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रुद्रचंद को एहसास था कि मैदान में बड़ी सेना के सामने लड़ना कठिन होगा. इसलिए उसने एक अत्यंत साहसी प्रस्ताव रखा— तराई की द...
01/12/2025

रुद्रचंद को एहसास था कि मैदान में बड़ी सेना के सामने लड़ना कठिन होगा. इसलिए उसने एक अत्यंत साहसी प्रस्ताव रखा— तराई की दावेदारी एकल युद्ध (Single Combat) से तय की जाए. रुद्रचंद हिन्दू पक्ष का प्रतिनिधि बना और मुग़ल पक्ष का एक प्रमुख योद्धा उसके सामने उतरा. दोनों के बीच खुली धरती पर, भीड़ की मौजूदगी में, एक लंबा और कठिन द्वन्द–युद्ध हुआ. अंततः रुद्रचंद विजयी हुआ.

‘अल्मोड़ा गैज़ेटियर’ का एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि रुद्रचंद केवल युद्धवीर ही नहीं था, बल्कि उसने भाबर और King Rudrachand utt...

उस ममता भरी कोमल आवाज के मेरे कानों में पढ़ते ही मेरे गले का पत्थर जैसा बोझ उठकर मेरी आंखों से लगातार टप- टप बहने लगा. म...
01/12/2025

उस ममता भरी कोमल आवाज के मेरे कानों में पढ़ते ही मेरे गले का पत्थर जैसा बोझ उठकर मेरी आंखों से लगातार टप- टप बहने लगा. मैंने अपनी मां को झपटकर उन्हें दोनों हाथों से पकड़ लिया. मैं उनसे लिपट कर बहुत रोई. सिर्फ रोई नहीं बल्कि फूट-फूट कर रोई.

करीब 10 मिनट बाद मेरे दिमाग में ख्याल आया कि कहीं कोई मुझे ऐसे रोते हुए देख न ले. फिर मैंने अपनी माँ को छोड़ दिया. उनकी आंख में भी आंसू थे. पर वह मेरे सामने ठीक से रो भी नहीं सकती थी. उन्होंने मेरे आंसू पोंछे. इसके बाद वे गाड़ी में बैठकर वापस चली गई. मैं वहीं पर खड़ी रही जब तक उनकी गाड़ी मेरी नजरों से ओझल नहीं हो गई. अब वक्त था आंसू पोंछकर हॉस्टल की जिंदगी को अपनाने का.

मैंने अपनी मां को झपटकर उन्हें दोनों हाथों से पकड़ लिया. और मैं उनसे लिपट कर बहुत रोई. सिर्फ रोई नहीं बल्कि फूट-फूट क....

उत्तराखंड की वादियों में फिल्माए गए कई दृश्य इस आंतरिक संघर्ष को अभिव्यक्त करते हुए दिखाई देते हैं. भीमताल की शांत झील क...
25/11/2025

उत्तराखंड की वादियों में फिल्माए गए कई दृश्य इस आंतरिक संघर्ष को अभिव्यक्त करते हुए दिखाई देते हैं. भीमताल की शांत झील के किनारे खड़ी मुमताज़, नैनीताल की ढलानों पर विचारों में डूबे धर्मेन्द्र, या पहाड़ी रास्तों पर दौड़ते वाहन—ये दृश्य पात्रों की भावनाओं के विस्तार जैसे लगते हैं. उत्तराखंड का वातावरण जिस तरह कहानी के मूड के साथ घुल-मिल जाता है, वह इस फ़िल्म की विशेष उपलब्धि है. यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि स्थान बदल दिए जाते, तो फिल्म का प्रभाव भी काफी बदल जाता.

‘आदमी और इंसान’ उस दौर की उन चुनिंदा फिल्मों में शामिल है जिसने उत्तराखंड को हिंदी फिल्म उद्योग की Dharmendra Obituary Uttarakhand

मिस्टर ट्रेल के अनुसार, चंद राजाओं के समय जमीन का असली मालिक राजा होता था, जैसा कि बाद में अंग्रेजों और गोरखाओं ने भी कि...
17/11/2025

मिस्टर ट्रेल के अनुसार, चंद राजाओं के समय जमीन का असली मालिक राजा होता था, जैसा कि बाद में अंग्रेजों और गोरखाओं ने भी किया. राजा की आय सिर्फ जमीन के कर तक सीमित नहीं थी. व्यापार, खदानें, जंगल की संपत्ति, न्याय व्यवस्था और कानूनी कार्रवाइयों से भी पैसा आता था. कई तरह के कर थे, जैसे घी-कर हर भैंस पर सालाना लगने वाला कर था और कपड़ा बुनने वालों से लिया जाने वाला कोलियों का कर था.

