Priya

Priya Hindi story, Love story, Suhagrat story, Antarvasna story

उस लड़के से मिलने से पहले मेरे जीवन में कुछ खोखलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था.जिसे आजतक मेरे अलावा किसी ने महसूस नहीं ...
16/07/2025

उस लड़के से मिलने से पहले मेरे जीवन में कुछ खोखलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था.
जिसे आजतक मेरे अलावा किसी ने महसूस नहीं किया था. मैं खुश होने का दिखावा तो करती थी, लेकिन अंदर से खुश नहीं थी. बस एक मुखौटा पहनकर जिंदगी बिताये जा रही थी. क्योंकि मैं स्वभाव से बहुत चंचल थी,
इस कारण मैं कॉलेज और घर में लोगों से घिरी रहती थी. इसके बावजूद कि मैं बहुत बोलती थी, मेरे जीवन का एक दूसरा पहलु भी था. और जीवन के उस हिस्से में आने की इजाजत मैंने किसी को नहीं दी थी.
बाहर से खुश दिखाई देने वाली लड़की जिसे लोग हर पल हसंते-खिलखिलाते देखते थे, उसके बारे में ये अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता था कि वो अंदर से इतनी अकेली होगी, ढेर सारे दर्द अपने भीतर समेटे हुए होगी.
मैंने अपने आस-पास एक घेरा सा बना लिया था. कोई भी मेरे द्वारा बनाए गए दायरों को नहीं तोड़ सकता था.

मुझे इस बात पर यकिन नहीं हो रहा था कि वो लड़का मेरे बनाए गए दायरों को तोड़कर मेरी सोच में समाता चला जा रहा है. शुरू-शुरू में उससे बात करना महज एक औपचारिकता थी. सहपाठी होने की वजह से मेरी और उसकी अक्सर थोड़ी-बहुत बातचीत होती रहती थी. लेकिन मुझे इस बात का इल्म तक नहीं था कि वो मुझे मन ही मन पसंद करता था, मुझसे दीवानों की तरह प्यार करता था. ये अलग बात थी कि आज तक उसने इस बात को मेरे सामने कभी जाहिर नहीं होने दिया था. मुझे छोटी से छोटी तकलीफ होने पर, उसे मुझसे ज्यादा दर्द होता था.
कोई ऐसे भी किसी को चाह सकता है यकीन करने में बहुत वक्त लगा. लेकिन समय के साथ मुझे इस बात का एहसास हो गया कि ये लड़का मेरी चिंता करता है, मेरा ख्याल रखता है. उसके प्यार में पागलपन था,
मेरी ख़ुशी के लिए वो कुछ भी कर देता था. उस लड़के ने बिना इस बात का जिक्र किये कि उसे मुझसे बातें करना अच्छा लगता है, मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है, बड़ी ही चालाकी से मुझसे दोस्ती के लिए पूछा.
उस दिन हम दोनों कॉलेज जल्दी आ गए थे और क्लास में कोई नहीं था- ‘’ उसने पूछा क्या मैं तुम्हारा हाथ पकड़ सकता हूँ ‘’.
पहले तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज इस लड़के को क्या हो गया है ये इस तरह की बातें क्यों कर रहा है.
लेकिन मुझे उसपर पूरा भरोसा था कि वो कोई गलत काम नहीं करेगा. उसकी आँखों में सच्चाई थी और ये बात मैं साफ़-साफ़ देख सकती थी. उसने इतनी Honestly मेरा हाथ माँगा कि मैं उसे मना नहीं कर पाई और मैंने उसे अपना हाथ दे दिया. उसने मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और कहा, क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी तुम मुझे अच्छी लगती हो और मैं तुममें एक अच्छा दोस्त देखता हूँ, अच्छा इंसान देखता हूँ और मैं चाहता हूँ कि मैं जिंदगी भर तुम्हारा दोस्त बनकर तुम्हारे साथ रहूँ.’’
उसने इतनी ईमानदारी से अपनी इस बात को मेरे सामने रखा कि मैं ना नहीं कर पाई और मैंने हाँ कर दिया.
उस दिन उसने बस इतना हीं कहा और चला गया. मुझसे दोस्ती करने की खुशी मैं साफ़-साफ़ उसके चेहरे पर देख सकती थी. मुझे ये सोच कर दिन भर बहुत हंसी आ रही कि किस तरह से डरते-डरते उसने मेरा हाथ पकड़ा था.
मैं अच्छी तरह से उसकी कांपती हाथों को महसूस कर सकती थी. और पूरे दिन उस वाकये को याद करके मुझे हंसी आ रही थी, मैं अकेले में भी बिना बात के हँसे जा रही थी.

मेरे आस-पास रहने वाले लोग ये देख कर समझ गए थे कि जरुर कोई बात है. इस लड़की को कुछ तो होने लगा है.
अब हम दोनो दोस्त बन गए थे और उसने किसी भी वक्त फोन पर बात करने की इजाजत मांग ली थी.
अब उससे बात करना मुझे भी अच्छा लगने लगा था, मेरे अंदर क्या चल रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था.
क्यों मैं उसके फोन का इंतज़ार करने लगी थी ? क्यों मैं उसकी ओर खिंची चली जा रही थी ? क्यों अब हर पल मेरा दिल उसका साथ चाहता था, न जाने क्यों मैं अब खुली आँखों से भी उसी के सपने देखने लगी थी. क्यों मैं अब दिन-रात उसी से बातें करना चाहती थी. अब उससे अपनी बातें share करना मुझे अच्छा लगने लगा था. जब भी मैं उदास होती किसी को पता चले ना चले उसे पता चल जाता था, चाहे वह मेरे सामने हो या न हो. और वह मेरी उदासी को दूर करने का हर संभव प्रयास करता था. मुझे खुद पर गर्व होने लगा था.

एक दिन उसने मुझसे I Love You कहा, मुझे वक्त लगा… लेकिन मैंने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया. मुझे भी अपनी जिंदगी में प्यार का इंतजार था. मैं भी प्यार को हर पल जीना चाहती थी, आगे क्या होगा इसकी चिंता न उसे थी, न मुझे. हम दोनों का सारा समय एक-दूसरे के साथ बीतने लगा. हम दोनों एक-दूसरे का साथ पाकर मानो पूरी दुनिया से कट गए थे. मैं कह सकती हूँ, उसके साथ बिताये गए एक-एक पल मुझे हमेशा याद रहेंगे. मैं कितनी खूबसूरत थी, ये उसने हीं बताया था. मेरी जुल्फें उसे बहुत खूबसूरत लगती थी. मेरी कमियाँ भी उसे मेरी खूबी लगती थी. मेरे हर जन्मदिन पर मुझसे ज्यादा खुश होना, मेरे ऊपर हजारों रुपए मना करने के बावजूद खर्च कर देना, वो दीवाना था मेरा. उसने भी मुझे अपना दीवाना बना लिया था. बाइक पर अक्सर घूमने निकल जाना, कॉलेज बंक करके फिल्म देखने जाना, ये सब हमें अच्छा लगने लगा था. उसकी पूरी दुनिया बन गई थी मैं, मेरी पूजा करता था वो. मेरे लिए किसी से पंगा लेने से पहले बिल्कुल नहीं सोचता था वो. दिन तेजी से बीतने लगे, हम दोनों दुनिया को भूल चुके थे. प्यार के उस दौर ने हम दोनों को भीतर से बदल दिया था. हमने प्यार की ढ़ेरों कसमें खाई, और ढ़ेरों वादे किए. हम दोनों प्यार के इस दौर को जी भर कर जी लेना चाहते थे.

