28/09/2024
आज रीमा बहुत ही परेशान हो गई थी।
थोड़ा-थोड़ा तो बहुत दिनों से चल रहा था।
मगर आज की बात सुन कर के तो उसको बहुत बुरा लगा।
और उसने भी अपने परिवार वालों को अपनी अहमियत और कदर करने का सबक सिखाने का फैसला लिया है।
हुआ कुछ ऐसा रीमा जब शादी हो कर आई थी बहुत अच्छी जॉब करती थी। ₹50000 महीना कमाती थी मगर उसकी सास ससुर सब और उसके पति नहीं चाहते थे की वह नौकरी करें।
उसने भी अपनी इच्छा को एक तरफ रख कर नौकरी से इस्तीफा दे दिया और घर संभालने लगी।
घर भी वह बहुत अच्छे से संभाल रही थी।
छोटे-बड़े सबका ध्यान रखती थी।
समय बीता गया बच्चों का भी ध्यान रखती थी पढ़ाना लिखाना समय पर खाना थोड़े सहायक रखे हुए थे। मगर खाना बनाने का काम और भी बहुत काम होते हैं सब वह करती थी।
24 घंटे चक्कर घिन्नी के जैसे घूमती रहती थी।
मगर फिर भी घरवाले उसकी कदर नहीं करते थे। जब भी होता कुछ ना कुछ उसको सुनाते ही रहते थे। हद तो तब हुई जब एक दिन उसने कहा मेरा सिर दुख रहा है और मेरी तबीयत ठीक नहीं है।
आज मैं खाना नहीं बना सकती तो मम्मी जी आज आप खाना बना लीजिए।
सास और ननद और पति उसको बहुत ही भला बुरा कहने लगे तुम पूरे दिन घर में रहकर करती क्या हो। तुमसे इतना सा काम नहीं होता है।
क्यों नाटक कर रही हो सिर दुखने का चलो उठो खाना बनाओ।
उसको बहुत तकलीफ हुई वह एक बात नहीं बढ़ाना चाहती थी।
किसी तरह उठकर कि उसने खाली खिचड़ी बना दी।
घर में घमासान युद्ध हो गया खाली खिचड़ी कोई खाने की चीज है।
दिन भर आराम करती रहती हो और खाने में ही है खिचड़ी खाली हम नहीं खाएंगे।
उसने बोला आपको दिखता नहीं है मेरी तबीयत ठीक नहीं है।
1 दिन अगर आप खाना बना लेंगे तो कैसा रहेगा। और नहीं तो खाली खिचड़ी खा लीजिए।
मैंने कितनी मुश्किल से बनाई है उस पर बहुत सारे अपशब्द सुनने के बाद वह बिना खाए सो गई।
उसके बाद में ऐसा बहुत बार हो गया।
और अब तो बच्चे भी बोलने लगे कि तुम करती क्या हो मां।
हमारी मनपसंद की चीजें भी नहीं बना सकती हो।
पूरे दिन घर में ही तो रहती हो।
हमारे दोस्तों की मां तो देखो कितनी स्मार्ट रहती है।
नौकरी भी करती हैं घर भी संभालती हैं,
और तुम तो खाली घर में रहती और दिन भर एकदम व्यस्ततम लगती हो।
हमको तो अपने दोस्तों को मिलाने में भी शर्म आने लगी है।
यह सुनकर उसको बड़ी तकलीफ होती थी।
आज उसने मन में ठान लिया था बहुत हुआ बहुत सुन लिया।
अब इनको सबक सिखाना ही पड़ेगा।
दूसरे दिन सुबह वह एकदम जल्दी से उठी बिना किसी को बताए अपना बैग तैयार करा और अपनी डॉक्टर दोस्त के घर चली गई।
फोन को भी स्विच ऑफ कर दिया।
अब घर में सुबह सुबह किसी को चाय नहीं मिली। नाश्ता नहीं मिला, पति को पेपर नहीं मिला, और सुबह-सुबह कामवाली सहायक
