11/07/2024
दुख के बाद अवश्य आता है सुख: अनुराधा कोयला वाले मंदिर पर श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन फोटो ग्वालियर। जीवन में यदि सुख है तो दुख अवश्य आएगा, जो लोग सिर्फ सुख की कामना करते हैं, तो उनके जीवन में दुख आना निश्चित है। दुख यानि खराब समय का आसानी से सामना करना चाहते हो तो संतों के सानिध्य में रहो। संत भी ऐसे हों जो भक्ति की पराकाष्ठा तक पहुंच गए हों। संत के वेष में यदि ढोंगियों के पास पहुंच जाओगो तो कोई फायदा नहीं होगा। यह विचार नन्ही कथावाचिका अनुराधा पांडेय ने मोतीझील स्टोन पार्क स्थित कोयला वाले हनुमान मंदिर पर श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस बुधवार को व्यक्त किए। बालक ध्रुव की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में ठोकर खाकर ही भगवत मार्ग की ओर बढ़ता है। बालक ध्रुव को जब सौतेली मां की ओर से पीढ़ा पहुचाई गई और उसे पिता की गोद से उतार दिया, तो उसने वह परमपिता की खोज में जंगल में निकल गया और महज 5 वर्ष की उम्र में परम पद को प्राप्त कर लिया। नारद मुनि द्वारा दिए गए गुरूमंत्र को जाप कर उन्होंने भगवान का प्राप्त कर लिया। भक्त प्रह्लाद की कथा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि पिता भी यदि आपको भक्ति करने से रोके तो ऐसे पिता की भी बात मत मानो। भक्त प्रह्लाद के पिता ने उसे भगवत भक्ति से रोका और अनेक प्रकार की कष्ट दिए,लेकिन निडर बालक प्रह्लाद का संकल्प भक्ति से नहीं डिगा। जब हिरणाकश्यप का अत्याचार पराकाष्ठा तक पहुंच गया तो भगवान स्वयं भक्त की रक्षा के लिए नरसिंहवतार लेकर प्रकट हो गए और उन्होंने हिरणाकश्यप का उद्धार कर प्रह्लाद को कृतार्थ किया। घर मेें यदि एख भक्त हो जाए, तो वह सबका उद्धार करा देता है।