पनार नदी से थोड़ा सोना भी मिलता था. कूर्मांचल की आय 1,25,000 रुपये थी, जो ब्राह्मणों की जागीरों से Chand dynasty and system uttarakhand

बागेश्वर जिले के पिंडर घाटी क्षेत्र में कर्मी गांव के ऊपर लगभग आठ से ग्यारह हजार फीट की ऊँचाई में फैला हुआ है चिल्ठा बुग...
16/11/2025

बागेश्वर जिले के पिंडर घाटी क्षेत्र में कर्मी गांव के ऊपर लगभग आठ से ग्यारह हजार फीट की ऊँचाई में फैला हुआ है चिल्ठा बुग्याल. बुग्याल के शिखर में मॉं चिल्ठा का काफी पुराना मंदिर है जिसे दानपुर घाटी के वाशिंदे पवित्र देवी के रूप में पूजते आ रहे हैं. यहां से गढ़वाल से कुमाऊँ और नेपाल तक फैले हिमालय के धवलशिखरों का अद्भुत नजारा दिखाई देता है. नीचे घाटियों में बसे गांव और उनके साथ जुड़े सीढ़ीदार खेत जैसे किसी चित्रकार की कूंची से रंगे हुए प्रतीत होते हैं. यहाँ चारों ओर फैली असीम नीरवता के बीच शीतल हवा की फुसफुसाहट मन को ठहरने पर मजबूर कर देती है

बागेश्वर जिले के पिंडर घाटी क्षेत्र में कर्मी गांव के ऊपर लगभग आठ से ग्यारह हजार फीट की ऊँचाई में फैला pindari travelogue keshav bhatt

मंदिर में अर्ज़ियों के लिए कोई ख़ास जगह मुक़र्रर है नहीं, लोग घंटियों के बीच तारों या कीलों पर अपनी शिकायत नत्थी कर जाते...
16/11/2025

मंदिर में अर्ज़ियों के लिए कोई ख़ास जगह मुक़र्रर है नहीं, लोग घंटियों के बीच तारों या कीलों पर अपनी शिकायत नत्थी कर जाते हैं. यहां लिखित फ़रियाद करने से इंसाफ़ मिलता है, ऐसा लोगों का विश्वास है. फ़रियादी मुख़्तलिफ़ जाति, धर्म, और तबक़ों से हैं, उनके मसले भी भांति-भांति के हैं; चोरी, अमानत में ख़यानत, प्रताड़ना, धोखा, मार-पीट से लेकर हत्या तक के मामले. कोर्ट-कचहरी, पुलिस-पटवारी, नेता-अफ़सर जब हाथ खड़े कर दें तो गोलू देवता ही आमजन का सहारा हैं. कोई फ़ीस नहीं देनी, न ही विशेष पूजा करवानी है, अर्ज़ी लग गई तो समझो इंसाफ़ होगा. इंसाफ़ किसी तय ढर्रे के बजाय निराले, ग़ैर रस्मी अंदाज़ में मिल सकता है, मसलन उनके भय से चुराया हुआ सामान या उधार चुपचाप लौटा दिया जाता है, झूठे मुक़द्दमे वापस ले लिये जाते है.

मुझे रात के तूफ़ान से हुए नुक़सान और टैक्सी दुर्घटना में घायल लोगों की हालत के बारे में ख़बर बनाने का Nyaya Story by Umesh Tiwari Vishwas

‘इस प्रकार तुम पूर्व जन्म में मेरी पत्नी थीं. मैं तुम्हें और क्या बता सकता हूँ?’ शिव ने निष्कर्ष निकाला. लेकिन पार्वती क...
16/11/2025

‘इस प्रकार तुम पूर्व जन्म में मेरी पत्नी थीं. मैं तुम्हें और क्या बता सकता हूँ?’ शिव ने निष्कर्ष निकाला. लेकिन पार्वती क्रोधित हो गईं और बोलीं, ‘तुम इतने धूर्त हो! तुमने मुझे एक अच्छी कहानी नहीं सुनाई, जो मैंने माँगी थी! तुम संध्या की पूजा करते हो और अपने सिर पर गंगा को धारण करते हो और मेरी बहुत कम परवाह करते हो!’ शिव ने उन्हें एक सचमुच अद्भुत कहानी सुनाने का वादा किया और वह शांत हो गईं. पार्वती ने आदेश दिया कि उस कक्ष में कोई प्रवेश न करे जहाँ वे बैठे थे और द्वार पर नंदी को पहरेदार के रूप में तैनात कर दिया.

अपने दोनों प्रिय सेवकों को याद करके क्षणिक वेदना का अनुभव करते हुए. शिव और पार्वती कल्पवृक्ष की लकड़ी Story of Pushyadant and Malyavany ...

एक बार जब बारिश का मौसम आया, तो भूत, लूसाड़िया के पास एक पहाड़ी पर जमा हुए. उन्होंने अपनी चिंता जताई कि आदिवासियों की बढ...
16/11/2025

एक बार जब बारिश का मौसम आया, तो भूत, लूसाड़िया के पास एक पहाड़ी पर जमा हुए. उन्होंने अपनी चिंता जताई कि आदिवासियों की बढ़ती आबादी के कारण जल्द ही रक्षक भूतों से ज्यादा आदिवासी हो जाएँगे और जंगल में भोजन भी कम पड़ने लगेगा. भूतों ने पहले तो लोगों को कम बच्चे पैदा करने की चेतावनी देने का सोचा, पर वे जानते थे कि मस्तमौला आदिवासी उनकी नहीं सुनेंगे. उन्होंने महामारी फैलाने का भी विचार किया, पर वे उनके रक्षक थे, ऐसा वे नहीं कर सकते थे.