ने भी लैंडलाइन पर फोन करआने से मना कर दिया।
अब तो पूरा घर अस्त-व्यस्त था।
सब एक दूसरे को बोल रहे थे रीना तुमको कुछ बोल कर गई है।
बच्चों तुमको तुम्हारी मां कुछ बोल कर गई है।
सब एक दूसरे को मना करने लगे कि नहीं हमको तो कुछ नहीं कहा।
अब जब अपने हाथ से काम करना पड़ा तो सबको नानी याद आ गई।
समझ में आया कि घर में कितने काम होते हैं।
जो उनको आसानी से सब टेबल पर मिल जाता था। सब घर में मिलता था वही उनको खुद को करना पड़ रहा है।
तो कैसा लग रहा है।
फोन करा तो फोन बंद आ रहा था।
अब तो घर वालों को सब को अपनी गलतियां अपना कहा वह याद आने लगा। उन्होंने उस पर कितनी ज्यादती करी है।
पूरे दिन चक्कर गिन्नी के जैसे काम करती रहती थी। तो भी उसके सिर दर्द और उसकी तबीयत ठीक न होने पर भी कोई उसकी मदद करने तैयार नहीं हुआ।
सब अपने आप को कोसने लगे।
शायद इस सब से घबरा करके उसने घर ही छोड़ दिया लगता है।
कम से कम बता कर तो जाती।
फिर सब आपस में बोलने लगे किसको बता कर जाती।
किसको उसकी बात सुनने की फुर्सत थी हमेशा उसको ताने ही देते थे।
यहां तक पति बच्चे
सास-ससुर कोई भी सीधे मुंह बात ही नहीं करता था।
उसकी नंद को याद आया उसे।
खाली चाय ही तो मांगी थी उसमें उसको इतना सुनाने की क्या जरूरत थी। उसकी तबीयत खराब थी तो मैं उसको चाय बना कर दे देती तो क्या हो जाता। सब अपने आप को कोसने लगे।
मगर क्या हुआ अब तो वह घर छोड़कर चली गई थी। कहां ढूंढे कुछ समझ में नहीं आ रहा।
ऐसे करते करते तीन-चार दिन निकल गए उसके पियर फोन करा तो वहां भी नहीं थी।
4 दिन में ही घर वाले सब परेशान परेशान हो गए। एक तरफ तो घर का काम एक तरफ खुद खाना बनाना। घर को व्यवस्थित रखना अपने आप अपना सब काम करना।
जो सब काम भी अपनी मां के ऊपर छोड़ दिया करते थे पत्नी पर छोड़ देते थे बहू पर छोड़ देते सब उनको खुद को करना पड़ रहा था। छठी का दूध याद आ गया।
पांचवे दिन सुबह रीना वापस घर आई।
सब लोग आ करके उसको घेर करके बैठ गए।
अरे कहां चली गई थी। हम से ऐसी क्या गलती हो गई कि हमको छोड़कर चली गई थी।
हमको सब समझ में आ गया है।
अब हम ध्यान रखेंगे तुम्हारा हाथ बटाएंगे तुमको पूरा सम्मान देंगे।
वास्तव में 24 घंटे तुम घर में रहकर काम करती हो कितना काम होता है।
और तुम हमसे थोड़ी मदद की और थोड़े मीठे बोल और क्या चाहती हो ,
वह भी हम नहीं करते हैं। हम कितने गए गुजरे हैं। उसको ऐसा लगा कि यह उनका वास्तविक पछतावा है। सब माफी मांग रहे थे तो उसने माफ कर दिया।
और तभी उसकी बेटी आती है उसको बोलती है मम्मा आप बैठो डाइनिंग टेबल पर बिठाकर चाय बनाकर नाश्ता बनाकर लेकर आती है।
वह उसको देखकर आश्चर्यचकित रह जाती है।
