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( गहरी बातें 🤫 )
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बंदर की सरकार — जंगल में लोकतंत्र की विनाशलीलाबहुत समय पहले की बात है। एक घना जंगल था, वहाँ हर जाति-प्रजाति के जानवर रहत...
28/07/2025

बंदर की सरकार — जंगल में लोकतंत्र की विनाशलीला

बहुत समय पहले की बात है। एक घना जंगल था, वहाँ हर जाति-प्रजाति के जानवर रहते थे — कोई ताकतवर, कोई समझदार, कोई मेहनती, कोई चालाक। जंगल में पहले “मुख्य सेवक” का चुनाव हर पाँच साल पर होता था, जिसे जंगल की सेवा करनी होती थी — पेड़ों की देखभाल, नदियों की सफाई, और जानवरों के भले के लिए निर्णय लेना।

इस बार का चुनाव बहुत ही अहम था।

शेर, हाथी, भालू, गधा, लोमड़ी, कछुआ — सब मैदान में थे।
पर सबसे ज़्यादा चर्चा थी एक बंदर की।

अब यह बंदर न तो बहुत पढ़ा-लिखा था, न ही किसी सेवा का अनुभव था, पर उसकी एक खासियत थी — कूदना और बोलना।
कभी इस डाल पर, कभी उस डाल पर — बंदर दिनभर पेड़ों से लटकता, और चिल्ला-चिल्लाकर कहता,

"देखो! देखो! मैं कितना मेहनती हूँ!
जब मैं इतना उछल-कूद सकता हूँ, तो जंगल भी बदल सकता हूँ!"

वह हर जानवर से मिलता, उनके कान में फुसफुसाकर कहता:
"अरे वो शेर? अहंकारी है।
हाथी? बहुत धीमा है।
भालू? हर वक्त सोता है।
मेरे सिवा कौन?"

बंदर की बातों में मिठास थी, चाल में नाटक, और हाव-भाव में एक खास किस्म की चतुराई।
उसने अपने कुछ खास चमचों को "सेवक समूह" बना दिया — कोई उल्लू था, कोई नेवला, कोई मेंढक — सब उसके गुण गाते रहते:

"बंदर ही असली सेवक है! बाकी तो सिर्फ नाम के हैं।"

जनता भी चकाचौंध में आ गई।
कई ईमानदार, समझदार उम्मीदवार धीरे-धीरे पीछे छूट गए।
बंदर ने चुनाव प्रचार का नया तरीका निकाला —
कभी फोटोशूट, कभी 'जलेबी सम्मेलन', कभी पेड़ों से उल्टा लटककर भाषण!

नतीजा?

बंदर भारी बहुमत से चुनाव जीत गया।

पहले दिन ही मंच से बंदर ने चिल्लाकर कहा —

"अब जंगल बदलेगा! मैं हर डाल पर लटकूंगा जब तक सबका कल्याण न हो!"
लेकिन… फिर असली काम शुरू हुआ।

अब उसे फाइलें पढ़नी थीं, समस्याएँ समझनी थीं, समाधान निकालने थे —
पर बंदर को तो सिर्फ लटकना आता था, भाषण देना आता था,
काम? वो तो उसे आता ही नहीं था।

धीरे-धीरे वह पेड़ों से लटकते हुए ही बैठकों में भाग लेने लगा।
हर मीटिंग में नया नारा, हर सभा में नया छलाँग!
जंगल की हालत वैसे की वैसे, या और बदतर।

और जब सवाल पूछे जाने लगे —
"बंदर भाई! पेड़ तो सूख रहे हैं, नदियाँ गंदी हैं, क्या कर रहे हो?"

तो बंदर बोला —

> "देखो, मैंने तो बहुत कोशिश की।
लेकिन कुछ शक्तियाँ मेरे खिलाफ हैं।
और फिर… ये काम मेरा नहीं, मेरे प्रतिनिधि का है!"

और वहाँ मंच पर चढ़ा उसका नया प्रतिनिधि —
एक तोता, जो दिनभर सिर्फ बोलता है:

"बंदर महान है! बंदर महान है!"
"जो सवाल पूछे, वो ग़द्दार है!"

