Geeta Patrick

बारिश की बूंदे भले ही कितनी छोटी हो, लेकिन उनका  #लगातार_बरसाना बहाव बन जाता है वैसे  ही हमारे  #प्रयास चाहे कितने ही छो...
06/08/2025

बारिश की बूंदे भले ही कितनी छोटी हो,
लेकिन उनका #लगातार_बरसाना बहाव बन जाता है
वैसे ही हमारे #प्रयास चाहे कितने ही छोटे हो जिंदगी में, #बड़ा_परिवर्तन ला सकते हैं !

गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

 #केरल_की_दोनों_सिस्टर्स_को_NIA कोर्ट से मिली जमानत ! आप देखिए बिना गलती की भी इनको 9 दिनों तक जेल में रहनी पड़ी हैं । म...
02/08/2025

#केरल_की_दोनों_सिस्टर्स_को_NIA कोर्ट से मिली जमानत ! आप देखिए बिना गलती की भी इनको 9 दिनों तक जेल में रहनी पड़ी हैं । महिला विरोधी सरकार महिलाओं की सुरक्षा करने में असमर्थ हैं।
देश के सभी लोगों को अपने अधिकार के लिए आवाज उठानी चाहिए।
गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

🔱सन् 1952  में प्रथम चुनाव में जब बाबासाहब अम्बेडकर चुनाव हारे थे और एक दूसरा अछूत बोरकर चुनाव जीते तब बोरकर बाबासाहब अम...
30/07/2025

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सन् 1952 में प्रथम चुनाव में जब बाबासाहब अम्बेडकर चुनाव हारे थे और एक दूसरा अछूत बोरकर चुनाव जीते तब बोरकर बाबासाहब अम्बेडकर से मिलने गये। तो उन्होंने बाबासाहब अम्बेडकर से मुस्कुराते हुए कहा कि साहब आज मैं चुनाव जीता हूँ, मुझे वास्तव में बहुत ही खुशी हो रही है!
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तब बाबासाहब अम्बेडकर ने कहा कि तुम जीत तो गये तो अब क्या करोगे और तुम्हारा कार्य क्या होगा ? तब बोरकर ने कहा कि मैं क्या करुंगा जो मेरी पार्टी कहेगी वो करुँगा।
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तब बाबासाहब अम्बेडकर ने पूछा कि तुम सामान्य सीट से चुनाव जीते हो ? तो बोरकर ने कहा कि नहीं मैं सुरक्षित सीट से चुनाव जीता हूँ जो आपकी मेहरबानी से संविधान में दिये गये आपके अधिकार के तहत ही जीता हूँ।
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बाबासाहब अम्बेडकर ने बोरकर को चाय पिलायी ! बोरकर के जाने के बाद बाबासाहब हंस रहे थे तब नानकचन्द रत्तू ने पूछा कि साहब आप क्यों हंस रहे हो? तब बाबासाहब अम्बेडकर ने कहा कि बोरकर अपने समाज का नेतृत्व और प्रतिनिधित्व करने के बजाय पार्टी के हरिजन बन गये हैं।
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आज कल हमारे समाज के सांसद, विधायक अपने समाज का प्रतिनिधित्व करने के बजाय पार्टियों के हरिजन नेता बन कर ही रह गये हैं। यह बात बाबासाहब अम्बेडकर ने 1952 में ही कही थी जो आज तक सार्थक सिद्ध हो रही है !

गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

दान पेटी मंदिर मस्जिद में नहीं बल्कि स्कूल में होनी चाहिए, क्योंकि  #पैसे_की_जरूरत_भगवान_को_नहीं_गरीब_विद्यार्थियों_को_ह...
29/07/2025

दान पेटी मंदिर मस्जिद में नहीं बल्कि स्कूल में होनी चाहिए, क्योंकि #पैसे_की_जरूरत_भगवान_को_नहीं_गरीब_विद्यार्थियों_को_है।
गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

दिल्ली में संविधान, आरक्षण और वक़्फ़‌ बोर्ड बचाने , सही जातिगत जनगणना कराने एवं ईवीएम हटाने‌ के लिए परिसंघ ने भरी हुंकार...
27/07/2025

