंद आते थे। उसकी निगाह ऐसे ही युवकों पर ठहरती थी। बाकी को तो वह घास भी नहीं डालती थी।

एक दिन वह कुछ सामान खरीदने अपनी सहेली के साथ बाजार जा रही थी। उसकी सहेली ने उससे धीरे से कहा कि एक गबरू जवान लड़का उन दोनों के पीछे-पीछे चल रहा है। राधिका ने उस युवक को कनखियों से देखा। बड़ा बांका सजीला नौजवान था वह। राधिका भी उस गबरू जवान के डील-डौल को देखकर उस पर रीझ गई। उसके होंठों ने मुस्कुराकर उसे निमंत्रण भेज दिया। बस, गबरू जवान को तो इशारा मिलने की देर थी, वह खिल उठा। वह राधिका के एकदम पास आया और धीरे से बोल दिया, "आई लव यू।" राधिका ने आंखें झुकाकर उसका प्रेम निमंत्रण स्वीकार कर लिया। उसके इशारों को समझकर वह नौजवान उसके साथ अठखेलियां करते-करते चलता चला गया और उसके पीछे-पीछे राधिका के घर तक आ गया। इससे राधिका बहुत खुश हुई। उस नौजवान ने उसका घर देख लिया था, वह अब यहां रोज आ जा सकेगा। नौजवान ने 10 बजे का इशारा किया और फिर वह चला गया। राधिका सपनों की दुनिया सजाने बैठ गई।

उसने अपना काम फटाफट कर लिया और अपने कमरे की खिड़की खोलकर उसके सामने बैठकर पढ़ने का नाटक करने लगी। रात में ठीक दस बजे जब राधिका ने खिड़की के बाहर देखा तो वह गबरू जवान वहां खड़ा था। उसे देखकर वह भी खिड़की पर आ गई और अपने कमरे की लाइट बंद कर दी जिससे किसी को वह दिखाई नहीं दे।

राधिका को खिड़की पर आया देखकर वह नौजवान भी धीरे-धीरे खिड़की के पास आ गया। गबरू नौजवान ने अपना हाथ खिड़की के अंदर डालकर राधिका का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे धीरे-धीरे सहलाने लगा। राधिका को उसका स्पर्श बहुत सुखद लग रहा था। उसके दिल की धड़कनें बहुत बढ़ गई थीं। उसे डर भी लग रहा था कि कहीं कोई देख न ले। उसने अपना हाथ छुड़ा लिया और धीरे से कहा, "कोई आ जाएगा ना। अभी तुम जाओ। मैं रात में बारह बजे दरवाजा खोल दूंगी, तुम अंदर आ जाना।" गबरू ने उसका हाथ दबाकर जता दिया कि वह बारह बजे आएगा और फिर वह वहां से चला गया।

रात को ठीक बारह बजे जब सब लोग अपने-अपने कमरों में सोये हुए थे, तब राधिका ने चुपके से दरवाजा खोल दिया। गबरू बाहर उसका इंतजार कर रहा था। दरवाजा खुलते ही नौजवान अंदर आ गया। राधिका ने पहले से ही सारी योजना बना ली थी कि उसे क्या और कैसे करना है। वह उसे लेकर ऊपर छत पर चली गई। एकांत देखकर गबरू ने उसे बाहों में भर लिया। वह भी उससे लता की तरह लिपट गई। दोनों दीवानों की तरह आलिंगनबद्ध हो गए। राधिका एक पल को यह भूल गई थी कि वह अपने ही घर में है। उसकी आंखें आनंद से स्वत: बंद हो गईं। जैसे ही राधिका ने अपनी आंखें खोलीं तो उसके मुंह से बेसाख्ता एक चीख निकल गई। उसकी मां उसकी आंखों के

सामने ही खड़ी थी। इश्क के बाजार में पहले दिन ही उसकी चोरी पकड़ी गई थी। वह झटककर गबरू से अलग हो गई। उसकी मां ने डांटकर उस गबरू को भगा दिया और राधिका के गाल पर तड़ातड़ चार-पांच थप्पड़ जड़ दिए। राधिका को धकियाते हुए उसकी मां उसे नीचे ले आई।