वक्त ने करवट लिया, मेरे पिताजी ने 20-21 साल की कम उम्र में हीं मेरी शादी पक्की कर दी. मुझे अब उसे या अपने परिवार को चुनना था. मैंने कभी सोचा हीं नहीं था कि जल्द हीं मेरे सामने ये मजबूरी आ जाएगी.
अंदर से मेरा हाल भी बेहाल था, लेकिन वह मुझसे ज्यादा बेहाल था. वह किसी भी हद तक जाने को तैयार था, मेरा साथ पाने के लिए. लेकिन मैं जानती थी, कि अगर मैं घर से भाग जाती हूँ तो मेरे घर वालों का जीना मुश्किल हो जाएगा. कड़े मन से मैंने उसके साथ जाने से इंकार कर दिया. वह हर दिन सैंकड़ो बार कोशिश करता कि मेरे फैसले को बदल पाए, लेकिन मैं नहीं मानी. मेरी शादी हो गई, हर कोई खुश था…. उस लड़के के सिवा. आखिर वो खुश होता भी तो कैसे, उसने मुझे अपनी पूरी दुनिया जो बना लिया था. गलती मेरी हीं थी, मुझे उसे पहले हीं रोक देना चाहिए था…. जब वो अपना सबकुछ मुझ पर लूटा रहा था. मुझे उसे दुःख देने का कोई हक नहीं था.
अपनी शादी के बहुत महीनों के बाद मेरी उससे मुलाकात हुई. उसने अपना हाल बेहाल कर लिया था. ऐसा लग रहा था मानो उसमें कोई जान हीं नहीं है, हंसना तो वह भूल हीं गया अ. उसने कहा कि वो मुझसे मिलने से पहले भी अकेला था और मेरे जाने के बाद फिर अकेला है.

वो कहता है, कि प्यार की लड़ाई तो वो हार गया है, पर प्यार की जंग जरुर जीतेगा वो.
वो कहता है कि, तुम भले मेरा साथ न दे सको, मेरा प्यार तो मेरे साथ है न.
मेरे प्यार के सहारे उसने जिंदगी में आगे बढ़ने की ठानी है.
उस दिन उसने कहा कि उसका प्यार सच्चा है, इसलिए उसका प्यार कभी उसकी कमजोरी नहीं बनेगा.
मुझे अपनी गलती का एहसास है. क्योंकि मेरा प्यार मुझे ज्यादा दुखी है, मैंने उसकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया है.
मैं उस दीवाने के प्यार को सलाम करती हूँ, जिसके पास न मेरा तन है, न मेरा समय न मेरा जीवन पर अब भी वो मुझसे प्यार करता है.

पर उस दिन उसने मुझसे झूठ बोला था, शायद वह बुरी तरह टूट चुका था. जबकि उसने खुद को बहुत बहादुर दिखाने की कोशिश की थी. मुझे लगा था कि सबकुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन सबकुछ बुरा होता चला गया. वह लोगों से दूर होता चला गया था, और लोग उससे दूर होते चले गए थे. बुरे लोगों से दोस्ती कर ली थी उसने. वह शराब, सिगरेट और ड्रग्स का आदि हो गया था. वह बुरी तरह डिप्रेशन का शिकार हो गया था. और अंत में एक दिन उसने आत्महत्या कर ली. ये था इस कहानी का अंत. मैं न तो जीते जी उसके साथ रह पाई न उसके अंतिम समय में मैं उसका साथ निभा पाई. मैं हमेशा खुद को गुनाहगार रहूंगी, उस लड़के की जिसने मुझे इतना प्यार किया, जितना कोई नहीं
कर सकता है. शायद मैं उसकी जिंदगी में नहीं आती, तो आज सबकुछ अच्छा होता. शायद वो आज जिंदा और खुश होता.

हम उस दौर में जी रहे हैं हम जहाँ दुश्मन तो आसानी से पहचाने जाते हैं.
लेकिन सच्चे या झूठे प्यार को पहचानना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है.
Moral message of the story :
प्यार कीजिए, लेकिन सोच समझकर. अंधे प्यार का अंत हमेशा बुरा होता है.
अगर आप किसी का साथ जिंदगी भर नहीं दे सकते हैं, तो पहले हीं उसके प्रेम प्रस्ताव को न कह दें.
प्यार में अपने कदम तभी आगे बढ़ाइए, जब आप दुनिया के सामने इसे स्वीकार कर सकें.
यह मौलिक कहानी आपको कैसी लगी, यह हमें जरुर बताएँ.
आपके सलाहों और सुझावों का हमें इंतजार रहेगा.

16/07/2025

Emotional Audio story || Full hindi Audio Story Priya bhabhi

15/07/2025

Emotional Audio story || Full hindi Audio Story Priya bhabhi

आज मैं आप सभी के साथ मेरी एक  कहानी शेयर कर रही हूं.जब मैं कॉलेज के पहले साल में पढ़ाई कर रही थी, तब बस में आने जाने वाल...
14/07/2025

आज मैं आप सभी के साथ मेरी एक कहानी शेयर कर रही हूं.