कि जो लड़की एक गिलास पानी पीने पिलाने में मुश्किल करती थी देखो आज कैसे काम कर रही है उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ जाते हैं।
तभी उसकी सासू मां बोलती है बेटा अब हम तुम्हारा ध्यान रखेंगे,
और तुम भी अगर चाहो तो अपना मनपसंद कुछ काम चालू कर सकती हो उससे तुम्हारा दिन भी अच्छी तरह निकलेगा और दिल भी लगा रहेगा।
रीना बोलती है मैं इतनी परेशान हो गई थी।
बीमार थी आप लोगों ने बिल्कुल भी मेरा ध्यान नहीं रखा तो मैं क्या करती।
मुझे तो कुछ करना ही पड़ता ना अपना ध्यान भी रखना पड़ता।
इसीलिए मैं अपनी डॉक्टर दोस्त के यहां चली गई थी।
अपना पूरा चेकअप कराया और मेडिसिंस लिए थोड़ा ठीक लगा तब मैं वापस घर आ गई हूं।
मगर अब मैं चाहूंगी कि सब जने अपना अपना काम खुद करें ,
और मेरे को जितना काम करना होगा उतना ही मैं करूंगी।
मेरी तबीयत के हिसाब से जो बन पड़ेगा वह करूंगी। और मेरे ऊपर कोई हुक्म नहीं चलाएगा।
मुझे मेरे लिए भी थोड़ा टाइम चाहिए मैं मेरा मनपसंद काम भी करना चाहती हूं।
अगर आपको मंजूर है तो ठीक है नहीं तो मैं तो अब दूसरा घर देख रही हूं जहां मैं अकेली रह लूंगी।
जब बीमारी में भी आप लोग मेरा ध्यान नहीं रख सकते तो फिर मेरे किस काम का है परिवार।
मेरा बेटा मेरी बेटी मेरा पति सास ससुर सबको खाली अपनी ही पड़ी है।
1 दिन अगर खिचड़ी खा लेते तो क्या हो जाता या खुद बना लेते तो क्या हो जाता।
मैंने तो उस दिन कितनी मुश्किल से उठ करके बनाई थी। मेरा मेडिकल चेकअप कराना तो दूर रहा आपने तो मेरे को नाटक बाज कह दिया अब मुझे यह सब बर्दाश्त नहीं है।
सब एकदम नीची मुंडी करके उसकी बातें सुनते हैं।
और हाथ जोड़कर के माफी मांगने लगते हैं।
अभी हमको माफ कर दो अब आगे से कभी भी ऐसा नहीं होगा जब जागे तभी सवेरा।
उसको लगता है इन सब को एक चांस और दे देना चाहिए आगे कुछ होगा तो फिर और देख लूंगी।
अपने कमरे में जाती है।
उसका पति उसके सामने कान पकड़ करके खड़ा होता है।
बोलता है तुम इतना कैसे कर लेती हो 24 घंटे में भी पूरे काम नहीं हो पाते हैं। हम तो 5 दिन में ही थक गए तब जाकर एहसास हुआ कि तुम कितना काम करती थी।
और हम कहते तुम करती क्या हो हमने तुम्हारा बहुत दिल दुखाया है।
मेरे को माफ करना आगे से कभी भी ऐसी गलती नहीं होगी।
और वह उसके गले लग जाती है बोलती है अब माफी मांगना छोड़ो यह तो ट्रेलर था।
अगर आगे से मेरे साथ में ऐसा व्यवहार करा किसी ने भीतो वास्तव में मैं घर छोड़कर ही चली जाऊंगी। पतिबोलता है ना बाबा ना ना ना ऐसा ना करना और दोनों हंसने लगते हैं।
हमको पता लग गई है अब तुम्हारी अहमियत और घर तो घरवाली का ही होता है वही गृह लक्ष्मी और अन्नपूर्णा होती है।
उसके बिना घर घर नहीं लगता है।
जय हो गृह लक्ष्मी की साथ में सब बोलते हैं जय हो गृह लक्ष्मी की और सब हंसने लगते हैं।