24/08/2025
यह घटना संत तुकाराम महाराज के जीवन की है।
तुकाराम जी गरीब किसान थे, पर उनका मन हमेशा भगवान विट्ठल की भक्ति में लीन रहता था।
एक बार गाँव में अकाल पड़ा। खेतों में अनाज नहीं हुआ। घर में खाने को कुछ नहीं था।
गाँव वाले तुकाराम जी से कहने लगे –
"तुकाराम, भक्ति से पेट नहीं भरता, भगवान से कुछ माँगो।"
तुकाराम जी मुस्कुराए और बोले –
"मैं भगवान से अनाज नहीं माँगता, मैं तो बस उनसे मिलने की आस रखता हूँ।"
भूख से हालत बहुत खराब हो गई, लेकिन तुकाराम जी हर दिन कीर्तन करते रहे।
गाँव वाले आश्चर्य करते कि इतना कष्ट सहकर भी ये हार क्यों नहीं मानते?
एक रात, तुकाराम जी भक्ति में डूबकर भजन गा रहे थे। अचानक मंदिर की मूर्ति से ऐसा लगा मानो भगवान खुद आकर उनके सामने खड़े हो गए।
विट्ठल ने कहा –
"तुकाराम! तुम्हारी भक्ति ने मुझे बाँध लिया है। लो, तुम्हारे गाँव में कभी अन्न की कमी नहीं होगी।"
और सचमुच, अगले ही दिन गाँव में बारिश हुई, खेत लहलहा उठे और सभी को भरपूर अन्न मिलने लगा।
गाँव वालों ने समझा –
"सच्ची भक्ति में इतनी ताकत है कि भगवान भी भक्त के द्वार पर आ जाते हैं।"