जब मैं कॉलेज के पहले साल में पढ़ाई कर रही थी, तब बस में आने जाने वाले लड़कों में से एक अनिल नाम के लड़के से मेरी दोस्ती हो गई थी.
इस दोस्ती के तीन महीने बाद अनिल के साथ मेरा रिश्ता खत्म भी हो गया था.
अनिल के साथ मेरा रिश्ता खत्म होने से मुझे बहुत बुरा लग रहा था.
मैंने कई बार सोचा कि मैं उसके साथ बात कर के वापस रिश्ता जोड़ लूँ.
लेकिन यह हो ही नहीं सका.
अनिल के साथ रिश्ता खत्म होने के कुछ दिन बाद उसके एक दोस्त सरस ने मुझे फ्रेंडशिप के लिए प्रपोज किया.
मैंने उसके साथ फ्रेंडशिप कर ली.
सरस पहले से जानता था कि अनिल मुझे बहुत बार कर चुका है और मैं एक ठुकि हुई माल हूं.
फ्रेंडशिप के 4 महीने के बाद एक दिन सरस ने मुझसे कहा कि तुम अनिल से तो बहुत बार ठुकि हो क्या, मुझसे ठुकना चाहोगी?
मेरी गुफा में आग तो बहुत दिनों से लगी हुई थी, लेकिन मौका और टाइम नहीं मिल रहा था.
जब सरस ने मुझसे करने के लिए पूछा, तब मैंने फालतू के नखरे दिखाने की जगह सीधा सीधा उससे कहा- अगर तुम सच में मेरे साथ करना चाहते हो तो मुझे कोई एतराज़ नहीं है, मैं तुम्हारे साथ करने के लिए तैयार हूं.
वह हंस कर बोला- अगर मैं करने की सिर्फ पूछता, तो तुम्हारा क्या जबाव होता?
इस पर मैं हंस दी और बोली- मैं तब भी तुम्हें छोड़ूँगी नहीं!
अब सरस तो खुद मुझे करना चाहता था और जब मैंने उससे कहा कि मैं तुमसे ठुकने के लिए तैयार हूं.
तब सरस बहुत खुश हो गया.
उसने तुरंत कहा- चलो अभी मेरा एक दोस्त घर पर अकेला है, उसके घर चलते हैं.
मैंने सरस से कहा- नहीं यार, किसी और के घर जा कर करना अच्छा नहीं है. हम लोग किसी और जगह पर करेंगे … या फिर तब कर लेंगे जब तुम्हारे या मेरे घर पर कोई ना हो!
मेरी इस बात पर सरस थोड़ा गुस्सा हो गया और मुझे डांटने लगा.
उसने मुझसे कहा- तुम मुझसे ठुकना ही नहीं चाहती हो. अनिल को तो तुम बहुत करने देती थी.
इस बात को लेकर हम दोनों के बीच में बहुत झगड़ा हुआ.
सरस मुझे समझाने लगा कि उसके फ्रेंड का घर बहुत ही सेफ जगह है और उसके घर पर और कोई नहीं है.
आखिरकार मेरी गुफा को भी चाहिए था तो थक हार कर मैंने सरस की बात मान ली.
सरस मुझे अपने फ्रेंड के घर ले गया.
वहां उसका फ्रेंड अकेला था.
सरस उसको सब बता चुका था.
इसलिए उसने हम दोनों को अपना बेडरूम दिखाया और कहा कि ये मेरा कमरा है, तुम दोनों जितनी देर चाहो, उतनी देर मज़े करो.
सरस के साथ मैं कमरे में चली गई.
सरस ने अन्दर से कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.
उस कमरे में एक सिंगल बेड वाला पलंग था.
मैं पलंग पर बैठ गई.
कमरे का दरवाजा बंद करने के बाद सरस मेरे बाजू में आकर बैठ गया और मुझे गले लगाने लगा.
मैं भी सरस को गले लगाने लगी.
फिर सरस ने मुझे पलंग पर लेटा दिया और मेरे बाजू में लेट कर मुझे होंठों पर किस करने लगा.
मैं भी सरस के होंठों में होंठ डाल कर उसको किस करने लगी.
किस करते हुए हम दोनों धीरे धीरे फुल मूड में आने लगे.
सरस मेरे बदन पर अपना हाथ घुमा रहा था.
वह अपने हाथ से मेरी कमर और हिप को दबा रहा था.
कुछ देर किस करने के बाद सरस ने मेरी टी-शर्ट उतार दी और मैंने भी उसकी शर्ट को उतार दिया.
मैं सरस के सामने ब्रा में थी.
उसने अपना एक हाथ मेरी कमर में डाल कर मुझे अपनी ओर खींच लिया.
दूसरे हाथ से सरस ने ब्रा में हाथ डाल कर मेरा एक संतरा पकड़ लिया और उसको मसलने लगा.
वह मेरे दूध को मसलने के साथ साथ मेरे होंठों पर किस करने लगा और मेरे निप्पल पकड़ कर मसलने लगा.
मैं उसकी हरकतों से बहुत ज्यादा गर्म हो रही थी.
कुछ देर बाद सरस ने मेरी ब्रा निकाल दी और मसले हुए निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा.
सरस मेरा एक चूस रहा था और दूसरा दबा दबा कर मसलने लगा.
मैं फुल गर्म हो गई; मेरी गीली हो गई.
कुछ देर बाद सरस मेरे दूसरे को मसल कर चूसने लगा.
मेरे दोनों संतरो के साथ खेल कर सरस थोड़ा नीचे को गया और मेरी नाभि को चूसने लगा.
मुझे लग रहा था कि ये लड़का फालतू में देरी कर रहा है, सीधा मेरी गुफा में ही क्यों नहीं आ जाता.
फिर सरस ने शायद मेरी मनोदशा समझ ली थी.
उसने मेरी जींस निकाल दी और मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी रगड़ने लगा.
मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी, सरस मुझसे कहने लगा कि क्या यार तुम तो इतनी जल्दी जड़ गईं!
मैं हंस दी और मैंने कहा- लड़की का झड़ना तो मर्द की जीत होती है!
यह सुनकर सरस ने मुझे चूम लिया और उसने अपने दोनों हाथ से मेरी गीली पैंटी उतार कर फेंक दी.
अब उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया था.
वह मुझे नंगी लिटा कर मेरे बगल में लेट गया और मुझे किस करते हुए मेरी गुफा को रगड़ने लगा.
मैं बहुत ज्यादा मूड में आ चुकी थी और सामान के लिए तड़प रही थी.
मैंने अपना हाथ सरस के सामान पर रखा और उसे रगड़ने लगी.
सरस का भी कड़क हो चुका था और अपनी चड्डी से बाहर निकलना चाहता था.
कुछ पल बाद सरस पलंग से उतर गया और उसने अपनी पैंट उतार दी.
वह चड्डी में पलंग के पास खड़ा था.
मैंने सरस से कहा कि क्या हुआ, रुक क्यों गए, चड्डी उतार कर जल्दी से आ जाओ?
सरस कुछ नहीं बोला.
उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे पलंग से खड़ा किया और अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख कर मुझे नीचे बिठाते हुए कहा- अब तू घुटनों पर बैठ जा और मेरा लंड चूस!
मैं उसका चूसने के लिए राजी थी, इसलिए नीचे फर्श पर घुटनों पर बैठ गई और सरस के कदमों में झुक कर उसकी चड्डी को नीचे कर दिया.
सरस का चड्डी से बाहर आ गया उसका बड़ा ही सख्त हो गया था.
उसने मेरे गाल पर फेरा और कामुक नजरों से मुझे देखते हुए आंख से इशारा किया कि चूस!
मैंने भी सरस की आंखों में अपनी आंखें डालीं और उसका मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
मैं सरस का चूस रही थी और वह मेरे बालों में अपना हाथ फिरा रहा था.
करीब 5 मिनट तक मैं सरस का चूसती रही.
उससे सरस का चिकना हो गया था.
अब सरस ने मुझसे कहा- चल, पलंग पर आ जा … अब मैं तेरी मारता हूं.
मैं फर्श से उठी और पलंग पर लेट गई.
मैंने लेटते हुए अपनी टांगें चौड़ी करते हुए अपनी खोल दी.
सरस पलंग के पास खड़ा था.
उसने मुझसे कहा- ऐसे नहीं मेरी जान, यहां मेरे पास आ … और चार पैरों पर कुतिया की तरह मेरे आगे खड़ी हो जा!
मैं सरस के आगे चार पैरों पर खड़ी हो गई और उसने मेरी टांगों के बीच में हाथ डाल कर मेरी गुफा पर अपनी हथेली को फिरा कर दाने को मसला.
मेरी आह निकल गई.
फिर उसने अपने सामान को हाथ से पकड़ कर मेरी गुफा की फाँकों को फैला कर अन्दर सैट कर दिया.
अब वह धीरे धीरे मेरी गुफा में अपना डालने लगा.
मेरी गुफा का गीलापन सूख गया था.
जिस कारण से सरस का तेजी से मेरी गुफा में घुस नहीं पा रहा था.
वह थोड़ी ताकत लगा कर मेरी गुफा में अपना अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था.
सूखी गुफा में सामान की रगड़ लगी तो मुझे तकलीफ होने लगी.
मैं दर्द से कहने लगी- … सरस रहने दो यार मत डालो. दर्द कर रही है.
लेकिन सरस रुक नहीं रहा था और उसने मेरी कमर को पकड़ कर थोड़ा ज्यादा ताकत लगाते हुए अपना थोड़ा सा मेरी गुफा में पेल दिया था.
मैंने सरस को रोक दिया और कहा- यहां पर तेल होगा, पहले मेरी पर तेल लगाओ, फिर करो!
सरस ने आस-पास देखा लेकिन उसको कहीं भी तेल की बॉटल नहीं दिखी.
सरस ने मुझसे कहा कि तेल तो नहीं है. मैं थूक लगा कर करता हूँ.
मैं बोली- हां ठीक है!
फिर सरस ने निकाल कर मेरी गुफा के सामने अपना मुँह लगाया और मेरी हिप खोल कर मेरी गुफा के छेद पर थूक दिया.
उसका गर्म थूक मुझे अपनी गुफा पर बड़ा लज्जत दे रहा था.
उसने अपने एक हाथ से मेरी गुफा पर लगा थूक रगड़ा और गुफा को चिकना कर दिया.
अब सरस ने अपना मेरी गुफा पर सैट किया और मेरी कमर पकड़ कर मेरी गुफा में अपना डाल दिया.
वह मेरी करने लगा.
सरस का धीरे धीरे मेरी गुफा में अन्दर तक घुसने निकलने लगा और मुझे उसके सामान से रगड़ाई करवाने में मजा आने लगा.
सरस भी मेरी मस्ती से करने लगा और मजा लेने लगा.
धीरे धीरे सरस अपनी स्पीड बढ़ाने लगा और लंबे लंबे शॉट मारने लगा.
वह कुछ ही देर बाद जोर जोर से मेरी गुफा में अपने झटके मारने लगा था.
मैं बहुत ही ज्यादा मजे लेती हुई सरस के सामान से अपनी ठुकवा रही थी.
फिर सरस ने अपना एक पैर फर्श पर और दूसरा पैर पलंग पर रखा और वह काफी जोर जोर से मुझे करने लगा.
उसके झटके इतने तेज हो गए थे कि मेरा पूरा बदन हिलने लगा था और मेरे संतरे आगे पीछे आगे पीछे होकर मुझे बेहद सनसनी दे रहे थे.
मेरे मुँह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थीं.
सरस उत्तेजना में मेरी हिप को थपकी देते हुए बोल रहा था- आह क्या मस्त माल है तू … फिर भी बहन की सील पैक लौंडिया लग रही है.

