24/04/2024
कांग्रेस का खटाखट पैसा छीनने वाला दांव और वेनेज़ुएला के पतन की कहानी..
लैटिन अमेरिका का एक समय सबसे धनी राष्ट्र था वेनेज़ुएला..उसकी GDP आसपास के देशों में ईर्ष्या का विषय थी..दुसरे विश्व युद्ध के बाद चौथे नंबर का देश...1982 तक सब सही चला...फिर शुरू हुआ खटाखट खटाखट राजनीति का आगमन और बंदरबांट...
सामाजिक न्याय का मैनिफेस्टो और लोकलुभावन वादे कर ह्यूगो चावेज़ का सत्ता में आना... ऑइल से मिलने वाले पैसे को अपनी पॉपुलिस्ट स्कीमों में लगाना..उद्योगों को उद्यमियों के हाथ से छीन कर उनका राष्ट्रीयकरण करना..वहाँ ये सब शुरू हुआ...शुरू में कुछ महीने तो लोगों को मजा आया...वही मजा जो राहुल गाँधी हमारे देश की जनता को कबसे चखाना...आई मीन देना चाहते हैं पर भगवान् की कृपा से दे नहीं पा रहे हैं..
वेनेजुएला में जमींदारों से जमीन छीन ली गयी और अपने आदमियों में बाँट दी गयी..जिस से वहां फ़ूड प्रोडक्शन गड़बड़ा गया और ये लोग २ वक़्त की रोटी की आत्मनिर्भरता खो बैठे.. .हमारे यहां और भी कोढ़ में खाज यह है कि यहां अपने आदमी के नाम पर सब घुसपैठियों को देने की प्लानिंग है, क्यूंकि तमाम घुसपैठ के बाद भी आजतक खेती ही ऐसी व्यवस्था है जिसमें घुसपैठिये जमीन का मालिकाना हक़ न होने की वजह से अब तक घुसपैठ नहीं कर पाए हैं...लेकिन अब यही कांग्रेस का प्लान है..
वेनेजुएला में जब फ़ूड क्राइसिस शुरू हुआ..तो खटाखट तरीके से मूलभूत वस्तुओं पर मूल्य नियंत्रण लगाया गया जिससे हुए ये कि वहां उत्पादन में कमी आई और व्यापारियों को लागत की पूर्ति करना कठिन हो गया।
इस सब का प्रभाव वहाँ की ऑइल इकॉनमी पर पड़ा और धीरे धीरे वो आमदनी भी ख़तम होने लगी..सरकार के हाथ पाँव फूलने लगे और फिर खटाखट खटाखट पैसा छपा गया..जिस से हाइपर इन्फ्लेशन हुआ..करेंसी की वैल्यू ख़त्म हुई और लोगों की रातोंरात जीवन भर की बचत नष्ट हो गई, जिससे अधिकाँश जनसंख्या और अधिक गरीबी में धकेल दी गयी.
इस सब से हुआ ये कि आर्थिक स्थिरता का आधार जो बुनियादी ढांचा होता है वही खराब हो गया, विदेशी इन्वेस्टमेंट भागने शुरू हो गए..और पूरा सिस्टम कोलैप्स हो गया..
अर्थव्यवस्था के पतन के साथ, 75% आबादी अत्यधिक गरीबी में जीने लगी.. आवश्यक वस्तुएं luxary बन गईं। लाखों लोगों को सिर्फ सर्वाइवल के लिए देश छोड़ कर भगाना पड़ा.
ये हाल एक ऐसे देश का हुआ जिसके पास तेल था, जो विश्व की सबसे संपन्न अर्थव्यवस्थाओं में से एक था..लेकिन बिना दिमाग लगाए खटाखट खटाखट देश के संसाधन नष्ट करके ये हाल कर लिया कि आज तक गरीबी से उबर नहीं सके हैं..
कांग्रेस भारत को उसी राह पर ले जाना चाहती है...खासकर मायनोरिटी के नाम पर देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का बता कर...ये सिविल वॉर की तरफ देश को धकेलने की साज़िश है...सिविल वॉर, गरीबी और अराजकता का एक ऐसा कॉकटेल कांग्रेस तैयार कर रही है जिसके बाद अराजकता का नाच गली गली घर घर होगा.
भारत समृद्ध रहे, आत्मनिर्भर रहे, मजबूत रहे उसके लिए जरूरी है नेतृत्व का अनुशासन और कड़े फैसले लेने का साहस. देश को खटाखट खटाखट अपने हाथ से जाने नहीं देंगे, बल्कि और मजबूत और अग्रिनिं बनाने के दिशा में सब प्रयास करेंगे यही कामना है.