स्वयंसेवक Swayamsevak

स्वयंसेवक Swayamsevak स्वयंसेवक होने से बढ़कर गर्व और सम्मान की दूसरी बात हमारे लिए कोई नहीं है।

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स्वयंसेवक होने से बढ़कर गर्व और सम्मान की दूसरी बात हमारे लिए कोई नहीं है। जब हम कहते हैं कि मैं एक साधारण स्वयंसेवक हूँ, तब इस दायित्व का बोध हमें अपने हदय में रखना चाहिए कि यह दायित्व बहुत बड़ा है। समाज भी हमारी ओर देख रहा है और समाज हमें एक स्वयंसेवक के रूप में देखता है। समाज की हमसे बड़ी-बड़ी अपेक्षाएँ रहें और उन अपेक्षाओं को पूर्ण करते हुए हम उनसे भी अधिक अच्छे प्रमाणित हों।

शाखा के विषय में नित

्य करणीय बातें

संघ-शाखा के विषय में ध्यान रखें कि हमारी शाखा निम्नलिखित अपेक्षाओं को पूर्ण करनेवाली हो

* शाखा नित्य लगनी चाहिए।

* वह निश्‍चित समय पर लगनी चाहिए।

* शाखा में भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्यक्रम होने चाहिए।

* सब स्वयंसेवकों में परस्पर मेलजोल, स्नेह, प्रेम और शुद्धता का वातावरण हो।

* आपस में विचार-विनिमय, चर्चा आदि कर अपने अंत:करण में ध्येय साक्षात्कार नित्य अधिकाधिक सुस्पष्ट और बलवान करते रहने की हमारे अंदर प्रेरणा व इच्छा रहे।

* सामूहिक रूप से नित्य अपनी प्रार्थना का उच्चारण गंभीरता, श्रद्धा तथा उसका भाव समझकर करें।

* हमारे परम पवित्र प्रतीक के रूप में जो अपना भगवा ध्वज है, उसे मिलकर नम्रतापूर्वक प्रणाम करें।

* �‘शाखा विकिर’ के अनंतर बैठकर आपस में बातचीत करें। कौन आया, कौन नहीं आया, इसकी पूछताछ करें।

ऐसी अपनी दैनिक शाखा के विषय में नित्य करणीय बातें हैं।

शाखा में आनेवाले स्वयंसेवक बंधुओं में से कौन आए, कौन नहीं आए, इसकी जानकारी कर लें और जो नहीं आया हो, उसकी चिंता करें। वे क्यों नहीं आए इसका पता लगाने छोटी-छोटी टोलियों में सबके यहाँ जाएँ। कोई कठिनाई हो तो उसका निवारण करने का प्रयास करें। कठिनाई न हो, तो अकारण शाखा से अनुपस्थित रहना ठीक नहीं यह बात उसे भली-भाँति समझाएँ।

दूसरा यह कि नित्य अपने ध्येय का स्मरण करें। हिमालय से लेकर दक्षिणी महासागर के तट तक असंख्य पवित्र स्थान बिखरे हैं, उनका स्मरण करें। अनेक ऐतिहासिक स्थल हैं, प्रत्येक स्थल से किसी महापराक्रमी पुरुष की कुछ न कुछ विशेषता जुड़ी हुई है, उसका स्मरण करें। उस महापुरुष की विशेषता में से जो गुण प्रकट होते हैं, उनका सब मिलकर स्मरण करें और उन्हें अपने में उतारने के प्रयास का निश्‍चय करें।

यह है हमारा नित्य का न्यूनतम कार्य। �‘साधारण स्वयंसेवक’ के रूप में इतना हमें करना ही चाहिए।

01/12/2025

श्रीमद्भगवद्गीता का प्रथम श्लोक-

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे् समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥१॥

श्रीमद्भगवद्गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिस पर दुनियांभर की भाषा में सबसे ज्यादा भाष्य, टीका, व्याख्या, टिप्पणी, निबंध, शोधग्रंथ आदि लिखे गए हैं।