करीब 10-12 मिनट तक करने के बाद सरस ने अपना मेरी गुफा से बाहर निकाला और कहा- आ जा , मेरा थोड़ा ढीला हो गया है … इसे कर जरा टाइट कर दे!
सरस पलंग के पास खड़ा था और मैं नीचे झुक कर उसका चूसने लगी.
इस दौरान वह अपना हाथ मेरी हिप पर और गुफा पर फिरा रहा था.
वह मेरी गुफा में उंगली करने लगा, उसने अपनी 2 उंगलियां मेरी गुफा में डाल दीं और मेरी दबाने लगा.
मैं सरस का धीरे धीरे चूस रही थी.
सरस ने कहा- चल छोड़, अभी तू सीधी लेट जा!
मैं सीधी लेट गई और सरस मेरे संतरो के ऊपर आकर बैठ गया.
उसने मेरे मुँह में अपना दे दिया.
मैंने सरस का मुँह में ले लिया.
सरस मेरे दोनों गालों को एक हाथ से पकड़ कर मेरे मुँह में अपना अन्दर बाहर करने लगा.
वह अपना पूरा मेरे मुँह में डाल रहा था.
इतनी देर में उसका कड़क हो चुका था.
उसने मुझसे कहा- चल अब बता कैसे ठुकना चाहती है?
मैं अपनी टांगों को फैला कर बोली- जल्दी से अपना डाल दो.
सरस ने मेरी गुफा पर अपना रखा और एक ही झटके में अपना मेरी गुफा में डाल दिया.
मैं जोर से चिल्ला उठी.
सरस धीरे धीरे अपना मेरी में डाल कर हिलाने लगा.
सरस का धीरे धीरे मेरी गुफा में अन्दर घुसने लगा.
मैं धीरे धीरे आह आह कर के सिसक रही थी और सरस मेरी गुफा में अपना अन्दर तक डाल कर मेरी कर रहा था.
कुछ ही देर में सरस का पूरा मेरी गुफा में अन्दर तक घुसने लगा और वह मेरी करते हुए मेरे दोनों संतरो को दबाने लगा.

वह जोर जोर से मेरे दबाते हुए मेरी कर रहा था.
मैं तुरंत ही झड़ गई.
मेरी करते हुए और संतरे दबाते हुए सरस मुझसे बोल रहा था- आह मज़ा आ रहा है ना तुझे … और तेज़ी से ठुकना चाहोगी … ले ले बड़ा मज़ा आएगा तुझे!
मैंने कहा- हां और तेज करो मुझे … आज बहुत दिनों बाद ठुक रही हूं मैं!
फिर सरस ने मेरे दोनों पैरों को पूरी तरह से ऊपर करके मेरे संतरो पर मोड़ कर दबा दिए.
मेरे घुटने मेरे संतरो को छू रहे थे और सरस अपने दोनों घुटनों पर पलंग पर बैठ कर मेरी गुफा में जोर जोर से अपना डाल कर मुझे करने लगा.
कसम से दोस्तो, बहुत दिनों बाद ऐसे ठुकने में बड़ा मज़ा आ रहा था.
सरस लगातार लंबे लंबे तेज़ झटके मार कर मुझे कर चुका था और अब वह भी झड़ने वाला था.
तेज़ी से करते हुए सरस ने मुझसे कहा- मैं झड़ने वाला हूं, रस कहां लेना चाहोगी?
मैं उससे कुछ भी कह पाती कि उससे पहले ही सरस ने अपना मेरी गुफा से बाहर निकाल लिया और वह तुरंत ही झड़ गया.
उसके रस के छींटे मेरी गुफा के ऊपर और पलंग पर आ गिरे.
ठुकाई के बाद सरस मेरे बगल में नंगा ही लेट गया. मैं भी उसके साथ नंगी लेटी रही.
सरस मुझसे कहने लगा था- सच में शब्बो यार … तू बहुत ही कमाल की है, तुझे करने का बहुत मज़ा आया.
मैं भी सरस से बात कर रही थी कि यार तुम भी बहुत अच्छे से करते हो, बहुत दिनों बाद मुझे ठुकने का पूरा मज़ा आया है.
सरस ने मुझसे कहा- अभी तो घर जाने में बहुत वक्त बाकी है, एक और बार करने दोगी?
मुझे बड़ा मज़ा आया था और सरस बहुत अच्छे से करता था तो मेरा भी मन हो गया.
मैंने सरस से कहा- हां ठीक है, लेकिन पहले मैं थोड़ा फ्रेश हो कर आती हूं.

