Naresh Nayak

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"गाँव की टूटी-फूटी रसोई से निकलकर सिर्फ 365 दिन में बना डाला 1 करोड़ का साम्राज्य!"बिहार के दो नाबालिग भाई, जिनके पास न ...
14/08/2025

"गाँव की टूटी-फूटी रसोई से निकलकर सिर्फ 365 दिन में बना डाला 1 करोड़ का साम्राज्य!"बिहार के दो नाबालिग भाई, जिनके पास न कोई बड़ी पूंजी थी, न बिज़नेस का अनुभव, उन्होंने सिर्फ अपने सपनों और मेहनत के दम पर इतिहास रच दिया।
इन भाइयों ने बिहार के पारंपरिक व्यंजन ठेकुआ को आधुनिक पैकेजिंग और ब्रांडिंग के साथ पूरे देश में पहुँचाया।
"शुद्ध स्वाद" नाम से शुरू किया गया ये ब्रांड महज़ 1 साल में 1 करोड़ रुपये की वैल्यू तक पहुँच गया।

उनकी कहानी इस बात का सबूत है कि अगर सोच बड़ी हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो गाँव की गलियों से भी करोड़ों का बिज़नेस खड़ा किया जा सकता है।
आज ये दोनों भाई पूरे बिहार और देश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

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14/08/2025
ये तस्वीर सिर्फ इमारतों का फर्क नहीं दिखाती…ये दिखाती है सोच, प्राथमिकता और व्यवस्था का फर्क। सवाल ये है कि जब हमारे पास...
14/08/2025

ये तस्वीर सिर्फ इमारतों का फर्क नहीं दिखाती…ये दिखाती है सोच, प्राथमिकता और व्यवस्था का फर्क। सवाल ये है कि जब हमारे पास संसाधन हैं, तो हमारे बच्चों का हक़ क्यों सिर्फ किताबों तक सीमित रह जाता है, सुविधाओं तक क्यों नहीं पहुंचता?

फिनलैंड जैसे छोटे देश ने शिक्षा को प्राथमिकता देकर अपने सरकारी स्कूलों को आधुनिक और उच्च सुविधाओं से लैस किया है। वहीं, भारत जो दुनिया की 4वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, उसके कई सरकारी स्कूल अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यह तुलना इस बात पर सवाल उठाती है कि हमारे देश में शिक्षा पर खर्च और योजना को कितना महत्व दिया जाता है।

कुछ कहानियाँ इतनी छोटी होती हैं —  लेकिन उनका असर ज़िंदगी भर रहता है।दिल्ली की 20 महीने की धनिष्ठा —  एक मासूम बच्ची,  ज...
12/08/2025

कुछ कहानियाँ इतनी छोटी होती हैं —
लेकिन उनका असर ज़िंदगी भर रहता है।

दिल्ली की 20 महीने की धनिष्ठा —
एक मासूम बच्ची,
जो भारत की सबसे कम उम्र की अंगदाता बन गई।

जब वो इस दुनिया से चली गई,
तो उसके माता-पिता ने
अपने दुःख को किसी और की ज़िंदगी बना दिया।

उन्होंने उसके अंग दान कर दिए —
ताकि कोई और बच्चा साँस ले सके,
कोई माँ फिर से मुस्कुरा सके।

धनिष्ठा अब सिर्फ एक नाम नहीं —
वो एक रौशनी है,
जो कई ज़िंदगियों में जल रही है।

ॐ शांति 🙏
और उस परिवार को सलाम —
जिन्होंने दुःख में भी इंसानियत को चुना।

सोचिए… आप 1–2 घंटे डांस करें तो शरीर थककर जवाब दे देता है, लेकिन नेपाल की 19 साल की वंदना नेपाल ने वो कर दिखाया जो इंसान...
12/08/2025

सोचिए… आप 1–2 घंटे डांस करें तो शरीर थककर जवाब दे देता है, लेकिन नेपाल की 19 साल की वंदना नेपाल ने वो कर दिखाया जो इंसानी हिम्मत की हद से भी आगे है।
उन्होंने लगातार 126 घंटे यानी पूरे 5 दिन और 6 रातें बिना रुके नृत्य किया। इन दिनों में उन्होंने ठीक से आराम नहीं किया, नींद तक नहीं ली और खाना भी नहीं खाया…
बस मंच पर खड़ी रहीं और हर बीट, हर ताल पर थिरकती रहीं।

उनका ये रिकॉर्ड केवल डांस का नहीं, बल्कि जुनून, मेहनत और आत्मविश्वास का भी है।
आज उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है,
और उनकी कहानी दुनिया को ये सिखाती है कि—
"जब आप अपनी चाहत में पूरी तरह डूब जाते हैं,
तो थकान भी सलाम ठोक देती है।"

