07/05/2025
*अठाईस वर्षों की साधना का मूल्य अठाईस हजार मासिक*
आज अखबार में समाचार था कि नीट परीक्षा में इस बार फिजिक्स का पर्चा काफी कठिन था और बहुत से सेंटर्स पर कई बच्चे रोते हुए बाहर आए।
नीट परीक्षा के लिए एक बच्चा औसतन चार साल पढ़ाई करता है। देखा गया है कि जो छात्र प्रथम प्रयास में सफल होते हैं वो अक्सर 9वीं कक्षा से ही सब कुछ छोड़ कर नीट की तैयारी में लग जाते हैं,जो छात्र ग्यारहवीं ,बारहवीं में आकर नीट की तैयारी शुरू करते हैं उन्हें एक, या दो या तीन ड्रॉप लेने पड़ते हैं।
नीट की पढ़ाई कितनी कठिन है इसका अनुमान इस बात से लगा सकते हैं कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब अखबार में किसी नीट की तैयारी कर रहे छात्र द्वारा सुसाइड का समाचार न दिखता हो। नीट की तैयारी तो छात्र करता है लेकिन पूरे परिवार का जीवन उन चार साल इस परीक्षा पर केंद्रित हो जाता है। बच्चों का एक ही लक्ष्य, एक ही स्वप्न होता है कि बस सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेना है। उन्हें लगता है कि मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के बाद उनकी चार वर्षों की साधना समाप्त होगी और उसके बाद अब वो सब कुछ कर पाएंगे जो नीट की तैयारी के समय नहीं कर पाए थे जैसे कि खुल कर हंसना, जम कर खेलना, सुबह देर तक सोना, पारिवारिक कार्यक्रमों में आना जाना इत्यादि।
मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के बाद ये भ्रम भी टूटता है और उन्हें पता चलता है कि जिसे वो अपनी वर्षों की कठिन और थका देने वाली साधना का अंत समझ रहे थे वो तो दरअसल उनकी असल साधना का प्रारंभ है और ये साधना तो अगले बारह तेरह साल चलने वाली है।
मेडिकल की पढ़ाई के दौरान होने वाले मानसिक तनाव को एक मेडिको या उसके परिजनों के अतिरिक्त कोई नहीं समझ सकता। एक डॉक्टर जब तीस साल का होता है तो वो सैकड़ों परीक्षाएं दे चुका होता है, हर परीक्षा किसी गंभीर मानसिक यंत्रणा से कम नहीं होती। अट्ठाइस, तीस साल की थका देने वाली कठिन यात्रा के बाद जब वो चिकित्सक के रूप में अपने करियर का पहला कदम समाज में रखता है तो उसे बताया जाता है कि *विधान सभा में तीन प्रश्न न पूछने के बदले तीन करोड़ लेने वाले माननीय विधायकों ने मिलकर उसकी अट्ठाइस वर्षों की साधना का मूल्य अठाईस हजार मासिक तय किया है।
-डॉ राज शेखर यादव
फिजिशियन,राजस्थान