उस दिन सरस ने मुझे पहली ही बार में दो बार कर लिया.

उसके बाद तो समझो उसने मुझे बहुत बार किया.
यदि गिनती की बात करूं तो मैंने सरस से कम से कम 300 से ज्यादा बार करवाया था.
सरस से मेरा रिश्ता काफी लंबा चला.

मैं, अमन, 22 साल का एक जवान और फिट लड़का, दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय मोहल्ले में रहता था। मेरी राखी दीदी, शिखा, 28 साल की ...
14/07/2025

मैं, अमन, 22 साल का एक जवान और फिट लड़का, दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय मोहल्ले में रहता था। मेरी राखी दीदी, शिखा, 28 साल की एक गोरी और खूबसूरत औरत थीं, जो हमारे पड़ोस में रहती थीं। शिखा दीदी की शादी को पांच साल हो चुके थे, लेकिन उनका पति ज्यादातर विदेश में रहता था, जिसके चलते वो अक्सर अकेली रहती थीं। दीदी की लंबी काली जुल्फें, भरे हुए संतरे, और पतली कमर किसी को भी दीवाना बना सकती थी। हर रक्षाबंधन पर वो मुझे राखी बांधती थीं, लेकिन मेरे मन में उनके लिए हमेशा एक अलग ही आकर्षण था। उनकी भूखी नजरें और कामुक मुस्कान मुझे रातों को जगा देती थीं।

उस दिन शाम का समय था। मम्मी-पापा किसी रिश्तेदार के घर गए थे, और मैं घर पर अकेला था। गर्मी की वजह से मैंने सिर्फ एक बनियान और शॉर्ट्स पहने थे। अचानक दरवाजे की घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने शिखा दीदी खड़ी थीं। उन्होंने एक टाइट लाल साड़ी पहनी थी, जिसमें उनकी क्लीवेज और हिप साफ दिख रहे थे। “अमन, तेरा भाई-भाभी घर पर हैं?” उन्होंने अपनी मधुर आवाज में पूछा। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं दीदी, वो बाहर गए हैं। लेकिन आप अंदर आ जाओ।”

दीदी अंदर आईं और सोफे पर बैठ गईं। मैं उनके लिए पानी लाया, और जानबूझकर उनके सामने झुका, ताकि मेरी मस्कुलर बाहें और छाती उन्हें दिखे। उनकी नजरें मेरे शरीर पर ठहर गईं, और उनकी सांसें भारी हो गईं। “अमन, तू तो अब बड़ा मर्द हो गया है,” उन्होंने शरारती अंदाज में कहा। मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “दीदी, आप भी तो दिन-ब-दिन और मस्त होती जा रही हो।” मेरी बात सुनकर उनका चेहरा लाल हो गया, लेकिन उनकी आंखों में एक कामुक चमक थी।

मैं उनके बगल में बैठ गया। हमारी जांघें एक-दूसरे को छू रही थीं। “दीदी, आप अकेले इतना समय कैसे काटती हो?” मैंने धीरे से पूछा। उन्होंने आह भरते हुए कहा, “अमन, औरत की वासना को कोई नहीं समझता। मेरा पति साल में दो बार आता है, और मेरी आग बुझाने वाला कोई नहीं।” उनकी बात सुनकर मेरा तन गया। मैंने उनकी आंखों में देखा और फुसफुसाया, “दीदी, अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हारी वो आग बुझा सकता हूं।”

दीदी की सांसें रुक गईं। उन्होंने मेरी तरफ देखा और धीरे से मेरी जांघ पर हाथ रखा। “अमन, तू सचमुच मेरी वासना शांत करना चाहता है?” मैंने जवाब देने की बजाय उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। हमारा चुम्बन इतना गहरा और जुनूनी था कि कमरे की हवा गर्म हो गई। मेरी जीभ उनकी जीभ से उलझी, और मेरे हाथ उनकी साड़ी के ऊपर से उनके संतरो पर चले गए। “अमन, मेरी पेल … मुझे तेरे सामान की सैर चाहिए,” दीदी कातरते हुए बोलीं।
मैंने उनकी साड़ी को खींचकर उतार दिया। उनकी काली ब्रा और पैंटी में उनकी गोरी देह चमक रही थी। मैंने उनकी ब्रा खींचकर फेंक दी, और उनके शक्त निप्पल मेरे मुंह में ले लिए। मैं उन्हें जोर-जोर से चूसने लगा, और दीदी सिसकारियां लेने लगीं, “आह… अमन, मेरी गुफा को छू… इसे गीला कर दे।” मैंने उनकी पैंटी उतारी, और उनकी चिकनी, भरी हुई गुफा मेरे सामने थी। मेरी उंगलियां उनकी गुफा पर फिसलने लगीं, और उनका रस मेरे हाथों पर चिपक गया।

“तेरी तो पहले से ही टपक रही है, दीदी,” मैंने कहा और अपनी जीभ उनकी गुफा के दाने पर रख दी। दीदी चीख पड़ीं, “आह… चाट ले मेरी … और जोर से!” मेरी जीभ उनकी गहराइयों में थी, और उनका शरीर हर चाट पर कांप रहा था। उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे और गहराई में दबाया। मैंने उनकी रस चाट-चाटकर उन्हें पागल कर दिया। दीदी ने कराहते हुए कहा, “अमन, अब मेरी गुफा में तेरा डाल… मुझे चोद दे!”

मैंने अपनी बनियान और शॉर्ट्स उतारे, और मेरा मोटा, तना हुआ उनके सामने था। दीदी की आंखें चमक उठीं। “अमन, तेरा तो मेरे पति से भी बड़ा है,” उन्होंने हंसते हुए कहा और मेरे सामान को अपने हाथ में लिया। उन्होंने इसके टोपे को चाटना शुरू किया, और उनकी जीभ मेरी नसों पर नाचने लगी। “आह… दीदी, तेरा मुंह तो जन्नत है,” मैं सिसकते हुए बोला। उन्होंने मेरा गहराई तक अपने मुंह में लिया, और मैं उनके संतरो को दबाने लगा।

मैंने दीदी को सोफे पर लिटाया और उनकी टांगें फैलाकर अपना उनकी गुफा पर रगड़ा। धीरे-धीरे मैंने इसे अंदर धकेला। “आह… अमन, तेरा मेरी गुफा को फाड़ रहा है,” दीदी कराहते हुए बोलीं। मैंने उनकी हिप पकड़ लिए और उन्हें जोर-जोर से करने लगा। हर धक्के के साथ उनकी गुफा मेरे सामान को निगल रही थी, और उनके संतरे हवा में उछल रहे थे। मैंने उनके निप्पल को अपने दांतों से हल्के से काटा, और दीदी चीख पड़ीं, “और जोर से, अमन… मेरी रगड़ दे!”