इस घटना से घर में हंगामा हो गया। राधिका के पिता और भाई ने भी राधिका की अच्छी खासी पिटाई की और उसका घर से बाहर आना-जाना बंद कर दिया। वह अपने ही कमरे में कैद कर दी गई। उसके कमरे की खिड़की ईंटों से चिनवा दी गई। उसके सारे सपने खिलने से पहले ही मुरझा गये थे। उसे गबरू से मिलने का कोई अवसर नहीं दिया गया।

बात अड़ोस-पड़ोस, नाते-रिश्तेदारों में न फैले इसके लिए आनन-फानन में उसकी शादी करने की योजना बन गई। राधिका के घरवाले उसकी शादी जल्दी से जल्दी करना चाहते थे जिससे उनके खानदान पर कोई कलंक न लग सके। उन्हीं दिनों राजेश का रिश्ता आया था। वह सरकारी बाबू था। स्थाई नौकरी थी। और क्या चाहिए था? राजेश ने तो राधिका को देखते ही हां कर दी थी। आखिर एक "ड्रीम गर्ल" से शादी होने वाली थी उसकी। तो आनन-फानन में राधिका की शादी राजेश से हो गई।

राधिका के ख्वाब बहुत ऊंचे थे लेकिन घरवालों के आगे उसकी एक न चली। उसने मन मारकर शादी कर ली। राजेश को तो जैसे "कारूं का खजाना" मिल गया था। राधिका जैसे अनमोल मोती को पाकर वह धन्य हो गया था। राधिका के हुस्न और उसके मचलते यौवन ने उस पर जादू सा कर दिया था। वह उसके हुक्म का गुलाम हो गया। उसने राधिका की खुशी को ही अपनी खुशी बना लिया। राधिका के ख्वाब पूरे करना ही उसकी जिंदगी का ध्येय बन गया था।

लेकिन राधिका ने राजेश को कभी प्यार नहीं किया। उसकी आंखों में तो वह गबरू जवान बसा हुआ था। राधिका ने राजेश को कभी अपना पति माना ही नहीं और राजेश उसे अपनी जिन्दगी समझ बैठा। राधिका उसकी उपेक्षा करती थी पर राजेश उसके प्रेम में दीवाना था। उसे राधिका की उपेक्षा भी भली लगती थी। कभी-कभी तो राधिका जानबूझकर उसके खाने में नमक ज्यादा डाल देती थी जिससे राजेश ढंग से खाना नहीं खा पाए। उसे राजेश को रुलाने में आनंद आता था। राजेश के साथ रहना राधिका को अपमानजनक सा लगता था और वह इस स्थिति के लिए राजेश को ही जिम्मेदार मान बैठी थी। लेकिन राजेश ने कभी कोई शिकायत राधिका से नहीं की थी।

एक बार राजेश के गांव में एक मेला लगा था। गांव की बेटियां और बहुएं सजधज कर मेला देखने जाती थीं। उन्हें जाते देखकर राधिका का दिल भी मेला देखने के लिए मचलने लगा। राधिका को घर से बाहर निकलने का मौका कम ही मिलता था। वह घर से बाहर निकलने के लिए बेताब रहती थी। वह अपने हुस्न की चांदनी को मेले में बिखेरना चाहती थी।

एक दिन उसने राजेश से कहा कि शाम को जल्दी घर आ जाना, आज मेला देखने चलेंगे। राजेश को राधिका की फरमाइश पूरी करने में आनंद आता था, इसलिए वह जल्दी घर आ गया। तब तक राधिका मेले में जाने के लिए बन संवर कर तैयार बैठी थी। राजेश को घर पर देखकर वह बहुत खुश हुई। आज वह अपने हुस्न के जलवे दिखाने मेले में जाने वाली थी। उसने कृतज्ञता से अपनी बड़ी-बड़ी कातिल नजरों से राजेश को देखा। राजेश तो उसकी निगाहों को देखकर ही धन्य हो गया था। राधिका को मेहरबान समझकर राजेश ने उसे अपनी बांहों में जकड़ने की कोशिश की, मगर वह मछली की तरह फिसलकर उसकी बांहों के बीच से निकल गई और हंसते हुए कहने लगी, "श्रीमान जी, इतनी जल्दी क्या है? पकड़म-पकड़ाई खेलने के लिए तो पूरी रात पड़ी है। अभी तो पहले मेले में चलिए।" राजेश भी हंसकर मान गया।

