28/02/2025
नस्लों की हिफ़ाज़त—हमारी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी!
साथियों,
आज का दौर तेज़ी से बदल रहा है। मुल्क और दुनिया के दूसरे हिस्सों की तरह मेवात में भी हर बच्चे के हाथ में मोबाइल और इंटरनेट पहुंच चुका है। सोशल मीडिया का बेलगाम इस्तेमाल, शॉर्टकट से कामयाबी पाने की चाहत , बेरोज़गारी की सुनामी, और छोटी उम्र से ही नशा ,छेड़खानी और जुर्म की ओर बढ़ता रुझान—ये सब हमारी आने वाली नस्लों के लिए संगीन ख़तरा बनते जा रहे हैं!
ऐसे नाज़ुक हालात में, ज़िम्मेदार वालिदैन के लिए औलादों की अख़लाक़ी बुनियाद को महफ़ूज़ रखना आज बड़ी चुनौती बन गया है!
नयी नस्लों के तकलीफ़देह आचरण, कुछेक पॉज़िटिव रिजल्ट्स के उदाहरणों को छोड़कर ज़्यादातर मामलों में वालिदैन और गार्जियंस के सपनों को चकनाचूर करने के मामले बढ़ने के कारण साथियों से चंद सवालात—-
👍क्या हमारी बच्चियों को तालीम से रोककर घरों में क़ैद कर देना आज के तालीमी दौर में सही और सच्चा हल है?
👍क्या हमारे घरों और आसपास का माहौल वाक़ई सब कुछ सुरक्षित व महफ़ूज़ रखने वाला है?
👍क्या नस्लों को तालीम से महरूम रखना किसी भी मसले का सही हल हो सकता है?
👍क्या नस्लों को तालीम के नाम पर दुनियाँवी तरक़्क़ी के लिये खुले अखाड़े में छोड़ कर आँख मूँद लेना भी अक़्लमंदी की परवरिश है?
👍क्या आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के नये ज़माने में नस्लों को क्वालिटी तालीम से महरूम रखना वालिदैन का सही निर्णय होगा ?
👍क्या बिगड़ते माहौल में बच्चों को चारों तरफ़ दलदली माहौल में नौसिखिये परिन्दे की तरह खुला छोड़ देना उनके साथ इंसाफ़ है?
👍ऐसे दौर में जहाँ हर पल हर जगह बिगड़ने का पूरा माहौल इस्तक़बाल में बाहें फैलाकर खड़ा हो क्या हमारे वालिदैन को हर तरह से चौकन्ना रहने की ज़रूरत नहीं है?
👍क्या इलाक़ा-ए-मेवात में क़ौम की फ़िक़्रों पर खरे उतरने वाले स्कूलिंग से लेकर हायर एजुकेशन तक हाई स्टैंडअंडर्ड क्वॉलिटी और बेहतरीन तरबियत के कम्यूनिटी इदारे खोलने का अनिवार्य वक़्त नहीं आ गया है?
साथियों बेशक बच्चों की बेहतरी के लिए आइडियल माहौल और उसे डील करने की समझ पर लोगों में बहुत इक़तलाफ़ात हैं फिर भी एक मामूली शिक्षक के नाते इलाक़ा ए मेवात के लिए मेरी कुछ ज़ाती समझ —-
✅ घर के साथ इदारों में अपने बच्चों की परवरिश और तालीमी माहौल पर वालिदैन को हर लम्हा कैसे भी अपनी सीधी और कड़ी निगरानी रखनी होगी!
✅ औचक निरीक्षण और कड़े अनुशासन के ज़रिए बच्चों को सादगी,तहज़ीब और अपनेपन का एहसास कराया जाए!
✅ ग़लत संगत से बचाने के लिए बच्चों के हर तरह के रिश्तों और दोस्ती पर पैनी नज़र रखी जाए!
✅ पढ़ाई के दौर में मोबाइल से पूरी परहेज़गारी रखी जाये और अगर रखने की कोई मजबूरी हो भी तो सोशल मीडिया अकाउंट बनाने पर हर हाल में पाबंदी रहे…मोबाइल की चेकिंग के सारे अंतिम अधिकार हैकर्स की तरह वालिदैन या घर के जिम्मेदार लोगों के पास होने चाहिये!
👍इदारों की क्वालिटी तालीम और अख़लाक़ियात से समझौता करना मंज़ूर नहीं होना बेहतर है!
👍दुनियादारी को दीनियात का ही एक अहम हिस्सा समझकर तक़वे और अनुशासन के साथ आगे बढ़ने की ज़िन्दगी को प्राथमिकता देना हमारा मिशन होना चाहिये!
👍 मेवात इलाक़े के हर गाँव में मक़तबी तालीम का अनिवार्य और मुक़म्मल निज़ाम क़ायम हो, जिससे नस्लें अख़लाक़, तहज़ीब और इंसानियत से रोशन हो सकें !
👍साथियों नस्लों की बेहतरी बेशक वालिदैन का फ़र्ज़ है लेकिन उन्हें नैतिक और संस्कारी बनाये रखना भी सामूहिक ज़िम्मेदारी है!
याद रखिए, यह दुनियाँ चंद दिनों का मेला है, असल और स्थायी ज़िंदगी आखिरत की है! बेशक़ हमारा सामूहिक और लास्ट डेस्टिनेशन उसे ही बेहतर बनाने की कोशिश में गुज़रना चाहिए!! आमीन ❤️