मैंने उन्हें पलटकर डॉगी स्टाइल में लिटाया। उनकी हिप मेरे सामने थी, और मैंने उस पर एक चपत मारी। “तेरी ये हिप … इसे भी करना है,” मैंने कहा। दीदी ने हंसते हुए जवाब दिया, “तो कर ना, अमन… मेरी हिप तेरी है।” मैंने अपनी उंगलियां उनकी गुफा के रस से गीली कीं और उनकी टाइट हिप में डालीं। दीदी सिसकारीं, लेकिन अपनी हिप को और पीछे धकेला। मैंने अपने सामान को उनकी हिप के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आह… तेरा मेरी हिप को चीर रहा है!” दीदी चीखीं, लेकिन उनकी आवाज में सुख की लहर थी।

मेरी रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ी, और मेरा उनकी हिप में अंदर-बाहर होने लगा। उनकी गुफा से रस टपक रहा था, और उनकी हिप मेरी जांघों से टकरा रही थीं। मैंने उन्हें फिर से पलटाया और उनकी टांगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरा उनकी गुफा में फिर से घुसा, और मैं उन्हें जोर-जोर से करने लगा। “तेरी इतनी टाइट है, दीदी… मैं झड़ने वाला हूं,” मैंने कराहते हुए कहा। दीदी ने अपनी गुफा को और सिकोड़ा और बोलीं, “मेरे अंदर झड़, अमन… मुझे तेरा गर्म रस चाहिए!”

मेरे धक्के अब और तेज हो गए। उनकी गुफा और हिप दोनों मेरे सामान से रगड़ खा चुकी थीं। आखिरकार, मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा गर्म रस उनकी गुफा में भर गया। दीदी भी उसी पल झड़ गईं, और उनकी गुफा का रस मेरे सामान पर बहने लगा। हम दोनों हांफते हुए एक-दूसरे की बाहों में गिर पड़े। हमारी देहें पसीने और रस से चिपचिपी थीं। मैंने उनकी छाती पर सिर रखा और हल्के से हंसा, “दीदी, तेरी वासना ने मुझे पागल कर दिया।”

दीदी ने मेरे हिप पर हल्के से थपकी दी और बोलीं, “अमन, तेरा मेरी गुफा की प्यास बुझाने के लिए ही बना है।” उस रात के बाद, शिखा दीदी और मेरा रिश्ता एक नया मोड़ ले चुका था। जब भी उनका पति विदेश में होता, दीदी मेरे पास आतीं। उनकी भूखी नजरें और मेरे सामान का जुनून एक-दूसरे के लिए तड़पने लगा। हमारा ये गुप्त रिश्ता एक अनकहा राज बन गया। हर रात, जब मैं बिस्तर पर लेटता, दीदी की गर्मी मेरे दिमाग में घूमने लगती थी।

अगली सुबह, जब मैं किचन में चाय बना रहा था, दीदी फिर से आईं। “अमन, मेरी फिर से तड़प रही है,” उन्होंने फुसफुसाया और मुझे काउंटर पर झुकाकर फिर से करना शुरू कर दिया। हमारी ठुकाई की वो आग कभी बुझने वाली नहीं थी।

दोस्तों मैं दिल्ली में था और एमबीए कर रहा था। मेरे मोहल्ले में ही एक फिलिपिन्स की औरत रहती थी। मेरी उससे फेसबुक पर दोस्त...
14/07/2025

दोस्तों मैं दिल्ली में था और एमबीए कर रहा था। मेरे मोहल्ले में ही एक फिलिपिन्स की औरत रहती थी। मेरी उससे फेसबुक पर दोस्ती हो गयी। फिर मैं हर सुबह-शाम डिफेंस कॉलोनी के पार्क में जाने लगा। वो 35 साल की थी पर गजब का माल थी। उसका नाम नोराफे डिकोस्टा था।

वो घर पर अकेली रहती थी। उसने जवानी के दिनों में लव मैरिज की थी। पर उसका आदमी हमेशा 4-5 लड़कियों के साथ संबंध बनाता था। उसे ये बात शादी के 6 साल बाद पता चली। नोराफे ने मुझे बताया कि शादी के साल भर तो वो वफादार रहा, फिर वो उसे धोखा देने लगा।

नोराफे मुझसे पट गयी। मैं उसके घर आने-जाने लगा। वो भी मुझे चाहने लगी। मैं उसे हमेशा चाइनीज माल कहकर बुलाता था। क्योंकि उसका चेहरा बिल्कुल चीनी लड़कियों जैसा था। 6 साल के दौरान उसके 2 बच्चे हो गए। अपने आदमी की असलियत जान उसने उसे डिवोर्स दे दिया।

नोराफे ज्यादातर स्कर्ट और जीन्स पहनती थी, टी-शर्ट जीन्स भी पहनती थी। एक दिन एक शाम जब वो पार्क में जॉगिंग करने आई तो मैंने उसे पकड़ लिया।
“नोराफे! बेबी, आय लव यू,” मैंने उसे प्रपोज कर दिया।
वो मुझसे पट गयी। हम दोनों एक झाड़ी में चले गए। मैंने उसके रसीले होंठों का रसपान किया।
धीरे-धीरे मैं नोराफे के प्यार में डूब गया। मैं उसे नए-नए तोहफे देने लगा। वो भी मुझे चाहने लगी। वो हिंदी नहीं जानती थी। इसलिए हम इंग्लिश में ही बात करते थे। मैं सोचने लगा कि इस मुर्गी की मशीन कैसे लूँ। दोस्तों, 35 साल की होने के बावजूद वो जवान और खूबसूरत लगती थी।

मैं जानता था कि वो मुझे दे देगी। एक दिन मैं उसके घर गया। वो ज्यादातर बियर पीती थी और पोर्क (सूअर का गोश्त) और चिकन खाती थी। उस she मुझे भी बियर, पोर्क और सूअर का गोश्त खाने को दिया। पहले तो मुझे घिन आई। फिर मैंने सोचा कि इसकी मशीन लेनी है तो मुझे उससे प्यार का नाटक करना ही होगा। आखिर मैंने भी सूअर का गोश्त खा लिया।

खाने के बाद मैंने उसे एक हिंदी गाना सुनाया। वो खुश हो गयी। नोराफे ने मुझे बताया कि फिलीपींस में आय लव यू को ‘महल किता’ बोलते हैं।
“नोराफे, महल किता!” मैंने उसे कॉम्प्लीमेंट दिया। वो पट गयी। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। मैंने उसे इशारा किया कि कमरे में चलते हैं। उसने कहा कि बच्चों के सोने के बाद। मैं उसके बेडरूम में उसका बेसब्री से इंतजार करने लगा।