चारों तरफ झरने बहते थे, जो ठंडा और स्वच्छ पानी देते थे. जानवर और आदिवासी दोनों ही एक साथ शांति से पानी Folk Story of Kawaii and Kawaii

भले ही नेहरू का उत्तराखंड से कोई सीधा राजनीतिक नाता न रहा हो, परन्तु पहाड़ों के प्रति उनका आकर्षण उन्हें बार-बार उत्तराख...
14/11/2025

भले ही नेहरू का उत्तराखंड से कोई सीधा राजनीतिक नाता न रहा हो, परन्तु पहाड़ों के प्रति उनका आकर्षण उन्हें बार-बार उत्तराखंड की ओर खींचता रहा. वो कुमाऊँ और गढ़वाल की पहाड़ियों की यात्रा पर कई बार गए. अल्मोड़ा और नैनीताल की सुंदरता पर उन्होंने विशेष लेखन भी किया. हिमालय को लेकर जो दर्शन उन्होंने ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में व्यक्त किया, उसमें
उत्तराखंड की पहाड़ियों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है क्योंकि यहीं उन्हें हिमालय का सबसे शांत, विशाल और आध्यात्मिक रूप दिखाई देता था.

उनके जन्मदिन पर ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ के इन अंशों को याद करना हमें यह समझने में मदद करता है कि Himalaya and Nehru

मंजू जोशी ने कभी बड़े मंचों से भाषण नहीं दिए, लेकिन उनके कर्म स्वयं एक संदेश बन गए कि सच्चा धर्म सेवा है, और सच्ची पूजा ...
13/11/2025

मंजू जोशी ने कभी बड़े मंचों से भाषण नहीं दिए, लेकिन उनके कर्म स्वयं एक संदेश बन गए कि सच्चा धर्म सेवा है, और सच्ची पूजा कर्म. उनके जीवन से निकलने वाला यह संदेश हर पाठक के भीतर गूंजता है – जीवन की झंझावतों में भी स्थिर रहो, क्योंकि वही स्थिरता तुम्हें प्रकाश में बदल देगी.

यह पुस्तक केवल स्मृति शेष मंजू जोशी का जीवन-वृत्त नहीं, बल्कि स्त्री अस्मिता, पारिवारिक एकता और Jhanjhavaat Book Review

कैलाश पर्वत के पास उसे एक सात जादूगरनियों का घर दिखा. उन्होंने बड़े आतिथ्य से उसे भोजन कराया और जैसे ही वह सोया, जादूगरन...
13/11/2025

कैलाश पर्वत के पास उसे एक सात जादूगरनियों का घर दिखा. उन्होंने बड़े आतिथ्य से उसे भोजन कराया और जैसे ही वह सोया, जादूगरनी ने जादुई डोरी से उसे नापा और उसे एक चित्तीदार मेढ़े (नर भेड़) में बदल दिया. उसी रात सुरजू की पत्नी बिजोरा जो खुद एक शक्तिशाली तांत्रिक थी, ने यह दृश्य स्वप्न में देखा.वह तुरन्त पुरुष का वेश धरकर, जादुई औज़ारों के साथ, घोड़े पर सवार होकर कैलाश पहुँची. वहाँ उसने अपने घोड़े को मधुमक्खी बना दिया और एक पेड़ पर बैठकर बाँसुरी बजाने लगी. उसकी बाँसुरी की धुन सुनकर सारी जादूगरनियाँ सम्मोहित हो गईं.

आज भी तिब्बत की हवाओं में जोत्रामाला का नाम गूंजता है और हर पूर्णिमा की रात कोई न कोई बाँसुरी बजती है. Siduwa-Biduwa story in hindi

महात्मा गांधी 1929 में अपनी कुमाऊं यात्रा पर थे.नैनीताल, अल्मोड़ा होते हुये वह बागेश्वर पहुंचे. बागेश्वर में उनकी मुलाक़...
11/11/2025

महात्मा गांधी 1929 में अपनी कुमाऊं यात्रा पर थे.नैनीताल, अल्मोड़ा होते हुये वह बागेश्वर पहुंचे. बागेश्वर में उनकी मुलाक़ात जीत सिंह टंगड़िया से हुई. जीत सिंह टंगड़िया ने उन्हें पैरों से चलाया जाने वाला एक चरखा भेंट किया. यह चरखा परम्परागत चरखे के मुकाबले न केवल चलाने में आसान था बल्कि इसकी उत्पादन क्षमता भी बेहतर थी.

Bageshwari Charkha Gandhi in Uttarakhand

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