दोनों मेले में पहुँच गए और खूब मस्ती करने लगे। राधिका उन्मुक्त हसीना की तरह उससे छेड़खानी करने लगी। मेले में राधिका के हुस्न का जलवा कुछ ऐसा जमा कि उसके पीछे-पीछे आवारा लड़कों की भीड़ चलने लगी। फब्तियां कसी जाने लगीं। सीटियां बजने लगीं। राधिका ने न जाने कितने दिनों बाद ये नजारा फिर से देखा था। वह मन ही मन बहुत खुश हुई। इधर इस माहौल को देखकर राजेश को गुस्सा आने लगा। वह बार-बार राधिका को घर चलने के लिए कहने लगा, लेकिन राधिका तो आई ही इस मजमे के लिए थी। आज एक बार फिर से उसकी हसरत पूरी हो रही थी। हुस्न को क्या चाहिए? प्रशंसा, प्रशंसा और केवल प्रशंसा। हुस्न की खुराक प्रशंसा ही है। यह खुराक राधिका को मेले में भरपूर मात्रा में मिल रही थी। आवारा लोगों के दुर्व्यवहार से राजेश झुंझलाने लगा था, मगर राधिका को उसमें मजा आ रहा था। आवारा लड़कों का झुंड उसके पीछे-पीछे चल रहा था। बस, इसी में उसे आनंद आ रहा था।

राधिका अपने पीछे भीड़ को लेकर मेले में चली जा रही थी कि इतने में एक तीस-पैंतीस साल का गोरा-चिट्टा बांका आदमी बंदूक़ से लैस होकर वहां आया। उसके साथ चार-पांच बंदूकधारी भी थे। उसे देखते ही आवारा लड़कों की भीड़ वहां से भाग खड़ी हुई। एकदम सन्नाटा सा छा गया वहां पर। अपने पीछे की भीड़ को गायब देखकर राधिका चौंक गई। उसकी नजर उस बंदूकधारी जवान पर पड़ी। गजब का

इससे पहले कि राधिका कुछ समझ पाती, वह औरत चली गई। राधिका उसके शब्दों का अर्थ ढूंढती रह गई। दिन इसी तरह गुजर रहे थे। एक दिन फिर वही औरत नीचे बगीचे में मिल गई। राधिका पूछ बैठी, "दीदी, आप कौन हैं?"

वह मुस्कुरा कर बोली, "क्या करोगी जानकर?"

"बस, ऐसे ही।"

"हमारा नाम सरिता है। हम टाइगर की पत्नी हैं।"

यह वाक्य सुनकर राधिका चौंकी। "टाइगर की पत्नी भी है?" राधिका ने पूछा, "कितने साल हो गए शादी को?"

वह हंसकर बोली, "कुछ याद नहीं।"

"ऐसा क्यों?"

"बस ऐसे ही। अब हममें पति-पत्नी का संबंध नहीं रहा।"

"क्या?"

"जी, आपने जो सुना वह सही है। हम पिछले तीन साल से उनसे अलग रहते हैं, मगर इसी प्रांगण में ही। उनको तो नित नये फूलों की महक लेने का शौक है। ये हमसे बर्दाश्त नहीं हुआ और हम उनसे अलग हो गए।" उसकी आवाज में दर्द था। राधिका को पहली बार अपराध बोध हुआ। सरिता चली गई और राधिका सोचती रह गई।

एक शाम को टाइगर आया और उसके साथ एक आदमी भी आया। टाइगर उसका परिचय करवाते हुए राधिका से बोला, "ये हैं मिस्टर अरुण कुमार। यहां के एस पी।" राधिका की आंखें फटी की फटी रह गईं। एक एस पी एक दुर्दांत अपराधी के घर क्यों आया है? वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही टाइगर बोला, "मुझे आज कुछ जरूरी काम आ गया है इसलिए मैं अभी जा रहा हूं। तुम एस पी साहब का अच्छे से ध्यान रखना। देखो, शिकायत का मौका नहीं मिलना चाहिए।" राधिका उन शब्दों का मतलब ढूंढने में व्यस्त हो गई।

इतने में एस पी साहब बाथरूम चले गए। पीछे से टाइगर धीमे से बोला, "आज की रात ये साहब यहीं पर रुकेंगे, तुम्हारे ही साथ। जब तक जागते रहें, तुम भी तरोताजा रहना। मेरे खास मेहमान हैं ये। इन्हें कोई शिकायत का मौका नहीं देना है।"

राधिका अब आसमान से सीधे धरती पर गिर पड़ी थी। वह खुद को टाइगर की बीवी समझ बैठी थी। मगर आज उसे अपनी औकात पता चल गई। अब उसके पास और विकल्प भी क्या था?

