31/07/2025
राष्ट्र सेविका समिति की ज्योति: वंदनीय प्रमिलाताई मेढे जी
राष्ट्र सेविका समिति की चतुर्थ प्रमुख संचालिका वंदनीय प्रमिलाताई मेढे जी का 97 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया। अंतिम समय तक मातृत्व भाव से ओतप्रोत, अनुशासनप्रिय और राष्ट्र चिंतन में लीन यह व्यक्तित्व अब हमारे बीच नहीं रहा। देवी अहल्या मंदिर परिसर में उनका देहावसान राष्ट्र और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
प्रमिलाताई ने अपने कार्य से यह सिद्ध किया कि "असल हिंदुत्व" केवल भावनात्मक न होकर संकल्प, सेवा और देश-हितकारी सक्रियता है। 2009 में एक प्रशिक्षण शिविर में उन्होंने बताया कि देश का भाव "यह देश मेरा है" हर हृदय में होना चाहिए, और इसी सोच के साथ उन्होंने दूरस्थ, संवेदनशील एवं चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में निरंतर भ्रमण कर राष्ट्र निर्माण का कार्य आगे बढाया।
प्रमिलाताई जी का जीवन एक प्रेरक गाथा है। तीन माह से स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद वे मानसिक रूप से सतर्क और चिंतनशील रहीं। उनकी जीवन यात्रा साधारण नहीं थी— वे कर्म, अनुशासन, मातृत्व और राष्ट्रनिष्ठा की जीवंत मूर्ति थीं।
प्रमुख संचालिका शांताकुमारी जी ने भावपूर्ण शब्दों में श्रद्धांजलि देते हुए कहा—
"वंदनीय प्रमिलाताई जी बहुमुखी व्यक्तित्व की प्रखर चिंतनशील, कर्मठ कार्यकर्ता थीं। अंतिम क्षण तक अनुशासित जीवन जीते हुए उन्होंने मातृत्व भाव से हम सबका मार्गदर्शन किया। उनके आदर्श पथ पर चलते रहना ही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है।"
प्रमिलाताई जी का विशेष ध्यान हमेशा राष्ट्र की ज्वलंत चुनौतियों पर रहता था। जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील प्रदेश उनके मन के अत्यंत समीप थे। धारा 370 हटाने और वहाँ आतंकवाद समाप्त करने के लिए उन्होंने समिति के माध्यम से अनेक प्रयास किए। आतंकवाद से पीड़ित परिवारों को गोद लेना, धर्मांतरण से पीड़ित बेटियों को उनके परिवारों में पुनः स्थापित कराना—इन कार्यों में उनका मातृत्व भाव और राष्ट्रनिष्ठा प्रत्यक्ष झलकती थी।
उनका जीवन हमें सिखाता है कि अनुशासन, सेवा और राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण साधना ही जीवन की सार्थकता है। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा—
"कहने की आवश्यकता नहीं, उनकी कृति ही बोलती है।"
प्रमिलाताई का अंतिम समय नागपुर स्थित देवी अहिल्या मंदिर में बीता, जहां वे वर्षों से रहती और वही उनका केंद्र रहा। उनके स्वास्थ्य में पिछले तीन माह से गिरावट थी और 31 जुलाई 2025 को सुबह 9 बजकर 5 मिनट पर उन्होंने अंतिम श्वास ली-उनके प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने की प्रतिज्ञा के साथ उनका पार्थिव शरीर उनके दच्छानसार एमएस को सौंपा गया
आज जब हम उनके प्रेरक जीवन को स्मरण करते हैं, तो यह अनुभव होता है कि उन्होंने जो मार्ग दिखाया, वही हमारी अगली पीढ़ियों के लिए दिशा है। उनके दिखाए आदर्शों पर चलना ही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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