दिल्ली में संविधान, आरक्षण और वक़्फ़‌ बोर्ड बचाने , सही जातिगत जनगणना कराने एवं ईवीएम हटाने‌ के लिए परिसंघ ने भरी हुंकार
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दिनांक 26 जुलाई 2025 को DOMA परिसंघ के बैनर तले दिल्ली प्रदेश सम्मेलन संविधान एवं आरक्षण बचाने, वक्फ बोर्ड बचाने, सही जाति जनगणना करने एवं EVM हटाने हेतु कार्यक्रम कांस्टीट्यूशनल क्लब स्पीकर हॉल, नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
इस सम्मेलन में महिला जागृति फाउंडेशन की संस्थापक गीता
पैट्रिक को भी अपनी बात रखने का
अवसर मिला।उन्होंने कहा कि आज हम कांस्टीट्यूशन क्लब स्पीकर हाल में बैठे हुए हैं आज हम संविधान और बाबा साहब की बात करते हैं ।
डॉ बाबासाहेब अंबेडकर ने 1916 से सामाजिक कार्य करना शुरू किया। अपनी पढ़ाई करने के साथ ही देश-विदेश की पढ़ाई की और 1942 में नारा दिया शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो।
तो आप सोचिए कि कितने साल लगे और आज संविधान विरोधी सरकार स्कूल खत्म कर रही है और शराब के ठेके खोले जा रहे हैं इससे किसका नुकसान है हम बहुजन समाज के लोगों को सोचने का बहुत बड़ा विषय है । इस साल कावड़ ले जाने वाले लोगों ने तो बाबा साहब का ही झंडा लगा दिया था। साथियों जागो सोचो समझो आने वाले बच्चों के भविष्य के बारे में और बहुत सारी बातें करके लोगों ने हमारी बात सुनी आप सभी का धन्यवाद शुक्रिया आभार जय भीम जय भारत जय संविधान
गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

आरक्षण दिवस : 26 जुलाई 1902सन 1894 में छत्रपति शाहूजी महाराज कोल्हापुर रियासत के राजा बने थे ! उन्होंने अपनी रियासत में ...
27/07/2025

आरक्षण दिवस : 26 जुलाई 1902

सन 1894 में छत्रपति शाहूजी महाराज कोल्हापुर रियासत के राजा बने थे ! उन्होंने अपनी रियासत में देखा कि उच्च जाति कहा जाने वाला एक वर्ग (सवर्ण) तो मौज मस्ती कर रहा है और नीच जाति कहे जाने वाला दूसरा वर्ग (पिछड़ा) तरक्की में काफी पिछड़ा हुआ है ! उन्होंने पाया कि जातीय भेदभाव और छूआछूत के कारण ही यह पूरा पिछड़ा वर्ग पिस रहा है और प्रत्येक क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है ! इसलिए उन्होंने नीच कही जाने वाली जातियों (पिछड़े वर्ग) के उद्धार के लिए कई योजनायें बनाई और उन पर अमल करना आरंभ किया।

छत्रपति शाहूजी महाराज ने इन पिछड़े वर्गों के लोगों के लिए विद्यालय खोले और छात्रावास बनवाए। इससे उन वर्गों में शिक्षा का प्रचार हुआ और सामाजिक स्थिति बदलने लगी। परन्तु उच्च वर्ग के लोगों और खासतौर पर ब्राह्मण वर्ग के लोगों ने इसका कडा विरोध किया।

जब छत्रपति शाहूजी महाराज अपनी योजनायें लागू करने पर अड़े रहे तो वे छत्रपति शाहू जी महाराज को अपना शत्रु समझने लगे और क्षुब्ध होकर उनके पुरोहित तक ने यह कह दिया कि- "आप शूद्र हैं’’ और शूद्र को वेद के मंत्र सुनने का अधिकार नहीं है। छत्रपति शाहूजी महाराज ने इन सारे विरोधों का डट कर सामना किया और पिछड़े वर्गों के उद्धार की योजनाओं का किर्यान्वयन जारी रखा !