एस पी साहब सुबह चार बजे तक उसके साथ रहे। फिर चले गए। राधिका को पता चल गया था कि अब वह इसी तरह से दूसरे लोगों को परोसी जाती रहेगी। "हे भगवान! ये क्या कर लिया उसने?" मगर अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

एक दिन उसे सरिता फिर मिल गई। आज उसे पता चला कि अब तक न जाने कितनी लड़कियों की हत्या कर लाश ठिकाने लगा दी गई थी यहां पर। कितनी लड़कियों ने आत्महत्या कर ली थी यहीं पर। आज तक यहां से कोई भी लड़की जिंदा नहीं जा पाई थी। राधिका को अपना भविष्य दिख रहा था। अब उसे राजेश का प्यार याद आने लगा था। राजेश का प्रेम निर्मल और गहन था। टाइगर तो हवस का पुजारी था। वह प्यार को क्या जाने? दोनों की कोई तुलना ही नहीं थी। राधिका को अब राजेश साधारण आदमी नहीं, देवता लगने लगा था। उसने भी तो अपनी हवस की आग में एक देवता के प्रेम को ठुकरा दिया था।

उसे अपनी मौत दिखाई देने लगी थी। पर वह ऐसी मौत मरना नहीं चाहती थी, इसलिए उससे बचने का उपाय सोचने लगी। एक योजना उसके दिमाग में आई। योजना के तहत वह एक मनोचिकित्सक के पास दिखाने गई। टाइगर भी साथ था। मनोचिकित्सक ने और दवाओं के साथ नींद की कुछ गोली भी लिख दी थी। वह एक महीने की दवाई लेकर आ गई।

दो-तीन दिन बाद एक मंत्री जी को लेकर टाइगर घर आया। राधिका समझ गई कि आज की रात उसे मंत्री जी के साथ गुजारनी है। उसने अपनी योजना पर काम शुरू कर दिया। उसने चुपके से अपने पर्स से नींद की गोली निकाल ली और उसे शराब के प्याले में डाल दिया। फिर वह अपने हाथों से दोनों को बड़े प्रेम और मनुहार से शराब पिलाने लगी। धीरे-धीरे शराब और गोली का असर दोनों पर होने लगा। दोनों वहीं पर लुढ़क गए थे।

अब वह टाइगर की दो रिवॉल्वर ले आई। दोनों रिवॉल्वरों से उसने गोली मारी। एक से टाइगर को तो दूसरे से मंत्री को। दोनों में उसने तीन-तीन गोली मारी जिससे उनके बचने की कोई भी संभावना ना रहे। फिर वह चिल्लाती हुई बाहर भागी, "खून! खून!" फिर उसने एक एंबुलेंस बुलवाई और उन दोनों को अस्पताल ले चली। वहां पर दोनों को मृत घोषित कर दिया गया। राधिका ने पुलिस में आत्मसमर्पण कर दिया।

पुलिस ने उससे पूछताछ करके मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर दिया जिसने उसे जेल भेज दिया। राधिका के दिन जेल में कटने लगे। वहां पर उसे रह-रहकर राजेश की याद आने लगी। क्या शक्ल-सूरत ही मायने रखती है? क्या गठीला बदन ही मायने रखता है? मृगतृष्णा है ये रंग-रूप, यौवन। जब तक अथाह प्रेम का सागर हाथ ना लगे तब तक ही शक्लो-सूरत अच्छी लगती है। सबसे बड़ी चीज है प्रेम। प्रेम नहीं है तो शरीर का क्या महत्व? टाइगर के पास शरीर था पर प्रेम नहीं। राजेश प्रेम पुजारी था तो टाइगर हवस का भूखा भेड़िया। कितना अंतर है दोनों में। वह भी कितनी मूर्ख थी जो प्रेम के सागर को छोड़कर "शरीर" रूपी गंदे तालाब के पीछे-पीछे दौड़ती रही। मगर अब क्या हो सकता है?