बंदर अब खुद कम दिखता, तोते को आगे कर देता।
तोता भाषण देता, बंदर फोटो खिंचवाता।
कोई कुछ पूछता, तोता चीखता —

"ये विरोध की साजिश है!"

जंगल के जानवर धीरे-धीरे समझने लगे —
उसे हमने चुना था मेहनत देखकर,
पर यह तो नाटक का उस्ताद निकला।

अब जंगल फिर से दोराहे पर खड़ा था —
एक तरफ वह बंदर जो दिनभर लटकता था,
दूसरी ओर उसकी बनाई हुई नाटक कंपनी।

लेकिन इस बार…
अब आगे क्या हुआ?

यह तो जंगल की जनता ही तय करेगी…
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28/07/2025

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"पिता का आख़िरी सपना"रवि एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था।*अच्छा पैसा, बढ़िया lifestyle, branded कपड़े, AC ऑफिस और we...
11/07/2025

"पिता का आख़िरी सपना"

रवि एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था।
*अच्छा पैसा, बढ़िया lifestyle, branded कपड़े, AC ऑफिस और weekend पार्टियाँ* — ज़िंदगी सेट लगती थी।

लेकिन उसके पिता – श्यामलाल जी – गाँव में ही रहते थे।
सीधे-सादे, पुराने ख्यालों के…
हर बार रवि से कहते,

> “बेटा, एक बार गाँव आ जा… तुझसे मिलने को मन करता है…”

*रवि हर बार बहाना बना देता:*

> “पापा, टाइम नहीं है… मीटिंग है… थोड़ा बिज़ी हूँ…”

वो नहीं आया।

पिता को शुगर, BP सब था — लेकिन रवि को लगा,

> “चलो, बाद में देख लेंगे…”

*एक दिन फोन आया –*

> “पापा अब नहीं रहे…”

रवि भागा गाँव…
घर में चुप्पी…
दीवार पर पिता की तस्वीर…
और पास में एक पुराना लिफ़ाफ़ा…

*लिफ़ाफ़े में था एक चिट्ठी – जो शायद उन्होंने मरने से पहले लिखी थी।*

✉️ *चिट्ठी में लिखा था:*
*> "बेटा, तुझसे मिलने का मन तो बहुत करता था…*
पर तू बड़ा हो गया है, अब तेरे पास वक़्त नहीं होगा।
जब तेरा समय हो, तब मेरी क़ब्र पर आ जाना।
*तुझे देखने की ख्वाहिश वहीं पूरी कर लूंगा…"*

रवि फूट-फूट कर रो पड़ा…
जिस इंसान ने उसे सब कुछ बनाया,
वो बस थोड़ा सा वक़्त माँग रहा था…

और वो भी न दे सका।

*🧠 इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?*

1. ✅ *माता-पिता हमेशा कुछ "बड़ा" नहीं माँगते – वो सिर्फ़ हमारी मौजूदगी चाहते हैं।*

2. ✅ *रिश्तों को वक्त दो… वरना एक दिन पछताना पड़ेगा।*

3. ✅ *काम, पैसा, तरक्की सब कुछ फिर से पाया जा सकता है — लेकिन माता-पिता दोबारा नहीं मिलते।*

4. ✅ *"बाद में देख लेंगे" कभी-कभी बहुत देर कर देता है…*

*🪔 संक्षेप में संदेश:*

> "जिन्होंने तुम्हें बोलना सिखाया,
कभी उनके चुप हो जाने से पहले…
बस एक बार सुन लो।"

*अगर आपको कहानी पसंद आई हो तो 1 👍♥️🙏Like जरूर दें।*

कहानी का शीर्षक:💯👈*"चेहरों के पीछे की सच्चाई"*🤔वह बहुत सीधा-सादा लड़का था — नाम था आर्यन। गाँव से शहर पढ़ने आया था। आँखो...
09/07/2025

