Dr. Rahat Indori

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ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएंगीमुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूं मैं..Dr. Rahat Indori
07/07/2025

ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएंगी
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूं मैं..

Dr. Rahat Indori

"जॉन एलिया और राहत इंदौरी की एक वाइन बार में मुलाक़ात"---जगह:बंबई की एक छोटी सी बार — "साक़ी रेस्टोरेन्ट"दीवारें गीली, छत...
06/07/2025

"जॉन एलिया और राहत इंदौरी की एक वाइन बार में मुलाक़ात"

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जगह:
बंबई की एक छोटी सी बार — "साक़ी रेस्टोरेन्ट"
दीवारें गीली, छत से पंखा झूलता हुआ, और कोने में एक उधड़ा सा सोफ़ा।

वक़्त:
रात के दो बज रहे थे।
बार वाला झपकी ले रहा था… और दो आदमी — नज़्म ओ ग़ज़ल से मेज़ सजाए बैठे थे।

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राहत:
(गिलास में पैग डालते हुए)
"भाई जौन… ये जो तुम मोहब्बत को इतनी तकलीफ़ में डालते हो,
कभी उसे ख़ुश भी होने दो…"

जॉन:
(बीड़ी सुलगाते हुए)
"ख़ुशी एक बहुत सतही चीज़ है, राहत…
मैं जब मुस्कुराता हूँ, तो शेर मर जाते हैं…"

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राहत:
(हँसकर)
"तो फिर ताज्जुब नहीं, तुम्हारे सारे शेर यतीम लगते हैं!"

जॉन:
(घूँट भरते हुए)
"और तुम्हारे सारे शेर जलूस लगते हैं —
हर शेर में लाऊडस्पीकर क्यों होता है?"

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राहत:
"क्योंकि मैं मुशायरे में पढ़ता हूँ, मयख़ाने में नहीं!"

जॉन:
"मयख़ाने में जो शेर पके, वो ही तो मुशायरे में चढ़ते हैं…
तुम्हारे लफ़्ज़ ज़रा कम नशे में हैं, राहत —
कुछ पेग उन्हें भी पिला दो।"

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बार वाला बोतल बदल लाया।
बातें अब ग़ज़ल से ज़्यादा, तल्ख़ होने लगीं।

राहत:
"तुम हर शेर में क्यूँ टूटते हो?"

जॉन:
"क्योंकि जुड़ने वाले शायर, बस पोस्टर बनते हैं,
और मैं — 'ग़ैर-शायरों का सबसे बड़ा शायर' हूँ।"

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राहत:
(बीड़ी बुझाते हुए)
"लफ़्ज़ मेरी जेब में छुरी की तरह रहते हैं…
मगर इस्तेमाल मैं तब करता हूँ जब दिल टांका नहीं जाता।"

जॉन:
(थोड़ी देर ख़ामोश रहकर)
"दिल की मर'ह'मत से पहले,
मैं उसे जला देता हूँ — ताकि फिर शेरों से धुआँ निकले।"

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कुछ देर खामोशी रही।

फिर जॉन ने पूछा:

"तुम्हें भी कोई छोड़ कर गई थी?"

राहत:
(धीरे से)
"नहीं…
मैंने उसे छोड़ दिया था —
लेकिन अपने हर शेर में वापस बुला लिया।"

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रात और गहरी हो गई।
गिलास ख़ाली हो चुके थे।

जॉन:
अगर मैं मर जाऊँ... तो मेरी किताबें संभाल के रखना —
कहीं कोई मिसरा तुम्हें ख़ुद से बात करता हुआ मिल जाए।

राहत:
"अगर मैं मर जाऊँ —
तो मेरी शायरी को ग़ौर से पढ़ना
क्योंकि उसमें सियासत नहीं इश्क़ की आग है, जो मुर्दा दिल को ज़िंदा करती है।"

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और फिर —
दोनों उठे, ग़ज़ल की राख समेटी,
बीड़ी की महक को सलाम किया,
और बार से बाहर निकल गए…

जैसे कोई नज़्म अधूरी छोड़ दी गई हो।

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अगली सुबह,
बार वाले ने देखा —
मेज़ पर दो चिट्ठियाँ पड़ी थीं।
एक पर लिखा था:

"मैं जॉन एलिया हूँ, और मुझे हर रिश्ता तोड़ना आता है…"

दूसरी पर:

"मैं राहत इंदौरी हूँ — और मुझे हर तल्ख़ लफ़्ज़ में ताली सुनाई देती है।"

मोहसिन आफ़ताब
शायरों के मनगढंत क़िस्से ...
Satlaj Rahat Indori

  🙏
12/06/2025

🙏

28/05/2025

अपने होने का, हम इस तरह पता देते थे,
ख़ाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे ......
उसकी महफ़िल में वही सच था, वो जो कुछ भी कहे,
हम भी गूंगों की तरह, हाथ उठा देते थे ....
डॉ. राहत इंदौरी


Satlaj Rahat Indori Faisal Rahat

Kaave Kaave sahar ko shaam kiya,Humne chhutti ke din bhi kaam kiya.....Marnaa aasan kaam thodi hai,Yaar logo.n ne inteza...
24/05/2025

Kaave Kaave sahar ko shaam kiya,
Humne chhutti ke din bhi kaam kiya.....

Marnaa aasan kaam thodi hai,
Yaar logo.n ne intezam kiya....
Dr. Rahat Indori

मैं वो दरिया हूँ, के हर बूँद भंवर है जिसकी.....तुमने अच्छा ही किया मुझे किनारा कर के .......डॉ. राहत इंदौरी
15/05/2025

मैं वो दरिया हूँ, के हर बूँद भंवर है जिसकी.....
तुमने अच्छा ही किया मुझे किनारा कर के .......
डॉ. राहत इंदौरी

Magroor jitne ped thhe..Hairat mai pad gaye.......Wo aandhiyaa.n chali.n,Ke jado.n se ukhad gaye....Dr. Rahat Indori
08/05/2025

Magroor jitne ped thhe..
Hairat mai pad gaye.......
Wo aandhiyaa.n chali.n,
Ke jado.n se ukhad gaye....
Dr. Rahat Indori

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