इसी दौरान सन 1902 में कोल्हापुर नरेश छत्रपति शाहूजी महाराज इंग्लैण्ड गए हुए थे। उन्होंने वहीं से 26 जुलाई 1902 को एक आदेश जारी कर कोल्हापुर रियासत के अंतर्गत शासन-प्रशासन के 50 प्रतिशत पद पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित करने के आदेश जारी कर दिये। उनके इस आदेश से कोल्हापुर के ब्राह्मणों पर जैसे गाज गिर गयी थी। उल्लेखनीय है कि सन 1894 में जब शाहूजी महाराज ने कोल्हापुर रियासत की बागडोर सम्भाली थी, उस समय कोल्हापुर रियासत के सामान्य प्रशासन में कुल 71 पदों में से 60 पदों पर ब्राह्मण अधिकारी नियुक्त थे। इसी प्रकार लिपिकीय वर्ग के 500 पदों में से मात्र 10 पदों पर गैर-ब्राह्मण कार्यरत थे।
इस प्रकार देश में सबसे पहले आरक्षण लागू करने वाले कोल्हापुर नरेश छत्रपति शाहूजी महाराज को “आरक्षण का जनक” कहा जाता है ! कोल्हापुर के उपरोक्त संक्षिप्त इतिहास से यह बात स्पष्ट हो रही है कि छत्रपति शाहूजी महाराज द्वारा कोल्हापुर रियासत में आरक्षण लागू करना केवल गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम नहीं था बल्कि समाज में नीच (शूद्र) समझी जाने वाली जाति के लोगों को शासन-प्रशासन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व देकर उनके साथ जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव और अस्पर्श्यता (छूआछूत) का खात्मा करना तथा शूद्रों को आत्मसम्मान दिलाने का कार्यक्रम था ! इसी को आगे बढाते हुए बाबा साहेब डॉ० भीमराव आंबेडकर ने आगे चलकर आरक्षण का प्राविधान भारतीय संविधान में कराया !
मगर
अब आरक्षण का लाभ पाकर इसी समाज के 131 सांसद लोकसभा में जाते है और हजारो विधायक विधानसभा में जाते हैं ! इन सबके सामने सरकारी संस्थाओं का निजीकरण करके आरक्षण लगभग खतम कर दिया गया है और ये मूकदर्शक बने हुए हैं ! यह बहुत ही अफसोसजनक एवं चिंतनीय विषय है ! ऐसी विषम परिस्थिति में समाज के बुद्धिजीवियों को आगे आकर बागडोर संभालनी चाहिए और निकम्मे एवं नालायक ऐसे नेताओं का बहिष्कार कर समाज के प्रति समर्पित लोगो को आगे लाना चाहिए !
जय भीम, जय भारत, जय शाहू, जय बिरसा,
जय फुले, जय पेरियार, जय कांशीराम, जय संविधान !
🙏
गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

पिता की  #साइकिल_ही_स्कूल_बस बन गई है — और पीछे रखी प्लास्टिक की  #क्रेट ही बच्चों की सीट। इस तस्वीर में दो मासूम बच्चे ...
27/07/2025

पिता की #साइकिल_ही_स्कूल_बस बन गई है — और पीछे रखी प्लास्टिक की #क्रेट ही बच्चों की सीट। इस तस्वीर में दो मासूम बच्चे सफेद यूनिफॉर्म पहने बैठे हैं, और उनका पिता सड़कों पर पसीना बहाकर उन्हें स्कूल छोड़ने जा रहा है। यह कोई आम दृश्य नहीं, बल्कि एक गहरी कहानी है — #संघर्ष_त्याग_और_निस्वार्थ_प्रेम_की।

उस पिता के पास महंगी गाड़ी नहीं है, लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाने का सपना ज़रूर है। वह जानता है कि शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है जो उनके भविष्य को रोशन कर सकता है। इसलिए वो हर सुबह सूरज से पहले उठता है, साइकिल की क्रेट में बच्चों को बिठाता है, और मुस्कराते हुए उनके सपनों की ओर पैडल मारता है।

इस दृश्य में न कोई शिकायत है, न कोई शर्म — सिर्फ आत्मसम्मान है और बच्चों के लिए अटूट प्यार। यह तस्वीर बताती है कि एक पिता के लिए कोई भी मुश्किल मायने नहीं रखती जब बात उसके बच्चों के भविष्य की हो।