इस दौरान मैंने उसके वॉशरूम में जाकर तेल से अपने सामान में मालिश भी कर ली। मैं चाहता था कि उसकी जबरदस्त सेवा करूँ ताकि वो बार-बार मेरी आदी हो जाए और मशीन देती रहे। एक घंटे बाद वो बेडरूम में आई। मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया। दोस्तों, वो बेइंतहा सुंदर लग रही थी। मैंने उसकी स्कर्ट में कमर के पास हाथ डाल दिया और अपने होंठ उसके होंठों से लगा दिए।

मेरा जादू उसपर चलने लगा। वो भी मुझसे प्यार करने लगी। उसकी साँसें गर्म थीं। मैं अपने हाथों को उसकी चिकनी कमर पर, जो जीन्स के ठीक ऊपर थी, सहलाने लगा। उसे प्यार का नशा चढ़ने लगा। वो मेरे होंठों को चूमकर फ्रेंच किस करने लगी। उसकी जीभ मेरे मुँह में आने लगी। मैं पागल होने लगा। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली। हम दोनों फ्रेंच किस करने लगे। धीरे-धीरे हम दोनों जलते कोयले की तरह गर्म हो गए।
उसने सिसकारी भरी।
एक पुरुष होने के नाते मैं और उत्तेजित हो गया। मेरे हाथ उसके संतरो पर चले गए। मैं हल्के-हल्के उन्हें सहलाने लगा, फिर उन्हें दबाने लगा। नोराफे बॉयकट में ही रहती थी। उसकी तस्वीर आज भी मेरे जेहन में है।

उसने अपने हाथ ऊपर कर लिए। मैं उसकी स्कर्ट निकालने लगा। जैसे ही मैंने उसकी स्कर्ट निकाली, एक गोरा, स्वेत जिस्म मेरे सामने आ गया। एक बढ़िया कद-काठी की गोरी औरत। मैं बेकाबू हो गया। मैं उसपर टूट पड़ा और गले से लगा लिया।

“नोराफे, बेबी, यू आर रियली डैम ब्यूटीफुल,” मैंने कहा।
दोस्तों, आज अरसे बाद किसी औरत को अपने सीने से लगाया था बिना कपड़ों के। मैं बहुत किस्मतवाला था कि एक विदेशी औरत की मशीन मिलने वाली थी। ये विदेशी औरतें इंडियन औरतों जैसी नहीं होतीं। इंडियन औरतें तो खुलकर देती भी नहीं हैं। जबकि विदेशी औरतें बड़ी खुशमिजाज होती हैं और खुलकर देती हैं।

इंडियन औरतें जब एक बार किसी अजनबी से काम लगवा लेती हैं तो डर जाती हैं और महीनों नहीं देतीं। समाज से डरती हैं कि कहीं उनकी बात ना खुल जाए। पर दोस्तों, विदेशी औरतों की बात अलग है। वो अजनबियों से ठुकाई को बुरा नहीं मानतीं। और बॉयफ्रेंड बन जाने पर खुलकर, बिना किसी लोक-लाज के देती हैं। इसके साथ 20-20 खेलूँ या टेस्ट मैच खेलूँ।

“बेबी, यू लाइक क्विक और स्लो?” मैंने उससे पूछा।
“धीरे…” वो बोली।
मैंने नोराफे को साइन से चिपकाकर खूब चुम्मा-चाटी की। खूब उसका दूध पिया। … बेबी… और चूसो…” उसने सिसकारी भरी। दोस्तों, जहाँ हिंदुस्तानी औरतों के मम्मों में निपल के चारों ओर काला घेरा होता है, वैसे ही इस फिलिपिन्स की औरत का था, पर काला नहीं, लाल था। दो बच्चे होने के बाद भी उसके संतरे रसीले और गोल-गोल थे। मैं जी भरकर उसके पिए।

जब मन भर गया तो मैं जल्दी-जल्दी उसकी निपल्स पर जीभ फेरने लगा। “ हाँ… ऐसे ही…” वो उत्तेजित हो गयी। मैं उसे बिस्तर पर ले गया। मैंने उसकी जीन्स के बटन खोल दिए और जीन्स नीचे करने लगा। उसकी मशीन की खुशबू मुझे आने लगी। अंदर देखा तो पाया कि उसने पर्पल कलर की लेस वाली पैंटी पहन रखी थी। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था।

मैं उसकी पैंटी को ऊपर से ही चाटने लगा। “… बेबी… क्या कर रहे हो…” उसने मचलते हुए कहा। लेस से उसकी गुफा के दर्शन हो रहे थे। मैं उसे पूरा मजा देना चाहता था। मैंने फ्रिज से एक आइस क्यूब निकाला और उसकी नाभि पर रख दिया। “… ठंडा… हाय…” वो कमर उठाने लगी। ऊपर ठंडा, नीचे गर्म, उसे दो-दो मजे एक साथ मिलने लगे। मैंने पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया। मेरी नाजुक उंगलियाँ उसकी बालो की हरी-भरी घास से होते हुए उसकी मशीन ढूंढने लगीं।

फिर मैंने उस रस से ओतप्रोत सुरंग की खोज कर ली। मैंने अपनी लंबी, नरम, लचीली उंगलियाँ उसकी सुरंग में डाल दीं। “ हाय… धीरे…” वो चिहुंक उठी। मैंने नोराफे को अपनी गिरफ्त में ले लिया।
“बेबी, आय लव यू! बेबी, आय लव यू!” मैं अपने प्यार की दुहाई देने लगा।

नोराफे ने मुझे सीने से लगा लिया। उसके मस्त, मुलायम संतरे मेरी छाती से चिपके थे। दोस्तों, मेरा खून गर्म होकर उबाल मारने लगा। महीनों बाद आज मैं खाता खोलने वाला था। इस विदेशी औरत को कैसे लूँ, मैं सोचने लगा। मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और जोर-जोर से उसकी गुफा में उंगली करने लगा।

“ हाँ… और तेज…” उस विदेशी औरत को मजा आने लगा। मैंने उंगलियों की ट्रेन को और तेज चलाया। नोराफे सुख के समंदर में डूब गयी। मैंने उसकी चड्डी नहीं उतारी और ऐसे ही उसकी गुफा में उंगली करता रहा। उसे नशा चढ़ गया। उसने धीरे-धीरे अपने पैर फैलाना शुरू किया। “हाय… बेबी… अब डाल दो…” वो मचलने लगी। मैं अब जल्द से जल्द उसे भोगना चाहता था।

उसने फिलिपिन्स की भाषा में कहा कि अब इंतजार ना करवाऊँ और शुरू कर दूँ। मैं उसकी मशीन में गहराई तक उंगली करता रहा। नोराफे और मचलने लगी। “ बस… अब पेल दो…” मैंने पूरा हाथ ही उसकी चड्डी में डाल दिया और जोर-जोर से हिलाने लगा, जैसे बच्चे किसी बिल में खो गयी गोली को निकालते हैं। वो बेकाबू हो रही थी।

