02/10/2025
महनार विधानसभा से NDA खेमे में दो प्रमुख नाम चर्चा में हैं – उमेश सिंह कुशवाहा और रामा सिंह।
उमेश सिंह कुशवाहा का अपने कुशवाहा जाति के मजबूत वोट बैंक पर पकड़।
पिछले पाँच सालों में अन्य जातियों के वोटरों को भी जोड़ने की कोशिश की और आंशिक रूप से सफल भी दिख रहा हैं।
महनार में NDA से उमेश सिंह कुशवाहा की जीत के लिए पासवान समाज का वोट अहम है, इसी कारण वे चिराग पासवान के खिलाफ खुलकर कुछ नहीं बोलते।
पिछले चुनाव में बहुत कम वोटों से हार, जदयू संगठन में उनका कद और नीतीश कुमार से नज़दीकी उन्हें टिकट की दौड़ में सबसे आगे लाता है।
जदयू की आंतरिक स्थिति
जदयू में इस समय प्रमुख चेहरे –
ललन सिंह, विजय चौधरी, संजय झा – सभी एक ही वर्ग से आते हैं।
अशोक चौधरी दलित माने जाते हैं, लेकिन उनके ऊपर अक्सर “दलित से ज्यादा स्वर्ण” होने का आरोप लगता है।
ऐसे में उमेश सिंह कुशवाहा एकमात्र बड़ा प्रमुख पिछड़ा के साथ जदयू के कोर कुशवाहा वोटरों के प्रमुख चेहरा हैं जो संगठन के सक्रिय भूमिका में हैं।
पिछड़ा विरोध और भुजा पार्टी का आरोप
तेजस्वी यादव लगातार जदयू पर आरोप लगाते रहे हैं कि पार्टी अब “भुजा पार्टी” बन गई है और पिछड़ों को हाशिए पर धकेला जा रहा है।
अगर महनार से उमेश सिंह कुशवाहा का टिकट काटा गया, तो यह साफ संदेश जाएगा कि जदयू में पिछड़ा विरोधी रुख हावी है और भुजा पार्टी का पूरा कब्जा है।
नीतीश कुमार की अस्वस्थता
नीतीश कुमार की सेहत को लेकर सवाल उठते रहे हैं। कई बार कहा जाता है कि पार्टी में बड़े फैसले अब वे खुद नहीं ले पा रहे, बल्कि निर्णय कुछ चुनिंदा भुजा पार्टी के नेताओं के हाथों में चला गया है।
अगर उमेश कुशवाहा का टिकट काटा गया तो यह भी माना जाएगा कि यह नीतीश का फैसला नहीं, बल्कि “भुजा पार्टी” गुट का दबदबा है।
इन्हीं कारणों से यह माना जा रहा है कि महनार विधानसभा से उमेश सिंह कुशवाहा का टिकट लगभग तय है।
टिकट कटा तो यह संदेश जाएगा कि जदयू में पिछड़ों की अनदेखी, नीतीश कुमार की कमजोर होती पकड़, और भुजा पार्टी का वर्चस्व – ये तीनों बातें सही साबित हो रही हैं, जिससे पूरे बिहार में जदयू को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।