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📱 बच्चों के मोबाइल उपयोग पर अभिभावकों के लिए खास सावधानियाँआजकल बच्चों के हाथों में स्मार्टफोन और टैबलेट आम बात हो गई है...
25/09/2025

📱 बच्चों के मोबाइल उपयोग पर अभिभावकों के लिए खास सावधानियाँ

आजकल बच्चों के हाथों में स्मार्टफोन और टैबलेट आम बात हो गई है। ऐसे में अभिभावकों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वे बच्चों को तकनीक के लाभ तो दिलाएँ पर नुकसान से बचाएँ।
👉 विशेषज्ञों का मानना है कि अभिभावक बच्चों का Google Account खुद बनाएँ और उसमें जन्मतिथि 13 वर्ष से कम दर्ज करें। इसके बाद डिवाइस को Google Family Link ऐप से जोड़े। इस दौरान अभिभावक का ईमेल आवश्यक होगा जिसे मुख्य नियंत्रण के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। अभिभावक अपने मोबाइल पर भी यह ऐप इंस्टॉल करें।

🔒 इससे मिलने वाले लाभ:

1. बच्चों के मोबाइल पर किसी भी तरह का अनुचित वीडियो, वेबसाइट या हानिकारक कंटेंट स्वतः ब्लॉक हो जाएगा।
2. अभिभावक तय कर पाएँगे कि बच्चा मोबाइल कितने समय और कब इस्तेमाल करेगा। ज़रूरत पड़ने पर दूर से भी डिवाइस बंद किया जा सकता है।
3. बच्चा कोई भी नया ऐप या गेम तभी डाउनलोड कर सकेगा जब अभिभावक उसकी मंजूरी देंगे। साथ ही, चल रहे किसी भी ऐप को तत्काल रोका जा सकता है।

यह व्यवस्था बच्चों को डिजिटल दुनिया के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए एक मज़बूत Parental Control System है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते यदि यह सतर्कता बरती जाए तो बच्चे तकनीक के सही उपयोग में दक्ष बनेंगे और गलत कंटेंट से दूर रहेंगे।

प्लास्टिक वेस्ट से सड़क निर्माण में क्रांति लाने वाले डॉ. राजगोपालन वासुदेवनमदुरै (तमिलनाडु)।थियाराजार कॉलेज ऑफ इंजीनियर...
24/09/2025

प्लास्टिक वेस्ट से सड़क निर्माण में क्रांति लाने वाले डॉ. राजगोपालन वासुदेवन

मदुरै (तमिलनाडु)।
थियाराजार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के रसायन शास्त्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. राजगोपालन वासुदेवन ने सड़क निर्माण की दुनिया में नई दिशा दी है। उन्होंने वर्ष 2002 में एक अनोखी तकनीक विकसित की, जिसके अंतर्गत प्लास्टिक वेस्ट को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर बिटुमेन में मिलाया जाता है और फिर सड़क निर्माण में प्रयोग किया जाता है।
इस खोज ने दोहरी समस्या का समाधान किया - एक ओर प्लास्टिक कचरे का निपटान हुआ, वहीं दूसरी ओर सड़कों की मजबूती और लागत प्रभावशीलता में वृद्धि हुई। अब तक भारत में 1 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण इसी तकनीक से हो चुका है। देश के कम से कम 11 राज्यों ने इस पद्धति को अपनाया है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि प्लास्टिक युक्त सड़कों में भारी वर्षा का असर कम होता है और इनके रख-रखाव की जरूरत भी बहुत कम पड़ती है। यह नवाचार पर्यावरणीय स्थिरता और अधोसंरचना विकास दोनों के लिए वरदान साबित हुआ है।
साल 2018 में डॉ. वासुदेवन को उनके इस क्रांतिकारी योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। उन्होंने यह दिखाया कि वैज्ञानिक नवाचार किस तरह गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों का स्थायी समाधान दे सकता है।