कहानी का शीर्षक:💯👈

*"चेहरों के पीछे की सच्चाई"*🤔

वह बहुत सीधा-सादा लड़का था — नाम था आर्यन। गाँव से शहर पढ़ने आया था। आँखों में सपने थे, दिल में सच्चाई और व्यवहार में विनम्रता। वह हर किसी पर विश्वास कर लेता था। कोई मदद माँगता तो बिना सोचे कर देता, कोई साथ बैठना चाहता तो जगह दे देता, कोई दोस्ती का हाथ बढ़ाता तो वह मन से पकड़ लेता।

शहर की दुनिया🌍 उसके लिए नई थी, लेकिन वह सोचता था — *“लोग भले होंगे, जैसे हमारे गाँव में होते हैं। यहाँ भी दिल होंगे, बस चेहरे अलग होंगे।”*

शुरुआत में सब कुछ अच्छा लगा। नए दोस्त मिले, जो हर दिन मुस्कराते, बातें करते, सेल्फी लेते, ज़िंदगी को रंगीन दिखाते। लेकिन एक दिन अचानक, सब बदल गया।

एक झूठी अफवाह फैली — कि आर्यन चोरी करता है।

उसने किसी का मोबाइल📱 छूआ तक नहीं, लेकिन दोस्तों की मंडली ने बिना पूछे उसे दूर करना शुरू कर दिया। जिसने उसके साथ सबसे ज्यादा बातें की थीं, उसने उसे देखकर मुँह फेर लिया।

*"जो सबसे ज़्यादा हँसकर😂 मिला करते थे, आज ऐसे नज़रें चुराने लगे जैसे पहचानते ही न हों।"*

आर्यन अकेला रह गया। उसने सबसे सफाई देने की कोशिश की, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। जो लड़के दिनभर उसके साथ घूमते थे, अब सोशल मीडिया पर उसके ख़िलाफ़ जोक्स बना रहे थे।

एक दिन वह बेहद टूट चुका था। बैठा था एक खाली बेंच पर, और खुद से एक ही सवाल पूछ रहा था –
*"क्या मैं इतना बुरा हूँ? या फिर दुनिया सच में इतनी नकली है?"*

उसी वक्त एक बुज़ुर्ग आदमी पास आकर बैठा। उन्होंने उसका चेहरा देखा और पूछा, "बेटा, क्या हुआ?"

आर्यन ने सब बता दिया।

बुज़ुर्ग मुस्कराए और बोले —
*"बेटा, इस दुनिया में हर मुस्कराता चेहरा अच्छा नहीं होता। लोग अपनी असलियत छुपाकर, चेहरे पर अच्छाई का मुखौटा👹 पहनते हैं। ये वही लोग होते हैं जो सामने हँसते हैं, लेकिन पीछे वार करते हैं।"*

*"तू टूट मत। ये मत भूल कि जब सच्चाई अकेली पड़ जाती है, तभी वो सबसे ज्यादा मजबूत होती है।"*

उनकी बातों ने आर्यन को एक नई सोच दी। उसने अब अकेले रहना सीखा, लेकिन खुद को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया। वह पढ़ाई में और मेहनत करने लगा। दिन-रात की लगन से उसने टॉप किया। वही लोग जो उसे छोड़ गए थे, अब उसके पास आने लगे।

लेकिन इस बार, उसने मुस्कराकर बस इतना कहा –
*“अब मैं चेहरे नहीं, दिल पहचानता हूँ। तुमने मुझे बहुत कुछ सिखाया है – किस पर भरोसा करना चाहिए और किस पर नहीं।”*

*संदेश (Message):*

*हर मुस्कुराता चेहरा सच्चा नहीं होता।*

*लोग दिखाते कुछ हैं, होते कुछ हैं – पहचान बनाने में नहीं, पहचानने में समय लगाओ।*

*दुनिया की सबसे बड़ी कला अब ‘फरेब’ बन चुकी है। इसलिए हर चमकती चीज़ को सोना न समझो।*

*जो तुम्हारे साथ सिर्फ अच्छे समय में हो, वह दोस्त नहीं – दर्शक होता है।*

*अगर आपको कहानी पसंद आई हो तो 1 👍♥️🙏Like जरूर दें।*

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