जेल में वह दिन गुजार रही थी कि एक दिन गार्ड ने कहा, "कोई मिलने आया है आपसे।"

वह असमंजस में पड़ गई। कौन आया होगा? मगर अनुमान नहीं लगा सकी।

इतने में राजेश सामने आ गया। उसे देखकर उसकी भावनाओं का ज्वार बह निकला। आंखों से अविरल अश्रु धारा बह निकली। उसने मुंह फेर लिया और हिलकियां ले-लेकर रोने लगी।

राजेश ने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, "एक बार मेरी ओर तो देखो, राधिका। क्या मैं इतना बुरा हूं?"

राजेश के इन शब्दों ने ना जाने कैसा जादू किया राधिका पर कि वह फट पड़ी, "आप तो देवता हैं। मैं ही कुलटा हूं, कुलच्छिनी हूं, पापन हूं। मैं आपके लायक नहीं हूं। मुझे माफ़ कर दीजिए।"

राजेश ने उसके दोनों हाथों को पकड़कर अपने माथे और आंखों पर लगाया, फिर चूम कर बोला, "मैं तुमसे प्यार करता हूं, राधिका। मेरा प्यार सच्चाई की तरह है जिसे कोई मार नहीं सकता है। मैं अंत तक तुम्हारा इंतजार करूंगा।"

मिलने का समय समाप्त हो चुका था। राजेश ने उसके बचाव के लिए दिन-रात एक कर दिए। एक से बढ़कर एक वकील किए। पैसा पानी की तरह बहाया। ट्रायल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई जिसे उच्च न्यायालय ने दस साल तक सीमित कर दिया।

सजा पूरी होने पर जब वह जेल से बाहर आई तो वहां पर राजेश खड़ा हुआ उसका इंतजार कर रहा था। राधिका ने पश्चाताप के आंसुओं से अपना तन-मन भिगोकर निर्मल कर लिया था। निर्मल हृदय में भगवान बसते हैं। राधिका को प्रेम और हवस में अंतर समझ आ गया था।

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रिक्शा चालक का मन थोड़ा बेचैन था, क्योंकि अगले दिन उसे पैसों की बहुत जरूरत थी। वह सोच रहा था कि रात में शायद कुछ सवारियां...
16/08/2024

रिक्शा चालक का मन थोड़ा बेचैन था, क्योंकि अगले दिन उसे पैसों की बहुत जरूरत थी। वह सोच रहा था कि रात में शायद कुछ सवारियां मिल जाएं, इसलिए उसने अपने रिक्शे को बाहर से आने वाली बसों के स्टैंड के ब्रिज के नीचे खड़ा कर दिया। रात में वह अक्सर रिक्शा नहीं चलाता था, लेकिन आज हालात कुछ और ही थे।

थोड़ी देर इंतजार के बाद उसने देखा कि दो जवान लड़के बस से उतरकर उसकी ओर आ रहे थे। उनके पास कुछ सामान भी था। उन्होंने पास आकर उससे पूछा, "मिलिट्री कैम्प एरिया चलोगे?"

रिक्शा चालक ने जवाब दिया, "हाँ, चलेंगे। डेढ़ सौ रुपये लगेंगे।"

लड़कों ने थोड़ा हैरान होकर कहा, "बहुत ज्यादा बता रहे हो, शायद पास में ही है यहाँ से।"

उसने धीरे से समझाया, "जी, यह रास्ता करीब पांच किलोमीटर है, और चढ़ाई का रास्ता है। रात का समय भी है, और ये काफी मेहनत का काम है।"

लड़कों ने थोड़ी देर इधर-उधर देखा, शायद किसी ऑटो रिक्शा की तलाश कर रहे थे। लेकिन ब्रिज के नीचे ऑटो रिक्शा आमतौर पर नहीं लगते थे, इसलिए उन्होंने कोई विकल्प न देखकर रिक्शे पर ही बैठने का फैसला किया।

रिक्शा चालक ने रिक्शा चलाना शुरू किया, लेकिन जैसे ही वह थोड़ी दूर चला, उसे एहसास हुआ कि उसके शरीर में ताकत नहीं बची है। चढ़ाई और सामान का वजन उसके लिए भारी पड़ने लगा। उसका मन और शरीर दोनों थकान से चूर हो रहे थे, और सुबह से उसने कुछ ढंग का खाया भी नहीं था।

एक लड़के ने उसकी हालत देखकर पूछा, "क्या हुआ काका? रिक्शा खराब है क्या?"