सितंबर-अक्टूबर में घर पर उगाएँ ये 7 मसालेबरसात के बाद और सर्दियों की शुरुआत यानी सितंबर-अक्टूबर का मौसम मसालेदार पौधों क...
24/09/2025

सितंबर-अक्टूबर में घर पर उगाएँ ये 7 मसाले

बरसात के बाद और सर्दियों की शुरुआत यानी सितंबर-अक्टूबर का मौसम मसालेदार पौधों की खेती के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है। इस समय मिट्टी में नमी बनी रहती है और पौधों की जड़ें तेजी से फैलती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप चाहें तो छोटे गमलों में भी यह खेती घर पर कर सकते हैं।

🌱 हल्दी - कच्ची गांठ को 5–6 इंच गहराई पर लगाएँ, 7–9 महीने बाद फसल तैयार।
🌱 लौंग - नर्सरी से पौधा लाकर छांव में लगाएँ, कई साल बाद फूलों की कलियों से मसाला तैयार।
🌱 इलायची - पौधे या जड़ से लगाई जाती है, 2–3 साल में फलियाँ देने लगती है।
🌱 तेज पत्ता - नर्सरी से पौधा लाकर गमले/जमीन में लगाएँ, पत्ते सुखाकर मसाले में इस्तेमाल।
🌱 काली मिर्च - बेलनुमा पौधा है जिसे सहारे की जरूरत होती है, 2–3 साल में दाने मिलते हैं।
🌱 धनिया - सबसे आसान विकल्प, 30–40 दिन में पत्तियाँ और 2–3 महीने में दाने तैयार।
🌱 करी पत्ता - बीज या पौधे से लगाएँ, 6–7 महीने में पत्तियाँ रसोई के लिए उपलब्ध।

विशेषज्ञ बताते हैं कि इन मसालों के बेहतर विकास के लिए गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करें। नियमित हल्की सिंचाई और आंशिक धूप से पौधों की वृद्धि तेज होती है।
इस मौसम में उगाए गए मसाले न केवल ताजगी और स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं।

📰 एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय -  #काशी का गौरव: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय #वाराणसी की पावन धरती पर स्थित  #बनारस  ...
23/09/2025

📰 एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय - #काशी का गौरव: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय

#वाराणसी की पावन धरती पर स्थित #बनारस #हिन्दू #विश्वविद्यालय ( ) केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान का संगम है। यह विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बड़ा और विश्व के प्रमुख आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है। इसकी स्थापना 1916 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने राष्ट्रनिर्माण की भावना के साथ की थी।
लगभग 1,300 एकड़ (5.3 वर्ग किमी) क्षेत्र में फैला BHU किसी छोटे नगर से कम नहीं है। यहां चौड़ी सड़कें, विशाल परिसर, मंदिर, पुस्तकालय, छात्रावास और शोध केंद्र मिलकर इसे एक आत्मनिर्भर अकादमिक नगरी का स्वरूप देते हैं। यहां 30,000 से अधिक विद्यार्थी अध्ययन करते हैं और उन्हें सैकड़ों विद्वान प्राध्यापक मार्गदर्शन देते हैं। परिसर का अनुशासित वातावरण विद्यार्थियों को विद्या, साधना और अनुसंधान के लिए प्रेरित करता है।
BHU की विशेषता इसकी बहुविषयी शिक्षा प्रणाली है। यहां कला, साहित्य, संगीत, नृत्य, विज्ञान, चिकित्सा, कृषि, कानून, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और समाजशास्त्र तक के लगभग सभी विषयों में अध्ययन और अनुसंधान की सुविधा उपलब्ध है। विश्वविद्यालय का इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IMS) देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में गिना जाता है। वहीं आईआईटी-BHU इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति रखता है।
विश्वविद्यालय परिसर में स्थित भारत कला भवन संग्रहालय भारतीय कला, संस्कृति और इतिहास की अमूल्य धरोहरों को संजोए हुए है। मूर्तिकला, चित्रकला और पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं यहां संग्रहित हैं, जो विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए अमूल्य सामग्री प्रदान करती हैं। इसके साथ ही, परिसर में स्थित विश्वनाथ मंदिर न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि यह छात्रों के लिए अध्यात्म और नैतिक मूल्यों से जुड़ने का स्थान भी है।
BHU केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक व बौद्धिक आंदोलन का प्रतीक है। यहां विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन, संगोष्ठियां और छात्र गतिविधियां विद्यार्थियों के बहुआयामी विकास में सहायक होती हैं। खेलकूद, साहित्यिक मंच और सामाजिक सेवा के कार्य यहां के छात्र जीवन का हिस्सा हैं।
विश्वविद्यालय ने आज तक लाखों विद्यार्थियों को तैयार किया है, जिन्होंने आगे चलकर वैज्ञानिक, साहित्यकार, राजनेता, कलाकार और समाज सुधारक के रूप में देश-दुनिया में ख्याति अर्जित की। BHU से शिक्षा प्राप्त अनेक प्रतिभाएं आज राष्ट्र और समाज की दिशा तय कर रही हैं।
महामना मालवीय जी का सपना था कि BHU ऐसा संस्थान बने, जहां शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्रभावना, संस्कृति और नैतिकता का भी विकास हो। आज यह विश्वविद्यालय उसी सपने को साकार कर रहा है। यह वास्तव में परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम है।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय केवल काशी की ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की शान है। यह संस्थान भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सदैव अमर रहेगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि पर बोले ज़ोहो संस्थापक श्रीधर वेम्बु - ‘डर में मत जियो, भारत लौट आओ’  : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल...
22/09/2025

