23/09/2025
📰 एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय - #काशी का गौरव: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
#वाराणसी की पावन धरती पर स्थित #बनारस #हिन्दू #विश्वविद्यालय ( ) केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान का संगम है। यह विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बड़ा और विश्व के प्रमुख आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है। इसकी स्थापना 1916 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने राष्ट्रनिर्माण की भावना के साथ की थी।
लगभग 1,300 एकड़ (5.3 वर्ग किमी) क्षेत्र में फैला BHU किसी छोटे नगर से कम नहीं है। यहां चौड़ी सड़कें, विशाल परिसर, मंदिर, पुस्तकालय, छात्रावास और शोध केंद्र मिलकर इसे एक आत्मनिर्भर अकादमिक नगरी का स्वरूप देते हैं। यहां 30,000 से अधिक विद्यार्थी अध्ययन करते हैं और उन्हें सैकड़ों विद्वान प्राध्यापक मार्गदर्शन देते हैं। परिसर का अनुशासित वातावरण विद्यार्थियों को विद्या, साधना और अनुसंधान के लिए प्रेरित करता है।
BHU की विशेषता इसकी बहुविषयी शिक्षा प्रणाली है। यहां कला, साहित्य, संगीत, नृत्य, विज्ञान, चिकित्सा, कृषि, कानून, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और समाजशास्त्र तक के लगभग सभी विषयों में अध्ययन और अनुसंधान की सुविधा उपलब्ध है। विश्वविद्यालय का इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IMS) देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में गिना जाता है। वहीं आईआईटी-BHU इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति रखता है।
विश्वविद्यालय परिसर में स्थित भारत कला भवन संग्रहालय भारतीय कला, संस्कृति और इतिहास की अमूल्य धरोहरों को संजोए हुए है। मूर्तिकला, चित्रकला और पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं यहां संग्रहित हैं, जो विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए अमूल्य सामग्री प्रदान करती हैं। इसके साथ ही, परिसर में स्थित विश्वनाथ मंदिर न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि यह छात्रों के लिए अध्यात्म और नैतिक मूल्यों से जुड़ने का स्थान भी है।
BHU केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक व बौद्धिक आंदोलन का प्रतीक है। यहां विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन, संगोष्ठियां और छात्र गतिविधियां विद्यार्थियों के बहुआयामी विकास में सहायक होती हैं। खेलकूद, साहित्यिक मंच और सामाजिक सेवा के कार्य यहां के छात्र जीवन का हिस्सा हैं।
विश्वविद्यालय ने आज तक लाखों विद्यार्थियों को तैयार किया है, जिन्होंने आगे चलकर वैज्ञानिक, साहित्यकार, राजनेता, कलाकार और समाज सुधारक के रूप में देश-दुनिया में ख्याति अर्जित की। BHU से शिक्षा प्राप्त अनेक प्रतिभाएं आज राष्ट्र और समाज की दिशा तय कर रही हैं।
महामना मालवीय जी का सपना था कि BHU ऐसा संस्थान बने, जहां शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्रभावना, संस्कृति और नैतिकता का भी विकास हो। आज यह विश्वविद्यालय उसी सपने को साकार कर रहा है। यह वास्तव में परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम है।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय केवल काशी की ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की शान है। यह संस्थान भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सदैव अमर रहेगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।