🌱 ज़िन्दगी में हमेशा याद रखो 🌱जो ऊपर से बड़ा दिख रहा है, ज़रूरी नहीं कि अंदर से भी उतना ही मजबूत हो।और जो ऊपर से छोटा दि...
12/08/2025

🌱 ज़िन्दगी में हमेशा याद रखो 🌱
जो ऊपर से बड़ा दिख रहा है, ज़रूरी नहीं कि अंदर से भी उतना ही मजबूत हो।
और जो ऊपर से छोटा दिख रहा है, हो सकता है उसके अंदर असली खज़ाना छुपा हो।

✨ ज़िन्दगी का सच… ✨

कभी किसी को सिर्फ़ उसके बाहर से देखकर मत आंकना…
क्योंकि असली कहानी तो अक्सर ज़मीन के नीचे छुपी होती है। 🌱

कुछ लोग ऊपर से बहुत चमकते हैं, लेकिन अंदर से खोखले होते हैं…
और कुछ लोग ऊपर से साधारण दिखते हैं, पर उनके अंदर मेहनत, संघर्ष और क़ामयाबी का खज़ाना छुपा होता है। 💪❤️

👉 सब्र रखो, सच्चाई खुद सामने आएगी…

जब तक अपनी आँखों से न देख लो, तब तक किसी को कम मत समझो।

निस्वार्थ दान ₹21000 करोड़ कापूरी दुनियाँ में मेटल किंग के नाम से मशहूर  #वेदांता_ग्रुप' के मालिक  #अनिल_अग्रवाल ने अपने...
11/08/2025

निस्वार्थ दान ₹21000 करोड़ का
पूरी दुनियाँ में मेटल किंग के नाम से मशहूर #वेदांता_ग्रुप' के मालिक #अनिल_अग्रवाल ने अपने जीवन की सारी कमाई का 75 प्रतिशत शैक्षणिक कार्यों के लिए दान करने का एलान किया है। लन्दन में बसे अग्रवाल का ये दान भारतीय करेंसी के अनुसार 21000 करोड़ रूपए है। यह अब तक किसी भी भारतीय के द्वारा दान की जाने वाली सबसे बड़ी रकम है।

बिहार के #पटना में 24 जनवरी 1954 को जन्मे और स्थानीय 'सर जी डी पाटलिपुत्रा हाई स्कूल' के छात्र रहे श्री अनिल अग्रवाल ने कल लन्दन में अपने परिवार की सहमति के बाद एलान किया कि वे यह रकम भारत में नि:शुल्क शिक्षा के बड़े प्रोजेक्टों में दान देना चाहते हैं और यहाँ ऑक्सफ़ोर्ड से भी बड़ी यूनिवर्सिटीज बनाना चाहते हैं जो 'नो प्रॉफिट नो लॉस' के आधार पर चलेंगी.

इस स्वार्थी भौतिकवादी आधुनिक युग के #भामाशाह_अनिल_अग्रवाल जी को सादर नमन।

सूरज की रोशनी उस दिन चांद की परछाई में कैद थी…उसी दिन एक बच्ची ने जन्म लिया, और गांव वालों ने कहा –"ये तो अशुभ है… इसे अ...
11/08/2025

सूरज की रोशनी उस दिन चांद की परछाई में कैद थी…
उसी दिन एक बच्ची ने जन्म लिया, और गांव वालों ने कहा –"ये तो अशुभ है… इसे अनाथालय भेज दो।"लोग उसे "बंदर… मानसिक" जैसे ताने देते रहे।लेकिन किस्मत के लिखे को उसने अपने हौसले से बदल दिया। आज वही बच्ची, दीप्ति जीवनजी, अपने माता-पिता का गर्व बन चुकी है।
दीप्ति जीवनजी का जन्म सूर्य ग्रहण के दिन हुआ था, जिसके कारण गांव वालों ने अंधविश्वास में उन्हें "अशुभ" कहा और माता-पिता को अनाथालय भेजने की सलाह दी। बचपन में उन्हें "बंदर" और "मानसिक" जैसे अपमानजनक शब्द सुनने पड़े। लेकिन दीप्ति ने इन तानों को अपनी ताकत बनाया और मेहनत, शिक्षा व संघर्ष के बल पर आज अपने माता-पिता का नाम रोशन किया। यह कहानी सिखाती है कि हालात और लोग चाहे जो कहें, असली पहचान अपने कर्मों से बनती है।

#दीप्ति_जीवनजी #संघर्ष #प्रेरणा

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