अब इस औरत को ज्यादा इंतजार करना उचित नहीं होगा। अब इसे पेलना चाहिए, मैंने सोचा। मैंने उसके रस को चाट लिया। क्या नमकीन पानी था। … बेबी… तेरा पानी कितना टेस्टी है…” मैंने कहा। उसने अपने पैर सीधे किए, मैंने नोराफे की चड्डी उतार दी। या खुदा, क्या गजब का सामान थी। मैं उसकी मशीन पर टूट पड़ा और उसे अपने होंठों से चाटने लगा। “ और चाटो…” चाट-चाटकर मैंने उसका पूरा पानी पी लिया। मैंने अपनी पैंट निकाली और अपना उसके मुँह में डाल दिया। वो मजे से चूसने लगी। … कितना मोटा है तेरा…” उसने कहा। हिंदुस्तानी औरतें जहाँ चूसने में हजार नखरे करती हैं, वहीं विदेशी औरतों को ये बड़ा पसंद होता है।

नोराफे जोश में आ गयी और मेरी कमर पकड़कर चूसने लगी। “हाँ… बेबी… ऐसे ही चूस…” मुझे मजा आने लगा। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके सर को पकड़ लिया। वो मजे से चूसने लगी। फिर शुरू हुई। उसकी बड़ी-बड़ी काली बाल थीं।
“तुम बाल क्यों नहीं बनाती हो?” मैंने पूछा।
“कोई पेलने वाला ही नहीं है। और फिर फिलिपिन्स की औरतें बालो को अच्छा मानती हैं। क्योंकि इससे बैक्टीरिया गुफा में नहीं पहुँच पाते। बनाने पर मेरी लाल-लाल चकत्ते पड़ जाते हैं,” उसने बताया।

“कोई नहीं, मैं ऐसे ही पेल दूँगा,” मैंने कहा।
मैंने अपना उसकी मशीन में इन्सर्ट किया, जैसे मोबाइल में चार्जर लगाते हैं। कई सालों से नोराफे की मशीन चार्ज नहीं हुई थी, इसलिए मेरा प्लग नहीं लग रहा था। फिर लग गया और मैं उसे चार्ज करने लगा। “ धीरे… बड़ा है तेरा…” उसने सिसकारी भरी। मैंने पहला धक्का दिया तो नाजुक बदन वाली नोराफे ने अपने सीने पर एक मुलायम चौकोर तकिया अपने हाथों में भींच लिया।

फिर मैंने धक्का दिया तो उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और सिसकारने लगी, “ हाय… कितना मोटा है…” जैसे उसने लाल मिर्च वाली चाट खा ली हो। मैंने उसे पेलना शुरू किया। “धप… धप…” अच्छी खासी टाइट मशीन मिली थी मुझे। ये किस्मत से ही मिली थी। मैंने धक्के पर धक्के देने लगा। “… हाँ… और जोर से…” नोराफे की जवानी फिर से वापस आने लगी। उसे आनंद आने लगा।

मुझे भी आनंद आने लगा। मैं उसे जोरदार धक्के मारने लगा। “धप… धप… धप…” मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और रात की ट्रेन चलाने लगा। उसे बहुत किया। मेरा उसकी दीवार में अंदर ही अंदर सरपट दौड़ रहा था, जैसे घोड़े अंधेरे में किसी घने जंगल में दौड़ते हैं। मेरा उसकी सुरंग का भरपूर ठुकाई कर रहा था। उसकी आखिरी दीवार को छू रहा था। ये कमाल का अहसास था। “ बेबी… तेरा कितना गहरा जा रहा है…” उसकी गुफा में आग लग गयी थी। फैलकर खूब बड़ी और गहरी हो गयी थी।

उसका पानी बहुत चिकना था और मेरा ग्रीसिंग कर रहा था। मैं उसे ठकाठक ठोक रहा था। “धप… धप… उसकी मशीन मेरा अच्छे से खा रही थी और मेरा अपने भीतर कस लिया था। उसे करते काफी देर हो गयी थी। फिर वो छटपटाने लगी। “… बेबी… अब निकलने वाला है…” मैं जान गया कि अब वो पानी छोड़ने वाली है।

मैंने उसे जोरदार धक्के मारने शुरू किए। “धप… धप… धप…” जोरदार, ऐतिहासिक धक्के। वो चरमसुख पा रही थी। “… हाय… और जोर से…” मेरा बदन भी ऐंठने लगा। फिर भी मेरा पानी नहीं गिरा। सूअर खा-खाकर उसने क्या गजब बॉडी बना रखी थी। बिल्कुल चिकना, संगमरमर जैसा बदन। मैं जोश में आ गया। उसे पेलते-पेलते मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया। उसके चिकने हिप क्या कमाल के थे। उसने अपने पैर मेरी कमर पर कस लिए। अपना सर नोराफे ने मेरे गले में छुपा लिया। उसके हाथ मेरी पीठ पर कस गए।

मुझे उस पर प्यार आ गया। मैं उसे लहरा-लहराकर ऊपर-नीचे करने लगा। … बेबी… कितना मजा आ रहा है…” उसे मजा आने लगा। उसे अभूतपूर्व सुख मिल रहा था। मैं उसके आसमान में अपनी पतंग को उड़ाने लगा। दाएँ-बाएँ, फिर ऊपर और ऊपर। मेरा उसकी गुफा में धंसा था, जैसे गमले में कोई गुलाब का पेड़ लगा रहता है। उसकी चिकनी, चुस्त गुफा मेरे बड़े से सामान को पूरा-पूरा अच्छी तरह से खा रही थी।

मुझे भी अभूतपूर्व सुख मिल रहा था। … नोराफे… तेरी कितनी टाइट है…” नोराफे अब पानी छोड़ने वाली थी। मैं जान गया था। मन हुआ कि इसे और तड़पाऊँ और अपना निकालकर इसे पिलाऊँ। उसे मैंने बड़ी देर तक किया। फिर उसे अपनी साइकिल से नीचे उतारा। वो घुटनों के बल बैठ गयी। मैंने उसके मुँह में पेल दिया। “उम्म… ले बेबी… चूस इसे…” वो अपनी सफ़ेद उंगलियों से मेरे सामान को फटने लगी। उसने मेरा माल खाने के लिए मुँह फैला लिया।

काफी देर तक मेरा फेटने के बाद मेरे सामान से पिचकारी छूट गयी। “… ले बेबी…” नोराफे, एक विदेशी होने के कारण, मेरा सारा माल पी गयी। हिंदुस्तानी औरतें तो कभी माल नहीं पीतीं। दोस्तों, ये बिल्कुल अलग अनुभव था। बिल्कुल हटके।

उसके बाद मैंने नोराफे को दो बार और लिया। घोड़ी बनाकर और मिशनरी स्टाइल में। “धप… धप…… बेबी… और जोर से…” हर बार वो सिसकारती रही और मैंने उसे जमकर किया।

दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी विदेशी औरत के साथ मजा लिया है? अपने अनुभव नीचे कमेंट में जरूर शेयर करें!

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