14/08/2024
*हज़रत टीपू सुल्तान से पहले आज़ादी की लड़ाई किसने शुरू की?*🇮🇳
हमने इतिहास से संबंधित जिनका *First Freedom fighter* (प्रथम स्वतंत्रता सेनानी) के रूप में जिक्र किया उसमें हज़रत टीपू सुल्तान रह.अलैह का ज़िक्र ज्यादा मिला लेकिन क्या आप लोग जानते हैं कि यह पूर्णतः सत्य नहीं है बल्कि आप तो *Second Freedom fighter of india* हुए हज़रत टीपू सुल्तान से भी पहले जिसने आजादी की लड़ाई शुरू की और आजादी के लिए अपनी आवाज बुलंद की और लोगों को जागरूक किया वह मदारिया सिलसिले के एक अज़ीम बुज़ुर्ग हज़रत मजनू शाह मलंग रह.अलैह है जो सन 1763 ई. में प्रथम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में निखरे कई जगहों पर आपका तज़किरा दिखाया या किया गया है जिसमें मशहूर है,
•हिस्ट्री ऑफ़ फ्रीडम मूवमेंट ऑफ़ इंडिया वैल्यूम टू टारचर्ड 1967,
• एडिशन घोष जे.एम. सन्यासी और फकीरेन बंगाल कलकत्ता 1930 सफा 10,
•उत्तर प्रदेश नेशनल टीवी चैनल "जाग उठा किसान और मजनू शाह" सीरियल,
• 'नई दुनिया' हफ्तारोज़ दिल्ली 16 से 22 अगस्त 1994 इत्यादि,
हिंदुस्तान के बड़े-बड़े राज्य बंगाल उड़ीसा और बिहार के मुसलमान के आप रूहानी पेशवा थे जिसे हिंदू भी बेपनाह अकीदत रखते थे आगे चलकर इस बगावत में बाबा भवानी पाठक ने आपका भरपूर साथ दिया यह साईबा पंत के सन्यासियों के रहनुमा थे।
हज़रत मजनू शाह मलंग का बढ़ चढ़कर साथ देने वाले आपके नामवर खुलफा जो इस तरह हैं मूसा शाह, चिराग अली शाह, नूरुल हम्द, रमज़ानी शाह, ज़हूरी शाह, सुब्हान अली, उमूमी शाह, नेकू शाह बुद्धू शाह, इमाम शाह, फरगल शाह, मतीउल्लाह और इसके अलावा आपका साथ जिन्होंने दिया उसमें हेमन सिंह, भवानी पाठक, देवी चौधरानी, कर्पानाथ पीतांबर वगैरा ने 45 45 बरस तक इस तहरीके आज़ादी को चलाया मजनू शाह एक ज़बरदस्त तंज़ीमी सलाहियत के मालिक थे वह मुश्किल हालात में तो बेमिसाल सुजाअत का मुज़ाहिरा करते थे उन्होंने मेकेंज़ी की ज़ेरे कमान फौज को एक के बाद एक कई हज़ीमतों से दोचार किया और 1766 में फैसलाकुन शिकस्त दी 1769 में कमांडर कीथ की फौज को ज़िल्लत आमेज़ शिकस्त देकर उसका सर कलम कर दिया।
1771 में मजनू शाह अपने मस्तानगढ़ के किले में मोर्चाबंदी करके लेफ्टिनेंट टेलर की फौज के छक्के छुड़ा दिए और बिहार निकल गए जहां किसानों और दस्तकारों का एक बड़ा लश्कर आपके साथ हो गया 14 नवंबर 1776 को फिरंगियों को एक और शिकस्त दी जिसमें लेफ्टिनेंट रॉबर्टसन शदीद तौर पर ज़ख्मी हुआ 29 दिसंबर 1786 जिला बागोरा के गांव मोंगरा में आप अचानक नुमूदार हुए और लेफ्टिनेंट ब्रेनान की फौज पर इतना ज़बरदस्त हमला किया कि अंग्रेज फौज के पांव उखड़ गए और इसी जंग में हज़रत मजनू शाह बहुत ज़ख्मी हुए और ज़ख्मो से चूर मकनपुर शरीफ पहुंचे और अपनी गढ़ी में कयाम किया मगर ऐसी हालत में भी मजनू शाह को मकनपुर शरीफ में आबाद अंग्रेजों का वजूद ठंडी आंखों नहीं भाया और उन्होंने मैक्सोल ब्रादर्स के एक भाई पीटर मैक्सोल को दुनिया से रुखसत कर दिया। 1787 में हज़रत मजनू शाह मलंग रह.अलैह शहादत के मर्तबे पर फाइज़ होगए। आपसे जुड़ी और भी खास बातें हैं मगर तहरीर की ज़्यादती को देखते हुए कुछ बहुत खास बातों को ही बयान किया गया है।
...अज़ क़लम...
*मदारुल हलीम शाह*
इब्न
*गद्दीनशीन मो.कलीम शाह तकियादार जबलपुर म.प्र.*