यह सिर्फ एक साइकिल नहीं, एक चलता-फिरता #सपना है। उस क्रेट में बैठकर बच्चे नहीं, उम्मीदें सफर कर रही हैं। इस पिता को सलाम, जिसने कम साधनों में भी बड़ा सपना देखा और उसे जिया। ऐसे नायकों के लिए एक लाइक तो बनता है 💔🚲📚
गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

मर्द की सबसे बड़ी दौलत, #औरत होती हैं,, अगर औरत अच्छी मिली तो ठीक है, वरना  #जिदंगी नरक बना देगी,,                      ...
25/07/2025

मर्द की सबसे बड़ी दौलत, #औरत होती हैं,, अगर औरत अच्छी मिली तो ठीक है, वरना #जिदंगी नरक बना देगी,,
गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

मैं हर लडकी से एक ही बात कहना चाहूंगी कि  जीवनसाथी कभी अमीर मत चुनना बल्कि एक ऐसा इंसान चुनना जो दिल का साफ हो, जो आपको ...
23/07/2025

मैं हर लडकी से एक ही बात कहना चाहूंगी कि जीवनसाथी कभी अमीर मत चुनना बल्कि एक ऐसा इंसान चुनना जो दिल का साफ हो, जो आपको समझ सकें, जो आपका ख्याल रखें, जो आपका इज़्जत-समान करे, जो आपको हर परिस्थिति में सपोट करें, क्योंकि गरीबी तो काटी जा सकती है पर किसी बूरे इंसान के साथ पूरी जिंदगी नहीं काटी जा सकती, हमसफर अगर सही मिल गया तो आप सब कछ जीत लिए और अगर गलत मिल गया तो भी बदतर आप जीते जी सब कुछ हार जाओगी और जिंदा लाश बनकर नर्क से भी बत्तर जिंदगी जियोगी ।

गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
#महिला_जागृति_फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

🟣 एक रात कांशीराम साहब रेलवे स्टेशन पर न्यूज पेपर बिछाकर सोने की कोशिश कर रहे थे। रेलवे स्टेशन का एक कर्मचारी साहब कांशी...
22/07/2025

🟣 एक रात कांशीराम साहब रेलवे स्टेशन पर न्यूज पेपर बिछाकर सोने की कोशिश कर रहे थे। रेलवे स्टेशन का एक कर्मचारी साहब कांशीराम जी को देख रहा था की वो ठीक से सो नहीं पा रहे हैं।

🟣 तो उसने मान्यवर साहेब कांशीराम जी से पूछा साहब मैं काफी देर से देख रहा हूँ की आप सो नहीं पा रहे हो तो आपको कोई परेशानी है तो बताइए आपको किसी चीज की जरुरत हो तो मेरा घर नजदीक है।

🟣 तो साहब कांशीरामजी ने कहा की समस्या तो है लेकीन उसका समाधान आपके पास नहीं है। कर्मचारी ने पूछा ऐसी क्या परेशानी है आप मुझे बताए मैं अपनी क्षमता के अनुसार आपकी मदद जरुर करूँगा।

🟣 तो साहब कांशीराम जी ने कहा की देखो ऐसा है की जब भी मैं सोने की कोशिश करता हूँ तो वो बाबा भीमराव अंबेडकर मुझे संसद के तरफ उंगली करके खडे हैं ये नजर आता है और मेरी आंखे खुल जाती है।

🟣 जब मैं आंखे खोल के देखता हूँ तो संसद में मुझे बाबा डाॅ.भीमराव अम्बेडकर के दुश्मन नजर आते हैं तो मेरी नींद और ज्यादा खराब होती है।

🟣 अब बताओ क्या तूम मेरी समस्या का समाधान कर सकते हो....?
🟣 सवाल आज भी वही है और हम अपने महापुरुषों के त्याग समर्पण को सही न्याय नहीं दे पाए हैं।🙏

जयभीम जय भारत 🇪🇺 🇮🇳 🐘
गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

*सरकार से सवाल पूछने का अधिकार: संवैधानिक प्रावधान और न्यायिक व्याख्या*भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए), 32 और 226 ना...
20/07/2025