रिक्शा चालक ने पसीना पोंछते हुए कहा, "आज पता नहीं क्या हो गया है, रिक्शा खींचने में दिक्कत हो रही है।"

लड़कों में से एक तुरंत उतर गया। उसने रिक्शा चालक की हालत को भांपते हुए कहा, "आप नीचे उतरो, काका। मैं देखता हूँ।" उसने चालक की बांह पकड़ी और उसे अपनी सीट पर बिठा दिया। लड़के ने रिक्शा खुद चलाना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में ही मिलिट्री कैम्प एरिया तक पहुंच गए।

रिक्शा चालक की हालत अब भी कमजोर थी। वह सोच रहा था कि आज का दिन ही शायद खराब है। कमाई की अब कोई उम्मीद नहीं थी, और उसके मन में निराशा घर कर रही थी। जैसे ही वे कैम्प के पास पहुंचे, दोनों लड़के नीचे उतर गए और अपने सामान को भी उतार लिया।

रिक्शा चालक वापस जाने की तैयारी कर रहा था कि एक लड़के ने उसे रोकते हुए कहा, "काका, रुकिए!"

उसने अपनी जेब से दो सौ रुपये निकाले और रिक्शा चालक के हाथ में रख दिए।

चालक ने हैरान होते हुए कहा, "पर मैंने तो मेहनत भी नहीं की... ये पैसे कैसे रख लूँ, बेटा?"

लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा, "क्या काका! आप मुझे बेटा भी बोलते हो और फिर भी इनकार कर रहे हो। रख लो, आपको शायद बुखार भी है, दवा भी ले लेना।"

रिक्शा चालक के आँखों में आंसू आ गए, उसने कांपते हुए हाथों से पैसे लिए। उसके मन में उन जवानों के प्रति गहरा सम्मान उमड़ आया। वह देखता रहा, जब तक वे दोनों जवान अपने कैम्प की ओर बढ़ते रहे। उसके दिल में गर्व और कृतज्ञता का मिश्रण था। बिना सोचे-समझे उसका हाथ तन कर माथे की दाहिनी ओर जा पहुंचा और उसकी जुबान से बरबस ही निकल पड़ा, "जय हिंद!"

उस रात, रिक्शा चालक के मन में उम्मीद और सम्मान की किरणें जगमगाने लगीं। उन जवानों ने न केवल उसकी मदद की, बल्कि उसे एक नया दृष्टिकोण भी दिया। यह अनुभव उसके लिए सिर्फ एक दिन की कमाई का नहीं था, बल्कि एक जीवन भर के लिए उसे प्रेरित करने वाला सबक था।

उसके लिए वह दिन किसी बड़े मुनाफे से कम नहीं था, क्योंकि उस दिन उसे सच्ची इंसानियत, देशभक्ति, और आत्मसम्मान का पाठ पढ़ने को मिला था।

14/06/2024

मोदीजी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से विपक्षी दल और उनके चमचे इतने परेशान हैं कि ना ठीक से खा पा रहे हैं ना हग पा रहे हैं। बेचारो की गणित की कैलकुलेशन इतनी खराब हो गई है कि उनको 99 और 240 में क्या बड़ा होता है ये भी ठीक से समझ नहीं आ रहा है... अब रोते हैं तो कोई सुनने वाला नहीं है... पिछवाड़ा जलके ऐसा हो गया है कि बरनोल भी काम नहीं कर रही है। दिमागी संतुलन इतना बिगाड़ चुका है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप पोस्ट डालके अपना गुस्सा निकाल रहे हैं।
चलो भाड़ में जाओ....हमें क्या😆😆😆😆
एक बार फिर मोदी सरकार🙏🙏🙏

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