श्री गीता जयंती पर विशेष 👆

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भारतीय जनता पार्टी अथवा भाजपा भारत के सबसे बड़े राजनीतिक दलों में से एक है। 2014 के अनुसार भारतीय जनता पार्टी भारतीय संसद में सदस्यों के हिसाब से सबसे बड़ी पार्टी है जबकि विभिन्न राज्य विधान सभाओं में यह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। इसका वैचारिक और संगठित ढ़ाँचा हिन्दू राष्ट्रवादी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी का मूल श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में निर्मित भारतीय जनसंघ है। 1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनता पार्टी के निर्माण हेतु जनसंघ अन्य दलों के साथ विलय हो गया। इससे 1977 में पदस्थ कांग्रेस पार्टी को 1977 के आम चुनावों में हराना सम्भव हुआ। तीन वर्षों तक सरकार चलाने के बाद 1980 में जनता पार्टी विघटित हो गई और पूर्व जनसंघ के पदचिह्नों को पुनर्संयोजित करते हुये भारतीय जनता पार्टी का निर्माण किया गया। यद्यपि शुरुआत में पार्टी असफल रही और 1984 के आम चुनावों में केवल दो लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही। इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन ने पार्टी को ताकत दी। कुछ राज्यों में चुनाव जीतते हुये और राष्ट्रीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुये 1996 में पार्टी भारतीय संसद में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। इसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया जो 13 दिन चली। 1998 में आम चुनावों के बाद भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का निर्माण हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी जो एक वर्ष तक चली। इसके बाद आम-चुनावों में राजग को पुनः पूर्ण बहुमत मिला और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने अपना कार्यकाल पूर्ण किया। इस प्रकार पूर्ण कार्यकाल करने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी। 2004 के आम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा और अगले 10 वर्षों तक भाजपा ने संसद में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई। 2014 के आम चुनावों में राजग को गुजरात के लम्बे समय से चले आ रहे मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारी जीत मिली और 2014 में सरकार का बनायी। इसके अलावा जुलाई 2014 के अनुसार पार्टी पांच राज्यों में सत्ता में है। भाजपा की कथित विचारधारा "एकात्म मानववाद" सर्वप्रथम 1965 में दीनदयाल उपाध्याय ने दी थी। पार्टी हिन्दुत्व के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करती है और नीतियाँ ऐतिहासिक रूप से हिन्दू राष्ट्रवाद की पक्षधर रही हैं। पार्टी सामाजिक रूढ़िवाद की समर्थक है और इसकी विदेश नीति राष्ट्रवादी सिद्धांतों पर केन्द्रित हैं। जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष संवैधानिक दर्जा ख़त्म करना, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना तथा सभी भारतीयों के लिए समान नागरिकता कानून का कार्यान्वयन करना भाजपा के मुख्य मुद्दे हैं। हालांकि 1998-2004 की राजग सरकार ने किसी भी विवादास्पद मुद्दे को नहीं छुआ और इसके स्थान पर वैश्वीकरण पर आधारित आर्थिक नीतियों तथा सामाजिक कल्याणकारी आर्थिक वृद्धि पर केन्द्रित रही।

स्वयंसेवक

स्वयंसेवक होने से बढ़कर गर्व और सम्मान की दूसरी बात हमारे लिए कोर्इ नहीं है। जब हम कहते हैं कि मैं एक साधारण स्वयंसेवक हूँ, तब इस दायित्व का बोध हमें अपने हदय में रखना चाहिए कि यह दायित्व बहुत बड़ा है। समाज की हमसे बड़ी-बड़ी अपेक्षाएँ रहें और उन अपेक्षाओं को पूर्ण करते हुए हम उनसे भी अधिक अच्छे प्रमाणित हों। हर स्वयंसेवक ऐसे गुणवत्ता का बने इसके लिए संघ की सरल कार्यपद्धती है। संघ का समाज में प्रभाव अगर बढ़ा है और बढेगा तो केवल ऐसे स्वयंसेवकों के व्यवहार से ही बढेगा इसलिए स्वयंसेवक का संघ में स्थान अनन्यसाधारण है

शाखा के विषय में नित्य करणीय बातें