*सरकार से सवाल पूछने का अधिकार: संवैधानिक प्रावधान और न्यायिक व्याख्या*

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए), 32 और 226 नागरिकों को सरकार से सवाल पूछने का अधिकार प्रदान करते हैं। यह अधिकार लोकतांत्रिक शासन की एक मूलभूत विशेषता है और नागरिकों को सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करता है।

*अनुच्छेद 19(1)(ए): बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता*

अनुच्छेद 19(1)(ए) नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है, जिसमें सरकार से सवाल पूछने का अधिकार भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने राज नारायण बनाम डॉ. राम मनोहर लोहिया (1967) मामले में कहा कि यह अधिकार नागरिकों को सरकार की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करता है।

*अनुच्छेद 32: मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए उपचार*

अनुच्छेद 32 नागरिकों को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार प्रदान करता है। एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार नागरिकों को सरकार के खिलाफ सवाल उठाने और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार देता है।

*अनुच्छेद 226: उच्च न्यायालयों की रिट जारी करने की शक्ति*

अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति प्रदान करता है, जिससे नागरिक सरकार के खिलाफ सवाल उठा सकते हैं अगर उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार नागरिकों को सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करता है।

*न्यायिक व्याख्या*

सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में सरकार से सवाल पूछने के अधिकार की व्याख्या की है। इन मामलों में शामिल हैं:

- राज नारायण बनाम डॉ. राम मनोहर लोहिया (1967)
- एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981)
- यूनियन ऑफ इंडिया बनाम राघवन (2004)

*निष्कर्ष*

सरकार से सवाल पूछने का अधिकार भारतीय संविधान का एक मूलभूत हिस्सा है, जो नागरिकों को सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करता है। अनुच्छेद 19(1)(ए), 32 और 226 नागरिकों को यह अधिकार प्रदान करते हैं, और न्यायिक व्याख्या ने इस अधिकार को और मजबूत किया है।

*संदर्भ*

- भारतीय संविधान
- राज नारायण बनाम डॉ. राम मनोहर लोहिया (1967)
- एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981)
- यूनियन ऑफ इंडिया बनाम राघवन (2004)

यह रिपोर्ट सरकार से सवाल पूछने के अधिकार के संवैधानिक प्रावधानों और न्यायिक व्याख्या का एक विस्तृत विवरण प्रदान करती है।

गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

 #ये_आजादी_झूठी_है_देश_की_जनता_भूखी_है अन्नाभाऊ साठे एक प्रसिद्ध मराठी लेखक, लोककवि, और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्हें "ल...
18/07/2025

#ये_आजादी_झूठी_है_देश_की_जनता_भूखी_है
अन्नाभाऊ साठे एक प्रसिद्ध मराठी लेखक, लोककवि, और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्हें "लोकशाहीर" के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने दलित साहित्य और संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अन्नाभाऊ साठे का जन्म 1 अगस्त 1920 को सांगली जिले के वाटेगांव में हुआ था। उन्होंने औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी, लेकिन अपने लेखन और सामाजिक कार्यों के माध्यम से उन्होंने समाज में जागरूकता फैलाई। उन्होंने 32 उपन्यास, 13 लघु कथा संग्रह, एक यात्रा वृत्तांत, और कई गीत लिखे।
अन्नाभाऊ साठे के कुछ प्रमुख कार्य हैं:
उपन्यास:
फकीरा, चिखलातील कमळ, वैजयंता, वारणेचा वाघ, चंदन, रानगंगा
लघु कथा संग्रह:
कृष्णाकाठच्या कथा, खुळंवाडा, गजाआड
लोकनाट्य:
देशभक्त घोटाळे, शेटजींचे इलेक्शन, बेकायदेशीर
अन्य:
स्टालिनग्रादचा पोवाडा, माझी मुंबई, मूक मिरवणूक
अन्नाभाऊ साठे का निधन 18 जुलाई 1969 को हुआ। उन्हें मरणोपरांत महात्मा गांधी स्मारक विश्वविद्यालय (एमजीएमयू) छत्रपति संभाजी नगर द्वारा डी. लिट. की उपाधि से सम्मानित किया गया।

गीता पैट्रिक
अध्यक्षा
महिला जागृति फाउंडेशन
हापुड (उत्तर प्रदेश)

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245101

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