H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि पर बोले ज़ोहो संस्थापक श्रीधर वेम्बु - ‘डर में मत जियो, भारत लौट आओ’

: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा एच-1बी वीज़ा शुल्क को 1,00,000 डॉलर तक बढ़ाने की घोषणा से वैश्विक आईटी उद्योग में हलचल मच गई है। #माइक्रोसॉफ्ट, #अमेज़न, #मेटा जैसी दिग्गज कंपनियों ने अपने विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका लौटने के निर्देश दिए हैं। इसी बीच ज़ोहो ( ) के संस्थापक श्रीधर वेम्बु ने भारतीय टेक पेशेवरों को संदेश दिया है कि वे भारत लौटकर नए सिरे से भविष्य का निर्माण करें।

वेम्बु ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘ #एक्स’ पर लिखा - “मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है, पर अमेरिका में एच-1बी वीज़ा पर रह रहे भारतीयों के लिए यह समय निर्णायक हो सकता है। घर लौट आइए। पाँच साल लगेंगे जीवन पुनः बनाने में, पर आप और मज़बूत होंगे। डर में मत जियो। साहसिक कदम उठाओ, आप सफल होगे।”

उन्होंने भारत विभाजन के समय सिंधी परिवारों की कहानी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने सबकुछ खोकर भी नए सिरे से जीवन खड़ा किया और सफल हुए। वेम्बु स्वयं अमेरिका से लौटकर ज़ोहो को विश्व स्तरीय सॉफ़्टवेयर कंपनी बना चुके हैं। उनका कहना है कि आज भारत में डिजिटल इकॉनमी, स्टार्टअप इकोसिस्टम और ग्लोबल कंपनियों के आरएंडडी हब जैसी अपार संभावनाएँ हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस वीज़ा नीति से भारत को ‘रिवर्स माइग्रेशन’ का लाभ मिल सकता है और देश की प्रतिभा देश में ही नवाचार को मज़बूत करेगी।

06/04/2025

   #वीबीएन
30/03/2025

#वीबीएन

शिवपुरी, 29 मार्च 2025 – सर्किल जेल शिवपुरी में व्यक्तित्व परिष्कार शिविर के 12वें सत्र के साथ वार्षिक प्रशिक्षण शिविर ....

23/03/2025

पीड़ित मानवता की सेवा में संलग्न नारायण सेवा संस्थान एवं सेवालाभी ट्रस्ट, शाखा हजारीबाग के संयुक्त सहयोग से गायत.....

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