14/03/2025
"यज्ञ अध्यात्म या अंधविश्वास"
यज्ञ को केवल अंधविश्वास कहना, उसके पीछे की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा को नकारना होगा। हजारों वर्षों से, यज्ञ को आध्यात्मिक विकास, प्रकृति के साथ सामंजस्य, और समाज के कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना गया है। इसमें मंत्रोच्चारण, हवन, और विभिन्न प्रकार के प्रसाद शामिल होते हैं, जिनका उद्देश्य देवताओं को प्रसन्न करना, शुभ फल प्राप्त करना, या आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करना होता है। इसके पीछे का दर्शन, प्रकृति की शक्तियों के प्रति सम्मान और उनसे जुड़ने की इच्छा पर आधारित है।
हालांकि, यह भी सच है कि यज्ञ को अंधविश्वास के रूप में गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति यज्ञ को केवल अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए एक जादुई औजार के रूप में देखता है, हम ये भी कह सकते है कि कुछ पाखंडी पंडित , कुछ राजनीति उम्मीदवार और कुछ संत निजी प्रसिद्धि एवम् पैसे के उद्देश्य से किए यज्ञ भी अंधविश्वास में ही निहित है। यज्ञ शांति और आत्मज्ञान का मार्ग है इससे डीजे, पद यात्रा, पैसों में बिकने वाली कुंडियां के रूप में प्रदर्शन करना शत प्रतिशत अंधविश्वास है और ये यज्ञ कि गरिमा का भी अपमान है,इसलिए यज्ञ का अर्थ और प्रभाव व्यक्ति के दृष्टिकोण और उसकी आध्यात्मिक समझ पर निर्भर करता है।
अध्यात्म के संदर्भ में, यज्ञ एक साधन हो सकता है आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक विकास की ओर। यह एक अनुशासन, ध्यान और आत्म-नियंत्रण का अभ्यास है। मंत्रोच्चारण और ध्यान से मन को शांत किया जा सकता है और आध्यात्मिक ऊर्जा को प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन यह केवल एक साधन है, लक्ष्य नहीं। असली अध्यात्म यज्ञ से परे है, यह आंतरिक परिवर्तन और आत्म-ज्ञान की यात्रा है। यज्ञ कि एक एक आहूति से अपने संकल्प को दृढ़ करें।
इसलिए अंधविश्वास और अध्यात्म को पहचाने फिर हिस्सा बनिए या फिर दूर रहिए
~✍️रेवती शंकर रिंकू
✌️रामनगर